बाइबल से कब पढ़ें और साहित्य कैसे पेश करें?
बाइबल ने लाखों लोगों की ज़िंदगी पर गहरी छाप छोड़ी है। यह परमेश्वर का वचन है, इसलिए इसकी बातों का असर हमारी कही किसी भी बात से कई गुना ज़्यादा होता है। (इब्रा. 4:12) हम चाहते हैं कि लोग यह समझें कि हम जो संदेश उन्हें सुना रहे हैं वह हमारी तरफ से नहीं, बल्कि परमेश्वर के वचन से है। कुछ लोग ऐसे हैं, जो ईसाइयों की तो इज़्ज़त नहीं करते, मगर उनके दिल में बाइबल के लिए आदर है। इसलिए जो सुनने के लिए राज़ी हैं, उन्हें हम सीधे-सीधे बाइबल से पढ़कर सुनाते हैं।
लेकिन अगर हम एक ऐसे इलाके में प्रचार कर रहे हैं, जहाँ कुछ लोग बाइबल का कोई भी संदेश सुनना नहीं चाहते और हमारे प्रचार काम को रोकने पर तुले हुए हैं, तब हमें क्या करना चाहिए? ऐसे इलाके में बाइबल को बैग से निकालने और उसे इस्तेमाल करने से पहले यह जानने की कोशिश कीजिए कि क्या घर-मालिक को सचमुच बाइबल का संदेश सुनने में दिलचस्पी है। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो घर-मालिक को संदेश देने में बेवजह रुकावट आ सकती है। (मत्ती 10:11) क्योंकि जैसे ही वह बाइबल देखेगा, वह हमारे बारे में गलत राय कायम कर लेगा। इसलिए ऐसे हालात में हम प्रेरित पौलुस का तरीका अपना सकते हैं। जब वह अथेने में अरियुपगुस पहाड़ पर यूनानियों से बात कर रहा था, तो उसने अपनी बातचीत की शुरूआत में शास्त्र की कोई बात नहीं कही। इसके बजाय, उसने पहले उन मुद्दों पर बातचीत की, जिनसे वे वाकिफ थे और जिन्हें वे मानते भी थे। और फिर उसने दलीलें देकर उन्हें सिरजनहार और उसके मकसदों के बारे में सोचने पर मज़बूर किया।—प्रेरि. 17:22-31.
उसी तरह, प्रचार में घर-मालिक से किसी ऐसे विषय पर बातचीत शुरू करने की कोशिश कीजिए, जिसमें उसे दिलचस्पी हो। और जब एक बार बातचीत शुरू हो जाती है, तब समझदारी से उसका रुख राज्य के संदेश की तरफ मोड़िए। जब आप बातचीत में पहली बार ‘परमेश्वर,’ ‘सिरजनहार’ या फिर कोई ऐसी बात कहते हैं, जिससे पता चलता है कि आप आध्यात्मिक विषयों पर बात करना चाहते हैं, तो घर-मालिक के रवैए पर गौर कीजिए। अगर आपको लगता है कि वह आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करने में दिलचस्पी रखता है, तब क्या? ऐसे में, आप उससे पूछ सकते हैं: हम जिस विषय पर चर्चा कर रहे हैं, अगर मैं उस बारे में बाइबल से आपको कुछ बताऊँ, तो आपको कोई एतराज़ तो नहीं? लेकिन अगर आपको लगे कि “बाइबल” का नाम सुनते ही वह अपने कान बंद कर लेगा, तो “बाइबल” कहने के बजाय आप “पवित्र ग्रंथ” या “एक प्राचीन किताब” जैसे शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर आप बाइबल की कोई आयत अपने शब्दों में बता सकते हैं। समझ-बूझ से काम लेने में यह शामिल है कि हम यह जाने कि कौन-सी बातें कहने से हमें दूर रहना है। (यूह. 16:12) लेकिन दूसरी तरफ, अगर यह ज़ाहिर होता है कि घर-मालिक बाइबल का आदर करता है और हमारी बात सुनने के लिए राज़ी है, तो बाइबल से कुछ पढ़कर सुनाने से मत झिझकिए।—यूह. 10:27.
लेकिन बाइबल साहित्य दिखाने और उन्हें पेश करने के बारे में क्या? हमारे बाइबल साहित्य लोगों की दिलचस्पी जगाने और उन्हें राज्य के बारे में जानकारी देने में कई दशकों से असरदार साबित हुए हैं। साहित्य पेश करने में भी, हमें समझ-बूझ से काम लेने की ज़रूरत है, क्योंकि कुछ लोग इसका गलत मतलब निकाल सकते हैं। वे शायद सोचें कि साहित्य देकर हम लोगों का धर्म-परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए हमें सिर्फ ऐसे लोगों को ही साहित्य देना चाहिए, जो वाकई इनकी कदर करते हैं और इनसे फायदा पाना चाहते हैं। तो फिर यह बेहद ज़रूरी है कि हम घर-मालिक की सोच और उसका रवैया जानने के लिए हमेशा सतर्क रहें, ताकि हम प्रचार में बाइबल और अपने साहित्य का सही इस्तेमाल कर सकें।—नीति. 1:5, 7ख.