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  • यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है

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  • यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है
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  • परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करते हुए धीरज धरना
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दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
dp अध्या. 18 पेज 306-319

अठारहवाँ अध्याय

यहोवा बेहतरीन इनाम देने का दानिय्येल से वायदा करता है

1, 2. (क) दौड़ में सफल होने के लिए दौड़नेवाले में कौन-सा गुण होना ज़रूरी है? (ख) ज़िंदगी भर वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहना, एक दौड़ की तरह है यह बात प्रेरित पौलुस ने किस तरह समझायी?

एक दौड़नेवाला अपनी दौड़ खत्म करने जा रहा है। वह पसीने से लथपथ और पूरी तरह पस्त हो चुका है। लेकिन तभी उसे सामने मंज़िल दिखाई देती है। बस अब थोड़ी-सी दूरी रह गई है और वह अपनी दौड़ पूरी कर लेगा। यह देखकर वह एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाते हुए आखिरी लाइन पार करने में अपनी पूरी जान लगा देता है! आहा! उसका दिल खुशी से नाच उठता है। उसने अपनी दौड़ पूरी कर ही ली। धीरज के साथ अंत तक दौड़ते रहना आखिरकार सफल हुआ।

2 दानिय्येल के 12 अध्याय की आखिरी आयत बताती है कि परमेश्‍वर का अति प्रिय पुरुष दानिय्येल भी अपनी “दौड़” पूरी करने पर था। यह “दौड़,” यहोवा की सेवा में बीती उसकी सारी ज़िंदगी थी, जो अब खत्म होने पर थी। मसीह से पहले के ज़माने में, दानिय्येल की तरह ही यहोवा के और भी कई सेवकों ने विश्‍वास की बढ़िया मिसालें कायम की थीं। इन्हीं वफादार लोगों की विश्‍वास से भरी ज़िंदगी का ज़िक्र करने के बाद, प्रेरित पौलुस ने लिखा: “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्‍वास के कर्त्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्‍वर के दहिने जा बैठा।”—इब्रानियों 12:1, 2.

3. (क) किस वज़ह से दानिय्येल ने अपनी दौड़ “धीरज से” पूरी की? (ख) यहोवा के स्वर्गदूत ने दानिय्येल को जो तीन खास बातें बताईं, वे क्या थीं?

3 ‘गवाहों के उस बड़े बादल’ में दानिय्येल भी था। उसे वाकई अपनी दौड़ को बहुत “धीरज से” दौड़ना पड़ा था फिर भी उसने अपनी दौड़ पूरी की, और इसकी वज़ह यह थी कि वह यहोवा को दिलो-जान से प्यार करता था। यहोवा ने दानिय्येल पर इस बारे में बहुत कुछ प्रकट किया था कि भविष्य में इस दुनिया पर कौन-सी हुकूमतें आएँगी, लेकिन अब वह खुद दानिय्येल के लिए संदेश भेजकर उसका हौसला बढ़ाता है, “अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्राम करता रहेगा; और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” (दानिय्येल 12:13) यहोवा का स्वर्गदूत दानिय्येल को तीन खास बातें बता रहा था: (1) दानिय्येल को ‘जाकर अन्त तक ठहरे रहना’ चाहिए, (2) वह “विश्राम” करेगा और (3) भविष्य में वह फिर से “खड़ा होगा।” ये शब्द आज सच्चे मसीहियों का हौसला कैसे बढ़ा सकते हैं, ताकि वे भी अपनी दौड़ पूरी करने तक धीरज से दौड़ते रहें?

“तू जाकर अन्त तक ठहरा रह”

4. यहोवा के स्वर्गदूत का दानिय्येल से यह कहने का क्या मतलब था कि “अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह,” और ऐसा करना दानिय्येल के लिए क्यों मुश्‍किल रहा होगा?

4 उस स्वर्गदूत के कहने का क्या मतलब था जब उसने दानिय्येल से कहा, “अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह”? वह किस अन्त की बात कर रहा था? ध्यान दीजिए कि दानिय्येल अब करीब 100 साल का हो चुका था। इसलिए कहा जा सकता है कि स्वर्गदूत उसकी ज़िंदगी के अन्त की ही बात कर रहा था जो कि अब बहुत दूर नहीं था।a इसलिए वह स्वर्गदूत, दानिय्येल की हिम्मत बँधा रहा था कि वह अपनी ज़िंदगी की आखिरी साँस तक इसी तरह वफादार बना रहे। लेकिन, वफादार बना रहना इतना आसान नहीं था। दानिय्येल ने बाबुल को गिरते हुए और यहूदियों को अपने वतन यहूदा और यरूशलेम लौटते हुए देखा था। वाकई यह सब देखकर बुज़ुर्ग भविष्यवक्‍ता दानिय्येल बहुत खुश हुआ होगा। लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि दानिय्येल भी बाकी लोगों के साथ यरूशलेम लौटा। बेशक, उस वक्‍त वह बहुत बूढ़ा और कमज़ोर हो चुका था। या हो सकता है कि यहोवा की यही मरज़ी हो कि दानिय्येल बाबुल में ही रहे। बात जो भी हो, हमारे मन में यह सवाल आ ही जाता है कि जब दानिय्येल ने अपने यहूदी भाइयों को अपने वतन लौटते देखा तो क्या उसके मन में भी यह टीस न उठी होगी कि काश मैं भी अपने वतन लौट पाता। बेशक, दानिय्येल को अपने कलेजे पर पत्थर रखकर वहीं रहना पड़ा होगा।

5. कैसे पता चलता है कि दानिय्येल ने अन्त तक धीरज धरा?

5 जब स्वर्गदूत ने दानिय्येल से कहा कि “अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह,” तो दानिय्येल को इन प्यार-भरे शब्दों से बेशक बहुत हिम्मत मिली होगी। यह पढ़कर शायद हमें यीशु मसीह के उन शब्दों की याद आए, जो उसने दानिय्येल के ज़माने से लगभग छह सौ साल बाद कहे थे: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती 24:13) दानिय्येल ने ठीक यही किया था। उसने अन्त तक धीरज धरा और वफादारी से अपने जीवन की दौड़ पूरी की। शायद यह भी एक बड़ी वज़ह थी कि बाद में परमेश्‍वर के वचन में उसकी ज़िंदगी को एक मिसाल की तरह इस्तेमाल किया गया है। (इब्रानियों 11:32, 33) तो फिर, अन्त तक धीरज धरने में किस बात ने दानिय्येल की मदद की? उसने अपनी ज़िंदगी में जो किया उससे हमें इस सवाल का जवाब पाने में मदद मिलती है।

परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करते हुए धीरज धरना

6. हम यह कैसे जानते हैं कि दानिय्येल परमेश्‍वर के वचन का गहरा अध्ययन करता था?

6 दानिय्येल मन लगाकर परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करता था और उसकी शानदार प्रतिज्ञाओं पर दिन-रात ध्यान लगाए रहता था। ऐसा करते रहने से उसे अंत तक धीरज धरने में मदद मिली। हम यह जानते हैं कि दानिय्येल परमेश्‍वर के वचन का कितनी गहराई से अध्ययन करता था। अगर ऐसा नहीं होता तो उसे यहोवा की उस प्रतिज्ञा का कैसे पता चलता जो उसने यिर्मयाह से की थी कि बाबुल में यहूदियों की बँधुआई के साल कुल मिलाकर 70 साल होंगे? देखिए, खुद दानिय्येल ने इस बारे में यह लिखा था: “मुझ दानिय्येल ने शास्त्रों में . . . वर्षों की संख्या पर ध्यान दिया।” (दानिय्येल 9:2, NHT; यिर्मयाह 25:11, 12) उस वक्‍त परमेश्‍वर के वचन की जो भी किताबें मौजूद थीं दानिय्येल ने उन सबकी छान-बीन की होगी। वह मूसा, दाऊद, सुलैमान, यशायाह, यिर्मयाह, यहेजकेल की किताबों को घंटों बैठकर पढ़ता होगा और उन पर मनन करता होगा।

7. परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने के लिए, आज हमारा ज़माना दानिय्येल के ज़माने से बेहतर कैसे है?

7 अगर हम अंत तक धीरज धरना चाहते हैं तो यह ज़रूरी है कि हम दिन-रात परमेश्‍वर के वचन का गहरा अध्ययन करते रहें। (रोमियों 15:4-6; 1 तीमुथियुस 4:15) दानिय्येल के पास तो पवित्र-शास्त्र की कुछ ही किताबें थीं लेकिन हमारे पास तो पूरी-की-पूरी बाइबल है, जिसमें खुद दानिय्येल की भविष्यवाणियाँ भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, दानिय्येल की कुछ भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं इसका भी ब्यौरा बाइबल में हमें मिलता है। और-तो-और दानिय्येल 12:4 में जिस “अन्त समय” के आने की भविष्यवाणी की गई थी, हम उसी समय में जी रहे हैं। हमारे ही दिनों में, अभिषिक्‍त जनों को आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ दी गई है, और इसलिए वे इस अंधियारी दुनिया में सच्चाई की मशालों के समान चमक रहे हैं। उनकी इस समझ की बदौलत ही, आज हम दानिय्येल की किताब की बहुत-सी गूढ़ भविष्यवाणियों को समझ पा रहे हैं जो खुद दानिय्येल की समझ से परे थीं। आज हम देख पाते हैं कि इन भविष्यवाणियों में कितना गहरा अर्थ छिपा था। इसलिए आइए हम यह इरादा करें कि हम परमेश्‍वर के वचन का हर रोज़ अध्ययन करेंगे और इसमें छिपे ज्ञान के भंडार को तुच्छ नहीं समझेंगे। ऐसा करने से हमें धीरज धरने में, बेशक मदद मिलेगी।

दानिय्येल प्रार्थना में लगा रहा

8. प्रार्थना में लगे रहने में दानिय्येल ने कैसी मिसाल कायम की?

8 प्रार्थनाओं से भी दानिय्येल को अन्त तक धीरज धरने में मदद मिली। हर रोज़ वह यहोवा के सामने अपना हृदय खोलता था और पूरे विश्‍वास और भरोसे के साथ प्रार्थना करता था। वह अच्छी तरह जानता था कि यहोवा ‘प्रार्थनाओं का सुननेवाला’ है। (भजन 65:2. इब्रानियों 11:6 से तुलना कीजिए।) दानिय्येल को यह दुःख अंदर-ही-अंदर खाए जा रहा था कि क्यों इस्राएली जाति भ्रष्ट होकर यहोवा से दूर हो गयी। जब उससे यह गम बर्दाश्‍त नहीं हुआ तो उसने यहोवा के सामने खुलकर अपना दुःख बयान किया। (दानिय्येल 9:4-19) यहाँ तक कि जब दारा ने यह आज्ञा निकलवाई कि 30 दिन तक कोई भी, उसे छोड़ किसी और ईश्‍वर से प्रार्थना न करे तब भी दानिय्येल ने अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना करना नहीं छोड़ा। (दानिय्येल 6:10) देखिए, इस बूढ़े वफादार इंसान को! उसे शेरों की मान्द में फिंकवाया जाना मंज़ूर था, लेकिन यह मंज़ूर नहीं था कि वह परमेश्‍वर से बात करने, उससे प्रार्थना करने के वरदान को छोड़ दे। क्या आप ऐसी भक्‍ति देखकर कायल नहीं हो जाते? बेशक दानिय्येल अन्त तक वफादार बना रहा और हर दिन परमेश्‍वर यहोवा के सामने गिड़गिड़ाता और बिनती करता रहा।

9. प्रार्थना के वरदान को हमें मामूली बात क्यों नहीं समझना चाहिए?

9 प्रार्थना करना बहुत आसान है। हम बोलकर या मन-ही-मन, कहीं भी और किसी भी वक्‍त प्रार्थना कर सकते हैं। लेकिन हमें प्रार्थना करने का जो अनमोल वरदान मिला है, उसे मामूली बात नहीं समझना चाहिए। बाइबल कहती है कि हमें प्रार्थना करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए, हमेशा इसमें लौलीन रहना चाहिए और प्रार्थना में लगे रहने से हम दिखाएँगे कि हम आध्यात्मिक रूप से जाग रहे हैं। (लूका 18:1; रोमियों 12:12; इफिसियों 6:18; कुलुस्सियों 4:2) भला इससे ज़्यादा हमें और क्या चाहिए कि हम इस पूरे जहान की सबसे बड़ी हस्ती से सीधे-सीधे और खुलकर किसी भी वक्‍त बात कर सकें? और वह हमारी सुनता है! याद कीजिए कि जब दानिय्येल ने एक बार प्रार्थना की थी तब कैसे यहोवा ने फौरन अपना स्वर्गदूत भेजकर उसे जवाब दिया। बाइबल कहती है कि जब दानिय्येल प्रार्थना कर ही रहा था कि स्वर्गदूत वहाँ आ पहुँचा! (दानिय्येल 9:20, 21) आज हमारे ज़माने में स्वर्गदूत भले ही प्रकट न हों, फिर भी यहोवा तो पहले जैसा ही है। वह बदला नहीं है। (मलाकी 3:6) जैसे उसने दानिय्येल की प्रार्थना सुनी थी, वैसे ही वह हमारी भी सुनेगा। और जब हम यहोवा से प्रार्थना करेंगे तो हम उसके और करीब आ जाएँगे और यहोवा के साथ यही मज़बूत रिश्‍ता, दानिय्येल की तरह अन्त तक धीरज धरने में हमारी भी मदद करेगा।

परमेश्‍वर के वचन को सिखाते हुए धीरज धरना

10. परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई सिखाना दानिय्येल के लिए क्यों अहमियत रखता था?

10 दानिय्येल को एक और मायने में ‘जाकर अन्त तक ठहरे’ रहना था। उसे अंत तक दूसरों को सच्चाई सिखाते रहना था। वह कभी नहीं भूला कि वह एक चुनी हुई जाति का है जिसके बारे में परमेश्‍वर के वचन में कहा गया था: “यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने . . . चुना है।” (यशायाह 43:10) साक्षी होने की ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए दानिय्येल ने वह सब कुछ किया जो वह कर सकता था। उसने बाबुल में अपनी जाति के लोगों को भी परमेश्‍वर का वचन सिखाया होगा। इस बारे में हम ज़्यादा नहीं जानते कि यहूदियों के साथ उसका मिलना-जुलना कितना था। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह को ‘उसके संगी’ कहा गया है। (दानिय्येल 1:7; 2:13, 17, 18) तो इन चारों की पक्की दोस्ती भी अंत तक धीरज धरने में एक बड़ा सहारा रही होगी। (नीतिवचन 17:17) दानिय्येल को यहोवा ने खास तौर पर बुद्धि और प्रवीणता दी थी इसलिए ज़रूर उसने अपने बाकी साथियों को बहुत कुछ सिखाया होगा। (दानिय्येल 1:17) लेकिन दानिय्येल को और लोगों को भी बहुत कुछ सिखाना था।

11. (क) दानिय्येल के काम की खासियत क्या थी? (ख) जो अनोखा काम दानिय्येल को मिला था उसमें वह कितना सफल रहा?

11 अन्यजाति के राजाओं और शाही लोगों को गवाही देने के जितने मौके दानिय्येल को मिले, उतने किसी और भविष्यवक्‍ता को नहीं मिले। उसने इन लोगों को जो संदेश सुनाया वह ज़्यादातर कड़वा हुआ करता था लेकिन दानिय्येल ने कभी-भी इन लोगों से घृणा नहीं की ना ही उसने उन्हें खुद से नीचा समझा। उसने बड़े आदर और कुशलता के साथ उनसे बात की। कुछ लोग ऐसे भी थे जो दानिय्येल से जलते थे, जैसे उसे मरवाने की साज़िश रचनेवाले वे क्षत्रप। मगर फिर भी, दूसरे कई बड़े अधिकारी दानिय्येल की इज़्ज़त करने लगे थे। जिन भेदों ने राजाओं और पंडितों को चक्कर में डाल दिया था, उन्हें समझाने की काबिलीयत यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता दानिय्येल को दी थी जिसकी वज़ह से उसका मान-सम्मान और भी बढ़ गया। (दानिय्येल 2:47, 48; 5:29) यह सच है कि जब दानिय्येल बूढ़ा होने लगा, तब वह इतना नहीं कर पाता होगा जितना उसने जवानी में किया था। लेकिन फिर भी वह अन्त तक वफादार रहा और ऐसे हर मौके की तलाश में रहा जिससे वह अपने प्यारे परमेश्‍वर के नाम की गवाही दे सके।

12. (क) आज हम मसीही किस तरह सिखाने का काम करते हैं? (ख) ‘बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करने’ की पौलुस की सलाह को हम कैसे लागू कर सकते हैं?

12 जैसे दानिय्येल और उसके तीन साथियों ने एक दूसरे की मदद की थी, आज मसीही कलीसिया में हमारे वफादार भाई-बहन हैं जो धीरज धरने में हमारी मदद करते हैं। हम ‘आपस में एक दूसरे को प्रोत्साहित’ करके एक-दूसरे को सिखाते भी हैं। (रोमियों 1:11, 12, NHT) और दानिय्येल की तरह हमें भी ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है कि अविश्‍वासियों को सच्चाई सिखाएँ। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) इसलिए हमें सिखाने की कला में माहिर बनना चाहिए ताकि जब हम दूसरों को यहोवा के बारे में सिखाएँ तो ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में ला सकें’। (2 तीमुथियुस 2:15) हमें प्रेरित पौलुस की इस सलाह से भी मदद मिलेगी: “अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालों के साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करो।” (कुलुस्सियों 4:5) बुद्धिमान होने का मतलब यह है कि जो लोग अविश्‍वासी हैं उनके बारे में हम सही नज़रिया रखें। हम उन्हें तुच्छ न समझें ना ही खुद को उनसे किसी तरह बेहतर समझें। (1 पतरस 3:15) इसके बजाय, हमें चाहिए कि हम सच्चाई में उनकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए और उनके दिल तक पहुँचने के लिए परमेश्‍वर के वचन का होशियारी और कुशलता से इस्तेमाल करें। जब हम किसी को सच्चाई सिखाने में कामयाब हो जाते हैं तो हमें कितनी खुशी मिलती है! दानिय्येल की तरह, यह खुशी अन्त तक धीरज धरने में हमारी भी मदद करेगी।

“तू विश्राम करता रहेगा”

13, 14. मौत के नाम से बाबुल के लोग इतना डरते क्यों थे, और दानिय्येल इस मामले में कैसे अलग था?

13 अब हम स्वर्गदूत की दूसरी बात पर ध्यान देते हैं। उसने दानिय्येल को दिलासा दिया था: “तू विश्राम करता रहेगा।” (दानिय्येल 12:13) इसका क्या मतलब था? दानिय्येल जानता था कि उसकी मौत करीब है। सभी को मौत आती है और आदम से लेकर आज तक कोई भी मौत के चंगुल से नहीं बच सका। बाइबल मौत को एक “बैरी” बताती है। (1 कुरिन्थियों 15:26) लेकिन मौत के बारे में दानिय्येल जो मानता था वह बाबुल में रहनेवालों के विश्‍वास से बिलकुल अलग था। बाबुल के लोग 4,000 झूठे देवी-देवताओं की पूजा में उलझे हुए थे। वे मानते थे कि जिन लोगों का कत्ल कर दिया जाता है या जो लोग ज़िंदगी भर दुःख उठाते रहते हैं, वे मरने के बाद भूत बनकर सबसे बदला लेते हैं। बाबुल के लोग यह भी मानते थे कि एक भयानक पाताल-लोक भी है जिसमें जानवरों और मनुष्यों जैसे डरावने दैत्य और दानव रहते हैं।

14 लेकिन दानिय्येल जानता था कि मरने पर ऐसा कुछ नहीं होता। दानिय्येल से सैकड़ों साल पहले राजा सुलैमान ने ईश्‍वर-प्रेरणा से यह लिखा था: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” (सभोपदेशक 9:5) और मरनेवालों के बारे में भजनहार ने गीत में यह लिखा था: “उसका भी प्राण निकलेगा, वह भी मिट्टी में मिल जाएगा; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाएंगी।” (भजन 146:4) इसलिए दानिय्येल जानता था कि स्वर्गदूत ने उसे जो कहा था वही सच होगा। मौत का मतलब था विश्राम करना। जिसमें चेतना नहीं रहती कोई सोच-विचार नहीं होता, दुःख या तड़प नहीं होती और हाँ, दुःख देनेवाले दैत्य या दानव भी नहीं होते। यीशु ने भी लाजर की मौत के बारे में ऐसा ही कहा। उसने कहा था कि “हमारा मित्र लाजर सो गया है।”—यूहन्‍ना 11:11.

15. मौत का दिन, जन्म के दिन से कैसे उत्तम हो सकता है?

15 दानिय्येल को मौत से क्यों डर नहीं लगता था इसकी एक और वज़ह पर ध्यान दीजिए। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “अच्छा नाम अनमोल इत्र से और मृत्यु का दिन जन्म के दिन से उत्तम है।” (सभोपदेशक 7:1) लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था कि मौत जैसी दुःख की घड़ी, जन्म के दिन से उत्तम हो? इसका राज़ है “नाम।” आइए देखें कैसे। पुराने ज़माने में, “अनमोल इत्र” बेहद कीमती हुआ करता था। लाजर की बहन मरियम ने जो इत्र यीशु के पैरों पर मला था उसकी कीमत एक साल की मजदूरी के बराबर थी! (यूहन्‍ना 12:1-7) लेकिन सिर्फ किसी का ‘नाम’ इतना कीमती कैसे हो सकता है? ध्यान दीजिए कि सभोपदेशक 7:1 में, हिन्दी बाइबल सिर्फ ‘नाम’ नहीं कहती, बल्कि “अच्छा नाम” कहती है। अकेले नाम में कुछ नहीं रखा, लेकिन उस नाम के साथ जो पहचान जुड़ी है वह मायने रखती है। किसी के जन्म पर, न तो उसकी कोई इज़्ज़त होती है न ही उसके अच्छे कामों की शोहरत। और जन्म के दिन किसी को भी उसके अच्छे चरित्र और स्वभाव के लिए या उसके अच्छे गुणों के लिए याद नहीं किया जाता। लेकिन जब मौत होती है तो एक आदमी के नाम के साथ यह सब बातें याद की जाती हैं। और अगर किसी ने परमेश्‍वर की नज़रों में अच्छा नाम कमाया है तो यह नाम दुनिया की तमाम धन-दौलत से भी कहीं ज़्यादा कीमती है।

16. (क) दानिय्येल ने परमेश्‍वर की नज़रों में अच्छा नाम कमाने के लिए क्या किया? (ख) क्यों दानिय्येल इस यकीन के साथ मौत की नींद सो सकता था कि उसने यहोवा की नज़रों में एक अच्छा नाम कमाया है?

16 यहोवा की नज़रों में अच्छा नाम कमाने के लिए दानिय्येल ने ज़िंदगी भर कड़ी मेहनत की। जो कुछ उसके बस में था वह उसने अपनी पूरी जान लगाकर किया। और यहोवा को उसका हर काम याद था। परमेश्‍वर ने दानिय्येल के हर काम को देखा था और उसके दिल की भावनाओं को अच्छी तरह जाँचा था। परमेश्‍वर ने राजा दाऊद के साथ भी ऐसा ही किया था, जिसने यह गीत गाया: “हे यहोवा, तू ने मुझे जांचकर जान लिया है। तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।” (भजन 139:1, 2) माना कि दानिय्येल सिद्ध नहीं था। वह पापी आदम की ही संतान था और उसकी जाति के लोगों ने भी यहोवा के खिलाफ बहुत पाप किए थे। (रोमियों 3:23) लेकिन दानिय्येल ने अपने पापों का पश्‍चाताप किया और खराई से अपने परमेश्‍वर के साथ-साथ चलता रहा। इसलिए इस वफादार भविष्यवक्‍ता को पूरा भरोसा था कि यहोवा उसके पापों को क्षमा करेगा और भविष्य में इन पापों के लिए उसे दोषी नहीं ठहराएगा। (भजन 103:10-14; यशायाह 1:18) यहोवा अपने वफादार सेवकों के अच्छे कामों को ही याद करना पसंद करता है। (इब्रानियों 6:10) इसलिए यहोवा के स्वर्गदूत ने दानिय्येल को दो बार “अति प्रिय पुरुष” कहकर पुकारा। (दानिय्येल 10:11, 19) इससे पता चलता है कि यहोवा, दानिय्येल से बहुत प्यार करता था। इसलिए, दानिय्येल अब इत्मीनान के साथ मौत की नींद सो सकता था, क्योंकि स्वर्गदूत की बात से उसे यकीन हो गया कि वह यहोवा की नज़रों में अच्छा नाम कमाने में कामयाब रहा है।

17. यह बेहद ज़रूरी क्यों है कि हम आज ही यहोवा की नज़रों में अच्छा नाम कमाने का फैसला करें?

17 हममें से हरेक खुद अपने आप से यह सवाल पूछ सकता है कि ‘क्या मैंने यहोवा की नज़रों में एक अच्छा नाम कमाया है?’ यह समय जिसमें हम जी रहे हैं, संकट का समय है। इसलिए इस हकीकत को याद रखने में कोई बुराई नहीं कि हमारी मौत कभी-भी हो सकती है। (सभोपदेशक 9:11) इसलिए यह कितना ज़रूरी है कि हम सभी आज, इसी वक्‍त यह फैसला करें कि हम परमेश्‍वर की नज़रों में अच्छा नाम कमाएँगे। अगर हम ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो फिर हमें मौत से डरने की ज़रूरत नहीं। मौत तो सिर्फ एक नींद की तरह है। जैसे नींद के बाद कोई जाग उठता है, वैसे ही मरने के बाद वह जी उठेगा!

‘तू खड़ा होगा’

18, 19. (क) स्वर्गदूत के यह कहने का क्या मतलब था कि दानिय्येल “खड़ा होगा”? (ख) क्यों कहा जा सकता है कि दानिय्येल को पुनरुत्थान की आशा के बारे में पहले से मालूम था?

18 दानिय्येल की किताब, परमेश्‍वर के एक ऐसे शानदार वायदे से खत्म होती है जो उसने शायद ही कभी किसी दूसरे इंसान से किया होगा। यहोवा के स्वर्गदूत ने दानिय्येल से कहा: “उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” उसके कहने का आखिर क्या मतलब था? उसने अभी-अभी कहा था कि दानिय्येल “विश्राम” करेगा जिसका मतलब है कि वह मौत की नींद सोएगा। तो फिर स्वर्गदूत का अब यह वादा करना कि दानिय्येल ‘खड़ा होगा,’ इसका एक ही मतलब हो सकता है कि दानिय्येल फिर जी उठेगा या उसका पुनरुत्थान होगा!b दरअसल कई विद्वानों का यह कहना है कि इब्रानी शास्त्र में पहली बार इतने साफ शब्दों में, पुनरुत्थान का ज़िक्र दानिय्येल की किताब के 12 अध्याय में ही पाया जाता है। (दानिय्येल 12:2) लेकिन उनका यह कहना सही नहीं है। क्योंकि दानिय्येल खुद पुनरुत्थान की आशा के बारे में पहले से ही जानता था।

19 मिसाल के तौर पर दानिय्येल, दो सौ साल पहले यशायाह की किताब में लिखे इन शब्दों को ज़रूर जानता था: “तेरे मरे हुए लोग जीवित होंगे, मुर्दे उठ खड़े होंगे। हे मिट्टी में बसनेवालों, जागकर जयजयकार करो! क्योंकि . . . पृथ्वी मुर्दों को लौटा देगी।” (यशायाह 26:19) इससे भी बहुत पहले, यहोवा ने एलिय्याह और एलीशा को यह शक्‍ति दी थी कि मुरदों को ज़िंदा करें। (1 राजा 17:17-24; 2 राजा 4:32-37) और इससे भी पहले भविष्यवक्‍ता शमूएल की माँ हन्‍ना ने यहोवा की स्तुति करते हुए यह कहा था कि यहोवा मरे हुओं को अधोलोक यानी कब्र में से भी निकाल सकता है। (1 शमूएल 2:6) और-तो-और इन सबसे भी बहुत पहले, वफादार अय्यूब ने यह कहकर पुनरुत्थान में अपना विश्‍वास दिखाया: “यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? जब तक मेरा छुटकारा न होता तब तक मैं अपनी कठिन सेवा के सारे दिन आशा लगाए रहता। तू मुझे बुलाता, और मैं बोलता; तुझे अपने हाथ के बनाए हुए काम की अभिलाषा होती।”—अय्यूब 14:14, 15.

20, 21. (क) किन लोगों के साथ दानिय्येल का भी पुनरुत्थान होगा? (ख) नई दुनिया में पुनरुत्थान किस ढंग से होगा?

20 परमेश्‍वर के दास अय्यूब की तरह, दानिय्येल को भी इस बात का पूरा यकीन था कि एक दिन यहोवा उसे देखने की अभिलाषा करेगा और सचमुच उसे मुरदों में से जिलाएगा। लेकिन, ज़रा सोचिए कि दानिय्येल का दिल कितना खुश हुआ होगा कि स्वर्ग से उतरा यहोवा का दूत खुद अपने मुँह से यह बात कहता है! जी हाँ, मसीह के हज़ार साल के राज में जब ‘धर्मियों का जी उठना’ होगा, तब दानिय्येल भी उठ खड़ा होगा। (लूका 14:14) जी उठने पर दानिय्येल क्या पाएगा? परमेश्‍वर का वचन हमें इस बारे में बहुत कुछ बताता है।

21 यहोवा, “परमेश्‍वर गड़बड़ी का नहीं परन्तु शान्ति का परमेश्‍वर है।” (1 कुरिन्थियों 14:33) ज़ाहिर है कि नई दुनिया में पुनरुत्थान व्यवस्थित तरीके से होगा। शायद अरमगिदोन के बाद कुछ समय बीतने पर यह पुनरुत्थान होना शुरू होगा। (प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) इस पुरानी दुनिया का सारा मलबा साफ कर दिया जाएगा और जो जिलाए जाएँगे उनके लिए पहले से सारी तैयारी की जा चुकी होगी। पहले कौन जी उठेगा, इसके बारे में बाइबल यह नियम देती है: “हर एक अपनी अपनी बारी से।” (1 कुरिन्थियों 15:23) ऐसा लगता है कि जब “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा,” तब पहले धर्मी लोग पुनरुत्थान पाएँगे। (प्रेरितों 24:15) तब दानिय्येल जैसे धर्मी और वफादार प्राचीन लोग, इस ज़मीन पर किए जानेवाले काम-काज को सँभालने में हाथ बँटा सकेंगे। इस काम में, पुनरुत्थान पानेवाले करोड़ों “अधर्मी” लोगों को परमेश्‍वर के बारे में सिखाने की ज़िम्मेदारी भी शामिल होगी।—भजन 45:16.

22. दानिय्येल किन सवालों के जवाब जानने के लिए बेताब होगा?

22 इस ज़िम्मेदारी को संभालने से पहले दानिय्येल के मन में ज़रूर कई सवाल उठेंगे। जैसे वह ऐसी कई गूढ़ भविष्यवाणियों की पूर्ति के बारे में जानना चाहेगा, जिनके लिए खुद उसने कहा था: “यह बात मैं सुनता तो था परन्तु कुछ न समझा।” (दानिय्येल 12:8) परमेश्‍वर की इन गूढ़ बातों की आखिरकार समझ पाकर, वह कितना खुश होगा! बेशक वह मसीहा के बारे में एक-एक बात जानना चाहेगा। दानिय्येल उन विश्‍वशक्‍तियों के बारे में जानकर ताज्जुब में पड़ जाएगा जिन्होंने उसके समय से लेकर हमारे ज़माने तक एक-के-बाद-एक दुनिया पर हुकूमत की थी। जब वह जानेगा कि ‘परमप्रधान के वे पवित्र लोग’ कौन थे जिन्होंने “अन्त समय” में सताए जाने पर भी धीरज धरा तो उसे कितनी हैरानी होगी। और यह जानकर तो वह एकदम दंग रह जाएगा कि कैसे परमेश्‍वर के ठहराए हुए मसीहाई राज ने अन्त में इस दुनिया के सारे राज्यों को चूर-चूर कर दिया!—दानिय्येल 2:44; 7:22; 12:4.

नयी दुनिया में दानिय्येल का निज भाग—आपका भी!

23, 24. (क) जिस दुनिया में दानिय्येल पुनरुत्थान पाएगा, वह उस दुनिया से अलग कैसे होगी जिसमें दानिय्येल पहले जीया था? (ख) क्या नयी दुनिया में दानिय्येल का भी कोई भाग होगा, और हम यह कैसे जानते हैं?

23 दानिय्येल उस दुनिया के बारे में जानना चाहेगा जिसमें वह ज़िंदा होगा। यह नयी दुनिया उसके ज़माने की दुनिया से कितनी अलग होगी। जो दुनिया उसने देखी थी उसमें युद्ध होते थे, अत्याचार होता था लेकिन नयी दुनिया में तो इन सबका नामो-निशान तक नहीं होगा। उस नयी दुनिया में ना तो दुःख होगा न बीमारी और ना मौत। (यशायाह 25:8; 33:24) वहाँ खाने-पीने की बहुतायत होगी, सबके रहने के लिए शानदार घर होंगे और सबके पास अपना मनपसंद काम होगा। (भजन 72:16; यशायाह 65:21, 22) सारी दुनिया एक हँसता-खेलता परिवार होगी।

24 उस नयी दुनिया में खुद दानिय्येल का भी एक भाग होगा। क्योंकि स्वर्गदूत ने उससे कहा था: “तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।” (दानिय्येल 12:13, तिरछे टाइप हमारे।) जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद यहाँ “भाग” किया गया है उसी शब्द का इस्तेमाल ज़मीन के एक हिस्से के लिए भी किया जाता है।c दानिय्येल, यहेजकेल की वह भविष्यवाणी जानता होगा जिसमें बताया गया था कि इस्राएल के फिर से बसाए गए देश में सबको अपने लिए भूमि का हिस्सा मिलेगा। (यहेजकेल 47:13–48:35) जब यहेजकेल की भविष्यवाणी नयी दुनिया में पूरी होगी तो इसका क्या मतलब होगा? यही कि नयी दुनिया में परमेश्‍वर के सभी लोगों का अपना एक स्थान होगा। यहाँ तक कि उनमें से हरेक को व्यवस्थित ढंग से, उनके हिस्से की निज भूमि ज़रूर मिलेगी। बेशक दानिय्येल को नयी दुनिया में सिर्फ ज़मीन ही नहीं मिलेगी। दानिय्येल को जो भाग मिलेगा उसमें उसकी वह ज़िम्मेदारी भी शामिल है जिसे वह परमेश्‍वर का उद्देश्‍य पूरा करने में निभाएगा। दानिय्येल से उसका यह इनाम कोई नहीं छीन सकता।

25. (क) आनेवाली नई दुनिया की कौन-सी कुछ बातें आपको अच्छी लगती हैं? (ख) यह क्यों कहा जा सकता है कि इंसानों का निज भाग एक सुंदर बगीचे जैसी दुनिया है?

25 लेकिन नयी दुनिया में आपके भाग के बारे में क्या? आखिर में दानिय्येल से जो कहा गया था वही शब्द आपके लिए भी कहे जा सकते हैं। यहोवा खुद यह चाहता है कि उसकी आज्ञा माननेवाले इंसान नयी दुनिया में अपना निज भाग पाने के लिए ‘खड़े हों’। कल्पना कीजिए कि आप नयी दुनिया में हैं! आप दानिय्येल को अपनी आँखों से देखते हैं साथ ही आप उन वफादार पुरुषों और स्त्रियों से भी आमने-सामने मिलते हैं जिनके बारे में आपने बाइबल में सिर्फ पढ़ा था। उनसे मुलाकात करने की बात से ही वाकई हमारे रोम-रोम में सिहरन दौड़ जाती है। इसके अलावा आप उन अनगिनत पुनरुत्थान पानेवाले लोगों से भी मिलेंगे, जिन्हें यह सीखना होगा कि यहोवा कौन है और उसे कैसे प्रेम किया जा सकता है। आप उन्हें इन सारी हिदायतों की जानकारी देंगे। क्या आप खुद को नयी दुनिया में देख सकते हैं? तो कल्पना कीजिए कि आप इस पूरी ज़मीन को एक खूबसूरत बाग बनाने के काम में हाथ बँटा रहे हैं, जिसकी अलग-अलग चीज़ें अपनी पूरी खूबसूरती में आ जाएँगी और इसकी सुंदरता कभी नहीं मिटेगी। सोचिए कि खुद यहोवा आपको सिखा रहा है। वह आपको उस तरीके से जीना सिखाएगा जैसा उसने इंसानों के लिए शुरू में चाहा था। (यशायाह 11:9; यूहन्‍ना 6:45) बेशक, आनेवाली नई दुनिया में आपका भी एक निज भाग है। आज कुछ लोगों को खूबसूरत बगीचे जैसी दुनिया में रहने की बात कुछ अजीब-सी लगे लेकिन याद कीजिए कि यहोवा ने इंसानों को ऐसी ही खूबसूरत दुनिया में रहने के लिए रचा था। (उत्पत्ति 2:7-9) दरअसल ऐसा ही सुंदर बगीचा इस दुनिया में रहनेवाले करोड़ों इंसानों का असली घर है। उन्हें ऐसे ही घर में रहने के लिए बनाया गया था। वहाँ तक पहुँचना ऐसा होगा मानो हम अपने असली घर में वापस आ गए हों।

26. खुद यहोवा कैसे इस बात को मानता है कि इस ज़माने के अन्त का इंतज़ार करना हमारे लिए आसान नहीं है?

26 यह सब सोचकर क्या हमारा दिल यहोवा के लिए एहसानमंदी से भर नहीं जाता? क्या यह आपकी तमन्‍ना नहीं की आप भी वहाँ मौजूद हों? इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि यहोवा के साक्षी बड़ी बेताबी से इंतज़ार कर रहे हैं कि वह घड़ी कब आएगी जब वे इस दुष्ट ज़माने की हर बुराई का खात्मा होते हुए देखेंगे! इंतज़ार करना आसान तो हरगिज़ नहीं है। खुद यहोवा भी इस बात को मानता है, क्योंकि वह हमें दिलासा देकर हमारी हिम्मत बँधाता है कि अन्त की ‘बाट जोहते रहो,’ “चाहे इस में विलम्ब भी हो।” यहोवा का मतलब था कि हमें शायद लग सकता है कि अंत आने में देर हो रही है, लेकिन इसी आयत में वह आगे हमें यकीन दिलाता है: “उस में देर न होगी।” (हबक्कूक 2:3. नीतिवचन 13:12 से तुलना कीजिए।) जी हाँ, अन्त एकदम सही वक्‍त पर आएगा।

27. परमेश्‍वर के सामने हमेशा-हमेशा तक बने रहने के लिए आपके लिए क्या करना ज़रूरी है?

27 दिन-ब-दिन अन्त पास आता जा रहा है, ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? यहोवा के प्यारे भविष्यवक्‍ता दानिय्येल की तरह अंत तक धीरज धरिए और वफादार बने रहिए। दिल लगाकर परमेश्‍वर के वचन का गहरा अध्ययन कीजिए। यहोवा के सामने गिड़गिड़ाने और सच्चे दिल से प्रार्थना करने में लगे रहिए। अपने प्यारे संगी विश्‍वासी भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होना न छोड़िए। जोश के साथ दूसरों को सच्चाई सिखाते रहिए। हर गुज़रते दिन के साथ इस दुनिया का अंत और ज़्यादा करीब आता जा रहा है, इसलिए संकल्प कीजिए कि चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए आप परमप्रधान के वफादार सेवक बने रहेंगे और उसके वचन के ज़बरदस्त हिमायती साबित होंगे। तो फिर, हर हाल में दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! हमारी यही दुआ है कि पूरे जहान का महाराजाधिराज, प्रभु परमेश्‍वर यहोवा आपको यह वरदान दे कि आप आनंद के साथ हमेशा-हमेशा के लिए उसके सामने बने रहें!

[फुटनोट]

a सा.यु.पू. 617 में जब दानिय्येल को बँधुआ बनाकर बाबुल लाया गया था तब वह किशोर था। और यह दर्शन उसने कुस्रू के राज्य के तीसरे साल यानी सा.यु.पू. 536 में देखा था।—दानिय्येल 10:1.

b द ब्राउन-ड्राइवर-ब्रिग्स हीब्रू एण्ड इंगलिश लेक्सिकन के मुताबिक, जो इब्रानी शब्द “खड़ा” होने के लिए यहाँ इस्तेमाल किया गया है उसका मतलब है “मौत के बाद ज़िंदा होना।”

c यहाँ इस्तेमाल किया गया इब्रानी शब्द, “श्‍वेत पत्थर” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से जुड़ा हुआ है। ये ऐसे छोटे पत्थर थे, जिन्हें चिट्ठियाँ डालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कई बार इस तरह चिट्ठियाँ डालकर ज़मीन बाँटी जाती थी। (गिनती 26:55, 56) ए हैन्डबुक ऑन द बुक ऑफ डैनियल कहती है कि यहाँ इस्तेमाल किए गए शब्द का मतलब है “(परमेश्‍वर ने) एक इंसान के लिए जो भाग अलग रखा है।”

आपने क्या समझा?

• किन बातों ने अन्त तक धीरज धरने में दानिय्येल की मदद की?

• दानिय्येल मौत के नाम से क्यों नहीं डरता था?

• स्वर्गदूत ने जो वायदा किया था कि दानिय्येल ‘अपने निज भाग के लिए खड़ा होगा,’ वह कैसे पूरा होगा?

• दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान देकर खुद आपको कैसे फायदा पहुँचा है?

[पेज 307 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]

[पेज 318 पर तसवीर]

दानिय्येल की तरह, क्या आप भी परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचनों पर ध्यान देते हैं?

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