पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 10-11
भले सामरी की मिसाल
जब एक आदमी ने यीशु से पूछा, “असल में मेरा पड़ोसी कौन है?” तो यीशु ने जवाब में उसे भले सामरी की मिसाल बतायी। (लूक 10:25-29) यीशु जानता था कि आगे चलकर मसीही मंडली में ‘सब किस्म के लोग’ होंगे, सामरी और गैर-यहूदी भी। (यूह 12:32) इस मिसाल से यीशु के चेलों ने सीखा कि उन्हें खुद आगे बढ़कर दूसरों से प्यार करना चाहिए, उन लोगों से भी जो उनकी जाति के नहीं हैं।
खुद से पूछिए:
‘मैं उन भाई-बहनों के बारे में कैसा महसूस करता हूँ, जो दूसरी संस्कृति के हैं?’
‘क्या मैं उन्हीं लोगों के साथ ज़्यादा वक्त बिताता हूँ, जो मेरी संस्कृति या भाषा के हैं?’
‘क्या मैं दूसरी भाषा या संस्कृति के भाई-बहनों से जान-पहचान बढ़ाकर अपने दिल को बड़ा कर सकता हूँ?’ (2कुर 6:13)
मैं किसको . . .
पूछूँगा कि क्या वह मेरे साथ प्रचार करना चाहेगा?
अपने घर खाने पर बुलाऊँगा?
अगले हफ्ते पारिवारिक उपासना के लिए बुलाऊँगा?