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  • खबरदार, आपका मन घमंड से फूल न जाए!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
w05 10/15 पेज 21-26

खबरदार, आपका मन घमंड से फूल न जाए!

“परमेश्‍वर अभिमानियों से विरोध करता है।”—याकूब 4:6.

1. गर्व की सही भावना की एक मिसाल दीजिए।

क्या कभी किसी वजह से आपका सीना गर्व से चौड़ा हुआ है? हममें बहुत-से ऐसे लोग होंगे जिन्होंने यह सुख से भरा एहसास महसूस किया होगा। और ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में गर्व महसूस करना गलत नहीं। आइए एक मिसाल लें। जब एक मसीही माता-पिता ने अपनी बेटी के स्कूल की रिपोर्ट में उसके अच्छे व्यवहार और कड़ी मेहनत के बारे में पढ़ा, तो उन्हें जो सुख मिला वह उनके चेहरों की चमक से साफ दिखायी दे रहा था। बेटी की कामयाबी पर उन्हें गर्व था। इसी तरह, प्रेरित पौलुस और उसके साथियों ने जिस कलीसिया के बनने में मदद दी थी, उस पर उन्हें गर्व था क्योंकि वहाँ के भाई बहुत ज़ुल्म सहने पर भी वफादार रहे थे।—1 थिस्सलुनीकियों 1:1, 6; 2:19, 20; 2 थिस्सलुनीकियों 1:1, 4.

2. ज़्यादातर घमंड की भावना बुरी क्यों होती है?

2 इन मिसालों से हम देख सकते हैं कि गर्व या घमंड, खुशी का वह एहसास हो सकता है जो कोई काम करने या कुछ मिलने पर होता है। लेकिन, ज़्यादातर घमंड बुरा होता है क्योंकि घमंड करनेवाला अपनी काबिलीयत, रूप-रंग, दौलत या ओहदे की वजह से खुद को दूसरों से बड़ा समझता है। वह हेकड़ी दिखाता है और अकड़ के चलता है। ऐसे घमंड से हम मसीहियों को कोसों दूर रहना चाहिए। क्यों? क्योंकि हमने विरासत में अपने पुरखे आदम से स्वार्थ की भावना पायी है और पैदाइश से हम स्वार्थी होते हैं। (उत्पत्ति 8:21) इसलिए हमारा मन बड़ी आसानी से हमें गुमराह कर सकता है और गलत बातों पर घमंड करने के लिए उकसा सकता है। मिसाल के लिए, मसीहियों को अपनी जाति, दौलत, पढ़ाई, पैदाइशी खूबियों या अपने काम में अच्छा होने पर घमंड करने की भावना का विरोध करना चाहिए। इन बातों पर घमंड करना गलत बात है और यहोवा को ऐसे घमंड से नफरत है।—यिर्मयाह 9:23; प्रेरितों 10:34, 35; 1 कुरिन्थियों 4:7; गलतियों 5:26; 6:3, 4.

3. अक्खड़पन क्या है और यीशु ने इसके बारे में क्या कहा?

3 गलत किस्म के गर्व से दूर भागने की एक और वजह है। अगर हम इस तरह के गर्व को अपने मन में बढ़ने दें, तो इससे बड़े ही घिनौने किस्म का घमंड पैदा होता है जिसे अभिमान या अक्खड़पन कहा जाता है। अक्खड़पन क्या होता है? अक्खड़ आदमी न सिर्फ खुद को दूसरों से बड़ा समझता है, बल्कि दूसरों को हिकारत की नज़र से देखता है और उन्हें तुच्छ समझता है। (लूका 18:9; यूहन्‍ना 7:47-49) यीशु ने “मन से” निकलनेवाली बाकी बुराइयों में “अभिमान” या अक्खड़पन को भी जोड़ा जो “मनुष्य को अशुद्ध” करता है। (मरकुस 7:20-23) मसीही जानते हैं कि यह कितना ज़रूरी है कि हमारा मन घमंड से फूल न जाए।

4. बाइबल में दी गयी अक्खड़ लोगों की मिसालें कैसे हमारी मदद कर सकती हैं?

4 बाइबल में कुछ अक्खड़ लोगों के वृतांतों पर गौर करने से आपको अक्खड़पन से दूर रहने में मदद मिलेगी। ऐसा करने से आप घमंड की गलत भावना का पता लगाने में ज़्यादा काबिल होंगे जो शायद आपके अंदर हो या जो कुछ वक्‍त के बाद आपमें पनपने लगे। तब आप ऐसे विचार और भावनाओं को ठुकरा सकेंगे जिनकी वजह से आपका मन घमंड से फूल सकता है। और जब परमेश्‍वर अपनी इस चेतावनी के मुताबिक कार्रवाई करेगा, तो आप पर उसका कहर नहीं टूटेगा: “उस समय मैं तेरे बीच से सब फूले हुए घमण्डियों को दूर करूंगा, और तू मेरे पवित्र पर्वत पर फिर कभी अभिमान न करेगी।”—सपन्याह 3:11.

परमेश्‍वर घमंडियों को सिला देता है

5, 6. फिरौन ने कैसे दिखाया कि वह अक्खड़ है और इसका अंजाम क्या हुआ?

5 यहोवा ने फिरौन जैसे शक्‍तिशाली राजाओं के साथ जो किया, उससे भी आप जान सकते हैं कि वह अक्खड़पन को किस नज़र से देखता है। इसमें कोई शक नहीं कि फिरौन का मन घमंड से फूल उठा था। वह खुद को देवता मानता था और अपने इस्राएली गुलामों को तुच्छ समझता था। जब उससे गुज़ारिश की गयी कि वह इस्राएलियों को वीराने में जाने दे ताकि वे यहोवा के लिए “पर्ब्ब” मना सकें, तो गौर कीजिए उसने क्या जवाब दिया। उसने अकड़ के कहा: “यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं?”—निर्गमन 5:1, 2.

6 फिरौन पर छः विपत्तियाँ टूटने के बाद, यहोवा ने मूसा को मिस्र के इस राजा के पास भेजा और उससे पूछा: “क्या तू अब भी मेरी प्रजा के साम्हने अपने आप को बड़ा समझता है, और उन्हें जाने नहीं देता?” (निर्गमन 9:17) फिर मूसा ने सातवीं विपत्ति का ऐलान किया और ऐसे भारी ओले बरसे कि पूरा देश उजड़ गया। दसवीं विपत्ति के बाद, फिरौन ने इस्राएलियों को जाने दिया, मगर वे ज़्यादा दूर नहीं गए थे कि फिरौन ने अपना इरादा बदलकर उनका पीछा किया। उनका पीछा करते-करते फिरौन और उसकी सेना लाल समुद्र में बुरी तरह फँस गए। जब बाँध की तरह खड़ा हुआ पानी उन पर गिरने लगा, तो ज़रा सोचिए उनके मन में क्या-क्या खयाल आए होंगे! फिरौन के अक्खड़पन का अंजाम क्या हुआ? गौर कीजिए उसके सबसे बेहतरीन सैनिकों ने क्या कहा: “आओ, हम इस्राएलियों के साम्हने से भागें; क्योंकि यहोवा उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध युद्ध कर रहा है।”—निर्गमन 14:25.

7. बाबुल के राजाओं ने कैसे दिखाया कि वे अक्खड़ थे?

7 दूसरे अक्खड़ राजाओं को भी यहोवा ने शर्मिंदा किया था। उनमें से एक था, अश्‍शूर का राजा सन्हेरीब। (यशायाह 36:1-4, 20; 37:36-38) एक वक्‍त आया जब बाबुलियों ने अश्‍शूर पर जीत हासिल कर ली। मगर बाबुल के दो अक्खड़ राजाओं को भी मुँह की खानी पड़ी। याद कीजिए, जब राजा बेलशस्सर ने एक दावत रखी तो वह और उसके शाही मेहमान, कैसे यहोवा के मंदिर के पात्रों में मदिरा पीकर बाबुली देवताओं की स्तुति कर रहे थे। फिर अचानक, एक आदमी का हाथ दीवार पर कुछ लिखता नज़र आया। जब बेलशस्सर ने दानिय्येल नबी से पूछा कि इन रहस्य-भरे शब्दों का मतलब क्या है, तो दानिय्येल ने उसे याद दिलाया: “परमप्रधान परमेश्‍वर ने तेरे पिता नबूकदनेस्सर को राज्य . . . दिया था; परन्तु, जब उसका मन फूल उठा, . . . तब वह अपने राजसिंहासन पर से उतारा गया, और उसकी प्रतिष्ठा भंग की गई; . . . तौभी, हे बेलशस्सर, तू जो उसका पुत्र है, और यह सब कुछ जानता था, तौभी तेरा मन नम्र न हुआ।” (दानिय्येल 5:3, 18, 20, 22) उसी रात मादी-फारस की सेनाओं ने बाबुल पर कब्ज़ा कर लिया और बेलशस्सर को मार डाला।—दानिय्येल 5:30, 31.

8. यहोवा ने कई अक्खड़ लोगों को क्या सिला दिया?

8 इसके अलावा, उन अक्खड़ आदमियों के बारे में भी सोचिए जिन्होंने यहोवा के लोगों को तुच्छ जाना था और उनके लिए अपनी नफरत दिखायी थी जैसे पलिश्‍ती दानव गोलियत, फारस का प्रधानमंत्री हामान, और यहूदिया प्रांत का शासक, राजा हेरोदेस अग्रिप्पा। अपने अक्खड़पन की वजह से इन तीनों को परमेश्‍वर के हाथों कैसी शर्मनाक मौत मरना पड़ा। (1 शमूएल 17:42-51; एस्तेर 3:5, 6; 7:10; प्रेरितों 12:1-3, 21-23) यहोवा ने इन घमंडियों को जो सिला दिया, वह इस सच्चाई को पुख्ता करता है: “विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।” (नीतिवचन 16:18) जी हाँ, इसमें कोई शक नहीं कि “परमेश्‍वर अभिमानियों से विरोध करता है।”—याकूब 4:6.

9. सोर के राजा गद्दार कैसे बन गए?

9 सोर का राजा एक ज़माने में मिस्र, अश्‍शूर और बाबुल के अक्खड़ राजाओं से अलग था। वह परमेश्‍वर के लोगों की मदद किया करता था। राजा दाऊद और सुलैमान की हुकूमत के दौरान, उसने महलों और परमेश्‍वर का मंदिर बनाने के लिए अपने देश से कुशल कारीगर भेजे और निर्माण की सामग्री भेजी। (2 शमूएल 5:11; 2 इतिहास 2:11-16) लेकिन दुःख की बात है कि आगे जाकर सोर के राजा यहोवा के लोगों के बैरी बन गए। उन्होंने ऐसा क्यों किया?—भजन 83:3-7; योएल 3:4-6; आमोस 1:9, 10.

“तेरा मन फूल उठा था”

10, 11. (क) कौन है जो सोर के राजाओं जैसा है? (ख) इस्राएल की तरफ सोर का रवैया बदलने की क्या वजह थी?

10 यहोवा ने अपने नबी, यहेजकेल को एक पैगाम लिखने को प्रेरित किया जिसमें उसने सोर के राजवंश के पापों का भाँडा फोड़ा और उन्हें धिक्कारा। “सोर के राजा” के नाम इस पैगाम में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जो न सिर्फ सोर राजवंश पर बल्कि सबसे पहले गद्दार, शैतान पर भी एकदम ठीक बैठते हैं जो “सत्य पर स्थिर न रहा।” (यहेजकेल 28:12; यूहन्‍ना 8:44) शैतान एक वक्‍त पर वफादार आत्मिक प्राणी था और यहोवा के संगठन का एक हिस्सा था जो यहोवा के स्वर्गीय पुत्रों से बना था। यहोवा परमेश्‍वर ने यहेजकेल के ज़रिए बताया कि सोर राजवंश और शैतान दोनों की गद्दारी की सबसे बड़ी वजह क्या थी:

11 ‘तू परमेश्‍वर की एदेन नाम बारी में था; तेरे पास सब भांति के मणि के पहिरावे थे; तू छानेवाला अभिषिक्‍त करूब था। जिस दिन से तू सिरजा गया, और जिस दिन तक तुझ में कुटिलता न पाई गई, उस समय तक तू अपनी सारी चालचलन में निर्दोष रहा। परन्तु लेन-देन की बहुतायत के कारण तू उपद्रव से भरकर पापी हो गया; और हे छानेवाले करूब मैं ने तुझे नाश किया है। सुन्दरता के कारण तेरा मन फूल उठा था; और विभव के कारण तेरी बुद्धि बिगड़ गई थी।’ (यहेजकेल 28:13-17) जी हाँ, सोर के राजाओं का मन फूल उठा था, इसलिए वे यहोवा के लोगों के खिलाफ लड़ने लगे। उनका शहर सोर, व्यापार का खास केंद्र होने की वजह से मालामाल हो गया था। यही नहीं, वह अपने खूबसूरत सामान के लिए भी मशहूर हो गया था। (यशायाह 23:8, 9) दौलत और शोहरत की वजह से सोर के राजा इस कदर मगरूर हो गए कि परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म ढाने लगे।

12. शैतान विश्‍वासघाती कैसे बना और वह लगातार क्या कोशिश करता रहा है?

12 इसी तरह, एक आत्मिक प्राणी जो बाद में शैतान बना, उसके पास परमेश्‍वर से मिला कोई भी काम पूरा करने की बुद्धि थी। मगर इसके लिए एहसानमंद होने के बजाय वह ‘अहंकार से फूल’ उठा और परमेश्‍वर के शासन करने के तरीके को तुच्छ जानने लगा। (1 तीमुथियुस 3:6, नयी हिन्दी बाइबिल) वह इतना मगरूर बन गया कि उस उपासना की लालसा करने लगा जो आदम और हव्वा यहोवा को देते थे। यह बुरी लालसा धीरे-धीरे बढ़ती गयी और इसने पाप को जन्म दिया। (याकूब 1:14, 15) शैतान ने हव्वा को लुभाया कि वह उस पेड़ का फल खाए जिसे खाने से परमेश्‍वर ने मना किया था। फिर, शैतान ने हव्वा को मोहरा बनाकर आदम को वरगलाया कि वह मना किया गया फल खाए। (उत्पत्ति 3:1-6) इस तरह, पहले इंसानी जोड़े ने परमेश्‍वर के हुकूमत करने के अधिकार को ठुकरा दिया और शैतान के उपासक बन गए। शैतान का मन घमंड से इस कदर फूल उठा कि वह स्वर्ग और पृथ्वी के सभी बुद्धिमान प्राणियों को बहकाने की लगातार कोशिश करता रहा है ताकि वे यहोवा की हुकूमत ठुकराकर उसकी उपासना करें। यहाँ तक कि उसने यीशु मसीह को भी बहकाने की कोशिश की थी।—मत्ती 4:8-10; प्रकाशितवाक्य 12:3, 4, 9.

13. अक्खड़पन का क्या नतीजा हुआ है?

13 तो आप देख सकते हैं कि अक्खड़पन की शुरूआत शैतान से हुई थी; इसी वजह से आज दुनिया में पाप, दुःख और बुराई फैली है। शैतान, ‘इस संसार का ईश्‍वर’ है, इसलिए वह आज भी लोगों में घमंड और अक्खड़पन जैसी गलत भावनाओं को बढ़ावा दे रहा है। (2 कुरिन्थियों 4:4) उसे मालूम है कि उसका थोड़ा ही समय बाकी है, इसलिए वह सच्चे मसीहियों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। उसका मकसद है, हम मसीहियों को परमेश्‍वर से दूर ले जाना, और वह चाहता है कि हम स्वार्थी, डींगमार और अभिमानी बन जाएँ। बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि इन “अन्तिम दिनों” में ज़्यादातर लोगों में ऐसी बुराइयाँ होंगी और वे सिर्फ अपने बारे में ही सोचेंगे।—2 तीमुथियुस 3:1, 2; प्रकाशितवाक्य 12:12, 17.

14. यहोवा किस नियम की बिना पर अपने बुद्धिमान प्राणियों के साथ पेश आता है?

14 यीशु मसीह ने भी खुलकर बताया कि शैतान के अक्खड़पन से क्या-क्या बुराइयाँ पैदा हुई हैं। खुद को धर्मी समझनेवाले उसके दुश्‍मनों की मौजूदगी में, कम-से-कम तीन मौकों पर यीशु ने वह नियम बताया जिसकी बिना पर यहोवा, इंसानों के साथ पेश आता है। उसने कहा: “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”—लूका 14:11; 18:14; मत्ती 23:12.

अपने मन की रक्षा कीजिए कि यह घमंड से फूल न जाए

15, 16. हाजिरा का मन किस वजह से फूल उठा था?

15 आपने शायद गौर किया होगा कि अब तक हमने जिन अक्खड़ लोगों की मिसालें देखीं, वे सब बहुत ताकतवर और नामी लोग थे। तो क्या इसका मतलब यह है कि मामूली इंसानों को घमंड से किसी तरह का खतरा नहीं है? नहीं, ऐसा हरगिज़ नहीं है! कुलपिता इब्राहीम के परिवार में हुई एक घटना को ही लीजिए। उसका कोई वारिस नहीं था और उसकी पत्नी, सारा औलाद पैदा करने की उम्र पार कर चुकी थी। उन दिनों यह दस्तूर था कि अगर एक आदमी को अपनी पहली पत्नी से कोई औलाद न मिले तो वह दूसरी शादी कर सकता था। परमेश्‍वर ने सच्चे उपासकों को ऐसी शादियाँ करने दीं क्योंकि तब तक वह वक्‍त नहीं आया था जब अदन में ठहराया गया शादी का स्तर दोबारा कायम किया जा सके।—मत्ती 19:3-9.

16 अपनी पत्नी की बिनती पर इब्राहीम उसकी मिस्री दासी, हाजिरा को अपनी दूसरी पत्नी बनाने और उससे एक वारिस पैदा करने के लिए राज़ी हुआ। हाजिरा गर्भवती हुई। इतने बड़े सम्मान के लिए उसे तो दिल से एहसानमंद होना चाहिए था। मगर नहीं, उसका मन घमंड से फूल उठा। बाइबल बताती है: “जब उस ने जाना कि वह गर्भवती है, तब वह अपनी स्वामिनी को अपनी दृष्टि में तुच्छ समझने लगी।” हाजिरा के इस रवैए की वजह से इब्राहीम के परिवार में ऐसी कलह होने लगी कि सारा ने उसे भगा दिया। मगर इस समस्या का एक हल था। परमेश्‍वर के स्वर्गदूत ने हाजिरा को सलाह दी: “अपनी स्वामिनी के पास लौट जा और उसके वश में रह।” (उत्पत्ति 16:4, 9) ऐसा लगता है कि हाजिरा ने सलाह को माना, सारा की तरफ अपना रवैया बदला और वह अनगिनत लोगों की पुरखिन बनी।

17, 18. हम सभी को अक्खड़पन से क्यों खबरदार रहना चाहिए?

17 हाजिरा का किस्सा दिखाता है कि जब किसी के हालात बदलकर अच्छे हो जाते हैं, तो हो सकता है कि उसमें घमंड आ जाए। इससे हम यह सबक सीखते हैं कि एक मसीही, दौलत या अधिकार पाने पर अक्खड़ बन सकता है, फिर चाहे वह परमेश्‍वर की सेवा अच्छे दिल से क्यों न करता आया हो। उसके मन में घमंड तब भी पैदा हो सकता है जब दूसरे उसकी कामयाबी पर, बुद्धि, या काबिलीयत के लिए उसकी तारीफ करें। जी हाँ, एक मसीही को खबरदार रहना चाहिए कि उसका मन घमंड से फूल न उठे, खासकर जब उसे कामयाबी या ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ मिलती हैं।

18 अक्खड़पन से दूर रहने की सबसे ज़बरदस्त वजह यह है कि परमेश्‍वर इसे किस नज़र से देखता है। उसका वचन कहता है: “चढ़ी आंखें, घमण्डी मन, और दुष्टों की खेती, तीनों पापमय हैं।” (नीतिवचन 21:4) यह गौरतलब है कि बाइबल खास तौर से ‘संसार में जो धनवान’ हैं, उन मसीहियों को “अभिमानी” या अक्खड़ होने से खबरदार करती है। (1 तीमुथियुस 6:17; व्यवस्थाविवरण 8:11-17) जो मसीही अमीर नहीं हैं, उन्हें “कुदृष्टि” रखने यानी उनके पास जो नहीं है, उसकी लालसा करने से खबरदार रहना चाहिए। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि अक्खड़पन, अमीर-गरीब किसी भी इंसान में पैदा हो सकता है।—मरकुस 7:21-23; याकूब 4:5.

19. उज्जिय्याह ने किस तरह अपना अच्छा रिकॉर्ड खराब कर दिया?

19 अक्खड़पन और दूसरी बुराइयों की वजह से यहोवा के साथ हमारा अच्छा रिश्‍ता बिगड़ सकता है। मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि शुरू-शुरू में राजा उज्जिय्याह की हुकूमत कैसी थी: “उसने . . . वही किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था। . . . उज्जिय्याह परमेश्‍वर की खोज में लगा रहा, और जब तक वह यहोवा की खोज में लगा रहा परमेश्‍वर ने उसे सफलता दी।” (2 इतिहास 26:4, 5, NHT) मगर, अफसोस कि राजा उज्जिय्याह ने अपना अच्छा रिकॉर्ड खराब कर दिया क्योंकि ‘उसका हृदय घमण्ड से इतना भर गया कि वह भ्रष्ट हो गया।’ (NHT) अपने इस घमंड में वह धूप जलाने के लिए मंदिर में घुस गया। जब याजकों ने उसे खबरदार किया और यह गुस्ताखी करने से रोका तो ‘उज्जिय्याह झुंझला उठा।’ नतीजा, यहोवा ने उसे कोढ़ी बना दिया और दोबारा यहोवा का अनुग्रह पाए बिना ही उसकी मौत हो गयी।—2 इतिहास 26:16-21.

20. (क) राजा हिजकिय्याह का अच्छा रिकॉर्ड कैसे खतरे में था? (ख) अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

20 अब गौर कीजिए कि राजा हिजकिय्याह, उज्जिय्याह से कितना अलग था। एक मौके पर हिजकिय्याह का “मन फूल उठा था” और परमेश्‍वर की सेवा में उसका बेहतरीन रिकॉर्ड खराब होने के खतरे में था। मगर ‘हिजकिय्याह अपने मन के घमंड से पछता कर दीन हुआ’ और उसने फिर से परमेश्‍वर का अनुग्रह पाया। (2 इतिहास 32:25, 26, NHT) ध्यान दीजिए कि हिजकिय्याह के घमंड का इलाज था, नम्रता दिखाना। जी हाँ, घमंड का उलटा है, नम्रता। इसलिए अगले लेख में हम चर्चा करेंगे कि कैसे हम मसीही गुण, नम्रता अपने अंदर पैदा कर सकते हैं और उसे बनाए रख सकते हैं।

21. नम्र मसीही किस बात की उम्मीद लगा सकते हैं?

21 लेकिन, हम यह कभी न भूलें कि अक्खड़पन से कैसी-कैसी बुराइयाँ पैदा हुई हैं। “परमेश्‍वर अभिमानियों से विरोध करता है,” इसलिए हम यह ठान लें कि हम गलत किस्म के गर्व को ठुकराएँगे। हम नम्र मसीही बनने की भरसक कोशिश करते हैं, इसलिए भविष्य में परमेश्‍वर के उस महान दिन से बचने की उम्मीद लगा सकते हैं, जब धरती पर से घमंडियों को और उनके बुरे कामों को मिटा दिया जाएगा। उस वक्‍त, “मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा।”—यशायाह 2:17.

मनन के लिए मुद्दे

• एक अक्खड़ इंसान कैसा होता है?

• अक्खड़पन की शुरूआत कैसे हुई?

• एक इंसान किन वजहों से अक्खड़ बन सकता है?

• हमें अक्खड़पन से खबरदार क्यों रहना चाहिए?

[पेज 23 पर तसवीर]

फिरौन अपने अक्खड़पन की वजह से खाक में मिल गया

[पेज 24 पर तसवीर]

हाजिरा के हालात बेहतर होने की वजह से वह घमंडी हो गयी

[पेज 25 पर तसवीर]

हिजकिय्याह ने खुद को दीन किया और उसे दोबारा परमेश्‍वर का अनुग्रह मिला

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