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‘उस प्रकार किसी मनुष्य ने अब तक ऐसी बातें नहीं कीं’प्रहरीदुर्ग—2002 | सितंबर 1
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6. यीशु की कही बातों की एक मिसाल दीजिए जो सरल है, मगर जिसमें गहरा अर्थ छिपा है।
6 यीशु ने अकसर साफ और थोड़े शब्दों में ऐसी बातें कहीं जो सरल थीं, मगर उनमें गहरा अर्थ छिपा था। एक ऐसे युग में जब किताबें नहीं छपती थीं, उसने लोगों के दिलो-दिमाग पर अपने संदेश की ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि वे उसे भुला नहीं पाते थे। कुछ उदाहरणों पर गौर कीजिए: “कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, . . . ‘तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।’” “दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए।” “उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।” “वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है।” “जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे।” “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्वर का है परमेश्वर को दो।” “लेने से देना धन्य है।”c (मत्ती 6:24; 7:1, 20; 9:12; 26:52; मरकुस 12:17; प्रेरितों 20:35) यीशु की इन बातों को आज करीब 2,000 साल हो गए, मगर ये इतनी दमदार हैं कि आज भी हम इन्हें आसानी से याद रख सकते हैं।
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‘उस प्रकार किसी मनुष्य ने अब तक ऐसी बातें नहीं कीं’प्रहरीदुर्ग—2002 | सितंबर 1
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c ये आखिरी उदाहरण प्रेरितों 20:35 में दर्ज़ है। इसका हवाला सिर्फ प्रेरित पौलुस ने दिया जबकि इन शब्दों का सार सुसमाचार की किताबों में पाया जाता है। पौलुस ने यह बात किसी से सुनी होगी (किसी चेले से जिसने खुद यीशु को यह बात कहते सुना होगा या पौलुस को पुनरुत्थान पाए यीशु ने बताया होगा) या फिर परमेश्वर ने उस पर यह बात ज़ाहिर की होगी।—प्रेरितों 22:6-15; 1 कुरिन्थियों 15:6, 8.
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