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वह सब बातें “अपने मन में रखकर सोचती रही”प्रहरीदुर्ग—2009 | जनवरी 1
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सोचिए अगर एक स्त्री गर्भवती हो और उसे बहुत लंबा सफर करना पड़े, वह भी एक गधे पर बैठकर, तो उसे कितनी मुश्किल होगी। ऐसा ही हाल मरियम नाम की एक यहूदी स्त्री का था। वह अपने पति यूसुफ के साथ अपने नगर नासरत से दूर बेतलेहेम जा रही थी। रास्ते में मरियम ने एक बार फिर गर्भ में पल रहे अपने बच्चे की हरकत महसूस की।
बाइबल में दर्ज़ इस वाकये से मालूम होता है कि मरियम का नौंवा महीना चल रहा था। (लूका 2:5, 6) सफर के दौरान यूसुफ और मरियम कई खेत-खलिहानों से गुज़रे। उन खेतों में जुताई और बोआई करनेवाले कुछ किसानों ने शायद उन्हें देखकर सोचा होगा कि इस हालत में यह स्त्री कहाँ जा रही है। आखिर मरियम क्यों इतने लंबे सफर पर निकली थी?
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वह सब बातें “अपने मन में रखकर सोचती रही”प्रहरीदुर्ग—2009 | जनवरी 1
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ध्यान दीजिए कि लूका बताता है कि यूसुफ ‘अपनी पत्नी मरियम के साथ नाम लिखवाने’ गया। (लूका 2:4, 5, बुल्के बाइबिल) इसका मतलब है कि मरियम ने यूसुफ के फैसले को कबूल किया। मरियम, यूसुफ की पत्नी थी और इस बात का उसके फैसलों पर गहरा असर हुआ। वह यूसुफ को अपना मुखिया मानती थी और जानती थी कि परमेश्वर ने पत्नी को पति का सहायक बनाया है। इसलिए उसने यूसुफ के फैसलों में साथ देकर एक पत्नी की ज़िम्मेदारी बखूबी निभायी।a हालाँकि बेतलेहेम जाना मरियम के लिए मुश्किल था, मगर यूसुफ का फैसला मानकर वह अपने विश्वास की परीक्षा में खरी उतरी।
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