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“परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है”प्रहरीदुर्ग—1998 | नवंबर 1
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पौलुस ने मकिदुनिया जैसी दूर-दूर की कलीसियाओं की मदद भी माँगी, और उसने यहूदिया के गरीब मसीहियों के लिए चंदा इकट्ठा करने का बंदोबस्त किया। कुरिन्थियों को पौलुस ने लिखा: “जैसी आज्ञा मैं ने गलतिया की कलीसियाओं को दी, वैसा ही तुम भी करो। सप्ताह के पहिले दिन तुम में से हर एक अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास रख छोड़ा करे।”a—१ कुरिन्थियों १६:१, २.
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“परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है”प्रहरीदुर्ग—1998 | नवंबर 1
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a हालाँकि पौलुस ने ‘आज्ञा दी,’ इसका मतलब यह नहीं है कि उसने अपनी मरज़ी से और ज़बरदस्ती लोगों से माँग की। इसके बजाय, पौलुस तो चंदा इकट्ठा करने के काम की बस देखरेख कर रहा था क्योंकि इसमें कई कलीसियाएँ शामिल थीं। इसके अलावा, पौलुस ने कहा कि हर एक व्यक्ति “अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास” से दे। दूसरे शब्दों में कहे तो व्यक्ति जो भी दान करता है, उसे अकेले में और अपनी इच्छा से दिया जाना था। किसी से कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की गयी।
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