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  • यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’
    प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
    • 4. पौलुस को ज़िंदगी-भर किस हालात से गुज़रना पड़ा, और जब हम ऐसे हालात में होते हैं तो हमें क्या लग सकता है?

      4 याद कीजिए कि प्रेरित पौलुस के साथ क्या हुआ था। उसने लिखा: “मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात्‌ शैतान का एक दूत कि मुझे घूसे मारे।” उसने यह भी कहा: “मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए।” यहोवा ने उसकी बिनतियाँ सुनीं। मगर उसने पौलुस से कहा कि वह कोई चमत्कार करके उसकी तकलीफ दूर नहीं करेगा। इसके बजाय, परमेश्‍वर उसे शक्‍ति देता जिससे वह अपने ‘शरीर के कांटे’ को झेल सके।b (2 कुरिन्थियों 12:7-9) पौलुस की तरह, शायद आप भी काफी समय से किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं। शायद आप सोचते हैं, ‘मुझे नहीं लगता कि यहोवा मेरी तकलीफ दूर करने के लिए कुछ कर रहा है। न जाने, वह मेरी हालत के बारे में जानता भी है या नहीं, या अगर जानता है तो भी शायद उसे मेरी कोई परवाह नहीं।’ मगर यह बात सरासर गलत है! यहोवा अपने हर वफादार सेवक की सच्चे दिल से फिक्र करता है। यह बात यीशु ने अपने प्रेरितों को चुनने के कुछ ही समय बाद ज़ोर देकर बतायी थी। आइए देखें कि उसके शब्दों से आज हमें क्या हौसला मिल सकता है।

  • यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’
    प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
    • b पौलुस के ‘शरीर का कांटा’ क्या था, यह बाइबल साफ-साफ नहीं बताती। यह शायद उसकी कमज़ोर नज़र या कोई और बीमारी थी। या फिर ‘शरीर के कांटे’ का मतलब वे झूठे प्रेरित और दूसरे लोग हो सकते हैं, जिन्होंने पौलुस के प्रेरित होने के अधिकार पर और उसकी सेवा पर उँगली उठायी थी।—2 कुरिन्थियों 11:6, 13-15; गलतियों 4:15; 6:11.

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