एक ज़बरदस्त गवाही दी जाएगी
1. स्मारक के दिन भाषण के अलावा और क्या बातें लोगों को प्रभावित कर सकती हैं? समझाइए।
यह ज़बरदस्त गवाही कब दी जाएगी? स्मारक की शाम को। लोगों को हमारे साथ इस दिन हाज़िर होने का न्यौता देने के लिए बहुत मेहनत की जा रही है। हाज़िर होनेवालों पर सिर्फ स्टेज से कही गयी बातों का ही असर नहीं होता। स्मारक में हाज़िर होने के बाद एक स्त्री ने वहाँ जो देखा उसकी तारीफ की। दो चीज़ों का उसने खास तौर से ज़िक्र किया। एक तो सभी का दोस्ताना व्यवहार और दूसरा हमारा खूबसूरत और साफ-सुथरा राज-घर, जिसे स्वयंसेवकों ने बनाया और जिसकी देखरेख भी वे ही करते हैं। इससे साफ ज़ाहिर है कि सिर्फ वक्ता ही नहीं बल्कि हम सभी, साल के इस सबसे खास मौके पर गवाही देने में भाग लेते हैं।—इफि. 4:16.
2. हममें से हरेक स्मारक में आनेवालों को कैसे गवाही दे सकता है?
2 गर्मजोशी से आनेवालों का स्वागत कीजिए: मुस्कराकर और गर्मजोशी से आनेवालों का स्वागत करने से उन्हें अच्छी गवाही मिलेगी। (यूह. 13:35) आपके लिए सभी से बात करना शायद मुमकिन न हो, लेकिन आप अपने आस-पास के लोगों को अपना परिचय दे सकते हैं। (इब्रा. 13:1, 2) उन लोगों से खास तौर से मिलने की कोशिश कीजिए, जो शायद वहाँ किसी को न जानते हों। हो सकता है, अभियान के दौरान किसी ने उन्हें न्यौता दिया हो। आप उनसे पूछ सकते हैं, “क्या आप पहली बार यहाँ आए हैं?” उन्हें आपके साथ बैठने के लिए कहिए और अगर उनके कुछ सवाल हों तो उनका जवाब दीजिए। अगर आपकी मंडली से कहा जाता है कि वह सभा खत्म होने के फौरन बाद जगह खाली कर दे ताकि दूसरी मंडली वहाँ इकट्ठी हो सके, तो आप नए व्यक्ति से कह सकते हैं, “मैं जानना चाहूँगा कि आपको यह कार्यक्रम कैसा लगा। क्या मैं आपसे दोबारा मिल सकता हूँ?”
3. सच्चाई में ठंडे पड़ चुके प्रचारकों का हमें कैसे स्वागत करना चाहिए?
3 सच्चाई में ठंडे पड़ चुके प्रचारकों का स्वागत कीजिए: इसमें कोई शक नहीं कि इस मौके पर सच्चाई में ठंडे पड़ चुके प्रचारक और ऐसे लोग भी हाज़िर होंगे जो पूरे साल में सिर्फ स्मारक के लिए आते हैं। उनका स्वागत कीजिए और दिखाइए कि उनसे मिलकर आपको दिली खुशी हुई है। (रोमि. 15:7) स्मारक के बाद, जल्द ही प्राचीन उन लोगों से मिलने उनके घर जा सकते हैं और उन्हें मंडली के साथ संगति करते रहने का बढ़ावा दे सकते हैं। हमारी दुआ है कि स्मारक में हाज़िर ज़्यादातर लोगों को परमेश्वर की महिमा करने का बढ़ावा मिले और यह सिर्फ वहाँ कही बातों की वजह से नहीं बल्कि ‘हमारे उन अच्छे कामों की वजह से, जो उन्होंने खुद अपनी आँखों से देखे हैं।’—1 पत. 2:12.