मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
7-13 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 10-11
“परिवार से बढ़कर यहोवा से प्यार कीजिए”
इंसाइट-1 पेज 1174
नाजायज़
नियम के खिलाफ चढ़ायी गयी आग और धूप। लैव्यव्यवस्था 10:1 में बताया गया है कि हारून के बेटों, नादाब और अबीहू ने ‘ऐसी आग चढ़ायी जो नियम के खिलाफ थी।’ इस आयत में “नियम के खिलाफ” चढ़ायी गयी आग के लिए इब्रानी शब्द ज़ार इस्तेमाल हुआ है जिसका शाब्दिक मतलब है “अजीब-सी।” नादाब और अबीहू के ऐसा करने पर यहोवा ने उन पर आग बरसाकर उन्हें मार डाला। (लैव 10:2; गि 3:4; 26:61) इस घटना के बाद यहोवा ने हारून को यह आज्ञा दी, “तू और तेरे बेटे कभी-भी दाख-मदिरा या किसी और तरह की शराब पीकर भेंट के तंबू में न आएँ, वरना तुम मार डाले जाओगे। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए तुम पर लागू रहेगा। यह नियम तुम्हें इसलिए दिया जा रहा है ताकि तुम शुद्ध और अशुद्ध चीज़ों के बीच और जो चीज़ें पवित्र हैं और जो पवित्र नहीं हैं, उनके बीच फर्क कर सको और इसराएलियों को वे सारे कायदे-कानून सिखा सको जो यहोवा ने मूसा के ज़रिए बताए हैं।” (लैव 10:8-11) इससे मालूम होता है कि नादाब और अबीहू शराब के नशे में धुत्त थे, जिस वजह से उन्होंने ऐसी आग चढ़ाने की जुर्रत की जो नियम के खिलाफ थी। हो सकता है, उन्होंने जिस समय, जिस जगह या जिस तरह आग चढ़ायी, वह नियम के खिलाफ हो। यह भी हो सकता है कि उन्होंने जो धूप चढ़ाया, वह उस तरह न तैयार किया गया हो जिस तरह निर्गमन 30:34, 35 में बताया गया है। बात चाहे जो भी हो, वे यह सफाई नहीं दे सकते थे कि नशे में होने की वजह से उनसे गलती हो गयी।
परमेश्वर का विश्राम—क्या आप उसमें दाखिल हुए हैं?
16 मूसा के भाई हारून ने अपने दो बेटों के मामले में एक मुश्किल परिस्थिति का सामना किया। ज़रा सोचिए उस वक्त हारून पर क्या बीती होगी, जब उसे पता चला कि परमेश्वर की आज्ञा तोड़कर उसके दो बेटों, नादाब और अबीहू ने धूप चढ़ाई जिसकी वजह से यहोवा ने उन्हें नाश कर दिया। अब हारून का तो उनके साथ मेल-जोल रखना नामुमकिन था। लेकिन यहाँ हालात की कुछ और माँग थी। यहोवा ने हारून और उसके वफादार बेटों से कहा: “तुम लोग [मातम मनाते हुए] अपने सिरों के बाल मत बिखराओ, और न अपने वस्त्रों को फाड़ो, ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ, और सारी मण्डली पर [यहोवा का] क्रोध भड़क उठे।” (लैव्य. 10:1-6) सबक साफ है। हमें परमेश्वर के रास्ते पर न चलनेवाले परिवार के सदस्यों से ज़्यादा यहोवा से प्यार करना चाहिए।
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हमें अपने सारे चालचलन में पवित्र होना चाहिए
18 पवित्र बने रहने के लिए हमें फलाँ मामले में बाइबल में दिए सिद्धांतों की ध्यान से जाँच करनी चाहिए और वही करना चाहिए जो परमेश्वर हमसे कहता है। इसकी एक मिसाल पर गौर कीजिए, और वह है शराब के इस्तेमाल के मामले में। हारून के बेटे नादाब और अबीहू इसलिए मार डाले गए थे, क्योंकि उन्होंने ‘यहोवा के सामने ऐसी आग चढ़ायी जो नियम के खिलाफ थी’ और वह भी तब जब वे शायद शराब के नशे में थे। (लैव्य. 10:1, 2) ध्यान दीजिए कि इसके बाद परमेश्वर ने हारून से क्या कहा। (लैव्यव्यवस्था 10:8-11 पढ़िए।) क्या इसका यह मतलब है कि मसीही सभाओं में जाने से पहले हमें शराब का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? ज़रा इन बातों के बारे में सोचिए: आज हम मूसा के कानून के अधीन नहीं हैं। (रोमि. 10:4) कुछ देशों में, हमारे भाई-बहन सभाओं में जाने से पहले खाना खाते वक्त सही मात्रा में शराब का इस्तेमाल करते हैं। फसह के त्योहार में दाख-मदिरा के चार प्याले इस्तेमाल किए जाते थे। स्मारक मनाते वक्त, यीशु ने अपने प्रेषितों से दाख-मदिरा पीने के लिए कहा था, जो उसके लहू को दर्शाती थी। (मत्ती 26:27) बाइबल हद-से-ज़्यादा शराब पीने और पियक्कड़पन को गलत ठहराती है। (1 कुरिं. 6:10; 1 तीमु. 3:8) और बहुत-से मसीही अपने ज़मीर की वजह से, यहोवा की उपासना करने से पहले शराब को शायद बिलकुल भी हाथ न लगाएँ। लेकिन हर देश के हालात अलग-अलग होते हैं और मसीहियों के लिए जो बात सबसे ज़रूरी है, वह यह है कि ‘जो चीज़ें पवित्र हैं और जो चीज़ें पवित्र नहीं हैं, उनके बीच वे फर्क करें,’ ताकि वे पवित्र चालचलन बनाए रख सकें और यहोवा को खुश कर सकें।
इंसाइट-1 पेज 111 पै 5
जानवर
मूसा के कानून के तहत इसराएलियों को कुछ जानवर खाने से मना किया गया था। इनके बारे में यहोवा ने अपने लोगों से कहा, “ये सभी जानवर तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।” (लैव 11:8) लेकिन यीशु मसीह के फिरौती बलिदान से मूसा का कानून रद्द हो गया। उसके बाद से मसीहियों को कोई भी जानवर खाने की छूट है, जैसे यहोवा ने जलप्रलय के बाद नूह से कहा था।—कुल 2:13-17; उत 9:3, 4.
दिसंबर 14-20
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 12-13
“कोढ़ के बारे में दिए नियम से मिलनेवाली सीख”
ज़माने से पीछे या अपने ज़माने से आगे?
• मरीज़ों को बाकी लोगों से अलग रखा जाए।
करीब 700 साल पहले जब महामारियों का दौर चला, तब जाकर ही डॉक्टरों ने पता लगाया कि छूत की बीमारी से पीड़ित लोगों को अलग रखना चाहिए। मगर सदियों पहले परमेश्वर ने अपने सेवक मूसा के ज़रिए निर्देश दिया था कि कोढ़ के मरीज़ों को अलग रखा जाए। आज भी चिकित्सा क्षेत्र में इस सिद्धांत को माना जाता है।—लैव्यव्यवस्था, अध्याय 13 और 14.
क्या आप जानते थे?
पुराने ज़माने में यहूदी एक तरह के कोढ़ से बहुत डरते थे, जो मध्य-पूर्वी देशों में काफी आम था। इस कोढ़ से वे नसें खराब होती हैं, जिससे दर्द या स्पर्श का एहसास होता है। इतना ही नहीं, इस बीमारी से शरीर के कुछ हिस्से गल जाते हैं। उस वक्त इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। जिन्हें कोढ़ हो जाता, उन्हें लोगों से दूर अलग जगह पर रखा जाता और अगर कोई उनके सामने आ जाता, तो उन्हें लोगों को अपनी बीमारी के बारे में चिताना था।—लैव्यव्यवस्था 13:45, 46.
इंसाइट-2 पेज 238 पै 3
कोढ़
कपड़ों और घर की दीवारों पर। कोढ़ की बीमारी किसी ऊनी या मलमल की पोशाक पर या फिर चमड़े की बनी किसी चीज़ पर भी लग सकती थी। कई बार संक्रमित चीज़ को अच्छी तरह धोकर साफ करने से कोढ़ गायब हो जाता था। फिर भी उसे कुछ दिनों तक अलग रखा जाता था। लेकिन अगर उस चीज़ पर पीले-हरे या लाल रंग का दाग बना रहता, तो यह फैलनेवाला कोढ़ होता और उसे आग में जला दिया जाता। (लैव 13:47-59) लेकिन अगर घर की दीवार पर पीले-हरे या लाल रंग के गड्ढे नज़र आते, तो याजक घर को कुछ दिनों के लिए बंद करने की आज्ञा देता था। कुछ मामलों में याजक कहता था कि दीवार से वे पत्थर निकाल दिए जाएँ जिनमें दाग हैं। ऐसे घर का अंदरूनी हिस्सा अच्छी तरह खुरचा जाता और उसका पलस्तर और गारा निकालकर शहर के बाहर किसी अशुद्ध जगह ले जाकर फेंक दिया जाता। ऐसा करने के बाद भी अगर घर में फिर से दाग निकल आते, तो घर अशुद्ध कहलाता और उसे ढा दिया जाता। यहाँ तक कि उस घर के पत्थर, बल्लियाँ, गारा आदि भी किसी अशुद्ध जगह पर फेंक दिए जाते। लेकिन अगर घर की दीवारों से बीमारी दूर हो गयी हो, तो याजक घर की अशुद्धता दूर करने के लिए कुछ कदम उठाता और ऐलान करता कि वह घर शुद्ध है। (लैव 14:33-57) ऐसा माना जाता है कि कपड़ों और घर पर जो कोढ़ लग जाता था, वह एक तरह की फफूँद थी, लेकिन यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
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लैव्यव्यवस्था किताब की झलकियाँ
12:2, 5—बच्चे को जन्म देने पर स्त्री को “अशुद्ध” क्यों माना जाता था? इंसान के जननांग इसलिए बनाए गए ताकि वे अपनी संतान तक सिद्ध जीवन पहुँचा सकें। लेकिन विरासत में मिले पाप की वजह से, इंसान अपनी संतानों को असिद्ध और पापी जीवन देता है। प्रसव, मासिक-धर्म और वीर्यपात जैसे मामलों में कुछ वक्त के लिए “अशुद्ध” ठहराए जाने की वजह से इस्राएलियों को विरासत में मिले पाप का एहसास दिलाया जाता था। (लैव्यव्यवस्था 15:16-24; भजन 51:5; रोमियों 5:12) शुद्ध करने के नियम से इस्राएलियों को यह समझने में मदद मिली कि इंसानों को एक छुड़ौती बलिदान की ज़रूरत है जो उनकी पापी हालत को ढाँप दे और उन्हें दोबारा सिद्ध जीवन दे। इस तरह कानून ‘मसीह तक ले जाने के लिए उनकी देखरेख करनेवाला बना।’—गलातियों 3:24.
ज़माने से पीछे या अपने ज़माने से आगे?
• खतना आठवें दिन कराया जाए
परमेश्वर ने कानून दिया था कि लड़का पैदा होने पर आठवें दिन उसका खतना किया जाए। (लैव्यव्यवस्था 12:3) खून जमने की प्रक्रिया एक बच्चे के जन्म के एक हफ्ते बाद ही ठीक से काम करती है। इसके पहले खतना करने से बच्चे को नुकसान हो सकता है। इस नियम को मानने से उस ज़माने के लोगों को काफी फायदा हुआ होगा, क्योंकि तब आज की तरह इलाज की नयी-नयी तकनीकें नहीं थीं।
दिसंबर 21-27
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 14-15
“यहोवा चाहता है कि उसके उपासक शुद्ध हों”
इंसाइट-1 पेज 263
नहाना
कानून के मुताबिक अगर कोई इसराएली किसी वजह से अशुद्ध हो जाता, तो उसे ताज़े पानी से नहाकर खुद को शुद्ध करना था, वरना वह उपासना से जुड़े कामों में हिस्सा नहीं ले सकता था। जैसे जब एक व्यक्ति को कोढ़ की बीमारी हो जाती या अगर वह किसी ऐसी चीज़ को छूता जिसे ऐसे व्यक्ति ने छुआ हो जिसका “रिसाव” हुआ है और जो अशुद्ध है, तो वह व्यक्ति भी अशुद्ध हो जाता। एक आदमी तब अशुद्ध हो जाता जब उसका “वीर्य निकल जाए” या एक औरत माहवारी के समय अशुद्ध हो जाती। एक व्यक्ति यौन-संबंध रखने पर भी “अशुद्ध” हो जाता। इन मामलों में एक व्यक्ति को नहाकर खुद को शुद्ध करना था। (लैव 14:8, 9; 15:4-27) उसी तरह अगर एक व्यक्ति किसी लाश को छूता या उस तंबू मे होता, जहाँ लाश पड़ी है, तो वह “अशुद्ध” हो जाता और उसे शुद्ध करने के लिए उस पर पानी छिड़का जाना था। लेकिन अगर कोई खुद को शुद्ध नहीं करवाता, तो ‘उसे मौत की सज़ा दी जाती, क्योंकि उसने यहोवा के पवित्र-स्थान को दूषित किया’ था। (गि 19:20) बाइबल की दूसरी आयतों में जब नहाकर खुद को शुद्ध करने की बात की गयी है, तो उसका मतलब है कि ऐसा करके वह व्यक्ति यहोवा की नज़र में बेदाग हो जाता। (भज 26:6; 73:13; यश 1:16; यहे 16:9) परमेश्वर के वचन की भी पानी से तुलना की गयी है, जिससे एक व्यक्ति खुद को शुद्ध कर सकता है।—इफ 5:26.
इंसाइट-2 पेज 372 पै 2
माहवारी
‘अगर एक औरत का खून तब बहता जब उसकी माहवारी का समय नहीं है और बहुत दिनों तक बहता रहता या माहवारी के दिन बीतने के बाद भी उसका खून बहना जारी रहता,’ तब भी वह अशुद्ध हो जाती। वह जिस बिस्तर पर लेटती या जिस चीज़ पर बैठती, वह बिस्तर या चीज़ अशुद्ध हो जाती। यहाँ तक कि अगर कोई दूसरा उस चीज़ को छूता, तो वह भी अशुद्ध हो जाता। जब उसके शरीर से खून बहना बंद हो जाता, तो उसके सात दिन बाद तक वह अशुद्ध रहती और फिर शुद्ध हो जाती। आठवें दिन उसे याजक को दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे लाकर देने थे। वह एक चिड़िया की पाप-बलि और दूसरी की होम-बलि चढ़ाता और यहोवा के सामने उस औरत के लिए प्रायश्चित करता।—लैव 15:19-30.
इंसाइट-1 पेज 1133
पवित्र-स्थान
2. भेंट का तंबू और उसका आँगन पवित्र-स्थान कहलाता था। आगे चलकर जब मंदिर बनाया गया, तो मंदिर और उसका आँगन पवित्र-स्थान कहलाया जाने लगा। (निर्ग 38:24; 2इत 29:5; प्रेष 21:28) आँगन में बलि चढ़ाने के लिए वेदी और ताँबे का हौद था। ये पवित्र चीज़ें थीं। पवित्र डेरे के आँगन में उन लोगों को आने की मनाही थी जो कानून के मुताबिक अशुद्ध थे। सिर्फ वे लोग ही डेरे में आ सकते थे जो शुद्ध थे। उदाहरण के लिए अगर कोई औरत अशुद्ध हो, तो वह न तो पवित्र स्थान में आ सकती थी और न ही किसी पवित्र चीज़ को छू सकती थी। (लैव 12:2-4) ऐसा मालूम होता है कि अगर एक इसराएली अशुद्ध होने पर खुद को शुद्ध नहीं करवाता, तो वह पवित्र-स्थान को दूषित कर रहा होता। (लैव 15:31) जो अपने कोढ़ से शुद्ध होने के लिए चढ़ावा लाता, उसे सिर्फ भेंट के तंबू के द्वार तक आने की इजाज़त थी। (लैव 14:11) कोई भी अशुद्ध व्यक्ति पवित्र डेरे या मंदिर में शांति-बलि का गोश्त नहीं खा सकता था, वरना उसे मौत की सज़ा दी जाती।—लैव 7:20, 21.
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इंसाइट-1 पेज 665 पै 5
कान
याजकपद सौंपते वक्त यहोवा ने मूसा से कहा कि वह एक मेढ़ा हलाल करके उसका थोड़ा-सा खून लेकर हारून और उसके सभी बेटों के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाए। यह इस बात को दर्शाता कि उन्हें यहोवा की बातों पर कान लगाना था, उन्हें अपने हाथों से यहोवा की सेवा करनी थी और अपने कदमों को यहोवा के मार्गदर्शन के मुताबिक बढ़ाना था। (लैव 8:22-24) उसी तरह जब एक कोढ़ी ठीक हो जाता, तो कानून के मुताबिक याजक दोष-बलि के मेम्ने का थोड़ा-सा खून लेकर और चढ़ावे में से थोड़ा-सा तेल लेकर उस व्यक्ति के दाएँ कान के निचले सिरे पर लगाता था। (लैव 14:14, 17, 25, 28) कुछ ऐसा ही तब किया जाता था जब एक दास अपने मालिक की ज़िंदगी-भर सेवा करना चाहता था। ऐसे में मालिक दास को दरवाज़े या चौखट के पास लाकर उसका कान एक सुए से छेद देता था। दास के कान पर यह बड़ा-सा छेद इस बात की निशानी था कि वह हमेशा अपने मालिक की खुशी से सुनेगा।—निर्ग 21:5, 6.
हमें पवित्र क्यों होना चाहिए
7 जब इसराएल के याजकों को ठहराया गया था, तब एक मेढ़े का खून महायाजक हारून और उसके बेटों के दाहिने कान, दाहिने हाथ के अँगूठे और दाहिने पाँव के अँगूठे पर लगाया गया था। (लैव्यव्यवस्था 8:22-24 पढ़िए।) इसका क्या मतलब था? जिस तरह खून का इस्तेमाल किया गया था, वह इस बात को दर्शाता था कि याजकों को यहोवा की बातों पर कान लगाना था, उन्हें अपने हाथों से यहोवा की सेवा करनी थी और अपने कदमों को यहोवा के मार्गदर्शन के मुताबिक बढ़ाना था। महायाजक यीशु ने इस मामले में अभिषिक्त जनों और दूसरी भेड़ों के आगे सबसे उम्दा मिसाल रखी। उसने हमेशा परमेश्वर की बातों पर कान लगाया, उसकी मरज़ी पूरी की और वह हमेशा उसकी बतायी राह पर चला।—यूह. 4:31-34.
सज 4/06 पेज 12, बक्स
फफूँदी—दोस्त भी और दुश्मन भी!
बाइबल के ज़माने में फफूँदी?
बाइबल, “किसी घर पर,” यानी किसी इमारत में “कोढ़” लगने के बारे में ज़िक्र करती है। (लैव्यव्यवस्था 14:34-48) बाइबल में इसे “फैलनेवाला कोढ़” भी कहा गया है। कुछ लोगों का मानना है कि दरअसल यह एक तरह की फफूँदी ही थी, मगर यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। वह चाहे जो भी था, मगर यह साफ है कि परमेश्वर की कानून-व्यवस्था में घर के मालिकों को हिदायत दी गयी थी कि वे घर के उन सारे पत्थरों को निकाल दें जिन पर ऐसे दाग लगे हों, पूरे घर को अंदर से खुरच दें और जितनी भी चीज़ों पर कोढ़ का दाग होने का शक हो उन्हें शहर के बाहर किसी “अशुद्ध जगह” में फेंक दें। अगर उस घर को कोढ़ दोबारा लगता, तो पूरे घर को अशुद्ध ऐलान किया जाना था और उसे ढहाकर मलबे को फेंक देना था। यहोवा का इस तरह साफ-साफ हिदायतें देना दिखाता है कि वह अपने लोगों से कितना प्यार करता था और उसे उनकी सेहत की कितनी फिक्र थी।
28 दिसंबर–3 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 16-17
“प्रायश्चित के दिन से मिलनेवाली सीख”
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
4 लैव्यव्यवस्था 16:12, 13 पढ़िए। प्रायश्चित के दिन क्या होता था, इसे समझने के लिए ज़रा इस दृश्य की कल्पना कीजिए: महायाजक पवित्र डेरे के अंदर जाता है। इस दिन वह तीन बार परम-पवित्र भाग में जाता है और यह उनमें से पहली बार है। उसके एक हाथ में सुगंधित धूप से भरा बरतन है और दूसरे हाथ में आग उठाने का करछा है, जो सोने से मढ़ा हुआ है और जिसमें जलते हुए कोयले रखे हैं। महायाजक परम-पवित्र भाग में जाने से पहले परदे के पास थोड़ी देर रुकता है, फिर पूरी श्रद्धा के साथ अंदर जाता है और करार के संदूक के सामने खड़ा होता है। लाक्षणिक मायने में वह यहोवा परमेश्वर के सामने खड़ा है। फिर वह बड़े ध्यान से पवित्र धूप, जलते हुए कोयले पर डालता है और इससे पूरा कमरा खुशबू से भर जाता है। बाद में वह बलि किए हुए जानवरों का खून अर्पित करने के लिए दोबारा परम-पवित्र भाग के अंदर जाता है। ध्यान दीजिए कि महायाजक जानवरों का खून अर्पित करने से पहले धूप जलाता है।
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
5 प्रायश्चित के दिन इस्तेमाल होनेवाले धूप से हम क्या सीख सकते हैं? बाइबल से पता चलता है कि यहोवा के वफादार सेवकों की प्रार्थनाएँ सुगंधित धूप जैसी होती हैं। (भज. 141:2; प्रका. 5:8) याद कीजिए कि महायाजक पूरी श्रद्धा के साथ परम-पवित्र भाग में जाता था, क्योंकि वह परमेश्वर के सामने जा रहा था। उसी तरह, जब हम यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो हमें पूरी श्रद्धा के साथ ऐसा करना चाहिए। यहोवा सारे जहान का बनानेवाला है, फिर भी वह हमें अपने करीब आने देता है, ठीक जैसे एक पिता अपने बच्चे को करीब आने देता है। (याकू. 4:8) वह हमें अपना दोस्त मानता है। (भज. 25:14) इस सम्मान के लिए हम उसके बहुत एहसानमंद हैं। हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे जिससे यहोवा का दिल दुखी हो।
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
6 अभी हमने देखा कि बलिदान चढ़ाने से पहले महायाजक को सुगंधित धूप जलाना होता था। ऐसा करके वह इस बात का यकीन रख सकता था कि यहोवा उससे खुश है और उसका बलिदान स्वीकार करेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए गौर कीजिए कि यीशु ने क्या किया। जब वह धरती पर था, तो उसे अपना जीवन बलिदान करने से पहले एक और काम करना था। यह ऐसा काम था जो इंसानों को उद्धार दिलाने से भी ज़्यादा अहमियत रखता था। कौन-सा काम? धरती पर रहते वक्त उसे यहोवा का वफादार रहना था और उसकी हर बात माननी थी, तभी यहोवा उसका बलिदान स्वीकार करता। इस तरह यीशु यह साबित करता कि यहोवा के तरीके से काम करना ही जीने का सबसे बेहतरीन तरीका है। यीशु यह भी साबित करता कि यहोवा को हम पर हुकूमत करने का हक है और उसका तरीका ही सही है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
प्र09 8/15 पेज 6 पै 17
परमेश्वर ने दी धरती पर हमेशा की ज़िंदगी की आशा
आइए ज़रा इस बात पर भी गौर करें कि मूसा के कानून में अजाजेल के बकरे के साथ क्या किया जाता था। हर साल, प्रायश्चित के दिन महायाजक ‘बकरे के सिर पर अपने दोनों हाथ रखता और इसराएलियों के सभी अपराध और पाप कबूल करता और यह सब बकरे के सिर पर डाल देता। फिर वह बकरे को वीराने में भेज देता और वह बकरा लोगों के सारे पाप दूर ले जाता।’ (लैव्य. 16:7-10, 21, 22) जिस तरह अजाजेल का बकरा इसराएलियों के पापों को उठा ले जाता था, उसी तरह यशायाह ने भविष्यवाणी की कि मसीहा भी “बहुतों का पाप,” “बीमारी” और “दर्द” उठाकर उनसे दूर ले जाएगा। इस तरह वह उनके लिए हमेशा की ज़िंदगी का रास्ता खोलेगा।—यशायाह 53:4-6, 12 पढ़िए।
हमें पवित्र क्यों होना चाहिए
10 लैव्यव्यवस्था 17:10 पढ़िए। यहोवा ने इसराएलियों को आज्ञा दी थी कि वे “किसी प्रकार का लोहू” न खाएँ। मसीहियों को भी यही आज्ञा दी गयी है कि वे इंसानों और जानवरों के लहू से दूर रहें। (प्रेषि. 15:28, 29) हम ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते, जिससे परमेश्वर को ठेस पहुँचे और वह हमें मंडली से बेदखल कर दे। हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी आज्ञा मानना चाहते हैं। हमारी जान खतरे में भी क्यों न हो, हम तब भी उन लोगों के दबाव में नहीं आएँगे, जो यहोवा को नहीं जानते और जिनके लिए यहोवा के स्तर कोई मायने नहीं रखते। हम जानते हैं कि अगर हम खून न चढ़वाएँ, तो लोग हम पर हँसेंगे और हमारा मज़ाक उड़ाएँगे, लेकिन हमने ठान लिया है कि हम तब भी परमेश्वर की आज्ञा मानेंगे। (यहू. 17, 18) क्या बात हमें अपने इरादे पर डटे रहने में मदद देगी?—व्यव. 12:23.