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  • फुरसत के लिए उतना ही समय निकालिए जितना ज़रूरी है
    राज-सेवा—2001 | अगस्त
    • फुरसत के लिए उतना ही समय निकालिए जितना ज़रूरी है

      इन मुश्‍किल-भरे दिनों में हम सभी को समय-समय पर मन-बहलाव या आराम करने की ज़रूरत महसूस होती है। इसलिए थोड़ा-बहुत मनोरंजन करना सही है। लेकिन अगर एक इंसान आराम करने, मनोरंजन करने और लोगों से मिलने-जुलने में हद-से-ज़्यादा समय गुज़ारे तो आध्यात्मिक बातों के लिए उसे फुरसत नहीं मिलेगी और उनमें वह दिन-ब-दिन ढीला पड़ता जाएगा। इसलिए हमें फुरसत के लिए उतना ही समय निकालना चाहिए जितना ज़रूरी है। (मत्ती 5:3) लेकिन यह हम कैसे कर सकते हैं? इफिसियों 5:15-17 में दी गई सलाह पर चलने के ज़रिए।

      2 एक निश्‍चित समय तय कीजिए: पौलुस ने लिखा कि मसीहियों को ‘सावधान रहना’ (NHT) चाहिए कि वे अपनी ज़िंदगी कितनी बुद्धिमानी से बिताते हैं। हमें हद-से-ज़्यादा मनोरंजन में न डूबे रहने और खुद पर संयम रखने की ज़रूरत है ताकि हम फुरसत के लिए उतना ही समय निकाले जितना हमारे लिए वाकई ज़रूरी है। इस बात पर गंभीरता से विचार करना अक्लमंदी होगी कि हम अपना खाली समय कैसे बिताते हैं। मनोरंजन का मकसद होना चाहिए कि उससे हमें कुछ फायदा हो, ना कि यह हमें पूरी तरह पस्त कर दे या ऐसा महसूस कराए कि हमने अपना समय बरबाद कर दिया। अगर कभी मनोरंजन करने के बाद हमें खालीपन लगता है, हम खुश नहीं होते या थोड़ा-बहुत दोषी महसूस करते हैं, तो इन सबका मतलब है कि हमें अपने फुरसत के समय का इस्तेमाल करने के तरीके में कुछ फेरबदल करने की ज़रूरत है।

      3 समझदारी से काम लीजिए: पौलुस ने सलाह दी कि हमें ज़िंदगी की ज़्यादा अहम बातों के लिए “समय का पूरा-पूरा उपयोग” करना चाहिए और “निर्बुद्धि” नहीं होना चाहिए। (NHT) समर्पित मसीही अपने जीवन में मौज-मस्ती को पहला स्थान दे ही नहीं सकते। हालाँकि आराम करने और मन-बहलाव से हम शारीरिक रूप से तरो-ताज़ा हो सकते हैं, लेकिन हमें आध्यात्मिक ताकत केवल परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से मिलती है। (यशा. 40:29-31) और उसकी यह पवित्र आत्मा हम मनोरंजन के ज़रिए नहीं बल्कि आध्यात्मिक कामों से पाते हैं, जिसमें बाइबल का अध्ययन करना, कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होना और क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेना शामिल है।

      4 तय कीजिए कि कौन-से काम ज़्यादा ज़रूरी हैं: पौलुस ने मसीहियों को हिदायत दी कि वे ‘लगातार जानें कि यहोवा की इच्छा क्या है।’ (NHT) यीशु ने सिखाया कि हमें ज़िंदगी में अपने सब कामों से बढ़कर परमेश्‍वर के राज्य को पहला स्थान देना चाहिए। (मत्ती 6:33) यह बेहद ज़रूरी है कि हम पहले वे काम करें जिनसे हमें यहोवा को किया गया अपना समर्पण निभाने में मदद मिलेगी। इसके बाद फुरसत के लिए जितना समय ज़रूरी है उतना हम निकाल सकते हैं। अगर हम ऐसा करेंगे तो फुरसत में बिताए गए समय का हम पर अच्छा असर होगा और हम इसका ज़्यादा आनंद उठा पाएँगे।—सभो. 5:12.

  • क्या आप और ज़्यादा मेहनत करना चाहते हैं?
    राज-सेवा—2001 | अगस्त
    • क्या आप और ज़्यादा मेहनत करना चाहते हैं?

      यीशु ने राज्य की तुलना एक अनमोल खज़ाने से की। (मत्ती 13:44-46) राज्य का सुसमाचार फैलाने का काम भी एक अनमोल खज़ाने की तरह है। यह सेवकाई हमारी ज़िंदगी में पहले स्थान पर आनी चाहिए, फिर चाहे इसमें पूरी तरह हिस्सा लेने के लिए हमें अपनी कुछ इच्छाओं का त्याग भी क्यों न करना पड़े। (मत्ती 6:19-21) क्या आप राज्य के काम में और ज़्यादा मेहनत करना चाहते हैं?

      2 इन ज़रूरी बातों पर गौर कीजिए: निजी तौर पर अपनी सेवकाई को बढ़ाने के लिए कई बातें ज़रूरी हैं: (1) जीवन में राज्य से जुड़े कामों को पहला स्थान देने की ठान लेना। (मत्ती 6:33); (2) यहोवा पर विश्‍वास और उस पर निर्भर करना। (2 कुरि. 4:1, 7); (3) परमेश्‍वर से मदद माँगने के लिए सच्चे दिल से, लगातार प्रार्थना करना। (लूका 11:8-10); (4) अपनी प्रार्थनाओं के मुताबिक काम करना।—याकू. 2:14, 17.

      3 अपनी सेवकाई को बढ़ाने के तरीके: हम सभी हर महीने प्रचार में लगातार हिस्सा लेने के लक्ष्य से शुरू कर सकते हैं। लेकिन क्या आपने हर मौके पर साक्षी देने के बारे में सोचा है? क्या आपने प्रचार में अपनी प्रस्तावना को बेहतर बनाने, और भी असरदार तरीके से पुनःभेंट करने और अच्छे बाइबल अध्ययन चलाने की कोशिश की है? क्या आप ऑक्ज़लरी या रेग्यूलर पायनियर सेवा कर सकते हैं? या जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर सेवा कर सकते हैं? अगर आप बपतिस्मा पाए हुए भाई हैं तो क्या आप सहायक सेवक या एक प्राचीन बनने की काबिलीयत बढ़ा सकते हैं? (1 तीमु. 3:1, 10) क्या आपने मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के लिए अर्ज़ी भरने की सोची है ताकि आप अपनी सेवकाई को बढ़ा सकें?—लूका 10:2.

      4 एक भाई की पूरे समय की नौकरी थी और वह खेल-कूद में भी बहुत समय बिताता था। उसे रेग्यूलर पायनियर बनने का बढ़ावा दिया गया। उसने पहले ऑक्ज़लरी पायनियर सेवा शुरू की और बाद में अपने हालात में फेरबदल करके उसने पूरे समय की सेवा शुरू कर दी। बाद में, वह मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल में हाज़िर हुआ जिसमें उसने अच्छी तालीम पाई और इसलिए आज वह सर्किट ओवरसियर के तौर पर सेवा कर रहा है। वह बहुत खुश है कि उसे जो बढ़ावा मिला था, उसने उसके मुताबिक काम किया और उसे पक्का यकीन है कि उसने राज्य की सेवा में और ज़्यादा मेहनत करने का जो फैसला किया था, उसी की बदौलत आज वह पहले से कहीं ज़्यादा खुश है।

      5 जो लोग अपने आप को यहोवा के काम के लिए सौंप देते हैं, वह उन्हें आशीष देता है। (यशा. 6:8) इसलिए अपनी सेवकाई को बढ़ाने और उससे मिलनेवाली ढेर सारी खुशी और ताज़गी का आनंद उठाने से कोई भी बात आपको रोकने न पाए।

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