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15 जून से शुरू होनेवाले हफ्ते का शेड्यूलराज-सेवा—2009 | जून
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15 जून से शुरू होनेवाले हफ्ते का शेड्यूल
15 जून से शुरू होनेवाला हफ्ता
गीत 5 (46)
❑ मंडली का बाइबल अध्ययन:
Smy-HI कहानी 79
❑ परमेश्वर की सेवा स्कूल:
बाइबल पढ़ाई: लैव्यव्यवस्था 6-9
नं. 1: लैव्यव्यवस्था 8:1-17
नं. 2: माँ-बाप होने के नाते आपकी ज़िम्मेदारी (g05 1/8-HI पेज 7-10)
नं. 3: परिवार में अनुशासन की अहमियत (fy-HI पेज 59-61 पैरा. 20-23)
❑ सेवा सभा:
गीत 2 (15)
5 मि: घोषणाएँ।
10 मि: खुशखबरी का प्रचार कीजिए। सेवा स्कूल किताब के पेज 279, पैराग्राफ 1-4 पर दी जानकारी से एक जोशीला भाषण।
10 मि: अगर कोई कहता है, ‘मैं विकासवाद में विश्वास करता हूँ।’ अक्टूबर-दिसंबर 2006 की सजग होइए! के पेज 3-10 पर दी जानकारी पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा। एक छोटा-सा प्रदर्शन दिखाइए कि हम उस व्यक्ति को कैसे जवाब दे सकते हैं, जो कहता है: ‘मैं विश्वास करता हूँ कि परमेश्वर ने इंसान को बनाने के लिए विकासवाद का इस्तेमाल किया।’
10 मि: “सिखाने के लिए अच्छी तैयारी कीजिए।” सवाल-जवाब के ज़रिए चर्चा।
गीत 23 (200)
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सिखाने के लिए अच्छी तैयारी कीजिएराज-सेवा—2009 | जून
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सिखाने के लिए अच्छी तैयारी कीजिए
1. हमें बाइबल विद्यार्थी के दिल में सीखी बातों के लिए कदर क्यों पैदा करनी चाहिए?
अगर हम बाइबल अध्ययन चलाते हैं, तो हमें उसकी अच्छी तैयारी करनी चाहिए। हमें विद्यार्थी के दिल में सीखी बातों के लिए कदर पैदा करनी चाहिए। तभी हमारा बाइबल विद्यार्थी यहोवा की सेवा करने के लिए उभारा जाएगा। (व्यव. 6:5; नीति. 4:23; 1 कुरिं. 9:26) हम अध्ययन के लिए अच्छी तैयारी कैसे कर सकते हैं?
2. अध्ययन की तैयारी करने में प्रार्थना किस तरह हमारी मदद करती है?
2 तैयारी करते वक्त प्रार्थना कीजिए: विद्यार्थी के मन में सच्चाई का बीज बढ़ानेवाला यहोवा है। इसलिए अच्छा होगा कि अध्ययन की तैयारी करने से पहले हम विद्यार्थी और उसकी ज़रूरतों के बारे में यहोवा से प्रार्थना करें। (1 कुरिं. 3:6; याकू. 1:5) इस तरह प्रार्थना करने से हम यह भी तय कर पाएँगे कि विद्यार्थी के मन में यहोवा की मरज़ी के बारे में “सही-सही ज्ञान” भरने के लिए हम और क्या कर सकते हैं।—कुलु. 1:9, 10.
3. हम विद्यार्थी को ध्यान में रखकर किस तरह अध्ययन की तैयारी कर सकते हैं?
3 विद्यार्थी के बारे में सोचिए: यीशु बखूबी जानता था कि सुननेवालों को ध्यान में रखकर सिखाने से अच्छे नतीजे मिलते हैं। कम-से-कम दो मौकों पर यीशु से एक-जैसे सवाल पूछे गए कि “हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मुझे क्या काम करना चाहिए?” यीशु ने दोनों ही बार अलग-अलग तरीके से जवाब दिया। (लूका 10:25-28; 18:18-20) इसलिए हमें अपने विद्यार्थी को ध्यान में रखकर अध्ययन की तैयारी करनी चाहिए। खुद से पूछिए: ‘किताब में दिए गए हवालों में से मैं कौन-सी आयतें उसके साथ पढ़ूँगा? हम कितने पैराग्राफों का अध्ययन करेंगे? विद्यार्थी को अध्याय में बताए किन मुद्दों को समझने या कबूल करने में मुश्किल होगी?’ अगर हम पहले से अंदाज़ा लगाने की कोशिश करें कि विद्यार्थी कौन-से सवाल पूछ सकता है, तो हम उसका जवाब देने के लिए तैयार रहेंगे।
4. अच्छी तैयारी करने में क्या शामिल है?
4 जानकारी को पहले से पढ़िए: विद्यार्थी के साथ हमें जिस अध्याय पर चर्चा करनी है वह भले ही हमने कई बार पढ़ा हो, लेकिन उस विद्यार्थी के साथ हम पहली बार अध्ययन कर रहे होंगे। इसलिए अगर हम उसके दिल तक पहुँचना चाहते हैं, तो हर बार अच्छी तैयारी करना ज़रूरी है। इसका मतलब है कि हमें वह करना होगा जो हम अपने विद्यार्थी को करने का बढ़ावा देते हैं। यानी हमें अध्ययन किए जानेवाले अध्याय और उसमें दी आयतों को पहले से पढ़ना होगा और मुख्य मुद्दों पर निशान लगाना होगा।—रोमि. 2:21, 22.
5. हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?
5 यहोवा हर बाइबल विद्यार्थी की तरक्की में गहरी दिलचस्पी लेता है। (2 पत. 3:9) अगर हम हर अध्ययन की तैयारी के लिए समय निकालें, तो हम दिखाएँगे कि हमें भी अपने विद्यार्थी में गहरी दिलचस्पी है।
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