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पारिवारिक सुख का रहस्य
fy अध्या. 1 पेज 4-12
पेज ४ पर बड़ी तसवीर दी गयी है

अध्याय एक

क्या पारिवारिक सुख का एक रहस्य है?

पेज ५ पर तसवीरें

१. मानव समाज में मज़बूत परिवार क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?

परिवार पृथ्वी पर सबसे पुराना संस्थान है, और यह मानव समाज में एक अति-महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूरे इतिहास में, मज़बूत परिवारों ने मज़बूत समाज बनाने में मदद दी है। बच्चों को इस प्रकार बड़ा करने के लिए कि वे प्रौढ़ वयस्क बनें, परिवार सर्वोत्तम प्रबन्ध है।

२-५. (क) उस निश्‍चिन्तता का वर्णन कीजिए जो एक बच्चा एक सुखी परिवार में महसूस करता है। (ख) कुछ परिवारों में कौन-सी समस्याएँ रिपोर्ट की गयी हैं?

२ एक सुखी परिवार सुरक्षा और निश्‍चिन्तता का आश्रय है। क्षण भर के लिए आदर्श परिवार की कल्पना कीजिए। अपने रात्रि भोजन के दौरान, परवाह करनेवाले माता-पिता अपने बच्चों के साथ बैठकर दिन-भर की बातों पर चर्चा करते हैं। बच्चे उत्साहित होकर शोरगुल करते हैं जब वे अपने माता-पिता को बताते हैं कि स्कूल में क्या हुआ। एकसाथ बिताया यह आरामदायी समय सभी को बाहर दुनिया में एक और दिन के लिए स्फूर्ति देता है।

३ एक सुखी परिवार में, एक बच्चा जानता है कि जब वह बीमार होगा तो उसके माता-पिता उसकी देखभाल करेंगे, संभवतः बारी-बारी से पूरी रात उसके सिरहाने बैठेंगे। वह जानता है कि वह अपने युवा जीवन की समस्याएँ लेकर अपनी माता या पिता के पास जा सकता है और सलाह और सहारा पा सकता है। जी हाँ, बच्चा सुरक्षित महसूस करता है, बाहर की दुनिया चाहे कितनी भी समस्या-भरी क्यों न हो।

४ जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो वे प्रायः विवाह करते हैं और ख़ुद अपना घर बसाते हैं। एक पूर्वी कहावत है कि “एक व्यक्‍ति को तब पता चलता है कि वह अपने माता-पिता का कितना ऋणी है जब उसका ख़ुद का बच्चा होता है।” आभार और प्रेम की गहरी भावना के साथ, सयाने बच्चे ख़ुद अपने परिवारों को सुखी बनाने की कोशिश करते हैं, और वे अब अपने बूढ़े होते माता-पिता की भी सेवा करते हैं, जो नाती-पोतों की संगति में प्रसन्‍न होते हैं।

५ शायद अब आप सोच रहे हैं: ‘मैं अपने परिवार से प्रेम करता हूँ, लेकिन वह अभी वर्णित परिवार के समान नहीं है। मेरे विवाह-साथी की और मेरी अलग-अलग कार्य-सारणी है और हम मुश्‍किल से एक दूसरे को देखते हैं। हम ज़्यादातर पैसे की समस्याओं के बारे में बात करते हैं।’ या क्या आप कहते हैं, ‘मेरे बच्चे और नाती-पोते दूसरे शहर में रहते हैं, और मैं उनको कभी देख नहीं पाता’? जी हाँ, क्योंकि अकसर ऐसे कारण सम्मिलित होते हैं जो हमारे बस के बाहर होते हैं, अनेकों का पारिवारिक जीवन आदर्श नहीं है। फिर भी, कुछ लोग सुखी पारिवारिक जीवन बिताते हैं। कैसे? क्या पारिवारिक सुख का एक रहस्य है? उत्तर है हाँ। लेकिन इस पर चर्चा करने से पहले कि वह क्या है, हमें एक महत्त्वपूर्ण प्रश्‍न का उत्तर देना चाहिए।

एक परिवार क्या है?

६. इस पुस्तक में किस क़िस्म के परिवारों पर चर्चा की जाएगी?

६ पश्‍चिमी देशों में, ज़्यादातर परिवार एक पिता, एक माता, और बच्चों से बने होते हैं। दादा-दादी शायद अलग ख़ुद अपने घरों में रहें जब तक कि वे अकेले रह सकते हैं। जबकि ज़्यादा दूर के रिश्‍तेदारों से संपर्क रखा जाता है, उनके प्रति कर्तव्य सीमित होते हैं। मूलतः, इस पुस्तक में हम इस परिवार पर चर्चा करेंगे। लेकिन, हाल के सालों में दूसरे परिवार अधिकाधिक सामान्य हो गए हैं—एक-जनक परिवार, सौतेला परिवार, और वह परिवार जिसमें एक-न-एक कारण से माता-पिता एकसाथ नहीं रह रहे हैं।

७. विस्तृत परिवार क्या है?

७ कुछ संस्कृतियों में विस्तृत परिवार सामान्य है। इस प्रबन्ध में, यदि संभव हो तो आम तौर पर बच्चे दादा-दादी की देखरेख करते हैं, और दूर के रिश्‍तेदारों के साथ भी घनिष्ठ बंधन और उनके प्रति ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए, पारिवार के सदस्य अपने भतीजे-भतीजियों, या ज़्यादा दूर के रिश्‍तेदारों को सँभालने, पालने, और यहाँ तक कि उनकी शिक्षा के ख़र्च में भी शायद मदद दें। इस प्रकाशन में जिन सिद्धान्तों की चर्चा की जाएगी वे विस्तृत परिवारों पर भी लागू होते हैं।

दबाव के अधीन परिवार

८, ९. कुछ देशों में कौन-सी समस्याएँ दिखाती हैं कि परिवार बदल रहा है?

८ आज परिवार बदल रहा है—दुःख की बात है कि बेहतरी के लिए नहीं। एक उदाहरण भारत में देखने को मिलता है, जहाँ एक पत्नी शायद अपने पति के परिवार के साथ रहे और अपने ससुराल वालों के निर्देशन के अधीन घर में काम करे। लेकिन, आजकल भारतीय पत्नियों के लिए घर के बाहर रोज़गार ढूँढना असामान्य बात नहीं है। परन्तु प्रत्यक्षतः उनसे अब भी अपेक्षा की जाती है कि घर में अपनी पारंपरिक भूमिकाएँ निभाएँ। अनेक देशों में यह प्रश्‍न उठाया जाता है कि परिवार के दूसरे सदस्यों की तुलना में बाहर नौकरी करनेवाली स्त्री से घर में कितना काम करने की अपेक्षा की जानी चाहिए?

९ पूर्वी समाजों में, मज़बूत विस्तृत-पारिवारिक बंधन पारंपरिक हैं। लेकिन, पाश्‍चात्य-शैली व्यक्‍तिवाद के प्रभाव और आर्थिक समस्याओं के दबाव के अधीन, पारंपरिक विस्तृत परिवार कमज़ोर हो रहा है। इसलिए, बहुत लोग परिवार के वृद्ध सदस्यों की सेवा को एक कर्तव्य या विशेषाधिकार के बजाय एक भार समझते हैं। कुछ वृद्ध माता-पिताओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। वास्तव में, आज अनेक देशों में वृद्ध जनों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता और उनकी उपेक्षा की जाती है।

१०, ११. कौन-से तथ्य दिखाते हैं कि यूरोपीय देशों में परिवार बदल रहा है?

१० तलाक़ अधिकाधिक सामान्य होता जा रहा है। स्पेन में २०वीं शताब्दी के अन्तिम दशक की शुरूआत तक तलाक़ दर बढ़ गयी, ८ विवाह में से १ तलाक़—मात्र २५ साल पहले १०० विवाह में से १ तलाक़, से एक ऊँची छलाँग। ब्रिटेन, जहाँ रिपोर्ट किया जाता है कि यूरोप में सबसे ऊँची तलाक़ दर है (१० में से ४ विवाह असफल होने का अनुमान लगाया जाता है), वहाँ एक-जनक परिवारों की संख्या में एकाएक वृद्धि हुई है।

११ जर्मनी में अनेक लोग पारंपरिक परिवार को पूरी तरह से त्यागते प्रतीत हो रहे हैं। दशक १९९० में देखा गया कि सभी जर्मन घरानों में से ३५ प्रतिशत एक व्यक्‍ति से बने थे और ३१ प्रतिशत मात्र दो व्यक्‍तियों से बने थे। फ्रांस में भी पहले की तुलना में कम लोग विवाह कर रहे हैं, और जो विवाह करते भी हैं उनमें से ज़्यादा लोग और ज़्यादा जल्दी तलाक़ ले लेते हैं। बढ़ती संख्या में लोग विवाह की ज़िम्मेदारियों के बिना एकसाथ रहना ज़्यादा पसन्द करते हैं। मिलते-जुलते रुख संसार-भर में देखने को मिलते हैं।

१२. आधुनिक परिवार में परिवर्तनों के कारण बच्चे कैसे कष्ट उठाते हैं?

१२ बच्चों के बारे में क्या? अमरीका और अनेक अन्य देशों में, अधिकाधिक बच्चे नाजायज़ पैदा होते हैं, कुछ तो छोटे किशोर-किशोरियों को होते हैं। अनेक किशोरियों को अलग-अलग पिताओं से कई बच्चे होते हैं। संसार-भर से रिपोर्टें सड़कों पर घूमते लाखों बेघर बच्चों के बारे में बताती हैं; अनेक उन घरों से भाग रहे हैं जहाँ उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है या उन्हें उन परिवारों द्वारा निकाल दिया जाता है जो अब उनकी देखभाल नहीं कर पाते।

१३. कौन-सी व्यापक समस्याएँ परिवारों का सुख चुराती हैं?

१३ जी हाँ, परिवार संकट में है। जिन बातों का उल्लेख किया जा चुका है उनके अतिरिक्‍त, किशोर विद्रोह, बाल दुर्व्यवहार, वैवाहिक हिंसा, मद्यव्यसनता, और अन्य विनाशक समस्याएँ अनेक परिवारों का सुख चुराती हैं। एक बड़ी संख्या में बच्चों और बड़ों के लिए, परिवार निश्‍चित ही एक आश्रय नहीं है।

१४. (क) कुछ लोगों के अनुसार, पारिवारिक संकट के क्या कारण हैं? (ख) प्रथम शताब्दी के एक वकील ने आज के संसार का वर्णन कैसे किया, और उसके शब्दों की पूर्ति का पारिवारिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है?

१४ पारिवारिक संकट क्यों? कुछ लोग वर्तमान-दिन पारिवारिक संकट का दोष कार्यस्थल में स्त्रियों के प्रवेश पर लगाते हैं। अन्य लोग आज के नैतिक पतन की ओर संकेत करते हैं। और अतिरिक्‍त कारण बताए जाते हैं। लगभग दो हज़ार साल पहले, एक सुप्रसिद्ध वकील ने पूर्वबताया कि परिवार पर अनेक दबाव आते, जब उसने लिखा: “अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्‍वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्‍वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।” (२ तीमुथियुस ३:१-४) कौन नहीं मानेगा कि ये शब्द आज पूरे हो रहे हैं? एक ऐसे संसार में जहाँ इस प्रकार की परिस्थितियाँ हैं, क्या यह कोई आश्‍चर्य की बात है कि अनेक परिवार संकट में हैं?

पारिवारिक सुख का रहस्य

१५-१७. इस पुस्तक में, किस अधिकार की ओर संकेत किया जाएगा कि उसमें पारिवारिक सुख का रहस्य है?

१५ हर तरफ़ से सलाह दी जाती है कि परिवार में सुख कैसे प्राप्त करें। पश्‍चिमी देशों में, ढेरों-ढेर आत्म-निर्भरता पुस्तकें और पत्रिकाएँ सलाह देती हैं। समस्या यह है कि मानव सलाहकार एक दूसरे का खण्डन करते हैं, और जो आज प्रचलित सलाह है वह कल शायद अव्यावहारिक समझी जाए।

१६ तो फिर, हम विश्‍वसनीय पारिवारिक मार्गदर्शन के लिए किस ओर देख सकते हैं? क्या आप कुछ १,९०० साल पहले पूरी की गयी पुस्तक की ओर देखेंगे? या क्या आप महसूस करेंगे कि इस क़िस्म की पुस्तक एकदम दिनातीत होगी? सत्य यह है कि पारिवारिक सुख का असल रहस्य एक ऐसे ही स्रोत में मिलता है।

१७ वह स्रोत है बाइबल। सभी प्रमाणों के अनुसार, यह स्वयं परमेश्‍वर द्वारा उत्प्रेरित की गयी थी। बाइबल में हमें यह कथन मिलता है: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” (२ तीमुथियुस ३:१६) इस प्रकाशन में हम आपको इस बात पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे कि आज परिवार जिन तनावों और समस्याओं का सामना करते हैं उनसे निपटते समय मामलों को “सुधारने” के लिए कैसे बाइबल आपकी मदद कर सकती है।

१८. वैवाहिक परामर्श में बाइबल को एक अधिकार के रूप में स्वीकार करना क्यों तर्कसंगत है?

१८ यदि आप इस संभावना को नकारने के लिए प्रवृत्त हैं कि बाइबल परिवारों को सुखी बनाने में मदद दे सकती है, तो इस पर विचार कीजिए: जिस व्यक्‍ति ने बाइबल उत्प्रेरित की वही वैवाहिक प्रबन्ध का आरंभक है। (उत्पत्ति २:१८-२५) बाइबल कहती है कि उसका नाम यहोवा है। (भजन ८३:१८) वह सृष्टिकर्ता और ‘पिता है जिस से हर एक घराने का नाम रखा जाता है।’ (इफिसियों ३:१४, १५) यहोवा ने मानवजाति की शुरूआत से पारिवारिक जीवन को देखा है। वह उन समस्याओं को जानता है जो उठ सकती हैं और उनका हल करने के लिए उसने सलाह दी है। पूरे इतिहास में, जिन्होंने अपने पारिवारिक जीवन में ईमानदारी से बाइबल सिद्धान्तों को लागू किया उन्हें ज़्यादा सुख मिला।

१९-२१. कौन-से आधुनिक अनुभव वैवाहिक समस्याओं का हल करने की बाइबल की शक्‍ति दिखाते हैं?

१९ उदाहरण के लिए, इन्डोनेशिया में एक गृहिणी आदत-से-मजबूर जुआरी थी। सालों उसने अपने तीन बच्चों की लापरवाही की और बार-बार अपने पति के साथ झगड़ा किया। फिर उसने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया। धीरे-धीरे वह स्त्री बाइबल की बातों पर विश्‍वास करने लगी। जब उसने इसकी सलाह मानी तो वह एक बेहतर पत्नी बन गयी। बाइबल सिद्धान्तों पर आधारित, उसके प्रयास उसके समस्त परिवार के लिए सुख लाए।

२० स्पेन में एक गृहिणी कहती है: “हमारा विवाह हुए एक ही साल हुआ था जब हमें गंभीर समस्याएँ होना शुरू हो गयीं।” उसके और उसके पति के बीच ज़्यादा समानताएँ नहीं थीं, और वे बहस करते समय बोलने के अलावा शायद ही कभी बात करते थे। उनके पास एक छोटी-सी पुत्री थी, इसके बावजूद उन्होंने कानूनी अलगाव करने का फ़ैसला कर लिया। लेकिन, वह होने से पहले, उन्हें बाइबल में देखने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने विवाहित पुरुषों और स्त्रियों के लिए इसकी सलाह का अध्ययन किया और उस पर अमल करना शुरू किया। कुछ ही समय में, वे शान्तिपूर्वक बातचीत कर सके, और उनका छोटा-सा परिवार ख़ुशी-ख़ुशी एक हो गया।

२१ बाइबल वृद्ध लोगों की भी मदद करती है। उदाहरण के लिए, एक जापानी दम्पति के अनुभव पर विचार कीजिए। पति गर्म-मिजाज़ और कभी-कभी हिंसक था। पहले, अपने माता-पिता के विरोध के बावजूद, उस दम्पति की पुत्रियों ने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया। फिर, पति अपनी पुत्रियों के साथ हो गया, परन्तु पत्नी ने विरोध करना जारी रखा। लेकिन, सालों के दौरान, उसने अपने परिवार पर बाइबल सिद्धान्तों के अच्छे प्रभाव को नोट किया। उसकी पुत्रियाँ उसका पूरा ध्यान रखती थीं, और उसका पति काफ़ी मृदुल हो गया। ऐसे परिवर्तनों ने उस स्त्री को ख़ुद बाइबल में देखने के लिए प्रेरित किया, और इसका उस पर भी वही अच्छा प्रभाव हुआ। इस वृद्ध महिला ने बारंबार कहा: “हम एक असली विवाहित दम्पति बन गए।”

२२, २३. सभी राष्ट्रीय पृष्ठभूमियों के लोगों को उनके पारिवारिक जीवन में सुख पाने के लिए बाइबल कैसे मदद देती है?

२२ ये व्यक्‍ति उन बहुतेरों में से हैं जिन्होंने पारिवारिक सुख का रहस्य जान लिया है। उन्होंने बाइबल की सलाह को स्वीकार किया है और उस पर अमल किया है। यह सच है कि वे उसी हिंसक, अनैतिक, आर्थिक रूप से तनाव-ग्रस्त संसार में रहते हैं जिसमें अन्य सभी लोग रहते हैं। इसके अलावा, वे अपरिपूर्ण हैं, लेकिन वे पारिवारिक प्रबन्ध के आरंभक की इच्छा पर चलने की कोशिश करने में सुख पाते हैं। जैसा बाइबल कहती है, वह यहोवा परमेश्‍वर है ‘जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता है, और जिस मार्ग से तुझे जाना है उसी मार्ग पर तुझे ले चलता है।’—यशायाह ४८:१७.

२३ हालाँकि बाइबल लगभग दो हज़ार साल पहले पूरी हो गयी थी, इसकी सलाह सचमुच दिनाप्त है। इसके अतिरिक्‍त, यह सभी लोगों के लिए लिखी गयी थी। बाइबल एक अमरीकी या पाश्‍चात्य पुस्तक नहीं है। यहोवा “ने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां . . . बनाई हैं,” और वह हर जगह के मनुष्यों की रचना जानता है। (प्रेरितों १७:२६) बाइबल सिद्धान्त सभी के लिए काम करते हैं। यदि आप उनको लागू करें, तो आप भी पारिवारिक सुख का रहस्य जान जाएँगे।

क्या आप इन प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं?

आज परिवार को क्या हो रहा है?—२ तीमुथियुस ३:१-४.

पारिवारिक प्रबन्ध का आरंभ किसने किया?—इफिसियों ३:१४, १५.

पारिवारिक सुख का रहस्य क्या है?—यशायाह ४८:१७.

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