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  • ‘वह पवित्र शास्त्र से उनके साथ तर्क-वितर्क करता है’
    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • पौलुस और सीलास पागल भीड़ से बचने के लिए एक घर में छिपने की जगह ढूँढ़ रहे हैं। एक आदमी घर के दरवाज़े के पीछे खड़ा भीड़ से बात कर रहा है।

      ‘वे पौलुस और सीलास को इस पागल भीड़ के हवाले करने की कोशिश करते हैं।’​—प्रेषितों 17:5

      10 अब क्या होगा? लूका लिखता है, “यह देखकर यहूदी जलन से भर गए और अपने साथ बाज़ार के कुछ आवारा बदमाशों को लेकर एक दल बना लिया और शहर भर में हंगामा करने लगे। उन्होंने यासोन के घर पर धावा बोल दिया ताकि पौलुस और सीलास को इस पागल भीड़ के हवाले कर दें। मगर जब ढूँढ़ने पर उन्हें पौलुस और सीलास वहाँ नहीं मिले, तो उन्होंने यासोन और कुछ और भाइयों को पकड़ लिया और उन्हें घसीटकर नगर-अधिकारियों के पास ले गए और चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, ‘जिन आदमियों ने सारी दुनिया में उथल-पुथल मचा रखी है, वे अब यहाँ भी आ पहुँचे हैं और इस यासोन ने उन्हें अपने घर में मेहमान ठहराया है। ये आदमी सम्राट के आदेशों के खिलाफ बगावत करते हैं और कहते हैं कि कोई दूसरा राजा है, जिसका नाम यीशु है।’” (प्रेषि. 17:5-7) भीड़ के इस हमले का पौलुस और उसके साथियों पर क्या असर होता है?

      11. पौलुस और उसके साथियों पर क्या आरोप लगाए जाते हैं? यहूदी शायद किस आदेश को ध्यान में रखकर यह आरोप लगाते हैं? (फुटनोट देखें।)

      11 गुस्से से पागल भीड़ बहुत खतरनाक होती है। वह एक बाढ़ की तरह तबाही मचा सकती है। उसके रास्ते में जो भी आता है उसे बहा ले जाती है। इसलिए थिस्सलुनीके के यहूदी पौलुस और सीलास को अपने रास्ते से हटाने के लिए भीड़ को भड़काते हैं। वे पूरे शहर में “हंगामा” मचा देते हैं और नगर-अधिकारियों के सामने जाकर पौलुस और सीलास पर गंभीर आरोप लगाते हैं। उनका पहला आरोप यह है कि पौलुस और उसके साथियों ने “सारी दुनिया में उथल-पुथल मचा रखी है,” जबकि हंगामा यहूदियों ने किया था, पौलुस और उसके साथियों ने नहीं। दूसरा आरोप और भी गंभीर है। यहूदी कहते हैं कि ये लोग यीशु नाम के किसी दूसरे राजा का प्रचार कर रहे हैं और इस तरह सम्राट के आदेशों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।a

      12. यह क्यों कहा जा सकता है कि थिस्सलुनीके के मसीहियों पर जो आरोप लगाए गए थे, उनके भयानक अंजाम हो सकते थे?

      12 याद कीजिए कि यीशु पर भी धर्म गुरुओं ने इसी तरह का इलज़ाम लगाया था। उन्होंने पीलातुस से कहा था, “यह आदमी हमारे राष्ट्र को बगावत के लिए भड़काता है . . . और कहता है कि मैं मसीह हूँ, मैं राजा हूँ।” (लूका 23:2) पीलातुस को शायद डर था कि अगर उसने यीशु को छोड़ दिया तो सम्राट को लगेगा कि वह भी बगावत में यीशु का साथ दे रहा है। इसलिए उसने यीशु को मौत की सज़ा सुनायी। उसी तरह, थिस्सलुनीके के मसीहियों पर जो आरोप लगाए गए थे, उनके भयानक अंजाम हो सकते थे। एक किताब बताती है, “ये आरोप बहुत गंभीर थे। ‘अगर किसी के बारे में ज़रा-सा भी शक होता कि वह सम्राट के खिलाफ साज़िश कर रहा है तो उसकी मौत तय थी, बचना लगभग नामुमकिन था।’” क्या थिस्सलुनीके के यहूदी अपनी साज़िश में कामयाब होते हैं?

  • ‘वह पवित्र शास्त्र से उनके साथ तर्क-वितर्क करता है’
    ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’
    • a एक विद्वान बताता है कि उस ज़माने में सम्राट का आदेश था कि “किसी नए राजा या किसी नयी सरकार” के बारे में बात करना मना है, “खासकर किसी ऐसे राजा की जो मौजूदा सम्राट को दोषी ठहराने या उसे हटाकर अपनी हुकूमत कायम करने की कोशिश करता है।” पौलुस के दुश्‍मनों ने उसके संदेश को तोड़-मरोड़कर ऐसे पेश किया होगा जिससे लगता कि पौलुस सम्राट के आदेश के खिलाफ जा रहा है। यह बक्स देखें, “प्रेषितों की किताब में रोमी सम्राटों का ज़िक्र।”

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