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  • एक सफल विवाह की तैयारी करना

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पारिवारिक सुख का रहस्य
fy अध्या. 2 पेज 13-26

अध्याय दो

एक सफल विवाह की तैयारी करना

पेज १३ पर तसवीरें

१, २. (क) यीशु ने योजना बनाने के महत्त्व पर कैसे ज़ोर दिया? (ख) ख़ासकर किस क्षेत्र में योजना बनाना अत्यावश्‍यक है?

एक भवन बनाना ध्यानपूर्ण तैयारी की माँग करता है। नींव डालने से पहले, ज़मीन लेने और नक़्शा खींचने की ज़रूरत होती है। लेकिन, एक और चीज़ अत्यावश्‍यक है। यीशु ने कहा: “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की विसात मेरे पास है कि नहीं?”—लूका १४:२८.

२ जो बात एक भवन बनाने के बारे में सच है वही एक सफल विवाह बनाने पर भी लागू होती है। अनेक लोग कहते हैं: “मैं विवाह करना चाहता हूँ।” लेकिन कितने लोग रुककर क़ीमत आँकते हैं? जबकि बाइबल विवाह के बारे में अनुकूल रीति से बोलती है, यह उन चुनौतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित करती है जो विवाह प्रस्तुत करता है। (नीतिवचन १८:२२; १ कुरिन्थियों ७:२८) इसलिए, वे जो विवाह करने की सोच रहे हैं उन्हें विवाहित होने की आशिषों और क़ीमत, दोनों के बारे में व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने की ज़रूरत है।

३. बाइबल उनके लिए एक मूल्यवान सहायक क्यों है जो विवाह की योजना बना रहे हैं, और कौन-से तीन प्रश्‍नों के उत्तर देने में यह हमारी मदद करेगी?

३ बाइबल मदद कर सकती है। इसकी सलाह को विवाह के आरंभक, यहोवा परमेश्‍वर ने उत्प्रेरित किया है। (इफिसियों ३:१४, १५; २ तीमुथियुस ३:१६) इस प्राचीन, फिर भी अति दिनाप्त गाइड-पुस्तक में दिए गए सिद्धान्तों को प्रयोग करते हुए, आइए पता लगाएँ (१) एक व्यक्‍ति कैसे बता सकता है कि वह विवाह के लिए तैयार है या नहीं? (२) एक साथी में कौन-सी बात देखी जानी चाहिए? (३) प्रणय-याचन (Courtship) को कैसे आदरणीय रखा जा सकता है?

क्या आप विवाह के लिए तैयार हैं?

४. एक सफल विवाह बनाए रखने में एक अत्यावश्‍यक तत्व क्या है, और क्यों?

४ एक भवन बनाना महँगा हो सकता है, लेकिन उसके दीर्घकालिक रखरखाव पर भी काफ़ी ख़र्च होता है। विवाह के साथ भी ऐसा ही है। विवाह करना ही काफ़ी चुनौतीपूर्ण प्रतीत होता है; लेकिन वैवाहिक सम्बन्ध को सालों-साल बनाए रखने पर भी विचार करने की ज़रूरत है। एक ऐसा सम्बन्ध बनाए रखने में क्या सम्मिलित है? एक अत्यावश्‍यक तत्व है एकनिष्ठ वचनबद्धता। बाइबल वैवाहिक सम्बन्ध का वर्णन इस प्रकार करती है: “पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे।” (उत्पत्ति २:२४) यीशु मसीह ने तलाक़ का वह एकमात्र शास्त्रीय आधार दिया जिसके बाद पुनःविवाह किया जा सकता है—“व्यभिचार,” अर्थात्‌ विवाह के बाहर अवैध लैंगिक सम्बन्ध। (मत्ती १९:९) यदि आप विवाह करने की सोच रहे हैं, तो इन शास्त्रीय स्तरों को ध्यान में रखिए। यदि आप इस गंभीर वचनबद्धता के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप विवाह के लिए तैयार नहीं हैं।—व्यवस्थाविवरण २३:२१; सभोपदेशक ५:४, ५.

५. हालाँकि विवाह की गंभीर वचनबद्धता से कुछ लोग डर जाते हैं, परन्तु विवाह करने का इरादा रखनेवालों को इसे क्यों अति मूल्यवान समझना चाहिए?

५ एक गंभीर वचनबद्धता के विचार से अनेक लोग डर जाते हैं। “यह जानकर कि हम दोनों जीवन-भर के लिए एकसाथ बँध गए हैं, मैं ने प्रतिबंधित, बंदिश में, पूरी तरह से क़ैद महसूस किया,” एक युवा पुरुष ने स्वीकार किया। लेकिन यदि जिस व्यक्‍ति से आप विवाह करने का इरादा रखते हैं उससे आप सचमुच प्रेम करते हैं, तो वचनबद्धता एक भार के समान नहीं प्रतीत होगी। इसके बजाय, उसे एक सुरक्षा का स्रोत समझा जाएगा। विवाह में अंतर्निहित वचनबद्धता का भाव एक दम्पति को सुख-दुख में साथ निभाने तथा हर हाल में एक दूसरे को सहारा देने की चाहत देगा। मसीही प्रेरित पौलुस ने लिखा कि सच्चा प्रेम “सब बातें सह लेता है” और “सब बातों में धीरज धरता है।” (१ कुरिन्थियों १३:४, ७) “विवाह की वचनबद्धता मुझे अधिक सुरक्षित महसूस कराती है,” एक स्त्री कहती है। “एक दूसरे के और संसार के सामने यह स्वीकार करने से मिला चैन कि हमारा इरादा एकसाथ रहने का है, मुझे प्रिय है।”—सभोपदेशक ४:९-१२.

६. यह क्यों सर्वोत्तम है कि एक छोटी उम्र में विवाह करने की जल्दबाज़ी न की जाए?

६ ऐसी वचनबद्धता को पूरा करना प्रौढ़ता की माँग करता है। अतः, पौलुस सलाह देता है कि मसीही ‘नवयौवन ढलने’ तक विवाह न करें तो भला करते हैं, उस समय जब लैंगिक भावनाएँ प्रबल होती हैं और व्यक्‍ति की परख को विकृत कर सकती हैं। (१ कुरिन्थियों ७:३६, NW) युवा लोग बढ़ते समय तेज़ी से बदलते हैं। अनेक जो बहुत छोटी उम्र में विवाह करते हैं पाते हैं कि कुछ ही सालों के बाद उनकी, साथ ही उनके साथी की भी ज़रूरतें और इच्छाएँ बदल गयी हैं। आँकड़े दिखाते हैं कि जो किशोर विवाह करते हैं उनके दुःखी होने और तलाक़ लेने की संभावना उन लोगों से कहीं ज़्यादा है जो थोड़ा ठहरते हैं। सो विवाह करने में जल्दबाज़ी मत कीजिए। एक युवा, अकेले वयस्क के रूप में बिताए कुछ साल आपको अनमोल अनुभव दे सकते हैं जो आपको अधिक प्रौढ़ और एक उपयुक्‍त साथी होने के लिए ज़्यादा योग्य बनाएगा। ठहरकर विवाह करना स्वयं को ज़्यादा अच्छी तरह समझने में भी आपकी मदद कर सकता है—एक अनिवार्यता यदि आपको अपने विवाह में एक सफल सम्बन्ध विकसित करना है।

पहले अपने आपको जानिए

७. जो विवाह करने की सोच रहे हैं उन्हें पहले अपने आपको क्यों जाँचना चाहिए?

७ क्या आप उन गुणों की सूची बनाना आसान पाते हैं जो आप एक साथी में चाहते हैं? अधिकतर इसे आसान पाते हैं। लेकिन, आपके अपने गुणों के बारे में क्या? आप में कौन-से लक्षण हैं जो एक सफल विवाह में योग देने के लिए आपकी मदद करेंगे? आप किस क़िस्म के पति या पत्नी बनेंगे? उदाहरण के लिए, क्या आप बिना झिझके अपनी ग़लतियों को मान लेते हैं और सलाह स्वीकार करते हैं, या क्या सुधारे जाने पर आप हमेशा सफ़ाई देते हैं? क्या आप सामान्यतः हँसमुख और आशावादी हैं, या क्या आप उदास रहते और अकसर शिक़ायत करते हैं? (नीतिवचन ८:३३; १५:१५) याद रखिए, विवाह आपके व्यक्‍तित्व को नहीं बदलेगा। यदि आप अविवाहित अवस्था में घमण्डी, अति संवेदनशील, या अति निराशावादी हैं, तो विवाहित होने पर भी आप वैसे ही रहेंगे। चूँकि अपने आपको उस ढंग से देखना जिससे दूसरे देखते हैं मुश्‍किल है, क्यों न माता/पिता या एक भरोसे के मित्र से आपके बारे में सच-सच बताने और सुझाव देने के लिए कहें? यदि आपको पता चलता है कि कुछ परिवर्तन किए जा सकते हैं, तो विवाह की ओर क़दम बढ़ाने से पहले इन पर काम कीजिए।

पेज 19 पर तसवीरें

अविवाहित अवस्था से ही उन गुणों, आदतों, और योग्यताओं को विकसित कीजिए जो विवाह में आपके बड़े काम आएँगे

८-१०. बाइबल क्या सलाह देती है जो विवाह की तैयारी करने में एक व्यक्‍ति की मदद करेगा?

८ बाइबल हमें प्रोत्साहित करती है कि परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा को अपने अन्दर काम करने दें, और “प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम” जैसे गुण उत्पन्‍न करें। साथ ही यह हमें कहती है कि “अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ। और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्‍वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।” (गलतियों ५:२२, २३; इफिसियों ४:२३, २४) आपका अविवाहित अवस्था से ही इस सलाह पर अमल करना बैंक में पैसे जमा करने के समान होगा—ऐसी चीज़ जो भविष्य में बहुत मूल्यवान साबित होगी, जब आप विवाह करते हैं।

९ उदाहरण के लिए, यदि आप एक स्त्री हैं तो जितना ध्यान आप अपने शारीरिक दिखाव-बनाव पर देती हैं उससे ज़्यादा ध्यान “आंतरिक व्यक्‍तित्व” पर देना सीखिए। (१ पतरस ३:३, ४, NHT) शालीनता और संयम बुद्धि पाने में आपकी मदद करेंगे, जो “सुन्दरता का” एक सच्चा “मुकुट” है। (नीतिवचन ४:९, NHT; ३१:१०, ३०; १ तीमुथियुस २:९, १०) यदि आप एक पुरुष हैं तो स्त्रियों के साथ कृपालु और आदरपूर्ण रीति से व्यवहार करना सीखिए। (१ तीमुथियुस ५:१, २) फ़ैसले करना और ज़िम्मेदारी उठाना सीखने के साथ-साथ, मर्यादित और नम्र होना भी सीखिए। एक रोबीली मनोवृत्ति विवाह में समस्या का कारण बनेगी।—नीतिवचन २९:२३; मीका ६:८; इफिसियों ५:२८, २९.

१० हालाँकि इन क्षेत्रों में परिवर्तन करना आसान नहीं है, यह एक ऐसी चीज़ है जिस पर सभी मसीहियों को काम करना चाहिए। और यह आपको एक बेहतर विवाह-साथी होने में मदद देगा।

एक साथी में क्या देखें

११, १२. दो व्यक्‍ति कैसे पता लगा सकते हैं कि उनमें अनुरूपता है या नहीं?

११ जहाँ आप रहते हैं क्या वहाँ एक व्यक्‍ति का अपना विवाह-साथी ख़ुद चुनना सामान्य है? यदि है, तो आपको कैसे आगे बढ़ना चाहिए यदि आप विपरीत लिंग के किसी व्यक्‍ति को आकर्षक पाते हैं? पहले, अपने आपसे पूछिए, ‘क्या सचमुच मेरा इरादा विवाह करने का है?’ झूठी आशाएँ जगाकर दूसरे व्यक्‍ति की भावनाओं से खेलना क्रूर है। (नीतिवचन १३:१२) फिर, अपने आपसे पूछिए, ‘क्या मैं विवाह करने की स्थिति में हूँ?’ यदि दोनों प्रश्‍नों का उत्तर है हाँ, तो इसके बाद आप जो क़दम उठाते हैं वे स्थानीय प्रथा पर निर्भर करते हुए भिन्‍न होंगे। कुछ देशों में, कुछ समय तक देखने के बाद, आप शायद उस व्यक्‍ति के पास जाएँ और ज़्यादा अच्छी तरह से परिचित होने की इच्छा व्यक्‍त करें। यदि प्रतिक्रिया नकारात्मक है, तो आपत्तिजनक बनने की हद तक पीछा मत कीजिए। याद रखिए, इस विषय में फ़ैसला करने का अधिकार दूसरे व्यक्‍ति को भी है। लेकिन, यदि प्रतिक्रिया सकारात्मक है तो आप हितकर गतिविधियों में एकसाथ समय बिताने के लिए प्रबन्ध कर सकते हैं। इससे आपको यह देखने का मौक़ा मिलेगा कि क्या इस व्यक्‍ति के साथ विवाह बुद्धिमत्ता होगी।a इस मुक़ाम पर आपको क्या देखना चाहिए?

१२ इस प्रश्‍न का उत्तर देने के लिए, दो संगीत वाद्यों की कल्पना कीजिए, शायद एक पियानो और एक गिटार। यदि सही रीति से उनका सुर मिलाया गया है, तो दोनों में से कोई भी सुन्दर एकल-वादन उत्पन्‍न कर सकता है। फिर भी, तब क्या होता है जब इन वाद्यों को एकसाथ बजाया जाता है? अब उनका एक दूसरे के साथ सुर मिलना चाहिए। आप और आपके एक भावी साथी के साथ भी ऐसा ही है। आप दोनों ने, शायद व्यक्‍तिगत रूप से अपने व्यक्‍तित्व लक्षणों का “सुर” मिलाने में मेहनत की हो। लेकिन अब प्रश्‍न यह है: क्या आपका एक दूसरे के साथ सुर मिला है? दूसरे शब्दों में, क्या आप में अनुरूपता है?

१३. ऐसे व्यक्‍ति के साथ प्रणय-याचन करना क्यों अति मूर्खता है जो आपके विश्‍वास में सहभागी नहीं है?

१३ यह महत्त्वपूर्ण है कि आप दोनों के विश्‍वास और सिद्धान्त समान हों। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “अविश्‍वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो।” (२ कुरिन्थियों ६:१४; १ कुरिन्थियों ७:३९) एक ऐसे व्यक्‍ति से विवाह जो परमेश्‍वर में विश्‍वास के सम्बन्ध में आपका सहभागी नहीं इस बात की संभावना बढ़ा देता है कि तालमेल की बहुत कमी होगी। दूसरी ओर, यहोवा परमेश्‍वर के प्रति परस्पर भक्‍ति एकता का सबसे मज़बूत आधार है। यहोवा चाहता है कि आप सुखी रहें और उस व्यक्‍ति के साथ यथासंभव घनिष्ठ बंधन का आनन्द उठाएँ जिससे आप विवाह करते हैं। वह चाहता है कि आप उसके साथ और एक दूसरे के साथ प्रेम के तेहरे बंधन में बंधें।—सभोपदेशक ४:१२.

१४, १५. क्या समान विश्‍वास होना विवाह में एकता का एकमात्र पहलू है? समझाइए।

१४ जबकि एकसाथ परमेश्‍वर की उपासना करना एकता का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है, और भी बातें सम्मिलित हैं। एक दूसरे के सुर में सुर मिलाने के लिए, आप और आपके भावी साथी के लक्ष्य समान होने चाहिए। आपके लक्ष्य क्या हैं? उदाहरण के लिए, बच्चे पैदा करने के बारे में आप दोनों के क्या विचार हैं? आपके जीवन में किन बातों का पहला स्थान है?b (मत्ती ६:३३) एक सचमुच सफल विवाह में, दम्पति अच्छे मित्र होते हैं और एक दूसरे की संगति का आनन्द लेते हैं। (नीतिवचन १७:१७) इसके लिए, उनकी रुचियाँ समान होने की ज़रूरत है। एक घनिष्ठ मित्रता बनाए रखना कठिन है—विवाह तो और भी अधिक—जब ऐसा नहीं होता। फिर भी, यदि आपके भावी साथी को एक ख़ास गतिविधि में आनन्द आता है, जैसे पैदल सैर, और आपको नहीं आता, तो क्या इसका यह अर्थ है कि आप दोनों को विवाह नहीं करना चाहिए? ज़रूरी नहीं। शायद आपकी दूसरी, ज़्यादा महत्त्वपूर्ण रुचियाँ समान हों। इसके अलावा, हितकर गतिविधियों में हिस्सा लेने के द्वारा आप शायद अपने भावी साथी को ख़ुशी दें क्योंकि वह उनका आनन्द उठाता है।—प्रेरितों २०:३५.

१५ वास्तव में, काफ़ी हद तक, अनुरूपता इस बात से निर्धारित होती है कि आप दोनों कितने अनुकूल हैं बजाय इसके कि आप में कितनी एकरूपता है। यह पूछने के बजाय, “क्या हम हर बात पर एकमत होते हैं?” कुछ बेहतर प्रश्‍न हो सकते हैं: “जब हमारे बीच मतभेद होते हैं तब क्या होता है? क्या हम ठंडे दिमाग़ से, एक दूसरे को आदर और गरिमा देते हुए बात कर सकते हैं? या क्या बातचीत अकसर गरमागरमी में बदल जाती है?” (इफिसियों ४:२९, ३१) यदि आप विवाह करना चाहते हैं, तो ऐसे किसी भी व्यक्‍ति से बचकर रहिए जो घमण्डी और हठीला है, कभी समझौता करने के लिए तैयार नहीं है, या जो हमेशा अपनी बात मनवाने की माँग करता और षड्यंत्र रचता है।

पहले से पता कीजिए

१६, १७. एक पुरुष या एक स्त्री एक भावी विवाह-साथी ढूँढते समय किन बातों को देख सकते हैं?

१६ मसीही कलीसिया में, जिन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है उन्हें ‘पहिले परखा जाना’ होता है। (१ तीमुथियुस ३:१०) आप भी यह सिद्धान्त लागू कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्त्री पूछ सकती है, “इस पुरुष का नाम कैसा है? उसके मित्र कौन हैं? क्या वह आत्म-संयम दिखाता है? वह वृद्ध जनों के साथ कैसा व्यवहार करता है? वह किस क़िस्म के परिवार से आता है? उसका उनके साथ कैसा सम्बन्ध है? पैसे के बारे में उसकी मनोवृत्ति कैसी है? क्या वह शराब का दुष्प्रयोग करता है? क्या वह तुनकमिज़ाज, यहाँ तक कि हिंसक है? कलीसिया में उसके पास कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ हैं, और वह उन्हें कैसे संभालता है? क्या मैं उसे गहरा आदर दे सकती हूँ?”—लैव्यव्यवस्था १९:३२; नीतिवचन २२:२९; ३१:२३; इफिसियों ५:३-५, ३३; १ तीमुथियुस ५:८; ६:१०; तीतुस २:६, ७.

१७ एक पुरुष पूछ सकता है, “क्या यह स्त्री परमेश्‍वर के प्रति प्रेम और आदर दिखाती है? क्या वह एक घर संभालने के योग्य है? उसका परिवार हमसे क्या अपेक्षा करेगा? क्या वह बुद्धिमान, मेहनती, किफ़ायती है? वह किस विषय में बात करती है? क्या वह दूसरों के हित के बारे में सचमुच चिन्ता करती है, या सिर्फ़ अपना ही सोचती है, दस्तंदाज़ है? क्या वह भरोसेमंद है? क्या वह मुखियापन के अधीन होने के लिए तैयार है, या क्या वह ज़िद्दी है, संभवतः विद्रोही भी?”—नीतिवचन ३१:१०-३१; लूका ६:४५; इफिसियों ५:२२, २३; १ तीमुथियुस ५:१३; १ पतरस ४:१५.

१८. यदि प्रणय-याचन के दौरान छोटी-मोटी कमज़ोरियाँ प्रत्यक्ष होती हैं, तो क्या ध्यान में रखा जाना चाहिए?

१८ यह मत भूलिए कि आप आदम के एक अपरिपूर्ण वंशज के साथ व्यवहार कर रहे हैं, एक रोमांस उपन्यास के किसी आदर्श हीरो या हीरोइन के साथ नहीं। हर किसी में कमियाँ होती हैं, और इनमें से कुछ को नज़रअंदाज़ करना होगा—आपकी और आपके भावी साथी दोनों की। (रोमियों ३:२३; याकूब ३:२) इसके अलावा, एक प्रत्यक्ष कमज़ोरी बढ़ने के लिए एक अवसर प्रदान कर सकती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि अपने प्रणय-याचन के दौरान आपकी एक बहस हो जाती है। विचार कीजिए: जो लोग एक दूसरे को प्रेम करते और आदर देते हैं उनमें भी कभी-कभी मतभेद होते हैं। (उत्पत्ति ३०:२; प्रेरितों १५:३९ से तुलना कीजिए।) क्या ऐसा हो सकता है कि आप दोनों को बस ‘अपनी आत्मा’ थोड़ी और ‘वश में’ करने की और यह सीखने की ज़रूरत है कि मामलों से ज़्यादा शान्तिपूर्वक कैसे निपटा जाए? (नीतिवचन २५:२८) क्या आपका भावी साथी सुधरने की इच्छा दिखाता है? क्या आप दिखाते हैं? क्या आप कम संवेदनशील, कम छुई-मुई होना सीख सकते हैं? (सभोपदेशक ७:९) समस्याओं को सुलझाना सीखना निष्कपट संचार की रीत स्थापित कर सकता है जो कि अनिवार्य है यदि आप दोनों विवाह कर ही लेते हैं।—कुलुस्सियों ३:१३.

१९. यदि प्रणय-याचन के दौरान गंभीर समस्याएँ सामने आती हैं तो बुद्धिमानी का मार्ग क्या होगा?

१९ लेकिन, यदि आप ऐसी बातें देखते हैं जो आपको अन्दर तक परेशान कर देती हैं, तब क्या? ऐसे संदेहों पर ध्यानपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। आप चाहे कितना भी रोमानी क्यों न महसूस करें या विवाह करने के लिए कितने भी उतावले क्यों न हों, बड़े नुक़्स देखकर आँख बंद मत कीजिए। (नीतिवचन २२:३; सभोपदेशक २:१४) यदि आपका एक ऐसे व्यक्‍ति के साथ सम्बन्ध है जिसके बारे में आपको गंभीर दुविधाएँ हैं, तो उस सम्बन्ध को तोड़ना और उस व्यक्‍ति को पक्का वचन न देना बुद्धिमानी की बात है।

अपने प्रणय-याचन को आदरणीय रखिए

२०. एक प्रणय-याचन करता जोड़ा अपने नैतिक आचरण को कैसे निष्कलंक रख सकता है?

२० आप अपने प्रणय-याचन को आदरणीय कैसे रख सकते हैं? पहला, निश्‍चित कीजिए कि आपका नैतिक आचरण निष्कलंक है। जहाँ आप रहते हैं, क्या वहाँ हाथ पकड़ना, चूमना, या गले लगना अविवाहित जोड़ों के लिए उचित व्यवहार समझा जाता है? यदि स्नेह की ऐसी अभिव्यक्‍तियों पर लोग नाक-भौं नहीं सिकोड़ते, तो भी ऐसा केवल तभी किया जाना चाहिए जब सम्बन्ध उस हद तक पहुँच गया है जहाँ विवाह निश्‍चित रूप से तय है। ध्यान रखिए कि स्नेह के प्रदर्शन अशुद्ध आचरण या यहाँ तक कि व्यभिचार की हद तक नहीं बढ़ जाते। (इफिसियों ४:१८, १९. श्रेष्ठगीत १:२; २:६; ८:५, ९, १० से तुलना कीजिए।) क्योंकि हृदय धोखा देनेवाला होता है, आप दोनों एक घर, मकान, पार्क की हुई मोटर-गाड़ी, या ऐसी किसी दूसरी जगह अकेले नहीं रहने में बुद्धिमानी करेंगे, जो ग़लत आचरण का अवसर देती। (यिर्मयाह १७:९) अपने प्रणय-याचन को नैतिक रूप से शुद्ध रखना साफ़ प्रमाण देता है कि आपको आत्म-संयम है और कि आप दूसरे व्यक्‍ति के हित की निःस्वार्थ चिन्ता को स्वयं अपनी इच्छाओं से आगे रखते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण, एक शुद्ध प्रणय-याचन यहोवा परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करेगा, जो अपने सेवकों को अशुद्धता और व्यभिचार से दूर रहने की आज्ञा देता है।—गलतियों ५:१९-२१.

२१. प्रणय-याचन को आदरणीय रखने के लिए शायद कैसे निष्कपट संचार की ज़रूरत हो?

२१ दूसरा, एक आदरणीय प्रणय-याचन में निष्कपट संचार भी सम्मिलित है। जैसे-जैसे आपका प्रणय-याचन विवाह की ओर बढ़ता है, कुछ विषयों पर खुलकर बात करने की ज़रूरत होगी। आप कहाँ रहेंगे? क्या आप दोनों नौकरी करेंगे? क्या आप बच्चे पैदा करना चाहते हैं? साथ ही, ऐसी बातें प्रकट करना उचित है, जो शायद व्यक्‍ति के अतीत में हुई हों, जो विवाह को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें बड़े कर्ज़ या बाध्यताएँ या स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे कि आपकी कोई गंभीर बीमारी या स्थिति सम्मिलित हो सकती हैं। चूँकि अनेक व्यक्‍ति जो एच.आई.वी. (एड्‌स देनेवाला जीवाणु) से संक्रमित हैं कोई तात्कालिक लक्षण नहीं दिखाते, एक व्यक्‍ति या परवाह करनेवाले माता-पिता द्वारा उस व्यक्‍ति से एड्‌स खून की जाँच करवाने का निवेदन करना ग़लत नहीं होगा जिसने अतीत में स्वच्छंद संभोग किया है या जो नसों में नशीले पदार्थ चढ़ाता था। यदि जाँच परिणाम पॉज़िटिव है, तो संक्रमित व्यक्‍ति को अभिलषित साथी पर सम्बन्ध जारी रखने का दबाव नहीं डालना चाहिए यदि वह अब इसे तोड़ना चाहता है। वास्तव में, अच्छा होगा कि वह व्यक्‍ति जिसकी अनैतिक जीवन-शैली रही है एक प्रणय-याचन शुरू करने से पहले स्वेच्छा से एड्‌स खून की जाँच करवाए।

विवाह-दिन से आगे देखना

२२, २३. (क) एक विवाह-उत्सव की तैयारी करते समय संतुलन कैसे खोया जा सकता है? (ख) विवाह-उत्सव और विवाह पर विचार करते समय कौन-सा संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा जाना चाहिए?

२२ विवाह से पहले के अन्तिम महीनों के दौरान, आप दोनों संभवतः विवाह-उत्सव की तैयारियों में बहुत व्यस्त होंगे। आप संयत होने के द्वारा काफ़ी तनाव कम कर सकते हैं। एक भव्य विवाह-उत्सव रिश्‍तेदारों और समुदाय को प्रसन्‍न कर सकता है, लेकिन यह नव-विवाहितों और उनके परिवारों को शारीरिक रूप से पस्त और आर्थिक रूप से कंगाल कर सकता है। कुछ हद तक स्थानीय प्रथाओं को मानना उपयुक्‍त है, लेकिन दासवत्‌ और संभवतः स्पर्धात्मक अनुपालन अवसर के अर्थ को अस्पष्ट कर सकता है और आपका वह आनन्द चुरा सकता है जो आपको मिलना चाहिए। जबकि दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए, यह फ़ैसला करने की ज़िम्मेदारी कि विवाह-भोज में क्या होगा, मुख्यतः वर के ऊपर होती है।—यूहन्‍ना २:९.

२३ याद रखिए कि आपका विवाह-उत्सव मात्र एक दिन चलता है, लेकिन आपका विवाह आजीवन चलता है। विवाह करने की क्रिया पर अत्यधिक ध्यान देने से दूर रहिए। इसके बजाय, मार्गदर्शन के लिए यहोवा परमेश्‍वर की ओर देखिए, और विवाहित रहने के जीवन के लिए पहले से योजना बनाइए। तब आपने एक सफल विवाह की अच्छी तैयारी कर ली होगी।

a यह उन देशों में लागू होगा जहाँ डेटिंग मसीहियों के लिए उचित समझी जाती है।

b मसीही कलीसिया में भी, कुछ लोग हो सकते हैं जो मानो मुंडेर पर रहते हैं। परमेश्‍वर के एकनिष्ठ सेवक होने के बजाय, वे शायद संसार की मनोवृत्तियों और आचरण से प्रभावित हों।—यूहन्‍ना १७:१६; याकूब ४:४.

ये बाइबल सिद्धान्त . . . एक सफल विवाह की तैयारी करने में एक व्यक्‍ति की मदद कैसे कर सकते हैं?

एक पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति वचनबद्ध होना चाहिए।—उत्पत्ति २:२४.

आंतरिक मनुष्य बाहरी दिखाव-बनाव से अधिक महत्त्वपूर्ण है।—१ पतरस ३:३, ४.

“असमान जूए में न जुतो।”—२ कुरिन्थियों ६:१४.

नैतिक रूप से अशुद्ध लोग परमेश्‍वर से विमुख हैं।—इफिसियों ४:१८, १९.

प्रथाएँ और बाइबल

वधु-मूल्य और दहेज: कुछ देशों में वर के परिवार से अपेक्षा की जाती है कि वधु के परिवार को पैसे दें (वधु-मूल्य)। दूसरे देशों में, वधु का परिवार वर के परिवार को पैसे देता है (दहेज)। इन प्रथाओं में शायद कोई बुराई न हो बशर्ते कि वे कानूनन हैं। (रोमियों १३:१) लेकिन, दोनों में से किसी भी मामले में, प्रापक परिवार को लालच में आकर जितना उचित है उससे अधिक पैसे या वस्तुओं की माँग नहीं करनी चाहिए। (नीतिवचन २०:२१; १ कुरिन्थियों ६:१०) इसके अलावा, वधु-मूल्य देने का कभी-भी यह अर्थ नहीं निकालना चाहिए कि पत्नी मात्र एक ख़रीदी हुई सम्पत्ति है; न ही पति को यह महसूस करना चाहिए कि उसकी पत्नी और उसके ससुराल-वालों के प्रति उसकी मात्र आर्थिक ज़िम्मेदारी है।

बहुविवाह: कुछ संस्कृतियों में एक पुरुष को एक से अधिक पत्नियाँ रखने की अनुमति होती है। ऐसे वातावरण में, पुरुष एक पति और पिता के बजाय शायद एक अधिपति बन जाए। इसके अतिरिक्‍त, बहुविवाह अकसर पत्नियों के बीच होड़ पैदा करता है। मसीहियों के लिए, बाइबल केवल अविवाहित रहने या एक विवाह करने की अनुमति देती है।—१ कुरिन्थियों ७:२.

परीक्षण विवाह: अनेक जोड़े दावा करते हैं कि विवाह से पहले एकसाथ रहना उन्हें अपनी अनुरूपता को जाँचने में मदद देगा। फिर भी, विवाह के एक सबसे अनिवार्य तत्व को परीक्षण विवाह नहीं जाँचता—वचनबद्धता। विवाह को छोड़ दूसरा कोई प्रबन्ध सभी पक्षों को इसके जितना बचाव और सुरक्षा नहीं प्रस्तुत करता—जिसमें वे बच्चे भी सम्मिलित हैं जो शायद इस मिलन से परिणित हों। यहोवा परमेश्‍वर की आँखों में, विवाह किए बिना आपसी सहमति से एकसाथ रहना व्यभिचार है।—१ कुरिन्थियों ६:१८; इब्रानियों १३:४.

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