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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
w23 अगस्त पेज 18-पेज 19 पैरा. 3
स्वर्ग में स्वर्गदूत और फिरदौस में इंसान खुशी से यहोवा की उपासना कर रहे हैं और उसके स्वर्गीय रथ की तरफ देखकर उसकी महिमा कर रहे हैं।

यहोवा ऐसे काम करेगा जिससे हमेशा-हमेशा के लिए उसके नाम की महिमा होती रहेगी

आपने पूछा

जून 2020 की प्रहरीदुर्ग  के लेख, “तेरा नाम पवित्र किया जाए” में यहोवा के नाम और उसके राज करने के अधिकार के बारे में हमारी समझ में क्या फेरबदल किया गया था?

उस लेख में हमने सीखा था कि असल में देखा जाए तो इंसानों और स्वर्गदूतों के सामने एक ही बड़ा मसला है। वह मसला है, यहोवा का नाम पवित्र किया जाना। यह सच है कि दो और सवाल खड़े किए गए हैं: (1) क्या यहोवा के हुकूमत करने का तरीका ही सबसे बेहतर है? (2) क्या इंसान यहोवा के वफादार रहेंगे? इनका जवाब मिलना भी ज़रूरी है, मगर ये उस बड़े मसले के ही भाग हैं।

लेकिन अब हम इस बात पर क्यों ज़ोर दे रहे हैं कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाना ही सबसे अहम मसला है? आइए इसके तीन कारणों पर गौर करें।

एक साँप हव्वा से बात कर रहा है।

अदन के बाग में जब बगावत शुरू हुई थी, तब से शैतान यहोवा का नाम बदनाम करता आया है

पहला, अदन के बाग में शैतान ने यहोवा का नाम बदनाम करने की कोशिश की। उसने चालाकी से हव्वा के मन में यह बात बिठाने की कोशिश की कि यहोवा कुछ ज़्यादा ही सख्त है, वह ऐसी आज्ञाएँ देता है जिन्हें मानना बहुत मुश्‍किल है। और वह उन्हें अच्छी-अच्छी चीज़ें भी नहीं देना चाहता। यही नहीं, यहोवा ने जो भी कहा था, शैतान ने उससे बिलकुल उलट बात कही। इस तरह उसने यहोवा को झूठा कहा और उसका नाम बदनाम कर दिया। इस वजह से शैतान “इबलीस” भी कहलाया, जिसका मतलब है “बदनाम करनेवाला।” (यूह. 8:44, फु.) और हव्वा ने भी शैतान के झूठ पर यकीन कर लिया। उसने यहोवा की बात नहीं मानी। इस तरह उसने दिखाया कि वह यहोवा को अपना राजा नहीं मानना चाहती। (उत्प. 3:1-6) आज भी शैतान, यहोवा का नाम बदनाम करता है। वह उसके बारे में झूठी-झूठी बातें फैलाता है। और जो लोग उसके झूठ पर यकीन कर लेते हैं, वे शायद यहोवा की बात ना मानें। इस तरह यहोवा का पवित्र नाम बदनाम किया जाना, बहुत बड़ा अन्याय है। यह देखकर यहोवा के लोगों को बहुत बुरा लगता है। और देखा जाए तो अगर यहोवा का नाम बदनाम नहीं किया जाता, तो दुनिया ऐसी नहीं होती। आज जितनी भी दुख-तकलीफें और बुराइयाँ हैं, वे सब इसी वजह से हैं।

दूसरा कारण, यहोवा ने ठान लिया है कि वह अपने नाम पर लगे सारे कलंक मिटा देगा। और वह ऐसा इंसानों और स्वर्गदूतों के भले के लिए करेगा। अपने नाम से कलंक मिटाना, यहोवा के लिए सबसे ज़रूरी बात है। इसलिए उसने कहा, “मैं अपने महान नाम को ज़रूर पवित्र करूँगा।” (यहे. 36:23) यीशु ने भी बताया कि परमेश्‍वर के सभी वफादार सेवकों को खास तौर से इस बारे में प्रार्थना करनी चाहिए कि यहोवा का “नाम पवित्र किया जाए।” (मत्ती 6:9) इसके अलावा, बाइबल में बार-बार ज़ोर देकर बताया गया है कि यहोवा के नाम की महिमा करना कितना ज़रूरी है। जैसे, लिखा है: “यहोवा का नाम जितनी महिमा का हकदार है, उतनी महिमा उसे दो।” (1 इति. 16:29; भज. 96:8) “उसके गौरवशाली नाम की तारीफ में गीत गाओ।” (भज. 66:2) ‘मैं सदा तक तेरे नाम की महिमा करूँगा।’ (भज. 86:12) खुद यहोवा ने भी कहा कि वह अपने नाम की महिमा करेगा। एक बार जब यीशु यरूशलेम के मंदिर में था तब उसने यहोवा से कहा, “पिता अपने नाम की महिमा कर।” और यहोवा ने स्वर्ग से जवाब दिया, “मैंने इसकी महिमा की है और फिर से करूँगा।”​—यूह. 12:28.a

तीसरा कारण, यहोवा का मकसद है कि उसके पवित्र नाम की महिमा हमेशा होती रहे। यह समझने के लिए गौर कीजिए कि मसीह के हज़ार साल के राज के बाद जब आखिरी परीक्षा होगी, तो उसके बाद क्या होगा। क्या तब भी यहोवा के नाम को पवित्र किए जाने का बड़ा मसला बना रहेगा? और क्या कुछ स्वर्गदूत और इंसान यहोवा की तरफ होंगे और कुछ दूसरी तरफ? यह जानने के लिए आइए हम दोबारा उन दो सवालों पर गौर करें जो सबसे बड़े मसले से जुड़े हैं। पहला, इंसान परमेश्‍वर के वफादार रहेंगे या नहीं? हज़ार साल के बाद इस सवाल का जवाब मिल चुका होगा। इंसान परिपूर्ण हो जाएँगे और उन्हें पूरी तरह परखा जा चुका होगा। इसके बाद उन्हें अपनी वफादारी का सबूत फिर नहीं देना पड़ेगा। और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी भी दी जाएगी। रही बात दूसरे सवाल की कि क्या यहोवा के हुकूमत करने का तरीका सबसे बेहतर है, तो हज़ार साल के बाद इसका जवाब भी मिल चुका होगा। उस वक्‍त तक स्वर्गदूत और इंसान इस बात को लेकर बँटे हुए नहीं होंगे, बल्कि वे एक होकर यहोवा को अपना राजा मानेंगे।

दोनों सवालों के जवाब मिलने के बाद, सबसे बड़ा मसला सुलझ जाएगा। यहोवा का नाम पवित्र हो जाएगा और उस पर लगे सारे कलंक मिट जाएँगे। तो क्या यहोवा के नाम की अहमियत भी खत्म हो जाएगी? जी नहीं, सभी इंसानों और स्वर्गदूतों के लिए यहोवा का नाम हमेशा अहम रहेगा, क्योंकि वह सबके लिए बढ़िया-बढ़िया इंतज़ाम करता रहेगा। जैसे, जब यीशु राज यहोवा के हाथ में सौंप देगा, तब ‘परमेश्‍वर ही सबके लिए सबकुछ होगा।’ (1 कुरिं. 15:28) इसके बाद इंसानों को “परमेश्‍वर के बच्चे होने की शानदार आज़ादी” मिलेगी और वे बहुत खुश होंगे। (रोमि. 8:21) इस तरह यहोवा, इंसानों और स्वर्गदूतों को एक परिवार बनाने का अपना मकसद पूरा करेगा।​—इफि. 1:10.

यह सब देखकर स्वर्गदूतों और इंसानों को कैसा लगेगा? वे यहोवा के शानदार नाम की महिमा करने से खुद को रोक नहीं पाएँगे। वे दाविद की तरह महसूस करेंगे जिसने लिखा, “परमेश्‍वर यहोवा की तारीफ हो, . . . उसके गौरवशाली नाम की सदा तारीफ होती रहे।” (भज. 72:18, 19) और हमें हमेशा-हमेशा के लिए यहोवा के नाम की महिमा करने की नयी-नयी वजह मिलती रहेंगी।

परमेश्‍वर के नाम से ही उसके बारे में बहुत कुछ पता चलता है। उसका नाम सुनते ही हमारे मन में आता है कि वह कैसा परमेश्‍वर है, उसमें कौन-से गुण हैं। और उसका सबसे खास गुण है, प्यार। (1 यूह. 4:8) हम हमेशा याद रखेंगे  कि प्यार की वजह से ही यहोवा ने हमें बनाया है और प्यार की वजह से ही उसने हमारी खातिर फिरौती बलिदान का इंतज़ाम किया है। हम यह भी याद रखेंगे कि वह प्यार करनेवाला और नेक राजा है। आगे भी हमें यह देखने को मिलता रहेगा  कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है। हम हमेशा-हमेशा के लिए अपने पिता यहोवा के करीब आते जाएँगे और उसके शानदार नाम की महिमा करते रहेंगे।​—भज. 73:28.

a बाइबल से यह भी पता चलता है कि यहोवा “अपने नाम की खातिर” कदम उठाता है। जैसे, वह अपने लोगों को राह दिखाता है, उनकी मदद करता है, उन्हें बचाता है, उनके पाप माफ करता है और उनकी जान की हिफाज़त करता है। यह सब यहोवा अपने नाम की खातिर करता है।​—भज. 23:3; 31:3; 79:9; 106:8; 143:11.

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