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  • “अंत के समय में” उत्तर का राजा
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | मई
    • अध्ययन लेख 19

      “अंत के समय में” उत्तर का राजा

      ‘अंत के समय में दक्षिण का राजा उत्तर के राजा से भिड़ेगा।’—दानि. 11:40.

      गीत 150 अपने बचाव के लिए यहोवा की खोज करें

      लेख की एक झलकa

      1. बाइबल की भविष्यवाणियों से हम क्या जान सकते हैं?

      बाइबल से हम जान सकते हैं कि यहोवा के लोगों के साथ बहुत जल्द क्या होनेवाला है। इसकी भविष्यवाणियों से पता चलता है कि बहुत जल्द हम कौन-सी बड़ी-बड़ी घटनाएँ देखनेवाले हैं। इनमें से एक भविष्यवाणी से हम जान सकते हैं कि दुनिया की कुछ ताकतवर सरकारें जल्द ही क्या करेंगी। यह भविष्यवाणी दानियेल के अध्याय 11 में लिखी हुई है। इसमें दो राजाओं के बारे में बताया गया है जो एक-दूसरे से लड़ते हैं। एक को उत्तर का राजा कहा गया है और दूसरे को दक्षिण का राजा। इस भविष्यवाणी की ज़्यादातर बातें पूरी हो चुकी हैं, इसलिए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि बाकी बातें भी ज़रूर पूरी होंगी।

      2. उत्पत्ति 3:15 और प्रकाशितवाक्य 11:7 और 12:17 में बतायी किन बातों को ध्यान में रखकर हमें दानियेल की भविष्यवाणी का अध्ययन करना चाहिए?

      2 दानियेल के अध्याय 11 में दी गयी भविष्यवाणी को सही-सही समझने के लिए हमें एक बात याद रखनी होगी। वह यह कि इसमें बताया गया उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा सिर्फ उन शासकों और सरकारों को दर्शाते हैं जिन्होंने उस देश पर राज किया जहाँ यहोवा के ज़्यादातर लोग रहते थे या उन पर ज़ुल्म किया था। दुनिया की जनसंख्या की तुलना में यहोवा के लोगों की गिनती तो हमेशा से कम रही है, फिर क्यों दुनिया की सरकारों ने उन पर ज़ुल्म किए हैं? इसकी वजह यह है कि शैतान और उसकी दुनिया यहोवा के लोगों का नामो-निशान मिटा देना चाहते हैं। (उत्पत्ति 3:15 और प्रकाशितवाक्य 11:7; 12:17 पढ़िए।) दानियेल की उस भविष्यवाणी को सही-सही समझने के लिए हमें एक और बात का ध्यान रखना है। वह यह कि इस बारे में बाइबल की दूसरी भविष्यवाणियों में क्या बताया गया है। अगर हम दूसरी भविष्यवाणियों पर भी गौर करेंगे, तो ही हम दानियेल की इस भविष्यवाणी को ठीक-ठीक समझ पाएँगे।

      3. (क) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे? (ख) अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

      3 ऊपर बतायी बातों को ध्यान में रखकर हम दानियेल 11:25-39 पर चर्चा करेंगे। हम देखेंगे कि 1870 से लेकर 1991 तक उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने किन हुकूमतों को दर्शाया। हम यह भी देखेंगे कि इस भविष्यवाणी की कुछ आयतों का हम पहले जो मतलब समझते थे वह क्यों सही नहीं है और उनका सही मतलब क्या है। अगले लेख में हम दानियेल 11:40–12:1 पर चर्चा करेंगे और उन आयतों का सही मतलब जानेंगे। हम देखेंगे कि उन आयतों में 1991 से लेकर हर-मगिदोन तक के समय के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी है। इन दो लेखों की तैयारी करते वक्‍त इस लेख के साथ दिया चार्ट भी देखिए ताकि आप इस भविष्यवाणी को समझ सकें। चार्ट का शीर्षक है, “उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार।” मगर हम यह कैसे जान सकते हैं कि भविष्यवाणी में बताए गए दो राजा किन्हें दर्शाते हैं। आइए सबसे पहले इसी बात पर गौर करें।

      उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा को हम कैसे पहचान सकते हैं?

      4. उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने जिन हुकूमतों को दर्शाया, उनमें कौन-सी तीन बातें मिलती-जुलती थीं?

      4 शुरू में “उत्तर के राजा” का मतलब वे हुकूमतें थीं जो इसराएल देश के उत्तर में राज करती थीं। “दक्षिण के राजा” का मतलब वे हुकूमतें थीं जो इसराएल देश के दक्षिण में राज करती थीं। ऐसा हम क्यों कहते हैं? दानियेल से एक स्वर्गदूत ने कहा था, ‘मैं तुझे यह समझाने आया हूँ कि तेरे लोगों पर  यानी इसराएलियों पर क्या बीतेगी।’ (दानि. 10:14) ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त तक पैदाइशी इसराएली ही परमेश्‍वर के लोग थे। लेकिन उसके बाद से यहोवा ने ज़ाहिर किया कि यीशु के वफादार चेले उसके लोग हैं। इसलिए दानियेल अध्याय 11 की भविष्यवाणी की ज़्यादातर बातें पैदाइशी इसराएलियों के बारे में नहीं बल्कि मसीह के चेलों के बारे में हैं। (प्रेषि. 2:1-4; रोमि. 9:6-8; गला. 6:15, 16) अलग-अलग दौर में उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने अलग-अलग हुकूमतों या सरकारों को दर्शाया। लेकिन जब भी यह साफ नज़र आया कि उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा कौन है, तो उनमें कुछ बातें मिलती-जुलती थीं। पहली बात, इन हुकूमतों ने उस देश पर राज किया जहाँ परमेश्‍वर के बहुत-से लोग रहते थे या उन पर ज़ुल्म किया। दूसरी बात, इन हुकूमतों ने परमेश्‍वर के लोगों के साथ जो सुलूक किया उससे पता चलता है कि उन्हें यहोवा से नफरत थी। तीसरी बात, दोनों राजाओं ने जिन हुकूमतों को दर्शाया वे एक-दूसरे से ऊपर उठने के लिए आपस में लड़ते रहे हैं।

      5. दूसरी सदी से लेकर 1870 तक क्या कोई उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा था? समझाइए।

      5 दूसरी सदी के दौरान बहुत-से झूठे मसीही सच्चे मसीहियों के संगठन में घुस आए। वे झूठी शिक्षाएँ सिखाने लगे, इसलिए समय के गुज़रते लोग परमेश्‍वर के वचन की सच्चाइयों को भूल गए। उस समय से झूठे मसीहियों की गिनती जंगली पौधों की तरह बढ़ने लगी, इसलिए यह जानना मुश्‍किल हो गया कि कौन सच्चे मसीही हैं। (मत्ती 13:36-43) दूसरी सदी से लेकर 1870 तक धरती पर परमेश्‍वर का कोई संगठन नहीं था। यह एक बहुत ही खास जानकारी है। इससे पता चलता है कि दूसरी सदी से लेकर 1870 तक जिन राजाओं और सरकारों ने हुकूमत किया, उनमें से कोई भी उत्तर का राजा या दक्षिण का राजा नहीं हो सकता। इसका कारण यह है कि उन सदियों के दौरान परमेश्‍वर के लोगों का कोई समूह या संगठन नहीं था जिस पर वे हमला करते।b लेकिन 1870 के बाद की कुछ हुकूमतों को उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा कहा जा सकता है। ऐसा क्यों?

      6. यहोवा के लोगों का संगठन फिर से कब तैयार होने लगा? समझाइए।

      6 सन्‌ 1870 से यहोवा के लोगों का एक संगठन तैयार होने लगा। उसी साल चार्ल्स टी. रसल और उनके कुछ साथी मिलकर बाइबल का अध्ययन करने लगे। वे उस दूत की तरह काम करने लगे जिसके बारे में मलाकी ने भविष्यवाणी की थी। उन्होंने मसीहा का राज शुरू होने से पहले ‘रास्ता तैयार करने’ का काम किया। (मला. 3:1) इस तरह यहोवा के लोगों का एक संगठन फिर से उभरकर आया जो उसकी मरज़ी के मुताबिक सेवा कर रहे थे। क्या उस दौरान ऐसी कुछ विश्‍व शक्‍तियाँ थीं जिन्होंने बाद में परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म किए? आइए जानें।

      दक्षिण का राजा कौन है?

      7. पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान दक्षिण का राजा कौन था?

      7 सन्‌ 1870 के आते-आते ब्रिटेन पूरी दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य बन गया। उसी के पास सबसे ताकतवर सेना थी। दानियेल की भविष्यवाणी में बताया गया था कि एक जानवर का छोटा-सा सींग बाकी तीन सींगों को उखाड़ देगा। ब्रिटेन साम्राज्य ही वह छोटा सींग था जिसने फ्रांस, स्पेन और नीदरलैंड्‌स को हरा दिया। (दानि. 7:7, 8) इस तरह पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान यही साम्राज्य दक्षिण का राजा था। उसी दौर में संयुक्‍त राज्य अमरीका दुनिया का सबसे अमीर देश बन गया और ब्रिटेन से दोस्ती करने लगा।

      8. आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक कौन दक्षिण का राजा रहा है?

      8 पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान अमरीका और ब्रिटेन ने साथ मिलकर दूसरे देशों से युद्ध किया और वे दोनों बहुत ताकतवर बन गए। उस समय ब्रिटेन और अमरीका (जो पहले ब्रिटेन का इलाका था) की जोड़ी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति बन गयी। जैसे दानियेल ने भविष्यवाणी की थी, इस राजा ने यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने “एक बहुत बड़ी और ताकतवर सेना” खड़ी कर ली थी। (दानि. 11:25) आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक यही विश्‍व शक्‍ति दक्षिण का राजाc बना हुआ है। मगर इस दौर में उत्तर का राजा कौन रहा है?

      भविष्यवाणियों में ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को कैसे दर्शाया गया है?

      दक्षिण के राजा यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को बाइबल की भविष्यवाणियों में अलग-अलग तरीके से दर्शाया गया है। जैसे . . .

      • लोहे और मिट्टी के पैर।

        लोहे और मिट्टी के पैर (दानि. 2:41-43)

      • एक जंगली जानवर जिसके सिर पर सींग हैं। इन सींगों के बीच से एक छोटा सींग निकलता है, उस सींग की आँखें और मुँह हैं।

        एक डरावने जानवर के सिर से निकला सींग (दानि. 7:7, 8)

      • एक जंगली जानवर जिसके दस सींग और सात सिर हैं।

        जंगली जानवर का सातवाँ सिर (प्रका. 13:1)

      • दो सींगोंवाला जंगली जानवर।

        दो सींगोंवाला जंगली जानवर (प्रका. 13:11-15)

      • सरकारी इमारतें जो ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को दर्शाते हैं।

        झूठा भविष्यवक्‍ता (प्रका. 19:20)

      उत्तर का राजा कौन है?

      9. (क) किस साल उत्तर का एक नया राजा उभरकर आया? (ख) दानियेल 11:25 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

      9 जिस साल भाई रसल और उनके साथियों ने बाइबल का अध्ययन करने के लिए एक समूह बनाया, उसके अगले साल यानी 1871 में उत्तर का एक नया राजा उभरकर सामने आया। वह कौन था? वह जर्मनी था। सन्‌ 1871 में विलहेल्म प्रथम जर्मनी का पहला सम्राट बना। उसी साल उसने ऑटो वॉन बिसमार्क को जर्मनी का पहला चांसलर बनाया।d उस साल बिसमार्क ने कई इलाकों को मिलाकर एक किया। फिर उन सब इलाकों से मिलकर जर्मन साम्राज्य बन गया। अगले कुछ सालों के दौरान जर्मनी ने अफ्रीका और प्रशांत महासागर के कुछ देशों पर कब्ज़ा कर लिया और ब्रिटेन से ज़्यादा ताकतवर बनने की कोशिश करने लगा। (दानियेल 11:25 पढ़िए।) जर्मनी ने एक विशाल सेना खड़ी कर ली और अपनी नौसेना इतनी बढ़ा ली कि ब्रिटेन के बाद उसी की सेना सबसे ताकतवर बन गयी। जर्मनी अपनी इस विशाल सेना को लेकर पहले विश्‍व-युद्ध में दुश्‍मनों से लड़ा था।

      10. दानियेल 11:25, 26 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

      10 यह बताने के बाद कि उत्तर का राजा यानी जर्मन साम्राज्य एक ताकतवर सेना खड़ी करेगा, दानियेल यह भी बताता है कि उस साम्राज्य का और उसकी सेना का क्या होगा। वह बताता है कि उत्तर का राजा “खड़ा नहीं रह पाएगा।” क्यों नहीं खड़ा रह पाएगा? ‘क्योंकि लोग  उसके खिलाफ साज़िशें रचेंगे। उसके साथ शाही खाना खानेवाले  ही उसे गिरा देंगे।’ (दानि. 11:25, 26) उत्तर के राजा के साथ शाही खाना खानेवाले किन्हें दर्शाते हैं? इसे समझने के लिए ध्यान दीजिए कि दानियेल के ज़माने में “राजा की सेवा” करनेवाले राज दरबारी भी शाही खाना खाते थे। (दानि. 1:5) इससे पता चलता है कि उत्तर के राजा के साथ शाही खाना खानेवाले जर्मन साम्राज्य के बड़े-बड़े अधिकारियों को दर्शाते हैं। जैसे, सम्राट के सेनापति और सेना के बड़े-बड़े अधिकारी। उन्होंने ऐसे-ऐसे काम किए कि उनकी वजह से बाद में जर्मनी के सम्राट की हुकूमत गिर गयी।e दानियेल ने बताया कि यह साम्राज्य बाद में गिर जाएगा और यह भी बताया कि जब वह दक्षिण के राजा से युद्ध करेगा, तो उसका क्या अंजाम होगा। उसने कहा, ‘उत्तर के राजा की सेना का सफाया कर दिया जाएगा और बहुत-से लोग मार डाले जाएँगे।’ (दानि. 11:26ख) यह भविष्यवाणी पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान पूरी हुई। उस युद्ध में जर्मनी की सेना का सफाया हो गया और ‘बहुत से लोग मार डाले गए।’ उस युद्ध में जितने लोग मारे गए, उतने पहले कभी नहीं मारे गए थे।

      11. उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने क्या किया?

      11 दानियेल 11:27, 28 में उन घटनाओं के बारे में बताया गया है जो पहला विश्‍व-युद्ध होने से पहले घटी थीं। वहाँ लिखा है कि उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा “एक ही मेज़ पर बैठकर एक-दूसरे से झूठ बोलेंगे।” उसमें यह भी बताया गया है कि उत्तर का राजा “खूब सारा माल” जमा करेगा। ये दोनों बातें सच हुईं। जर्मनी और ब्रिटेन ने एक-दूसरे से कहा कि वे शांति चाहते हैं मगर यह एक झूठ था, इसीलिए 1914 में युद्ध छिड़ गया। और उत्तर के राजा जर्मनी ने वाकई खूब सारा माल बटोर लिया था। सन्‌ 1914 के आते-आते वह ब्रिटेन के बाद दुनिया का सबसे अमीर देश बन गया। फिर दानियेल 11:29 में और 30 की शुरूआत में जो लिखा है, वह भी पूरा हुआ। उत्तर के राजा जर्मनी ने दक्षिण के राजा ब्रिटेन से युद्ध किया मगर जर्मनी हार गया।

      दोनों राजा परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करते हैं

      12. पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा ने क्या किया?

      12 सन्‌ 1914 से दोनों राजाओं के बीच घमासान युद्ध होने लगा और उन दोनों ने परमेश्‍वर के लोगों को सताया। मिसाल के लिए, पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान जर्मन सरकार और ब्रिटिश सरकार ने उन साक्षियों को सताया जिन्होंने युद्ध में हथियार उठाने से इनकार कर दिया था। अमरीका की सरकार ने उन भाइयों को जेल में डाल दिया जो प्रचार काम की अगुवाई करते थे। इस तरह प्रकाशितवाक्य 11:7-10 में दी गयी भविष्यवाणी पूरी हुई।

      13. सन्‌ 1930 के बाद और दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान उत्तर के राजा ने क्या किया?

      13 सन्‌ 1930 के बाद के सालों में और दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान, उत्तर के राजा जर्मनी ने परमेश्‍वर के लोगों को बहुत बेरहमी से सताया। जब जर्मनी में हिटलर की नात्ज़ी हुकूमत शुरू हुई, तो उसने और उसके लोगों ने साक्षियों का काम बंद करा दिया। इन विरोधियों ने सैकड़ों साक्षियों को मार डाला और हज़ारों को यातना शिविरों में भेज दिया। दानियेल ने पहले ही बताया था कि ऐसी घटनाएँ होंगी। उत्तर के राजा ने ‘पवित्र-स्थान को दूषित’ कर दिया और “नियमित बलियाँ बंद कर” दीं। कैसे? उसने प्रचार काम बंद करा दिया जिस वजह से यहोवा के लोग उसके नाम के बारे में सरेआम दूसरों को बता नहीं पाए। (दानि. 11:30, 31) जर्मनी के नेता हिटलर ने तो कसम खा ली थी कि वह जर्मनी से यहोवा के लोगों का नामो-निशान मिटा देगा।

      उत्तर का एक नया राजा

      14. दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद कौन उत्तर का राजा बन गया? समझाइए।

      14 दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद सोवियत संघ की कम्यूनिस्ट सरकार ने उन बड़े-बड़े इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया जो पहले जर्मनी के थे। सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्रों ने भी नात्ज़ियों की तानाशाही हुकूमत की तरह यहोवा के लोगों पर बहुत अत्याचार किया, क्योंकि वे सिर्फ उसकी उपासना करते थे। इस तरह सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का नया राजा बन गए।

      15. दूसरा विश्‍व-युद्ध खत्म होने के बाद उत्तर के राजा ने क्या किया?

      15 दूसरा विश्‍व-युद्ध खत्म होने के तुरंत बाद उत्तर के नए राजा सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्रों ने परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म करना शुरू कर दिया। प्रकाशितवाक्य 12:15-17 में इन ज़ुल्मों की तुलना “नदी” से की गयी है। उत्तर के राजा ने प्रचार काम पर रोक लगा दी और हज़ारों साक्षियों को देश-निकाला देकर साइबेरिया भेज दिया, जहाँ जीना बहुत मुश्‍किल था। देखा जाए तो जब से आखिरी दिन शुरू हुए हैं, तब से उत्तर का राजा यहोवा के लोगों पर ज़ुल्म करता रहा और यह दिनों-दिन बढ़ता गया। मगर वह हमारे काम को कभी पूरी तरह बंद नहीं करा सका।f

      16. सोवियत संघ ने दानियेल 11:37-39 की भविष्यवाणी कैसे पूरी की?

      16 दानियेल 11:37-39 पढ़िए। जैसे इस भविष्यवाणी में बताया गया था, उत्तर के राजा ने “अपने पिताओं के ईश्‍वर की कोई कदर नहीं” की। यह हम कैसे कह सकते हैं? सोवियत संघ ने धर्मों को ही मिटा देने की कोशिश की। उसने उन धर्मों का दबदबा खत्म करने की कोशिश की जो पिताओं या पुरखों के ज़माने से थे। मिसाल के लिए, 1918 में ही सोवियत सरकार ने स्कूलों को यह सिखाने का हुक्म दिया कि कोई ईश्‍वर नहीं होता। उत्तर के इस राजा ने “किलों के देवता की महिमा” कैसे की? सोवियत संघ ने खूब सारा पैसा लगाकर अपने सैनिकों की गिनती बढ़ा ली और हज़ारों परमाणु हथियार बनाए ताकि अपनी सत्ता मज़बूत कर सके। देखते-ही-देखते उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा दोनों ने घातक हथियारों का भंडार जमा कर लिया। अब उनके पास अरबों लोगों को मार डालने की ताकत थी।

      दोनों दुश्‍मन मिल गए

      17. “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़” क्या है?

      17 हालाँकि उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही थी, फिर भी उत्तर के राजा ने एक अनोखा काम करने के लिए दक्षिण के राजा का साथ दिया। उन दोनों ने मिलकर एक “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ खड़ी” की। (दानि. 11:31) वह चीज़ है संयुक्‍त राष्ट्र।

      18. संयुक्‍त राष्ट्र को “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़” क्यों कहा गया है?

      18 संयुक्‍त राष्ट्र को “घिनौनी चीज़” इसलिए कहा गया है क्योंकि यह पूरी दुनिया में शांति लाने का दावा करता है, जबकि यह काम सिर्फ परमेश्‍वर का राज कर सकता है। भविष्यवाणी में यह भी बताया गया है कि यह घिनौनी चीज़ उजाड़नेवाली है। यह सही बात है, क्योंकि भविष्य में संयुक्‍त राष्ट्र ही सभी झूठे धर्मों का नाश कर देगा।—“उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार” नाम का चार्ट देखें।

      इतिहास की यह जानकारी क्यों ज़रूरी है?

      19-20. (क) इतिहास की यह जानकारी रखना क्यों ज़रूरी है? (ख) अगले लेख में किस सवाल का जवाब दिया जाएगा?

      19 इतिहास की इन बातों को जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। इससे हम समझ सकते हैं कि 1870 से 1991 तक उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा के बारे में भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई। इससे हमारा विश्‍वास बढ़ता है कि इन राजाओं के बारे में आगे जो बताया गया है, वह भी ज़रूर पूरा होगा।

      20 सन्‌ 1991 में सोवियत संघ टूटकर बिखर गया था। तो फिर आज उत्तर का राजा कौन है? इस सवाल का जवाब अगले लेख में दिया जाएगा।

      आपका जवाब क्या होगा?

      • किन तीन बातों को ध्यान में रखने से हम जान पाएँगे कि “उत्तर का राजा” और “दक्षिण का राजा” कौन हैं?

      • सन्‌ 1870 से 1991 तक उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा कौन थे?

      • इतिहास की इन बातों को जानना क्यों ज़रूरी है?

      गीत 128 हमें अंत तक धीरज रखना है

      a दानियेल ने “उत्तर के राजा” और “दक्षिण के राजा” के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वह आज भी पूरी हो रही है। हम इस बात के सबूत साफ देख सकते हैं। लेकिन हम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं कि यह भविष्यवाणी आज भी पूरी हो रही है? इस भविष्यवाणी को ठीक-ठीक समझना क्यों ज़रूरी है?

      b इस कारण से हम कह सकते हैं कि ईसवी सन्‌ 270-275 के दौरान रोमी सम्राट ऑरीलियन “उत्तर का राजा” नहीं था। और ईसवी सन्‌ 267-272 तक रानी ज़ॆनोबीया “दक्षिण का राजा” नहीं थी, जैसा कि हम पहले मानते थे और दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!  किताब के अध्याय 13 और 14 में भी बताया गया था।

      c “भविष्यवाणियों में ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को कैसे दर्शाया गया है?” नाम का बक्स पढ़ें।

      d सन्‌ 1890 में जर्मनी के राजा विलहेल्म द्वितीय ने बिसमार्क को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।

      e जैसे, उन्होंने सम्राट की मदद करना छोड़ दिया, युद्ध में हुए नुकसान के बारे में गुप्त जानकारी दूसरों को दे दी और सम्राट को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।

      f जैसे दानियेल 11:34 में बताया गया था, उत्तर के राजा के इलाकों में रहनेवालों को कभी-कभी ज़ुल्मों से थोड़ी राहत मिली। मिसाल के लिए, जब 1991 में सोवियत संघ टूटकर बिखर गया, तो उन्हें कुछ वक्‍त के लिए राहत मिली।

  • आज “उत्तर का राजा” कौन है?
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | मई
    • अध्ययन लेख 20

      आज “उत्तर का राजा” कौन है?

      “आखिरकार उसका अंत हो जाएगा और उसकी मदद करनेवाला कोई न होगा।”—दानि. 11:45.

      गीत 95 बढ़ती है रौशनी सच्चाई की

      लेख की एक झलकa

      1-2. इस लेख से हम क्या जानेंगे?

      आज हम इस दुनिया के आखिरी दिनों की आखिरी घड़ी में जी रहे हैं। इस बात के सबूत आज पहले से कहीं ज़्यादा दिखायी दे रहे हैं। बहुत जल्द यहोवा और यीशु मसीह दुनिया की सभी सरकारों का नाश कर देंगे, क्योंकि ये सरकारें परमेश्‍वर के राज का विरोध करती हैं। मगर तब तक उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा एक-दूसरे से लड़ते रहेंगे और परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म करते रहेंगे।

      2 इस लेख में हम दानियेल 11:40–12:1 में दी गयी भविष्यवाणी पर चर्चा करेंगे। हम जानेंगे कि आज उत्तर का राजा कौन है। हम यह भी चर्चा करेंगे कि भविष्य में जब हम पर मुश्‍किल आएँगी, तब हमें क्यों घबराने की ज़रूरत नहीं होगी और हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमें हर हाल में बचाएगा।

      उत्तर का एक नया राजा

      3-4. आज उत्तर का राजा कौन है? समझाइए।

      3 सन्‌ 1991 में सोवियत संघ गिर गया। तब उसके बड़े इलाके में यहोवा के जितने भी लोग रहते थे, उन्हें थोड़ी आज़ादी मिली। जैसे दानियेल की भविष्यवाणी में कहा गया है, उन्हें “थोड़ी मदद” मिली। (दानि. 11:34) इस वजह से उन सभी देशों में साक्षी बिना रोक-टोक के प्रचार कर पाए जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे। कुछ ही समय के अंदर उनकी गिनती बढ़कर लाखों में हो गयी। फिर कुछ साल बाद रूस और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा बन गए। जैसे पिछले लेख में बताया गया था, किसी सरकार को उत्तर या दक्षिण का राजा तभी कहा जा सकता है जब उसमें तीन बातें होंगी। (1) वह सरकार ऐसे देश पर राज करती है जहाँ परमेश्‍वर के बहुत-से लोग रहते हैं या वह उन पर ज़ुल्म करती है। (2) वह सरकार यहोवा से नफरत करती है, इसलिए वह उसके लोगों के साथ बुरा सुलूक करती है। (3) वह सरकार या राजा दूसरे राजा से ऊपर उठने के लिए उससे लड़ता रहता है।

      4 हम क्यों कह सकते हैं कि आज उत्तर का राजा रूस और उसके मित्र राष्ट्र हैं? ऐसा कहने के तीन कारण हैं: (1) उनके इलाकों में रहनेवाले लाखों साक्षियों पर उन्होंने ज़ुल्म किया और प्रचार काम पर रोक लगा दी। (2) इससे साफ पता चलता है कि वे यहोवा और उसके लोगों से नफरत करते हैं। (3) वे दक्षिण के राजा यानी ब्रिटेन और अमरीका से ज़्यादा ताकतवर बनने की कोशिश करते आए हैं। आइए इस बारे में खुलकर जानें।

      उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा आपस में भिड़ते रहते हैं

      5. (क) दानियेल 11:40-43 में किस समय की भविष्यवाणी की गयी है? (ख) उस समय क्या-क्या होगा?

      5 दानियेल 11:40-43 पढ़िए। इन आयतों में एक झलक दी गयी है कि अंत के समय में क्या-क्या घटनाएँ घटेंगी। इन आयतों में बताया गया है कि उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा के बीच कैसे तकरार होती रहेगी। दक्षिण का राजा उत्तर के राजा से “भिड़ेगा” या “उससे सींग लड़ाएगा।”—दानि. 11:40, फु.

      6. दोनों राजा कैसे एक-दूसरे से भिड़ते रहे हैं?

      6 जैसे भविष्यवाणी में बताया गया है, दक्षिण का राजा और उत्तर का राजा पूरी दुनिया पर राज करने के लिए एक-दूसरे से होड़ लगाते रहे हैं। उदाहरण के लिए, दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद उत्तर के राजा सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्रों ने यूरोप के एक बड़े इलाके पर कब्ज़ा कर लिया। यह देखकर दक्षिण के राजा ब्रिटेन-अमरीका ने दूसरे देशों के साथ मिलकर यह संधि कर ली कि ज़रूरत पड़ने पर वे अपनी सेनाओं को एक कर लेंगे और मिलकर उत्तर के राजा का मुकाबला करेंगे। इस संधि को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन कहा जाता है। उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा अपनी-अपनी सेना को मज़बूत करने में खूब पैसा लगा रहे हैं ताकि वे एक-दूसरे से ज़्यादा ताकतवर बनें। दोनों राजाओं ने आपसी दुश्‍मनी एक और तरीके से दिखायी है। उन्होंने अफ्रीका, एशिया और लातीनी अमरीका में हुए युद्धों में एक-दूसरे के दुश्‍मनों का साथ दिया है। हाल ही में रूस और उसके मित्र राष्ट्र बहुत ताकतवर हो गए। वे कंप्यूटर प्रोग्राम के ज़रिए भी दक्षिण के राजा से लड़ते रहे हैं। दोनों राजाओं ने एक-दूसरे पर इलज़ाम लगाया है कि वे कंप्यूटर प्रोग्रामों के ज़रिए एक-दूसरे का आर्थिक नुकसान करने और उनकी सरकार को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे हैं। और जैसे दानियेल ने भविष्यवाणी की थी, उत्तर का राजा परमेश्‍वर के लोगों पर लगातार ज़ुल्म कर रहा है।—दानि. 11:41.

      उत्तर का राजा “सुंदर देश” में घुस गया

      7. “सुंदर देश” का मतलब क्या है?

      7 दानियेल 11:41 में यह भी बताया गया है कि उत्तर का राजा “सुंदर देश” में घुस जाएगा। यह देश क्या है? पुराने ज़माने में इसराएल देश को “दुनिया का सबसे सुंदर देश” माना जाता था। (यहे. 20:6) इस देश की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यहाँ यहोवा की उपासना की जाती थी। मगर ईसवी सन्‌ 33 से कोई एक देश “सुंदर देश” नहीं था, क्योंकि तब से यहोवा की उपासना करनेवाले लोग दुनिया के कई देशों में रहे हैं और आज वे पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। तो आज के ज़माने में “सुंदर देश” का मतलब है, सच्ची उपासना से जुड़े काम जो यहोवा के लोग करते हैं। जैसे, सभाएँ और प्रचार काम।

      8. इसका क्या मतलब है कि उत्तर का राजा “सुंदर देश” में घुस गया?

      8 आखिरी दिनों में उत्तर का राजा “सुंदर देश” में कई बार घुस गया। मिसाल के लिए, जब जर्मनी उत्तर का राजा बना, तब वह “सुंदर देश” में घुस गया, खासकर दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान। वह कैसे? जर्मनी की नात्ज़ी सरकार ने परमेश्‍वर के लोगों पर बहुत ज़ुल्म किए और उनमें से कई लोगों को मार डाला। दूसरे विश्‍व-युद्ध के बाद जब सोवियत संघ उत्तर का राजा बना, तो वह भी “सुंदर देश” में घुस गया। उसने भी परमेश्‍वर के लोगों को बहुत सताया और उन्हें अपने देश से निकाल दिया।

      9. कुछ साल पहले रूस और उसके मित्र राष्ट्र कैसे “सुंदर देश” में घुस गए?

      9 कुछ साल पहले आज के उत्तर के राजा यानी रूस और उसके मित्र राष्ट्र भी “सुंदर देश” में घुस गए। किस मायने में? सन्‌ 2017 में उन्होंने रूस में यहोवा के लोगों के काम पर रोक लगा दी और कुछ भाई-बहनों को जेल में डाल दिया। उत्तर के इस राजा ने हमारे प्रकाशनों पर भी रोक लगा दी, नयी दुनिया अनुवाद  बाइबल पर भी। इस राजा ने रूस में हमारे शाखा दफ्तर पर और राज-घरों और सम्मेलन भवनों पर कब्ज़ा कर लिया। यह सब देखने के बाद 2018 में शासी निकाय ने बताया कि रूस और उसके मित्र राष्ट्र आज उत्तर का राजा है। भले ही यहोवा के लोगों को बेरहमी से सताया जाता है, मगर वे सरकारों से बगावत नहीं करते और न ही सरकारों को बदलने की कोशिश करते हैं। इसके बजाय वे बाइबल की सलाह मानकर “उन सभी के लिए” प्रार्थना करते हैं “जो ऊँची पदवी रखते हैं।” जब सरकारें इस बारे में फैसला करती हैं कि साक्षियों को उपासना करने की आज़ादी मिलनी चाहिए या नहीं, तब साक्षी खास तौर से उनके लिए प्रार्थना करते हैं।—1 तीमु. 2:1, 2.

      क्या उत्तर का राजा दक्षिण के राजा को हरा देगा?

      10. क्या उत्तर का राजा दक्षिण के राजा को हरा देगा? समझाइए।

      10 दानियेल 11:40-45 की भविष्यवाणी में खास तौर से उत्तर के राजा के बारे में बताया गया है कि वह क्या-क्या करेगा। लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि वह दक्षिण के राजा को हरा देगा? नहीं, ऐसा नहीं है। यह हम क्यों कह सकते हैं? क्योंकि जब यहोवा और यीशु हर-मगिदोन में सभी सरकारों का नाश करेंगे, तब उनमें दक्षिण का राजा भी होगा। प्रकाशितवाक्य 19:20 में बताया गया है कि हर-मगिदोन दक्षिण के राजा के “जीते-जी” होगा। यह हम पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं क्योंकि दानियेल और प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणियों से यही पता चलता है।

      पहाड़ से एक पत्थर निकलकर धातु की बड़ी मूरत के पैरों पर जा टकराता है।

      परमेश्‍वर के राज की तुलना एक पत्थर से और इंसानों के राज की तुलना एक बड़ी मूरत से की गयी है। हर-मगिदोन में परमेश्‍वर का राज इंसानों के राज का अंत कर देगा (पैराग्राफ 11 पढ़ें)

      11. दानियेल 2:43-45 से क्या पता चलता है? (बाहर दी तसवीर देखें।)

      11 दानियेल 2:43-45 पढ़िए। दानियेल ने एक भविष्यवाणी में कुछ हुकूमतों के बारे में बताया। वे ऐसे देश पर राज करेंगे, जहाँ परमेश्‍वर के ज़्यादातर लोग रहते हैं या फिर उन पर ज़ुल्म करेंगे। उन हुकूमतों को एक विशाल मूरत के अलग-अलग हिस्सों से दर्शाया गया है। सबसे आखिरी हुकूमत को मूरत के पैरों से दर्शाया गया है जो लोहे और मिट्टी के बने हैं। यह आखिरी हुकूमत ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति है। इस भविष्यवाणी से पता चलता है कि जब परमेश्‍वर का राज इंसानी सरकारों का नाश करेगा, तब ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति हुकूमत कर रही होगी।

      12. (क) जंगली जानवर का सातवाँ सिर किसे दर्शाता है? (ख) यह क्यों एक अहम जानकारी है?

      12 प्रेषित यूहन्‍ना ने भी कुछ ऐसी विश्‍व शक्‍तियों के बारे में बताया जो ऐसे देश पर राज करेंगे जहाँ परमेश्‍वर के ज़्यादातर लोग रहते हैं। यूहन्‍ना की भविष्यवाणी में इन हुकूमतों को एक जंगली जानवर से दर्शाया गया है जिसके सात सिर हैं। उस जानवर का सातवाँ सिर ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति है। यह एक अहम जानकारी है, क्योंकि भविष्यवाणी में यह नहीं दिखाया गया है कि सातवें सिर के बाद कोई और सिर निकलता है। जब यह सातवाँ सिर यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति हुकूमत कर रही होगी, तब यीशु अपनी स्वर्ग की सेना के साथ मिलकर उसका और पूरे जंगली जानवर का नाश कर देगा।b—प्रका. 13:1, 2; 17:13, 14.

      बहुत जल्द उत्तर का राजा क्या करनेवाला है?

      13-14. (क) ‘मागोग देश का गोग’ किसे कहा गया है? (ख) क्या बात उसे यहोवा के लोगों पर हमला करने के लिए भड़काएगी?

      13 यहेजकेल की एक भविष्यवाणी में बताया गया है कि उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा का नाश होने से पहले क्या-क्या घटनाएँ हो सकती हैं। ऐसा लगता है कि यहेजकेल 38:10-23; दानियेल 2:43-45; 11:44–12:1 और प्रकाशितवाक्य 16:13-16, 21 में एक ही बात कही गयी है। इन सारी आयतों में एक ही समय पर होनेवाली घटनाओं की भविष्यवाणी की गयी है। बस उन्हें अलग-अलग तरीके से बताया गया है। तो आइए देखें कि इन भविष्यवाणियों के मुताबिक बहुत जल्द क्या-क्या घटनाएँ घट सकती हैं।

      14 महा-संकट शुरू होने के कुछ समय बाद ‘सारे जगत के राजा’ यानी दुनिया के राष्ट्र मिलकर एक गठबंधन करेंगे। (प्रका. 16:13, 14; 19:19) बाइबल में उस गठबंधन को ‘मागोग देश का गोग’ कहा गया है। (यहे. 38:2) राष्ट्रों का यह गठबंधन या समूह परमेश्‍वर के सभी लोगों पर हमला करेगा और उनका नामो-निशान मिटाने की कोशिश करेगा। क्या बात उन्हें हमला करने के लिए भड़काएगी? प्रेषित यूहन्‍ना ने एक दर्शन में देखा कि उसी दौर में परमेश्‍वर के दुश्‍मनों पर बड़े-बड़े ओले बरसते हैं। शायद इसका मतलब है कि उस समय यहोवा के लोग दुश्‍मनों को यह संदेश सुनाएँगे कि उनका नाश होनेवाला है। यह संदेश ओलों की ज़बरदस्त मार जैसा होगा। शायद यही संदेश राष्ट्रों के गठबंधन को भड़काएगा कि वे परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करके उन्हें पूरी तरह मिटा दें।—प्रका. 16:21.

      15-16. (क) दानियेल 11:44, 45 में शायद किन घटनाओं की भविष्यवाणी की गयी है? (ख) उत्तर के राजा का और बाकी राष्ट्रों का क्या होगा जिन्हें मागोग देश का गोग कहा गया है?

      15 दानियेल 11:44, 45 पढ़िए। शायद इन आयतों में दी गयी भविष्यवाणी का भी यही मतलब है कि परमेश्‍वर के दुश्‍मनों को कड़ा संदेश सुनाया जाएगा और वे परमेश्‍वर के लोगों पर आखिरी हमला करेंगे। उन आयतों में बताया गया है कि उत्तर का राजा ‘पूरब और उत्तर से मिलनेवाली खबरें’ सुनकर बेचैन हो जाएगा और “बड़ी जलजलाहट में आकर” निकल पड़ेगा। वह ‘बहुतों को मिटाने’ की कोशिश करेगा। यहाँ “बहुतों” का मतलब शायद परमेश्‍वर के लोग हैं।c तो हम कह सकते हैं कि दानियेल ने भी यही बताया कि परमेश्‍वर के सभी लोगों पर एक आखिरी हमला होगा।

      16 जब उत्तर का राजा और दुनिया की बाकी सरकारें यहोवा के लोगों पर हमला करेंगी, तो सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा का क्रोध भड़क उठेगा। तब हर-मगिदोन युद्ध शुरू होगा। (प्रका. 16:14, 16) इस युद्ध में उत्तर के राजा का और बाकी राष्ट्रों का नाश हो जाएगा जिन्हें मागोग देश का गोग कहा गया है। उस वक्‍त उत्तर के राजा की “मदद करनेवाला कोई न होगा।”​—दानि. 11:45.

      यीशु सफेद घोड़े पर सवार है और तीर चलाने के लिए तैयार है। बाकी स्वर्गदूत भी सफेद घोड़ों पर सवार हैं और उनके हाथ में तलवार है।

      हर-मगिदोन में यीशु स्वर्ग की सेना के साथ मिलकर शैतान की दुनिया का नाश कर देगा और यहोवा के लोगों को बचाएगा (पैराग्राफ 17 देखें)

      17. (क) दानियेल 12:1 में बताया गया मीकाएल कौन है? (ख) वह आज क्या कर रहा है और भविष्य में क्या करेगा?

      17 उत्तर के राजा के नाश का ज़िक्र करने के तुरंत बाद दानियेल 12:1 में इस बारे में ज़्यादा जानकारी दी गयी है। (पढ़िए।) वहाँ लिखा है कि उत्तर के राजा और उसका साथ देनेवालों का नाश कैसे होगा और हम कैसे बचाए जाएँगे। उस आयत का मतलब क्या है? उसमें बताया गया मीकाएल मसीह यीशु का एक और नाम है, जो आज राज कर रहा है। जब 1914 में परमेश्‍वर का राज शुरू हुआ, तब से मीकाएल परमेश्‍वर के लोगों “की तरफ से खड़ा है।” बहुत जल्द वह एक और मायने में “खड़ा होगा।” कैसे? हर-मगिदोन नाम के युद्ध में वह परमेश्‍वर के दुश्‍मनों का नाश कर देगा। दानियेल ने कहा कि “संकट का ऐसा समय” आएगा जैसा पहले कभी नहीं आया था। हर-मगिदोन उस समय के आखिर में होगा। प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में हर-मगिदोन को और उससे पहले के समय को “महा-संकट” कहा गया है।—प्रका. 6:2; 7:14.

      क्या आपका नाम “किताब में लिखा” होगा?

      18. हमें भविष्य में घबराने की ज़रूरत क्यों नहीं होगी?

      18 बहुत जल्द दुनिया पर ऐसा भयानक संकट टूट पड़ेगा जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। मगर हमें घबराने की ज़रूरत नहीं होगी। दानियेल और यूहन्‍ना, दोनों ने बताया कि जो लोग यहोवा और यीशु की सेवा करते हैं, उन्हें उस संकट से बचाया जाएगा। दानियेल ने बताया कि उन्हीं लोगों को बचाया जाएगा जिनका नाम एक “किताब में लिखा” होगा। (दानि. 12:1) हम क्या कर सकते हैं ताकि हमारा नाम भी उस किताब में लिखा जाए? हमें यह ज़ाहिर करना चाहिए कि हम परमेश्‍वर के मेम्ने यानी यीशु पर विश्‍वास करते हैं। (यूह. 1:29) हमें अपना जीवन यहोवा को समर्पित करना चाहिए और बपतिस्मा लेना चाहिए। (1 पत. 3:21) हमें परमेश्‍वर के राज का साथ भी देना चाहिए। यह हम कैसे कर सकते हैं? दूसरों को यहोवा के बारे में सिखाकर।

      19. हमें अभी से क्या करना चाहिए और क्यों?

      19 हमें अभी से यहोवा पर और उसके संगठन पर भरोसा रखना चाहिए। परमेश्‍वर के राज का साथ देने का भी यही समय है। ऐसा करने से हमें उस वक्‍त बचाया जाएगा जब परमेश्‍वर का राज उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा का नाश कर देगा।

      आपका जवाब क्या होगा?

      • आज “उत्तर का राजा” कौन है?

      • इसका क्या मतलब है कि उत्तर का राजा “सुंदर देश” में घुस गया?

      • उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा का क्या होगा?

      गीत 149 शानदार जीत

      a आज “उत्तर का राजा” कौन है? उसका नाश कैसे होगा? इन सवालों के जवाब जानने से हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा और हम महा-संकट के दौरान आनेवाली मुसीबतों का सामना कर पाएँगे।

      b दानियेल 2:36-45 और प्रकाशितवाक्य 13:1, 2 के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए 15 जून, 2012 की प्रहरीदुर्ग  के पेज 7-19 पढ़ें।

      c ज़्यादा जानकारी के लिए 15 मई, 2015 की प्रहरीदुर्ग  के पेज 29-30 पढ़ें।

  • उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2020 | मई
    • उत्तर के राजा और दक्षिण के राजा में तकरार

      इस चार्ट में दी गयी कुछ भविष्यवाणियाँ एक ही समय पर पूरी होती हैं। इन सारी भविष्यवाणियों से यही साबित होता है कि हम “अंत के समय” में जी रहे हैं।—दानि. 12:4.

      एक चार्ट जिसमें कुछ भविष्यवाणियों के बारे में बताया गया है। इसमें यह भी बताया गया कि 1870 से आज तक कौन उत्तर का राजा रहा है और कौन दक्षिण का राजा।
      • पहला चार्ट: इसमें कुछ भविष्यवाणियों के बारे बताया गया है जो अंत के समय में साथ-साथ पूरी होती हैं। यह भविष्यवाणियाँ 1870 से लेकर 1918 के बीच पूरी हुईं। 1914 से अंत का समय शुरू हुआ। भविष्यवाणी 1: एक जंगली जानवर जिसके सात सिर हैं और इसे चार्ट में सबसे पहले दिखाया गया है। यह जानवर 1870 से पहले वजूद में आया। पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान इस जंगली जानवर का सातवाँ सिर ज़ख्मी हो जाता है। लेकिन 1917 से सातवाँ सिर ठीक हो गया और यह जंगली जानवर फिर से उठ खड़ा हुआ। भविष्यवाणी 2: सन्‌ 1871 में उत्तर के राजा की और 1870 में दक्षिण के राजा की पहचान साफ हो गयी। 1871 में जर्मनी उत्तर के राजा के रूप में उभरकर सामने आया। शुरू में दक्षिण का राजा ग्रेट ब्रिटेन था लेकिन 1917 में ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने उसकी जगह ले ली। भविष्यवाणी 3: सन्‌ 1870 से चार्ल्स टी. रसल और उनके साथियों ने ‘दूत’ के जैसा काम किया। सन्‌ 1881 से ‘ज़ायन्स वॉच टावर’ पत्रिका में भाई-बहनों को खुशखबरी का प्रचार करने का बढ़ावा दिया गया। भविष्यवाणी 4: सन्‌ 1914 से कटाई शुरू हुई। गेहूँ को जंगली दानों से अलग किया जाने लगा। भविष्यवाणी 5: सन्‌ 1917 से मिट्टी और लोहे के पैरों की पहचान होने लगी। यह भी दिखाया गया है: सन्‌ 1914 से 1918 तक दुनिया में हुई कुछ घटनाएँ, पहला विश्‍व-युद्ध। कुछ घटनाएँ जिनका असर यहोवा के लोगों पर हुआ: सन्‌ 1914 से 1918 ब्रिटेन और जर्मनी में बाइबल विद्यार्थियों को जेल हुई। सन्‌ 1918 में मुख्यालय के भाइयों को जेल हुई।
        भविष्यवाणी 1.

        आयतें: प्रका. 11:7; 12:13, 17; 13:1-8, 12

        भविष्यवाणी: “जंगली जानवर” 3,000 साल से इंसानों पर राज कर रहा है। अंत के दिनों में इसका सातवाँ सिर घायल हो जाता है। बाद में वह ठीक हो जाता है और “पूरी धरती” उस जंगली जानवर के पीछे हो लेती है। शैतान इस जानवर के ज़रिए ‘बचे हुए’ अभिषिक्‍त जनों से ‘युद्ध करता है।’

        पूर्ति: जलप्रलय के बाद यहोवा का विरोध करनेवाली सरकारों ने राज करना शुरू किया। जलप्रलय के हज़ारों साल बाद पहले विश्‍व-युद्ध के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य बहुत कमज़ोर हो गया। बाद में जब अमरीका उसके साथ मिल गया, तो वह फिर से मज़बूत हो गया। खासकर अंत के समय में शैतान सभी सरकारों के ज़रिए परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म कर रहा है।

      • भविष्यवाणी 2.

        आयतें: दानि. 11:25-45

        भविष्यवाणी: अंत के समय में उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा ज़्यादा ताकत हासिल करने के लिए एक-दूसरे से लड़ेंगे।

        पूर्ति: ज़्यादा ताकत हासिल करने के लिए जर्मनी और ब्रिटेन-अमरीका के बीच लड़ाई हुई। सन्‌ 1945 में सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा बने। सन्‌ 1991 में सोवियत संघ बिखर गया। कुछ समय बाद रूस और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा बने।

      • भविष्यवाणी 3.

        आयतें: यशा. 61:1; मला. 3:1; लूका 4:18

        भविष्यवाणी: मसीहा का राज शुरू होने से पहले यहोवा अपने “दूत” को भेजेगा ताकि वह “रास्ता तैयार” करे। यह दूत “दीन लोगों को खुशखबरी” सुनाएगा।

        पूर्ति: 1870 से भाई रसल और उनके साथी बाइबल का गहराई से अध्ययन करने लगे ताकि जानें कि बाइबल में कौन-सी सच्चाइयाँ दी गयी हैं। सन्‌ 1881 में उन्होंने इस बात को समझा कि वे जो सीख रहे हैं वह दूसरों को भी बताना ज़रूरी है। उन्होंने ऐसे लेख प्रकाशित किए जैसे, “आवश्‍यकता है 1,000 प्रचारकों की” और “प्रचार के लिए अभिषिक्‍त।”

      • भविष्यवाणी 4.

        आयतें: मत्ती 13:24-30, 36-43

        भविष्यवाणी: एक दुश्‍मन गेहूँ के खेत में जंगली पौधों के बीज बो देगा। उन पौधों को कटाई के समय तक गेहूँ के साथ-साथ बढ़ने दिया जाएगा। इस बीच जंगली पौधे इतने बढ़ जाएँगे कि गेहूँ नज़र नहीं आएगा। कटाई के समय गेहूँ को जंगली पौधों से अलग किया जाएगा।

        पूर्ति: 1870 से सच्चे और झूठे मसीहियों के बीच फर्क साफ नज़र आने लगा। अंत के समय में सच्चे मसीहियों को झूठे मसीहियों से अलग करके मसीही मंडली में इकट्ठा किया जाता है।

      • भविष्यवाणी 5.

        आयतें: दानि. 2:31-33, 41-43

        भविष्यवाणी: लोहे और मिट्टी के पैर एक ऐसी मूरत के हैं जो अलग-अलग धातुओं से बनी है।

        पूर्ति: मिट्टी उन आम लोगों को दर्शाती है जिन पर ब्रिटेन और अमरीका राज करते हैं। ये लोग इस विश्‍व शक्‍ति के खिलाफ बगावत करते हैं जिस वजह से इसकी लोहे जैसी ताकत कमज़ोर पड़ जाती है यानी यह विश्‍व शक्‍ति अपनी पूरी ताकत इस्तेमाल नहीं कर पाती।

      • दूसरा चार्ट: इसमें कुछ भविष्यवाणियों के बारे बताया गया है जो अंत के समय में साथ-साथ पूरी होती हैं। यह भविष्यवाणियाँ 1919 से लेकर 1945 के बीच पूरी हुईं। सन्‌ 1945 तक जर्मनी उत्तर का राजा था और ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति दक्षिण का राजा है। भविष्यवाणी 6: सन्‌ 1919 में अभिषिक्‍त मसीहियों को शुद्ध की गयी मंडली में इकट्ठा किया गया। 1919 से प्रचार काम ज़ोर-शोर से होने लगा। भविष्यवाणी 7: सन्‌ 1920 में राष्ट्र संघ बनाया गया और यह दूसरे विश्‍व-युद्ध तक बना रहा। यह भी दिखाया गया है: भविष्यवाणी 1, सात सिरोंवाला जंगली जानवर अब भी खड़ा है। भविष्यवाणी 5: मिट्टी और लोहे के पैरों से बनी सरकारें अब भी हैं। सन्‌ 1939 से 1945 तक दुनिया में हुई कुछ घटनाएँ, दूसरा विश्‍व-युद्ध। कुछ घटनाएँ जिनका असर यहोवा के लोगों पर हुआ: जर्मनी में 1939 से 1945 तक 11,000 से ज़्यादा साक्षियों को जेल हुई। ब्रिटेन में 1939 से 1945 तक तकरीबन 1,600 साक्षियों को जेल हुई। अमरीका में 1940 से 1944 तक साक्षियों पर 2,500 से ज़्यादा बार भीड़ ने हमला किया।
        भविष्यवाणी 6.

        आयतें: मत्ती 13:30; 24:14, 45; 28:19, 20

        भविष्यवाणी: “गेहूँ” यानी सच्चे मसीहियों को “गोदाम” में यानी सच्ची मसीही मंडली में इकट्ठा किया जाएगा। “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को “घर के कर्मचारियों” के ऊपर ठहराया जाएगा। ‘राज की खुशखबरी सारे जगत में’ सुनाने का काम शुरू होगा।

        पूर्ति: 1919 में विश्‍वासयोग्य दास को परमेश्‍वर के लोगों पर ठहराया गया। तब से बाइबल विद्यार्थी प्रचार काम ज़ोर-शोर से करने लगे। आज यहोवा के साक्षी 200 से ज़्यादा देशों में प्रचार करते हैं और 1,000 से ज़्यादा भाषाओं में बाइबल के प्रकाशन तैयार करते हैं।

      • भविष्यवाणी 7.

        आयतें: दानि. 12:11; प्रका. 13:11, 14, 15

        भविष्यवाणी: दो सींगोंवाला जंगली जानवर लोगों से कहेगा कि वे दूसरे “जंगली जानवर की मूरत बनाएँ” जिसके सात सिर हैं। दो सींगोंवाला जानवर दूसरे जंगली जानवर की “मूरत में जान फूँक” देगा।

        पूर्ति: ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने राष्ट्र संघ को बनाने में पहला कदम उठाया। दूसरे राष्ट्र भी इस संगठन से जुड़ गए। बाद में उत्तर का राजा भी राष्ट्र संघ से जुड़ गया। मगर वह सिर्फ 1926 से 1933 तक इस संघ का सदस्य रहा। लोग मानते थे कि राष्ट्र संघ दुनिया में शांति लाएगा जबकि यह काम सिर्फ परमेश्‍वर का राज कर सकता है। बाद में लोग संयुक्‍त राष्ट्र के बारे में भी यही मानने लगे।

      • तीसरा चार्ट: इसमें कुछ भविष्यवाणियों के बारे बताया गया है जो अंत के समय में साथ-साथ पूरी होती हैं। यह भविष्यवाणियाँ 1945 से लेकर 1991 के बीच पूरी हुईं। 1991 तक सोवियत संघ और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा थे। लेकिन इसके बाद रूस और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा बन गए। दक्षिण का राजा ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति है। भविष्यवाणी 8: परमाणु बमों के फटने से निकलनेवाला धुआँ, जो दिखाता है कि ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने कितनी तबाही मचायी। भविष्यवाणी 9: सन्‌ 1945 संयुक्‍त राष्ट्र बनाया गया और इसने राष्ट्र संघ की जगह ली। यह भी दिखाया गया है: भविष्यवाणी 1, सात सिरोंवाला जंगली जानवर अब भी खड़ा है। भविष्यवाणी 5: मिट्टी और लोहे के पैर जो सरकारों को दर्शाते हैं, अब भी हैं। भविष्यवाणी 6: सन्‌ 1945 में प्रचारकों की गिनती 1,56,000 से ज़्यादा थी। सन्‌ 1991 में प्रचारकों की गिनती 42,78,000 से ज़्यादा थी। कुछ घटनाएँ जिनका असर यहोवा के लोगों पर हुआ: सन्‌ 1945 से 1951 तक सोवियत संघ ने हज़ारों साक्षियों को साइबेरिया भेज दिया।
        भविष्यवाणी 8.

        आयतें: दानि. 8:23, 24

        भविष्यवाणी: एक खूँखार राजा “बड़े ही अनोखे तरीके से तबाही मचाएगा।”

        पूर्ति: ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति ने बहुत-से लोगों को मार डाला और काफी तबाही मचायी। मिसाल के लिए, दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान अमरीका ने एक ऐसे देश में दो परमाणु बम डाले जो ब्रिटेन और अमरीका का दुश्‍मन था। इस बम विस्फोट से इतनी तबाही हुई जितनी कि पहले कभी नहीं हुई थी।

      • भविष्यवाणी 9.

        आयतें: दानि. 11:31; प्रका. 17:3, 7-11

        भविष्यवाणी: “सुर्ख लाल रंग” का एक जंगली जानवर जिसके दस सींग थे, अथाह-कुंड से बाहर निकलेगा। वह आठवाँ राजा होगा। दानियेल किताब में इस राजा को “उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़” कहा गया है।

        पूर्ति: दूसरे विश्‍व-युद्ध के दौरान राष्ट्र संघ मिट गया। युद्ध के बाद संयुक्‍त राष्ट्र को ‘खड़ा किया गया।’ राष्ट्र संघ की तरह संयुक्‍त राष्ट्र के बारे में भी माना जाता है कि यह शांति लाएगा जबकि यह काम परमेश्‍वर का राज करेगा। भविष्य में संयुक्‍त राष्ट्र धर्मों का नाश कर देगा।

      • चौथा चार्ट: इसमें कुछ भविष्यवाणियों के बारे बताया गया है जो अंत के समय में साथ-साथ पूरी होती हैं यानी आज के समय से लेकर हर-मगिदोन तक। रूस और उसके मित्र राष्ट्र उत्तर का राजा हैं। दक्षिण का राजा ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति है। भविष्यवाणी 10: दुनिया के नेता ‘शांति और सुरक्षा’ का ऐलान करेंगे। उसके बाद महा-संकट शुरू होगा। भविष्यवाणी 11: राष्ट्र झूठे धर्मों पर हमला करेंगे। भविष्यवाणी 12: दुनिया की सरकारें परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेंगी। बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को स्वर्ग में ले लिया जाएगा। भविष्यवाणी 13: हर-मगिदोन। सफेद घोड़े का सवार अपनी जीत पूरी करेगा। सात सिरोंवाला जंगली जानवर नाश कर दिया जाएगा; बड़ी मूरत के पैर जो मिट्टी और लोहे के बने हैं, चूर-चूर कर दिए जाएँगे। यह भी दिखाया गया है: भविष्यवाणी 1: सात सिरोंवाला जंगली जानवर हर-मगिदोन तक खड़ा रहता है। भविष्यवाणी 5: मिट्टी और लोहे के पैर जो सरकारों को दर्शाते हैं, हर-मगिदोन तक रहेंगे। भविष्यवाणी 6: आज प्रचारकों की गिनती 86,80,000 से ज़्यादा है। कुछ घटनाएँ जिनका असर यहोवा के लोगों पर हुआ: सन्‌ 2017 में रूस के अधिकारियों ने साक्षियों को जेल में डाल दिया और शाखा दफ्तर की इमारतें ज़ब्त कर लीं।
        भविष्यवाणी 10 और 11.

        आयतें: 1 थिस्स. 5:3; प्रका. 17:16

        भविष्यवाणी: दुनिया के नेता “शांति और सुरक्षा” का ऐलान करेंगे। “दस सींग” और “जंगली जानवर” “वेश्‍या” का नाश कर देंगे। इसके बाद राष्ट्रों का भी नाश कर दिया जाएगा।

        पूर्ति: राष्ट्र शायद दावा करेंगे कि वे दुनिया में शांति और सुरक्षा लाने में कामयाब हो गए। इसके बाद वे सभी राष्ट्र जो संयुक्‍त राष्ट्र के सदस्य हैं, झूठे धर्मों का नाश कर देंगे। इस तरह महा-संकट शुरू हो जाएगा। महा-संकट तब खत्म होगा जब हर-मगिदोन में दुनिया के बाकी हिस्से का नाश कर दिया जाएगा।

      • भविष्यवाणी 12.

        आयतें: यहे. 38:11, 14-17; मत्ती 24:31

        भविष्यवाणी: गोग परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेगा। इसके बाद स्वर्गदूत “चुने हुओं को” इकट्ठा करेंगे।

        पूर्ति: उत्तर का राजा और दुनिया की बाकी सरकारें परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेंगी। गोग का हमला शुरू होने के कुछ समय बाद बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को स्वर्ग ले लिया जाएगा।

      • भविष्यवाणी 13.

        आयतें: यहे. 38:18-23; दानि. 2:34, 35, 44, 45; प्रका. 6:2; 16:14, 16; 17:14; 19:20

        भविष्यवाणी: ‘सफेद घोड़े का सवार’ गोग और उसकी सेना का नाश करेगा और इस तरह “अपनी जीत पूरी” करेगा। ‘जंगली जानवर को आग की झील में फेंक’ दिया जाएगा। बड़ी मूरत चूर-चूर कर दी जाएगी।

        पूर्ति: परमेश्‍वर के राज का राजा यीशु परमेश्‍वर के लोगों को बचाएगा। यीशु, 1,44,000 जन और स्वर्गदूत राष्ट्रों के उस गठबंधन का नाश कर देंगे जो परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेगा। इस तरह शैतान की दुनिया का अंत हो जाएगा।

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