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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2022
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  • 7-13 नवंबर
  • 14-20 नवंबर
  • 21-27 नवंबर
  • 28 नवंबर–4 दिसंबर
  • 5-11 दिसंबर
  • 12-18 दिसंबर
  • ढूँढ़े अनमोल रत्न
  • 19-25 दिसंबर
  • 26 दिसंबर–1 जनवरी
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2022
mwbr22 नवंबर पेज 1-9

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

7-13 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 5-6

“उनके साथ जितने हैं उनसे कहीं ज़्यादा हमारे साथ हैं”

सबक पेज 126 पै 1-2

आग की लपटों जैसी यहोवा की सेना

सीरिया का राजा बेन-हदद बार-बार इसराएल पर हमला करता रहा। मगर हर बार भविष्यवक्‍ता एलीशा पहले से इसराएल के राजा को बता देता था कि हमला होनेवाला है और राजा बच जाता था। इसलिए बेन-हदद ने एलीशा को उठाकर ले जाने का फैसला किया। उसे पता चला कि एलीशा दोतान शहर में है। उसने अपनी सेना को वहाँ भेजा ताकि वह उसे पकड़कर ले आए। सीरिया के सैनिक रात को दोतान पहुँचे। अगली सुबह जब एलीशा का सेवक बाहर गया तो उसने देखा कि शहर को एक बड़ी सेना ने घेर लिया है। वह बहुत डर गया और चिल्लाने लगा, ‘एलीशा, अब हम क्या करें?’ एलीशा ने उससे कहा, “उनके साथ जितने हैं उनसे कहीं ज़्यादा हमारे साथ हैं।” उसी वक्‍त यहोवा ने ऐसा किया कि एलीशा के सेवक को शहर के चारों तरफ पहाड़ों पर बहुत सारे घोड़े और युद्ध-रथ दिखाए दिए जो आग जैसे नज़र आ रहे थे।

प्र13 8/15 पेज 30 पै 2

एलीशा ने अग्निमय रथ देखे थे​—क्या आप उन्हें देख सकते हैं?

हालाँकि दोतान में दुश्‍मनों ने एलीशा को घेर लिया था, फिर भी वह डरा नहीं। क्यों? क्योंकि उसका यहोवा पर मज़बूत विश्‍वास था। हमें भी उसी तरह के विश्‍वास की ज़रूरत है। इसलिए आइए हम प्रार्थना में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति माँगें, ताकि हम भी विश्‍वास और पवित्र शक्‍ति के फल के दूसरे पहलू ज़ाहिर कर सकें।​—लूका 11:13; गला. 5:22, 23.

इंसाइट-1 पेज 343 पै 1

अंधापन

पूरी सेना को सचमुच में अंधा नहीं किया गया था। अगर सैनिक सचमुच में अंधे हुए होते तो उन्हें हाथ पकड़कर ले जाना पड़ता। इसलिए हम कह सकते हैं कि सैनिकों को मानसिक तौर पर अंधा किया गया था। इस तरह के अंधेपन के बारे में मनोविज्ञान से जुड़ी एक किताब में भी बताया गया है। उसमें लिखा है, ‘इस तरह के अंधेपन में एक व्यक्‍ति की आँखों पर नहीं बल्कि उसकी सोचने-समझने की शक्‍ति पर असर होता है। वह देखता तो है लेकिन उसे ठीक से समझ में नहीं आता कि वह क्या देख रहा है। उसके दिमाग और उसकी आँखों के बीच मानो संपर्क टूट जाता है।’

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प्र05 8/1 पेज 9 पै 2

दूसरा राजा किताब की झलकियाँ

5:15, 16​—एलीशा ने नामान का तोहफा क्यों कबूल नहीं किया? एलीशा ने तोहफा लेने से इसलिए इनकार किया, क्योंकि वह जानता था कि उसने नामान को परमेश्‍वर की शक्‍ति से चंगा किया था, न कि अपनी शक्‍ति से। परमेश्‍वर के ठहराए पद का इस्तेमाल करके मुनाफा कमाने की बात एलीशा कभी सोच भी नहीं सकता था। आज भी यहोवा के सच्चे उपासक उसकी सेवा से अपने लिए मुनाफा कमाने की कोशिश नहीं करते। वे यीशु की इस सलाह को मानते हैं: “तुमने मुफ्त पाया है, मुफ्त में दो।”​—मत्ती 10:8; NHT.

14-20 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 7-8

“यहोवा ने नामुमकिन को मुमकिन किया”

इंसाइट-1 पेज 716-717

एलीशा

सीरिया का राजा अपनी सेना लेकर आता है और सामरिया को घेर लेता है। इस वजह से पूरे शहर में भयंकर अकाल पड़ता है। वहाँ की हालत इतनी खराब हो जाती है कि एक औरत अपने बेटे को ही खा लेती है। यह सब देखकर अहाब के बेटे, राजा यहोराम को एलीशा पर बहुत गुस्सा आता है और वह उसे मारने की ठान लेता है। जब वह अपने एक अधिकारी के साथ एलीशा के पास जाता है, तो एलीशा बताता है कि लोगों को अगले दिन बहुत सारा खाना मिलेगा। राजा का वह अधिकारी उस पर यकीन नहीं करता। तब एलीशा उससे कहता है, “कल तू खुद अपनी आँखों से यह देखेगा, मगर उसमें से कुछ खा नहीं पाएगा।” और ठीक ऐसा ही होता है। यहोवा कुछ ऐसा करता है कि सीरिया के सैनिकों के बीच खलबली मच जाती है। वे सब अपनी छावनी छोड़कर भाग जाते हैं। उनका सारा सामान और खाने-पीने की चीज़ें ऐसे ही पड़ी रह जाती हैं। जब राजा यहोराम को इस बारे में पता चलता है, तो वह अपने उस अधिकारी को सामरिया के फाटक पर तैनात कर देता है। भूख से तड़प रहे इसराएली दौड़कर सीरिया की छावनी में जाते हैं। जब वे दौड़कर जा रहे होते हैं तब वह अधिकारी उनके पैरों तले कुचल जाता है। इस तरह एलीशा की कही बात पूरी हो जाती है। वह अधिकारी खाने-पीने की चीज़ें देख तो पाया, पर उनमें से खा नहीं पाया।

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इंसाइट-2 पेज 195 पै 7

दीया, दीपक

दाविद के वंश के राजा: दाविद एक अच्छा और बुद्धिमान राजा था, इसलिए यहोवा ने उसे “इसराएल का दीया” कहा। (2शम 21:17) यहोवा ने दाविद के साथ राज का करार किया और उससे कहा, “तेरी राजगद्दी सदा तक कायम रहेगी।” दूसरे शब्दों में कहें तो यहोवा ने वादा किया कि उसका “दीया” कभी नहीं बुझेगा बल्कि हमेशा जलता रहेगा। (2शम 7:11-16) इस तरह दाविद का शाही खानदान, इसराएल के लिए “दीया” ठहरा। यह खानदान दाविद के बेटे सुलैमान से निकला था।​—1रा 11:36; 15:4; 2रा 8:19; 2इत 21:7.

21-27 नवंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 9-10

“उसमें हिम्मत, जोश और पक्का इरादा था”

प्र11 11/15 पेज 3 पै 2

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू को यहोवा की तरफ से ज़िम्मेदारी तब मिली जब इसराएल राष्ट्र की हालत बहुत खराब थी। पूरे राष्ट्र पर ईज़ेबेल की करतूतों का बुरा असर देखा जा सकता था। वह पिछले राजा अहाब की विधवा और उस वक्‍त के राजा योराम की माँ थी। वह लोगों को यहोवा की उपासना करने के बजाय, बाल देवता की उपासना करने का बढ़ावा देती थी। उसने परमेश्‍वर के कई भविष्यवक्‍ताओं को मौत के घाट उतार दिया था और अपने “छिनालपन और टोना” से सारी प्रजा को भ्रष्ट कर डाला था। (2 राजा 9:22; 1 राजा 18:4, 13) यहोवा ने ऐलान किया कि वह अहाब के पूरे घराने का नाश कर देगा, जिसमें योराम और ईज़ेबेल भी शामिल थे। इस काम की ज़िम्मेदारी उसने येहू के कंधे पर डाली।

प्र11 11/15 पेज 4 पै 2-3

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू जब रास्ते में ही था तो राजा ने उसके पास दो दूत भेजे, मगर उसने दोनों ही दूत के हाथ कुछ जवाब नहीं भिजवाया। यह देखकर राजा योराम और यहूदा का राजा अहज्याह, जिसने उस वक्‍त योराम से संधि कर ली थी, अपने-अपने रथों पर सवार होकर येहू से मिलने के लिए आए। राजा योराम ने पूछा: “हे येहू क्या कुशल है?” येहू ने क्रोध-भरे स्वर में कहा, “जब तक तेरी माता ईज़ेबेल छिनालपन और टोना करती रहे, तब तक कुशल कहां?” इस जवाब से योराम डर गया और भागने के लिए मुड़ा। लेकिन येहू ने बिना एक पल गँवाए तीर चलाकर योराम के दिल को आर-पार छेद दिया और राजा वहीं रथ में ढेर हो गया। इस बीच अहज्याह भाग निकलने में कामयाब हो गया, मगर येहू ने उसका पीछा करके उसे भी मौत के घाट उतार दिया।​—2 राजा 9:22-24, 27.

अब बारी दुष्ट रानी ईज़ेबेल की थी। येहू ने उसे “स्रापित स्त्री” कहा, जो सही था। जब येहू यिज्रैल में पहुँचा, तब उसने ईज़ेबेल को महल की खिड़की से झाँकते देखा। येहू ने तुरंत साफ और सीधे शब्दों में दरबार के अधिकारियों को हुक्म दिया कि वे ईज़ेबेल को खिड़की से नीचे फेंक दें। फिर उसने उस औरत को अपने घोड़ों से रौंद दिया, जिसने पूरे इसराएल को भ्रष्ट कर दिया था। इसके बाद येहू ने दुष्ट अहाब के घराने के दूसरे दर्जनों सदस्यों का खात्मा कर दिया।​—2 राजा 9:30-34; 10:1-14.

प्र11 11/15 पेज 5 पै 4-5

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

बाइबल उसे एक बहादुर व्यक्‍ति कहती है जिसने इसराएल को ईज़ेबेल और उसके परिवार के अत्याचारी शासन से आज़ाद करने के लिए खून की नदियाँ बहायीं। इसराएल के किसी अगुवे को अगर इस मकसद में कामयाब होना था तो उसमें साहस, पक्का इरादा और जोश का होना निहायत ज़रूरी था। बाइबल का एक शब्दकोश बताता है कि “यह काम बहुत मुश्‍किल था और इसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। अगर थोड़ी भी नरमी बरती जाती, तो इसराएल से बाल की उपासना को उखाड़ पाना नामुमकिन होता।”

आज भी मसीहियों को कुछ ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ता है, जिसमें उन्हें येहू के जैसे कुछ गुण दिखाने की ज़रूरत पड़ती है। मसलन, अगर हम पर कोई ऐसा काम करने का दबाव आता है जिसे यहोवा ने मना किया है, तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए? हमें दबाव का विरोध करने के लिए फौरन हिम्मत और जोश के साथ कदम उठाना चाहिए। जब भक्‍ति दिखाने की बात आती है, तो हम यहोवा के अलावा किसी और की उपासना नहीं करते और उसके लिए जलन रखते हैं।

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र11 11/15 पेज 5 पै 7-8

येहू सच्ची उपासना का ज़बरदस्त हिमायती

येहू को शायद लगा होगा कि अगर उसे यहूदा राज्य से अपने इसराएल राज्य को अलग रखना है, तो उसे धर्म के मामले में भी दोनों राज्यों को अलग-अलग रखना होगा। इसलिए वह अपने से पहले के इसराएल के राजाओं की लीक पर चला और बछड़े की उपासना को बढ़ावा देकर उसने दोनों राज्यों को अलग-अलग रखने की कोशिश की। लेकिन उसके इस कदम से ज़ाहिर होता कि उसे यहोवा पर भरोसा नहीं है, जिसने उसे राजा बनाया था।

यहोवा ने येहू की तारीफ इसलिए की क्योंकि ‘उस ने वह किया, जो परमेश्‍वर की दृष्टि में ठीक था।’ फिर भी “येहू ने इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी न की।” (2 राजा 10:30, 31) येहू ने पहले जो भी किया था, उसे याद करते हुए जब आप उसके इस काम को देखेंगे तो शायद आपको हैरानी हो और दुख भी पहुँचे, लेकिन इससे हमें एक सबक मिलता है। हमें यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को मामूली नहीं समझना चाहिए। हमें हर दिन परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने और उस पर मनन करने, साथ ही उससे दिल खोलकर प्रार्थना करने के ज़रिए उसके लिए अपनी वफादारी बढ़ाते जाना होगा। इसलिए आइए हम यहोवा की व्यवस्था पर पूरे दिल से चलने का ध्यान रखें।​—1 कुरिं. 10:12.

28 नवंबर–4 दिसंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 11-12

“बड़ा बनने की चाहत में एक दुष्ट औरत को सज़ा मिली”

सबक पेज 128 पै 1-2

यहोयादा की हिम्मत

इज़ेबेल की एक बेटी थी जिसका नाम अतल्याह था। वह बिलकुल अपनी माँ की तरह बहुत बुरी थी। अतल्याह की शादी यहूदा के राजा से हुई थी। जब उसके पति की मौत हो गयी तो उसका बेटा राज करने लगा। लेकिन जब बेटा मर गया तो वह खुद यहूदा की रानी बन गयी। उसने ऐसे हर आदमी और लड़के को मरवा डाला जो उसकी जगह राजा बन सकता था। यहाँ तक कि उसने अपने पोतों को भी मरवा डाला। इस तरह उसने पूरे शाही खानदान को मिटाने की कोशिश की। सब लोग उससे डरते थे।

महायाजक यहोयादा और उसकी पत्नी यहोशेबा जानते थे कि अतल्याह जो कर रही है वह बहुत गलत है। उन्होंने अपनी जान खतरे में डालकर अतल्याह के एक पोते को बचा लिया। वह दूध-पीता बच्चा था और उसका नाम यहोआश था। उन्होंने उसे मंदिर में छिपा दिया और वहीं उसे पाला-पोसा।

सबक पेज 128 पै 3-4

यहोयादा की हिम्मत

जब यहोआश सात साल का हुआ तो यहोयादा ने सभी अधिकारियों और लेवियों को इकट्ठा किया। उसने उनसे कहा, ‘मंदिर के दरवाज़ों पर पहरा देना और किसी को भी अंदर आने मत देना।’ फिर उसने यहोआश को यहूदा का राजा बनाया और उसके सिर पर ताज रखा। यहूदा के लोग ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, ‘राजा की जय हो!’

यह शोर सुनकर रानी अतल्याह भागकर मंदिर गयी। जब उसने नए राजा को देखा तो वह चिल्लाने लगी, “यह साज़िश है! साज़िश!” तब अधिकारी उस बुरी रानी को पकड़कर मंदिर के बाहर ले गए और उसे मार डाला। लेकिन उसने देश में जो बुराई फैला दी थी उसका क्या हुआ?

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इंसाइट-1 पेज 1265-1266

यहोआश

जब यहोआश बच्चा था तब उसका कत्ल होनेवाला ही था। इससे दाविद का वंश वहीं खत्म हो जाता। लेकिन यहोवा ने ऐसा नहीं होने दिया। उसने नन्हे यहोआश की जान बचा ली। फिर यहोआश ने बड़े होकर शादी की और उसके बच्चे हुए। इस तरह यहोवा ने दाविद के वंश को मिटने से बचा लिया जिससे मसीहा आनेवाला था।​—2रा 12:1-3; 2इत 24:1-3; 25:1.

5-11 दिसंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 13-15

“तन-मन से सेवा करने पर मिलती हैं ढेरों आशीषें”

प्र10 4/15 पेज 26-27 पै 11

क्या आप मसीह के पीछे पूरी तरह चल रहे हैं?

11 परमेश्‍वर की सेवा जोश के साथ करना कितना ज़रूरी है, यह समझने के लिए इस वाकये पर ध्यान दीजिए जो इसराएल के राजा योआश के जीवन में हुआ था। योआश के दिनों में जब इसराएल पर अराम देश का खतरा मंडराने लगा तो उसे काफी चिंता सताने लगी। वह रोता हुआ भविष्यवक्‍ता एलीशा के पास आया। तब एलीशा ने योआश से कहा कि वह खिड़की से अराम देश की तरफ एक तीर मारे। यह इस बात की निशानी था कि यहोवा, इसराएल को अराम देश पर जीत दिलाएगा। इससे योआश का हौसला बुलंद होना चाहिए था। इसके बाद, एलीशा ने योआश से कहा कि वह तीर ज़मीन पर मारे। मगर उसने ऐसा नहीं किया। वह बस तीन बार तीर मारकर रुक गया। यह देखकर एलीशा आग-बबूला हो उठा। अगर योआश पाँच-छः बार तीर मारता तो यह दिखाता कि वह ‘अराम को यहां तक मारता कि उसका अन्त कर डालता।’ लेकिन क्योंकि योआश ने सिर्फ तीन बार ज़मीन पर तीर मारे थे इसलिए उसे अराम देश पर सिर्फ तीन बार ही जीत मिलती और वह भी आधी-अधूरी। योआश ने अपने काम में कोई जोश नहीं दिखाया इसलिए उसे पूरी कामयाबी नहीं मिली। (2 राजा 13:14-19) इस वाकए से हम क्या सीख सकते हैं? यहोवा हमें तभी ढेरों आशीषें देगा जब हम उसकी सेवा तन-मन से और पूरे जोश के साथ करेंगे।

प्र13 11/1 पेज 11 पै 5-6, अँग्रेज़ी

‘परमेश्‍वर उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं’

यहोवा किन लोगों को इनाम देता है? पौलुस ने कहा, उन लोगों को “जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।” यहाँ पौलुस ने जिस यूनानी शब्द का इस्तेमाल किया उसका मतलब है, जी-जान से, पूरे तन-मन से परमेश्‍वर की उपासना करना। जी हाँ, यहोवा उन लोगों को इनाम देता है जिन्हें उस पर पक्का विश्‍वास है। और इस विश्‍वास की वजह से वे उसे दिल से प्यार करते हैं और जोश से उसकी उपासना करते हैं।​—मत्ती 22:37.

यहोवा अपने वफादार सेवकों को किस तरह इनाम देता है? उसने वादा किया है कि जब यह धरती फिरदौस बन जाएगी, तो वह उन्हें हमेशा की ज़िंदगी देगा। (प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) इस वादे से पता चलता है कि यहोवा कितना दरियादिल है और हमसे कितना प्यार करता है। लेकिन वह आज भी उन लोगों को ढेरों आशीषें देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं। जब वे बाइबल की शिक्षाएँ मानते हैं और पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन पर चलते हैं, तो वे एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जी पाते हैं।​—भजन 144:15; मत्ती 5:3.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

प्र05 8/1 पेज 11 पै 3

दूसरा राजा किताब की झलकियाँ

13:20, 21​—क्या यह चमत्कार दिखाता है कि मरे हुओं के अवशेषों की पूजा करना सही है? नहीं। बाइबल में यह नहीं लिखा है कि एलीशा की हड्डियों को कभी पूजा गया था। यह चमत्कार परमेश्‍वर की शक्‍ति से मुमकिन हुआ था, ठीक जैसे एलीशा ने जीते-जी सारे चमत्कार परमेश्‍वर की शक्‍ति से किए थे।

12-18 दिसंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 16-17

“यहोवा के सब्र की एक सीमा है”

इंसाइट-2 पेज 908 पै 5

शलमन-एसेर

इसराएल पर दबदबा: जब होशेआ इसराएल का राजा था (क.ई.पू. 758-740), तब अश्‍शूर के राजा शलमन-एसेर पंचम ने सामरिया से युद्ध किया। नतीजा, होशेआ उसके अधीन हो गया और उसे सालाना कर देने लगा। (2रा 17:1-3) लेकिन कुछ समय बाद होशेआ ने मिस्र के राजा सो के साथ मिलकर साज़िश रची और अश्‍शूर के राजा को कर देना बंद कर दिया। इस वजह से शलमन-एसेर ने होशेआ को कैद कर लिया और सामरिया की तीन साल तक घेराबंदी की। तीन साल बाद सामरिया पर कब्ज़ा कर लिया गया और इसराएलियों को बंदी बनाकर ले जाया गया।​—2रा 17:4-6; 18:9-12. हो 7:11 और यहे 23:4-10 से तुलना करें।

इंसाइट-1 पेज 414-415

बंदी बनाए गए

आखिरकार इसराएल और यहूदा, दोनों राज्य के लोगों को बंदी बनाया गया। दोनों राज्यों के साथ जो हुआ उसके पीछे एक ही वजह थी। वे यहोवा की उपासना करना छोड़कर झूठे देवी-देवताओं को पूजने लगे थे। (व्य 28:15, 62-68; 2रा 17:7-18; 21:10-15) यहोवा अपने भविष्यवक्‍ता भेजकर उन्हें बार-बार चेतावनी देता रहा, लेकिन उन्होंने एक न सुनी। (2रा 17:13) इसराएल के किसी भी राजा ने झूठी उपासना को पूरी तरह नहीं मिटाया, जिसकी शुरूआत उसके पहले राजा यारोबाम ने की थी। और अगर यहूदा की बात करें, तो उसने भी यहोवा से मिलनेवाली चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया और इसराएल को बँधुआई में जाता देखकर भी कोई सबक नहीं सीखा।​—यिर्म 3:6-10.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

इंसाइट-2 पेज 847

सामरी लोग

बाइबल में शब्द “सामरी लोगों” का ज़िक्र सबसे पहले 2 राजा 17:29 में किया गया है। इस आयत में ई.पू. 740 के बाद की घटनाओं के बारे में बताया गया है, जब अश्‍शूर ने सामरिया पर कब्ज़ा कर लिया था। हालाँकि अश्‍शूर ने वहाँ कई परदेसियों को बसाया, मगर शुरू-शुरू में ‘सामरी लोग’ सिर्फ उन इसराएलियों को कहा जाता था जो दस गोत्रोंवाले राज्य में रहते थे। बाद में सामरिया में रहनेवाले सभी लोगों को “सामरी” कहा जाने लगा, फिर चाहे वे इसराएली हों या परदेसी। इनमें उन इसराएलियों के वंशज भी थे जिन्होंने परदेसियों से शादी की थी। इस तरह यह शब्द एक जाति या राष्ट्र के लोगों के लिए इस्तेमाल होने लगा। लेकिन आगे चलकर इसका मतलब बदल गया। यीशु के दिनों में “सामरी” उस धार्मिक गुट को कहा जाने लगा जिसके लोग आम तौर पर सामरिया में रहते थे। इस गुट के लोगों की कुछ शिक्षाएँ यहूदी धर्म की शिक्षाओं से बिलकुल अलग थीं।​—यूह 4:9.

19-25 दिसंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 18-19

“हमारी हिम्मत तोड़ने के लिए विरोधियों की चालें”

प्र05 8/1 पेज 11 पै 5

दूसरा राजा किताब की झलकियाँ

18:19-21, 25​—क्या हिजकिय्याह ने मिस्र के साथ संधि की थी? नहीं। रबशाके का लगाया इलज़ाम सरासर झूठ था, ठीक जैसे उसका यह दावा भी झूठ था कि वह ‘यहोवा के कहने’ पर आया था। वफादार राजा हिजकिय्याह ने सिर्फ यहोवा पर भरोसा रखा था।

प्र10 7/15 पेज 13 पै 3

“मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा”

रबशाके ने यहूदियों के दिल में शक पैदा करने के लिए यह दलील दी: “क्या यह [यहोवा] वही नहीं है जिसके ऊंचे स्थानों और वेदियों को हिजकिय्याह ने दूर [किया] . . . यहोवा ने मुझ से कहा है, कि उस देश पर चढ़ाई करके उसे उजाड़ दे।” (2 राजा 18:22, 25) रबशाके की ये छली बातें कि यहोवा अपने लोगों के लिए नहीं लड़ेगा क्योंकि वह उनसे नाराज़ है, यह सरासर झूठी थीं। यहोवा हिज़किय्याह और यहूदियों से खुश था, जिन्होंने सच्ची उपासना फिर से शुरू की थी।​—2 राजा 18:3-7.

प्र13 11/15 पेज 19 पै 14

सात चरवाहे, आठ प्रधान​—आज हमारे लिए क्या मायने रखते हैं?

14 अश्‍शूर के राजा ने यरूशलेम के दक्षिण-पश्‍चिमी इलाके के लाकीश शहर में डेरा डाला। वहाँ से उसने तीन राजदूतों को यरूशलेम भेजा ताकि वे जाकर लोगों से कहें कि वे हार मान लें। उन तीनों में से सबसे खास राजदूत, रबशाके ने कई तरह के पैंतरे अपनाए। उसने यरूशलेम के लोगों से उनकी अपनी भाषा, इब्रानी में बात की। सबसे पहले तो उसने लोगों को मनाने की कोशिश की कि वे हिज़किय्याह की बात न सुनें, बल्कि अश्‍शूरियों की बात मानें। फिर उसने उन्हें एक ऐसे देश में ले जाने का झूठा वादा किया, जहाँ वे आराम की ज़िंदगी बिता सकेंगे। (2 राजा 18:31, 32 पढ़िए।) रबशाके ने उनसे यह भी कहा कि ठीक जैसे दूसरे राष्ट्रों के ईश्‍वर अपने उपासकों को नहीं बचा पाए थे, उसी तरह यहोवा भी यहूदियों को अश्‍शूरियों के हाथों से नहीं बचा पाएगा। लेकिन लोगों ने बुद्धिमानी से काम लिया और इन राजदूतों की झूठी बातों और झूठे इलज़ामों पर कोई ध्यान नहीं दिया। आज हमारे दिनों में भी, यहोवा के उपासक इसी तरह बुद्धिमानी से पेश आते हैं।​—2 राजा 18:35, 36 पढ़िए।

इयरबुक 74 पेज 177 पै 1

भाग 2​—जर्मनी

नात्ज़ी जर्मनी के अधिकारी (एस.एस. गार्ड) साक्षियों से एक ऐसे कागज़ पर दस्तखत करवाने की कोशिश करते थे, जिसमें लिखा होता था कि वे अब से यहोवा के साक्षी नहीं हैं। इसके लिए वे बहुत ही घिनौनी चालें चलते थे। जैसे, वे कहते थे कि अगर वे उस कागज़ पर दस्तखत करेंगे, तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा। लेकिन गौर करनेवाली बात यह है कि अगर कोई उस कागज़ पर दस्तखत कर देता था, तो अधिकारी उसके साथ पहले से भी ज़्यादा बुरा सलूक करते थे। भाई कार्ल कर्श्‌ट ने भी कहा, “जितना ज़्यादा यहोवा के साक्षियों पर ज़ुल्म किया गया उतना और किसी पर नहीं। अधिकारियों को लगता था कि ऐसा करने से साक्षी दस्तखत कर देंगे। इसलिए वे बार-बार दस्तखत करने के लिए हम पर दबाव डालते थे। हालाँकि कुछ लोगों ने दस्तखत किए, पर कई बार देखा गया कि छूटने से पहले उन्हें एक साल या उससे भी ज़्यादा समय तक इंतज़ार करना पड़ता था। इस दौरान अधिकारी उन्हें कपटी या कायर बताकर सबके सामने उनकी बहुत बेइज़्ज़ती करते थे। और अकसर अधिकारी उन्हें छोड़ने से पहले उन्हें बाकी सभी भाइयों के सामने से गुज़रने के लिए कहते थे। इस तरह वे उनकी और भी ज़्यादा बेइज़्ज़ती करते थे।”

ढूँढ़े अनमोल रत्न

इंसाइट-1 पेज 155 पै 4

पुरातत्व खोज

बाइबल में लिखा है कि अश्‍शूर के राजा सनहेरीब को उसके दो बेटों अद्र-मेलेक और शरेसेर ने मार डाला और फिर उसका एक और बेटा एसर-हद्दोन उसकी जगह पर राजा बन गया। (2रा 19:36, 37) मगर बैबिलोन की खुदाई से मिले एक पत्थर पर लिखा है कि सनहेरीब को उसके सिर्फ एक बेटे ने मार डाला था। और यही बात ईसा पूर्व तीसरी सदी के एक बैबिलोन के पुजारी बेरोसस ने और ईसा पूर्व छठी सदी के बैबिलोन के राजा नेबोनाइडस ने भी कही। मगर हाल ही में हुई खुदाई से एक और पत्थर मिला, जिसके मुताबिक सनहेरीब के बेटे राजा एसर-हद्दोन ने साफ-साफ कहा कि उसके भाइयों ने अपने पिता से बगावत की और उसे मार डाला और फिर वे वहाँ से भाग गए। इसी बारे में एक इतिहासकार ने कहा, “बैबिलोन की खुदाई से जो पहले पत्थर मिला था, उसमें जो लिखा था और नेबोनाइड और बेरोसस ने जो कहा, वह गलत है। बाइबल में जो बताया गया है, वही सही है। अच्छा हुआ कि खुदाई से एसर-हद्दोन का पत्थर मिल गया। उससे यह साबित हो गया कि बाइबल में छोटी-छोटी बातों के बारे में जो जानकारी दी गयी है वह भी सच है और बैबिलोन की खुदाई से जो जानकारी मिली, बाइबल उससे भी ज़्यादा भरोसेमंद है। यह बहुत अहम बात है, क्योंकि बाइबल में लिखी घटनाएँ जिस समय घटीं, उस समय की अगर हमें कोई और जानकारी मिलती है तो हमें उस पर यूँ ही यकीन नहीं कर लेना चाहिए।”

26 दिसंबर–1 जनवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 राजा 20-21

“प्रार्थना की वजह से यहोवा ने कदम उठाया”

यशायाह-1 पेज 394 पै 23

एक राजा को उसके विश्‍वास का प्रतिफल मिला

23 जब सन्हेरीब पहली बार यहूदा के खिलाफ चढ़ाई करता है, उसी वक्‍त के आसपास हिजकिय्याह बहुत ही गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है। यशायाह उससे कहता है कि वह मरनेवाला है। (यशायाह 38:1) यह सुनकर राजा पर कहर टूट पड़ता है। उसकी उम्र 39 साल है और उसे सिर्फ अपने ही भले की चिंता नहीं है, मगर वह अपनी प्रजा के भविष्य के बारे में भी चिंतित है। यरूशलेम और यहूदा के सिर पर अश्‍शूरियों की तलवार लटक रही है। अगर हिजकिय्याह की मौत हो गयी तो लड़ाई में अगुवाई कौन करेगा? और उस वक्‍त, हिजकिय्याह का कोई बेटा भी न था जो उसके बाद राजगद्दी को सँभाल सके। इसलिए वह सच्चे दिल से प्रार्थना करते हुए यहोवा से दया की भीख माँगता है।​—यशायाह 38:2, 3.

प्र17.03 पेज 21 पै 16

पूरे दिल से यहोवा की सेवा कीजिए!

16 एक वक्‍त ऐसा आया कि हिजकियाह बहुत बीमार हो गया, वह मरने पर था। इस मुश्‍किल हालात में उसने यहोवा से बिनती की कि वह वफादारी से की गयी उसकी सेवा याद करे और उसकी मदद करे। (2 राजा 20:1-3 पढ़िए।) यहोवा ने हिजकियाह की बिनती सुनी और उसे ठीक कर दिया। माना कि आज हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि परमेश्‍वर कोई चमत्कार करके हमारी बीमारी ठीक कर दे या हमारी ज़िंदगी बढ़ा दे। मगर हिजकियाह की तरह हम यह भरोसा ज़रूर रख सकते हैं कि यहोवा हमारी मदद करेगा। हम उससे कह सकते हैं, “हे यहोवा, मैं तुझसे बिनती करता हूँ, याद कर कि मैं कैसे तेरा विश्‍वासयोग्य बना रहा और पूरे दिल से तेरे सामने सही राह पर चलता रहा।” क्या आपको यकीन है कि यहोवा हमेशा आपका खयाल रखेगा, बीमारी के वक्‍त भी?​—भज. 41:3.

प्र03 10/1 पेज 4 पै 1

परमेश्‍वर की तरफ से कार्यवाही​—हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?

सामान्य युग पूर्व आठवीं सदी में, यहूदा के राजा हिजकिय्याह को पता चला कि उसे एक जानलेवा बीमारी है। उस वक्‍त वह 39 बरस का था। खबर सुनकर वह पूरी तरह टूट गया और उसने परमेश्‍वर से गिड़गिड़ाकर मिन्‍नत की कि वह उसे चंगा कर दे। परमेश्‍वर ने अपने भविष्यवक्‍ता के ज़रिए उसे यह जवाब दिया: “मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आंसू देखे हैं; सुन, मैं तेरी आयु पन्द्रह वर्ष और बढ़ा दूंगा।”​—यशायाह 38:1-5.

ढूँढ़े अनमोल रत्न

इंसाइट-2 पेज 240 पै 1

साहुल

साहुल का इस्तेमाल एक इमारत बनाने के लिए या यह देखने के लिए किया जाता है कि कोई इमारत टिक पाएगी या नहीं। यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि ‘वह यरूशलेम को उसी नापने की डोरी से नापेगा जिससे उसने सामरिया को नापा था और उस पर वही साहुल इस्तेमाल करेगा जो उसने अहाब के घराने पर इस्तेमाल किया था।’ यहोवा ने सामरिया को पहले ही नापा था और पाया था कि राजा अहाब का घराना नैतिक तौर पर बहुत गिर गया है। इसलिए उसने सामरिया और राजा अहाब के पूरे घराने का नाश कर दिया था। उसी तरह से अब यहोवा यरूशलेम और उसके राजाओं का न्याय करने जा रहा था और उनके दुष्ट कामों का परदाफाश करनेवाला था। इस वजह से वह शहर का नाश करनेवाला था। (2रा 21:10-13; 10:11) यह कदम उठाने से पहले यहोवा ने यशायाह से कहलवाया था, “मैं न्याय को नापने की डोरी और नेकी को साहुल बनाऊँगा।” यहोवा के न्याय और नेकी के स्तरों से यह साबित हो जाता कि कौन वाकई उसके सेवक हैं और कौन नहीं। इसका नतीजा यह होता कि यरूशलेम के लोग या तो ज़िंदा बचते या उन्हें नाश कर दिया जाता।​—यश 28:14-19.

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