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“मैं कैसर की दोहाई देता हूं”!प्रहरीदुर्ग—2001 | दिसंबर 15
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महायाजक हनन्याह, यहूदी पुरनियों और तिरतुल्लुस ने फेलिक्स के सामने पौलुस पर यह इलज़ाम लगाया कि वह “उपद्रवी और जगत के सारे यहूदियों में बलवा करानेवाला” है। उन्होंने दावा किया कि वह “नासरियों के कुपन्थ” का सरदार है और उसने मंदिर को अशुद्ध करने की कोशिश की है।—प्रेरितों 24:1-6.
पौलुस पर हमला करनेवाली भीड़ ने सोचा कि वह अन्यजाति के त्रुफिमुस नामक व्यक्ति को मंदिर के उस आँगन में लाया जिसमें यहूदियों के सिवा और किसी को कदम रखने की इजाज़त नहीं थी।a (प्रेरितों 21:28,29) देखा जाए तो यहूदियों का असली अपराधी त्रुफिमुस था। लेकिन उन्होंने यह कहकर पौलुस को भी मृत्युदंड के लायक ठहरा दिया कि उसी ने त्रुफिमुस को मंदिर में लाकर एक अपराधी की मदद करने या साथ देने का जुर्म किया। और ऐसा जान पड़ता है कि यहूदियों को रोमी सरकार से इजाज़त थी कि वे ऐसे जुर्म के लिए सज़ा-ए-मौत दे। इसलिए अगर पौलुस को लूसियास के बजाय यहूदियों के मंदिर की पुलिस गिरफ्तार कर लेती तो महासभा बड़ी आसानी से उसके मुकद्दमे की सुनवाई करके उसे मौत की सज़ा सुना सकती थी।
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“मैं कैसर की दोहाई देता हूं”!प्रहरीदुर्ग—2001 | दिसंबर 15
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a अन्यजाति के लोगों के आँगन और भीतरी आँगन के बीच तीन हाथ ऊँची और चारों तरफ फैली, पत्थर की बनी परदा दीवार थी जिसके बीच-बीच में आने-जाने का रास्ता था। इस दीवार पर थोड़े-थोड़े फासले में यूनानी और लातीनी भाषा में यह चेतावनी लिखी गयी थी: “किसी भी परदेशी के लिए यह सीमा पार करके अंदर घुसना और पवित्र स्थान के चारों तरफ बनी दीवार के आगे जाना मना है। जो भी इस कानून को तोड़ता हुआ पकड़ा जाएगा, उसे मौत की सज़ा दी जाएगी और इसका ज़िम्मेदार वह खुद होगा।”
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