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  • प्राचीनो, दूसरों को तालीम देने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
    प्रहरीदुर्ग—2015 | अप्रैल 15
    • शमूएल और शाऊल घर की छत पर बैठकर एक-साथ खाने का मज़ा ले रहे हैं

      प्राचीनो, दूसरों को तालीम देने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

      “हर एक बात का . . . एक समय है।”—सभो. 3:1.

      आप क्या जवाब देंगे?

      • दूसरों को तालीम देना कितना ज़रूरी है और क्यों?

      • जब प्राचीन दूसरों को तालीम देते हैं, तो इससे मंडली को कैसे फायदा होता है?

      • दूसरों को तालीम देने के मामले में प्राचीन, शमूएल की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

      1, 2. सर्किट निगरानों ने बहुत-सी मंडलियों में क्या गौर किया है?

      एक सर्किट निगरान प्राचीनों के साथ अपनी सभा बस खत्म ही करनेवाला था। उसने भाइयों की तरफ देखा और उसका दिल उन मेहनती भाइयों के लिए प्यार-से भर गया। उनमें से कुछ भाई उसके पिता की उम्र के थे। लेकिन एक ज़रूरी बात थी जिसे लेकर उसे फिक्र हो रही थी। उसने प्राचीनों से पूछा, “भाइयो, क्या आपने दूसरों को तालीम देने के लिए कुछ किया है, ताकि वे मंडली में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बन सकें?” ये प्राचीन जानते थे कि सर्किट निगरान ने पिछले दौरे में उन्हें बढ़ावा दिया था कि वे दूसरे भाइयों को तालीम देने पर थोड़ा और ध्यान दें। मगर कुछ देर बाद एक प्राचीन ने कहा, “सच कहूँ तो हमने कुछ नहीं किया।” दूसरे सभी प्राचीनों ने सिर हिलाकर सहमति जतायी।

      2 अगर आप एक प्राचीन हैं, तो शायद आप भी यही जवाब दें। सर्किट निगरानों ने गौर किया है कि बहुत-सी मंडलियों में प्राचीनों को नौजवानों और दूसरे भाइयों को ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बनाने में और ज़्यादा समय बिताने की ज़रूरत है। तभी वे मंडली की देखभाल कर पाएँगे। लेकिन ऐसा करना शायद बहुत मुश्‍किल हो। ऐसा क्यों?

      3. (क) बाइबल से कैसे पता चलता है कि दूसरों को तालीम देना बहुत ज़रूरी है? (ख) दूसरों को तालीम देने के इस काम में हम सबको क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए? (फुटनोट देखिए।) (ग) कुछ प्राचीनों के लिए दूसरों को तालीम देना क्यों मुश्‍किल हो सकता है?

      3 एक प्राचीन के नाते, आप जानते होंगे कि भाइयों को तालीम देना कितना ज़रूरी है।a आप जानते हैं कि आज मंडलियों को मज़बूत बनाए रखने और भविष्य में बननेवाली नयी मंडलियों की मदद करने के लिए और ज़्यादा काबिल भाइयों की ज़रूरत है। (यशायाह 60:22 पढ़िए।) बाइबल कहती है कि आपको ‘दूसरों को सिखाना’ चाहिए। (2 तीमुथियुस 2:2 पढ़िए।) लेकिन इसके लिए समय निकालना शायद मुश्‍किल हो। क्योंकि आपको अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करनी होती हैं और नौकरी-पेशा भी करना होता है। यही नहीं, आपको मंडली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के साथ-साथ दूसरे ज़रूरी काम भी करने होते हैं। इतना सारा काम होने के बावजूद, आइए देखें कि दूसरों को तालीम देना आपके लिए क्यों बहुत ज़रूरी है।

      दूसरों को तालीम देना बहुत ज़रूरी है

      4. कभी-कभी प्राचीन भाइयों को तालीम देने में क्यों टाल-मटोल करते हैं?

      4 मंडली में भाइयों को ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बनाने के लिए समय निकालना कुछ प्राचीनों के लिए क्यों मुश्‍किल हो सकता है? कुछ लोग शायद सोचें, ‘मंडली के दूसरे काम ज़्यादा ज़रूरी हैं। उन्हें जल्द-से-जल्द निपटाने की ज़रूरत है। अगर मैं दूसरों को अभी-के-अभी तालीम नहीं दूँगा, तो मंडली पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’ लेकिन क्या वाकई ऐसा है? हो सकता है दूसरे काम जल्द-से-जल्द निपटाने हों। लेकिन अगर आप भाइयों को तालीम देने में टाल-मटोल करते रहेंगे तो दरअसल इससे मंडली को नुकसान हो सकता है।

      5, 6. (क) कार के ड्राइवर से और जिस तरह वह अपनी कार की देखभाल करता है, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (ख) इसकी तुलना मंडली में दूसरों को तालीम देने से कैसे की जा सकती है?

      5 एक उदाहरण पर गौर कीजिए। एक कार का ड्राइवर जानता है कि कार को अच्छी हालत में रखने के लिए उसका इंजन ऑयल लगातार बदलने की ज़रूरत है। फिर भी वह शायद सोचे कि कार में पेट्रोल भरवाना ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि इसके बिना कार नहीं चल सकती। ड्राइवर शायद यह भी सोचे कि अभी वह बहुत व्यस्त है इसलिए इंजन ऑयल बाद में भी बदलवा सकता है। वैसे भी इंजन ऑयल बदले बिना कार कुछ समय तक चल सकती है। लेकिन ऐसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर ड्राइवर समय पर इंजन ऑयल न बदले, तो एक दिन ऐसा आएगा कि कार पूरी तरह ठप्प पड़ जाएगी। फिर कार सही करवाने के लिए ड्राइवर को काफी वक्‍त और पैसा खर्च करना पड़ेगा। इस उदाहरण से हम क्या सबक सीखते हैं?

      6 प्राचीनों को ज़रूरी मामलों पर जल्द-से-जल्द ध्यान देना चाहिए। ऐसा न करने पर मंडली को नुकसान हो सकता है। जैसे ड्राइवर को कार में लगातार पेट्रोल भरवाने की ज़रूरत होती है, उसी तरह प्राचीनों को पहचानना चाहिए कि “ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।” (फिलि. 1:10) लेकिन कुछ प्राचीन ज़रूरी काम करने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि उनके पास दूसरों को तालीम देने का समय ही नहीं बचता। यह ऐसा होगा जैसे हम कार का इंजन ऑयल बदलने में टाल-मटोल कर रहे हों। अगर प्राचीन भाइयों को तालीम देने में टाल-मटोल करेंगे, तो एक दिन ऐसा आएगा कि मंडली की ज़रूरतें पूरी करने के लिए मंडली में काबिल भाइयों की कमी होगी।

      7. जो प्राचीन समय निकालकर दूसरों को तालीम देते हैं, उन्हें हमें किस नज़र से देखना चाहिए?

      7 इसलिए कभी ऐसा मत सोचिए कि तालीम देना इतना ज़रूरी नहीं है। जो प्राचीन मंडली का अच्छा भविष्य चाहते हैं और समय निकालकर दूसरों को तालीम देते हैं, वे बुद्धिमान प्रबंधकों की तरह हैं और अपने भाई-बहनों के लिए बहुत अनमोल हैं। (1 पतरस 4:10 पढ़िए।) तालीम देने के काम से मंडली को कैसे फायदा होता है?

      समय का अच्छा इस्तेमाल कीजिए

      8. (क) यह क्यों ज़रूरी है कि प्राचीन दूसरों को तालीम दें? (ख) जो प्राचीन ऐसी जगह सेवा करते हैं, जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, उन्हें कौन-सा बहुत ज़रूरी काम करना है? (“बहुत ज़रूरी काम” बक्स देखिए।)

      8 जिन प्राचीनों को बहुत तजुरबा है, उन्हें भी नम्र होकर अपनी हदें पहचाननी चाहिए और यह समझना चाहिए कि जैसे-जैसे उनकी उम्र ढलेगी, वे उतना नहीं कर पाएँगे जितना वे आज कर रहे हैं। (मीका 6:8) साथ ही, प्राचीनों को ध्यान रखना चाहिए कि “समय और संयोग” की वजह से उनके साथ कभी-भी कुछ भी हो सकता है। जिस वजह से मंडली की ज़िम्मेदारियाँ पूरी करना उनके लिए शायद मुश्‍किल हो जाए। (सभो. 9:11, 12; याकू. 4:13, 14) प्राचीन यहोवा के लोगों से प्यार करते हैं और उनकी परवाह करते हैं, इसलिए उन्होंने सालों से यहोवा की सेवा में जो सीखा है, वह जवान भाइयों को बताते हैं।—भजन 71:17, 18 पढ़िए।

      9. भविष्य में होनेवाली किस घटना की वजह से तालीम देना और भी ज़रूरी हो गया है?

      9 जो प्राचीन दूसरों को तालीम देते हैं उनकी मेहनत से और कैसे मंडली को फायदा होता है? इससे पूरी मंडली को मज़बूत होने में मदद मिलती है। कैसे? इस तालीम की वजह से ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई मंडली की मदद करने के काबिल बनते हैं। नतीजा, मंडली के भाई-बहनों में एकता बनी रहती है और वे परमेश्‍वर के वफादार बने रहते हैं। यह आज आखिरी दिनों में बहुत ज़रूरी है और आनेवाले महा-संकट के दौरान और भी ज़रूरी होगा। (यहे. 38:10-12; मीका 5:5, 6) इसलिए प्यारे प्राचीनो, हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप आज से ही दूसरों को तालीम देना शुरू कर दें।

      10. दूसरों को तालीम देने के लिए एक प्राचीन को शायद क्या करना पड़े?

      10 हम जानते हैं कि मंडली के ज़रूरी काम करने की वजह से आप पहले से ही काफी व्यस्त रहते हैं। इसलिए आप वे काम करने में जो समय लगाते हैं शायद उसी में से आपको थोड़ा समय निकालकर दूसरों को तालीम देनी होगी। (सभो. 3:1) ऐसा करके आप अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करेंगे और इससे आगे चलकर मंडली को भी फायदा होगा।

      सही माहौल बनाइए

      11. (क) अलग-अलग देशों के प्राचीनों ने तालीम देने के बारे में जो सुझाव दिए, उनमें क्या बात दिलचस्प है? (ख) नीतिवचन 15:22 के मुताबिक, यह क्यों ज़रूरी है कि हम अलग-अलग प्राचीनों के सुझावों पर चर्चा करें?

      11 कुछ प्राचीनों को दूसरे भाइयों को तालीम देने में अच्छे नतीजे मिले हैं। हाल ही में उनसे पूछा गया कि वे ऐसा कैसे करते हैं।b उन सभी प्राचीनों ने एक जैसे सुझाव दिए, जबकि वे अलग-अलग देशों से थे और उनके हालात एक-दूसरे से बिलकुल अलग थे। इससे क्या पता चलता है? यही कि बाइबल के आधार पर दी गयी तालीम हर ‘जगह हर मंडली’ के भाइयों के लिए फायदेमंद होती है। (1 कुरिं. 4:17) इसलिए इस लेख में और अगले लेख में हम उन प्राचीनों के दिए कुछ सुझावों पर चर्चा करेंगे। (नीति. 15:22) इन लेखों में तालीम देनेवालों को शिक्षक और तालीम लेनेवालों को विद्यार्थी कहा जाएगा।

      12. एक शिक्षक को सबसे पहले क्या करने की ज़रूरत है और क्यों?

      12 सबसे पहले, तालीम देने के लिए एक शिक्षक को सही माहौल बनाने की ज़रूरत है। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? ठीक जैसे माली बीज बोने से पहले मिट्टी तैयार करता है, उसी तरह शिक्षक को विद्यार्थी को कोई नया हुनर सिखाने से पहले उसका दिल तैयार करना चाहिए। तो फिर एक शिक्षक तालीम देने के लिए सही माहौल कैसे तैयार कर सकता है? वह कुछ वही तरीका अपना सकता है जो बीते समय के भविष्यवक्‍ता शमूएल ने अपनाया था, जो एक कुशल शिक्षक था।

      13-15. (क) यहोवा ने शमूएल से क्या करने के लिए कहा? (ख) शमूएल ने शाऊल को नयी ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए कैसे तैयार किया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ग) शमूएल का यह ब्यौरा आज प्राचीनों के लिए क्यों बहुत मायने रखता है?

      13 आज से 3,000 साल पहले की बात है। एक दिन यहोवा ने बुज़ुर्ग शमूएल से कहा, “कल इसी समय मैं तेरे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरुष को भेजूँगा, उसी को तू मेरी इस्राएली प्रजा के ऊपर प्रधान होने के लिये अभिषेक करना।” (1 शमू. 9:15, 16) शमूएल समझ गया कि अब वह इसराएल राष्ट्र की अगुवाई नहीं करेगा। यहोवा चाहता है कि वह अगुवाई करने के लिए किसी और का अभिषेक करे। शमूएल ने शायद सोचा होगा कि वह उस आदमी को यह नयी ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए कैसे तैयार करेगा। उसे एक तरकीब सूझी। फिर उसने योजना बनायी कि वह यह कैसे करेगा।

      14 अगले दिन जब शमूएल, शाऊल से मिला तो यहोवा ने भविष्यवक्‍ता शमूएल से कहा, ‘यही है वह पुरुष।’ शमूएल ने फौरन वही किया, जो करने की उसने योजना बनायी थी। शमूएल ने शाऊल से बात करने के लिए एक अच्छा माहौल बनाया। उसने शाऊल और उसके सेवक को खाने पर बुलाया। उसने उन्हें सबसे अच्छी जगह बिठाया और खाने के लिए सबसे अच्छा गोश्‍त दिया। शमूएल ने कहा, ‘खा, क्योंकि यह तेरे लिए इसी नियत समय के लिए रखा हुआ है।’ खाना खाने के बाद, शमूएल और शाऊल नीचे उतरकर शमूएल के घर गए। रास्ते में उन दोनों की अच्छी बातचीत हुई। घर पहुँचने पर शमूएल और शाऊल दोनों छत पर गए। शमूएल “घर की छत पर शाऊल से” तब तक बातें करता रहा, जब तक कि वे सो नहीं गए। अगले दिन, शमूएल ने शाऊल का अभिषेक किया, उसे चूमा और उसे और भी हिदायतें दीं। उसके बाद शाऊल वहाँ से चला गया। अब आगे जो भी होनेवाला था, उसके लिए वह तैयार था।—1 शमू. 9:17-27; 10:1.

      15 शमूएल ने शाऊल को एक राष्ट्र का राजा बनाने के लिए उसका अभिषेक किया था। लेकिन आज प्राचीन भाइयों को मंडली में प्राचीन या सहायक सेवक के योग्य बनने की तालीम देते हैं। शमूएल ने जो काम किया और आज प्राचीन जो काम करते हैं, उसमें हालाँकि काफी फर्क है, फिर भी शमूएल ने जिस तरह शाऊल का दिल तैयार किया, उससे प्राचीन बहुत-सी ज़रूरी बातें सीख सकते हैं। आइए उनमें से दो बातों पर गौर करें।

      खुशी-खुशी तालीम देनेवाले शिक्षक और अच्छे दोस्त बनिए

      16. (क) जब इसराएलियों ने राजा की माँग की तो शमूएल को कैसा महसूस हुआ? (ख) जब यहोवा ने शमूएल से शाऊल का अभिषेक करने के लिए कहा तो उसने कैसा रवैया दिखाया?

      16 खुशी-खुशी तालीम देने के लिए तैयार रहिए, झिझकिए मत। जब शमूएल को पता चला कि इसराएली अपने लिए एक इंसानी राजा चाहते हैं, तो शुरू में वह निराश हो गया। उसे लगा कि लोगों ने उसे ठुकरा दिया है। (1 शमू. 8:4-8) शमूएल उनके लिए राजा नहीं बनाना चाहता था, इसलिए यहोवा ने उसे तीन बार बताया कि वह लोगों की सुने। (1 शमू. 8:7, 9, 22) हालाँकि शमूएल के अंदर ऐसी भावनाएँ उठी थीं, फिर भी जो शख्स अगुवे के तौर पर उसकी जगह लेनेवाला था, उसके लिए शमूएल ने अपने दिल में कड़वाहट या नाराज़गी नहीं पाली। इसीलिए जब यहोवा ने शमूएल को शाऊल का अभिषेक करने के लिए कहा, तो वह झिझका नहीं। उसने खुशी-खुशी यहोवा की आज्ञा मानी। वह इसलिए नहीं कि ऐसा करना उसका फर्ज़ था बल्कि इसलिए कि वह यहोवा से प्यार करता था।

      17. (क) आज प्राचीन, शमूएल की मिसाल पर कैसे चलते हैं? (ख) प्राचीन क्या देखकर खुश होते हैं?

      17 आज ऐसे बहुत-से तजुरबेकार प्राचीन हैं, जो शमूएल की मिसाल पर चलते हैं। वे प्यार से दूसरों को तालीम देते हैं। (1 पत. 5:2) ये प्राचीन दूसरों को तालीम देने के लिए खुशी-खुशी तैयार रहते हैं और विद्यार्थियों को मंडली में कुछ ज़िम्मेदारियाँ देने से पीछे नहीं हटते। वे उन भाइयों को होड़ लगानेवाले नहीं, बल्कि “सहकर्मी” समझते हैं और मानते हैं कि वे मंडली के लिए अनमोल तोहफे हैं। (2 कुरिं. 1:24; इब्रा. 13:16) त्याग की भावना दिखानेवाले ये प्राचीन यह देखकर खुश होते हैं कि विद्यार्थी अपनी काबिलीयतों का इस्तेमाल करके यहोवा के लोगों की मदद करते हैं।—प्रेषि. 20:35.

      18, 19. (क) एक प्राचीन विद्यार्थी को तालीम देने के लिए कैसे उसका दिल तैयार कर सकता है? (ख) ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?

      18 सिर्फ शिक्षक नहीं, दोस्त बनिए। जब शमूएल शाऊल से मिला था तभी वह उसके सिर पर तेल उँडेलकर राजा के तौर पर उसका अभिषेक कर सकता था। ऐसा करके एक नए राजा का अभिषेक तो हो जाता, मगर वह परमेश्‍वर के लोगों की अगुवाई करने के लिए तैयार नहीं होता। इसलिए ऐसा करने के बजाय, उसने समय निकालकर एक नयी ज़िम्मेदारी के लिए शाऊल के दिल को तैयार किया। शाऊल का अभिषेक करने से पहले शमूएल ने उसके साथ खाना खाया, सैर पर गया, बहुत देर तक उससे बातें कीं और थोड़ी देर आराम भी किया। शमूएल ने राजा का अभिषेक करने के लिए सही वक्‍त का इंतज़ार किया।

      एक प्राचीन और एक सहायक सेवक इत्मीनान से बात कर रहे हैं

      तालीम देने के लिए पहले दोस्त बनना ज़रूरी है (पैराग्राफ 18, 19 देखिए)

      19 यह बात आज भी सच है। दूसरों को तालीम देने से पहले एक प्राचीन को अच्छा माहौल बनाने और उनके साथ दोस्ती का रिश्‍ता कायम करने की कोशिश करनी चाहिए। एक प्राचीन विद्यार्थी को अच्छा महसूस कराने के लिए क्या करेगा, यह उनके हालात और संस्कृति पर निर्भर करता है। आप चाहे जहाँ भी रहते हों, अगर आप अपने व्यस्त शेड्‌यूल में से थोड़ा समय निकालकर विद्यार्थी के साथ बिताएँगे, तो उसे महसूस होगा कि आप उसे कितनी अहमियत देते हैं। (रोमियों 12:10 पढ़िए।) आप विद्यार्थी के लिए जो प्यार और परवाह दिखाएँगे ज़ाहिर है उसके लिए वह आपका बहुत एहसानमंद होगा।

      20, 21. (क) कामयाब शिक्षक कौन होता है? (ख) हम अगले लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

      20 कामयाब शिक्षक वही होता है जिसे न सिर्फ तालीम देना पसंद हो या उससे लगाव हो, बल्कि तालीम लेनेवाले व्यक्‍ति से भी लगाव हो। (यूहन्‍ना 5:20 से तुलना कीजिए।) यह क्यों ज़रूरी है? क्योंकि अगर विद्यार्थी को महसूस होगा कि आप सच में उसकी परवाह करते हैं तो वह खुशी-खुशी आप से सीखना चाहेगा। इसलिए प्राचीनो, न सिर्फ तालीम देने बल्कि अच्छे दोस्त बनने के लिए भी मेहनत कीजिए।—नीति. 17:17; यूह. 15:15.

      21 विद्यार्थी का दिल तैयार करने के बाद, प्राचीन उसे तालीम देना शुरू कर सकते हैं। तालीम देने के लिए प्राचीन कौन-से तरीके अपना सकते हैं? इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

      a यह लेख और अगला लेख खासकर प्राचीनों के लिए लिखे गए हैं। लेकिन इन लेखों में सभी को दिलचस्पी लेनी चाहिए। वह इसलिए कि इससे सभी भाइयों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उन्हें मंडली में और ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए तालीम लेने की ज़रूरत है। जब मंडली में ज़्यादा काबिल भाई होंगे तो इससे हर किसी को फायदा होगा।

      b ये प्राचीन अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका, नाईजीरिया, नामीबिया, फ्राँस, फ्रेंच गुयाना, बाँग्लादेश, ब्राज़ील, बेलजियम, मैक्सिको, रीयुनियन और रूस के रहनेवाले हैं।

      बहुत ज़रूरी काम

      जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर सेवा करनेवाले प्राचीन वहाँ के भाइयों को झुंड की देखभाल करनेवाले चरवाहे बनने के लिए तालीम देते हुए

      दुनिया-भर में बहुत-से भाई-बहन ऐसी मंडलियों में गए हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। वे लोगों को राज की खुशखबरी सुनाने और उसके बारे में सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन सोचिए अगर उन्हें वह देश छोड़ना पड़े, तब क्या होगा? बहुत-सी मंडलियों में इतने काबिल भाई नहीं बचेंगे कि वे मंडली की ज़रूरतें पूरी कर सकें। इसलिए अगर आप एक प्राचीन हैं और आप ऐसी मंडली में सेवा कर रहे हैं जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप वहाँ के भाइयों को तालीम दें ताकि वे मंडली की ज़रूरतें पूरी करने के काबिल बन सकें।

  • प्राचीन कैसे दूसरों को योग्य बनने के लिए तालीम देते हैं?
    प्रहरीदुर्ग—2015 | अप्रैल 15
    • एलीशा देख रहा है कि कैसे एलिय्याह अपनी चद्दर पानी पर मारकर यरदन नदी का पानी दो भागों में बाँट रहा है

      प्राचीन कैसे दूसरों को योग्य बनने के लिए तालीम देते हैं?

      “जो बातें तू ने मुझसे सुनी हैं . . . वे बातें विश्‍वासयोग्य पुरुषों को सौंप दे।”—2 तीमु. 2:2.

      आप क्या जवाब देंगे?

      • प्राचीन एक भाई की किन तरीकों से मदद कर सकते हैं जिससे वह यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ा सके?

      • कौन-सी आयतें एक ऐसे भाई की मदद करेंगी, जिसे शायद मंडली में ज़्यादा काम करने में दिलचस्पी नहीं?

      • जिन्हें तालीम दी जा रही है, वे एलीशा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

      1. (क) परमेश्‍वर के लोग हमेशा से तालीम पाने के बारे में क्या जानते हैं? (ख) यह बात आज हम पर कैसे लागू होती है? (ग) हम इस लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

      परमेश्‍वर के लोग हमेशा से जानते हैं कि तालीम पाने से कामयाबी मिलती है। उदाहरण के लिए, जब लोग लूत को बंदी बनाकर ले गए थे, तो अब्राहम अपने “निपुण” यानी तालीम पाए हुए दासों को लेकर उसे छुड़ाने गया और उसे छुड़ाने में कामयाब हुआ। (उत्प. 14:14-16) उसी तरह, राजा दाविद के दिनों में यहोवा की महिमा में गीत गाने के लिए “निपुण” या तालीम पाए हुए गायक थे। (1 इति. 25:7) बीते ज़माने के परमेश्‍वर के सेवकों की तरह आज अगर हम कामयाब होना चाहते हैं, तो हमारे लिए बहुत ज़रूरी है कि हम तालीम लें। वह इसलिए कि आज हमें शैतान और उसकी दुनिया से लड़ना पड़ता है। (इफि. 6:11-13) साथ ही, हम यहोवा के नाम का सरेआम ऐलान करके, उसकी महिमा करने की जी तोड़ कोशिश करते हैं। (इब्रा. 13:15, 16) यहोवा ने मंडली में प्राचीनों को ज़िम्मेदारी सौंपी है कि वे दूसरों को तालीम दें। (2 तीमु. 2:2) कुछ प्राचीनों ने कौन-से तरीके अपनाकर दूसरे भाइयों को तालीम दी है, ताकि वे यहोवा के लोगों की देखभाल कर सकें?

      विद्यार्थी के दिल में यहोवा के लिए प्यार बढ़ाइए

      2. विद्यार्थी को कोई नया हुनर सिखाने से पहले एक प्राचीन शायद क्या करना चाहे और क्यों?

      2 प्राचीनों की तुलना एक माली से की जा सकती है। बीज बोने से पहले, शायद माली को मिट्टी में खाद डालनी पड़े, जिससे पौधा अच्छी तरह उगे और बड़ा होकर मज़बूत हो। उसी तरह, एक प्राचीन विद्यार्थी को कोई नया हुनर सिखाने से पहले शायद उसके साथ कुछ बाइबल सिद्धांतों पर चर्चा करे। इससे विद्यार्थी को सीखी हुई बातें लागू करने के लिए अपना दिल तैयार करने में मदद मिलेगी।—1 तीमु. 4:6.

      3. (क) मरकुस 12:29, 30 में दिए यीशु के शब्द किस तरह विद्यार्थी के साथ बातचीत शुरू करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं? (ख) एक प्राचीन की प्रार्थना विद्यार्थी पर किस तरह असर कर सकती है?

      3 शिक्षक के लिए यह समझना ज़रूरी है कि सच्चाई ने किस तरह विद्यार्थी के विचारों और भावनाओं पर असर किया है। ऐसा करने के लिए आप उससे पूछ सकते हैं, ‘आपने यहोवा को जो समर्पण किया, उसका आपकी ज़िंदगी के फैसलों पर कैसे असर हुआ है?’ इस सवाल से अच्छी बातचीत शुरू हो सकती है कि हम कैसे यहोवा की सेवा पूरे दिल से कर सकते हैं। (मरकुस 12:29, 30 पढ़िए।) आप चाहें तो उस भाई के साथ प्रार्थना भी कर सकते हैं और यहोवा से उसके लिए पवित्र शक्‍ति माँग सकते हैं, जो तालीम लेने के लिए ज़रूरी है। जब वह भाई आपको उसके लिए प्रार्थना करते सुनेगा, तो मुमकिन है उसे और भी ज़्यादा सेवा करने का बढ़ावा मिलेगा।

      4. (क) बाइबल के कुछ ब्यौरों का उदाहरण दीजिए जो विद्यार्थी को तरक्की करने में मदद दे सकते हैं? (ख) दूसरों को सिखाते वक्‍त प्राचीनों का क्या मकसद होना चाहिए?

      4 जब आप तालीम देना शुरू करते हैं, तो अच्छा होगा अगर आप बाइबल के कुछ ब्यौरों पर चर्चा करें। इनसे विद्यार्थी देख पाएगा कि दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना, भरोसेमंद और नम्र होना कितना अहमियत रखता है। (1 राजा 19:19-21; नहे. 7:2; 13:13; प्रेषि. 18:24-26) ये गुण विद्यार्थी के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितना मिट्टी के लिए खाद। ये गुण विद्यार्थी को बढ़ने में मदद देते हैं, यानी वह तेज़ी से तरक्की कर पाता है। फ्राँस का एक प्राचीन, ज़ॉन-क्लोड बताता है कि तालीम देते वक्‍त उसका मकसद होता है, विद्यार्थी को बाइबल सिद्धांतों पर आधारित फैसले लेने में मदद देना। वह आगे कहता है, “मैं ऐसे मौकों की तलाश में रहता हूँ जब मैं विद्यार्थी के साथ कोई खास आयत पढ़ सकूँ जिससे उसकी ‘आँखें खुल’ सकें और वह परमेश्‍वर के वचन की ‘अद्‌भुत बातें’ देख सके।” (भज. 119:18) विद्यार्थी को आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत करने के कुछ और तरीके क्या हैं?

      लक्ष्य रखने का सुझाव दीजिए और उसकी वजह बताइए

      5. (क) विद्यार्थी से यह पूछना कितना ज़रूरी है कि उसने यहोवा की सेवा में क्या लक्ष्य रखे हैं? (ख) यह क्यों ज़रूरी है कि प्राचीन, भाइयों को उनकी नौजवानी से ही तालीम दें? (फुटनोट देखिए।)

      5 विद्यार्थी से पूछिए कि यहोवा की सेवा में उसके लक्ष्य क्या हैं। अगर उसने कोई लक्ष्य नहीं रखा है तो उसे एक ऐसा लक्ष्य रखने में मदद दीजिए, जिसे वह हासिल कर सके। जोश के साथ उसे अपने लक्ष्य के बारे में बताइए और यह भी बताइए कि वह लक्ष्य हासिल करने पर आपको कितनी खुशी हुई थी। यह तरीका आसान ही नहीं बल्कि असरदार भी है। अफ्रीका में रहनेवाला विक्‌टर नाम का एक प्राचीन, जो पायनियर भी है, कहता है: “जब मैं जवान था तब एक प्राचीन ने मुझसे मेरे लक्ष्यों के बारे में सवाल पूछे। उन सवालों ने मुझे अपनी सेवा के बारे में गहराई से सोचने में मदद दी।” अनुभवी प्राचीनों का कहना है कि भाइयों को तभी से तालीम देना शुरू करना चाहिए, जब वे नौजवान होते हैं, हो सके तो किशोर अवस्था के शुरूआती सालों से ही। आप उनकी उम्र के हिसाब से उन्हें मंडली में ज़िम्मेदारी सौंप सकते हैं। अगर भाई अपनी नौजवानी में ही तालीम पाएँ, तो वे बड़े होने पर भी अपने लक्ष्यों पर ध्यान लगाए रख पाएँगे, यहाँ तक कि उस वक्‍त भी जब उनके सामने बहुत-सी रुकावटें आएँगीं।—भजन 71:5, 17 पढ़िए।a

      राज-घर में, एक प्राचीन एक जवान भाई को समझा रहा है कि फलाँ काम करना क्यों ज़रूरी है

      एक भाई को बताइए कि फलाँ काम करना क्यों ज़रूरी है और उस काम को पूरा करने में लगी मेहनत के लिए भाई की तारीफ कीजिए (पैराग्राफ 5-8 देखिए)

      6. यीशु ने दूसरों को सिखाने का कौन-सा ज़रूरी तरीका अपनाया?

      6 विद्यार्थी में सेवा करने का जोश भरने के लिए, सिर्फ इतना बताना काफी नहीं कि उसे क्या करना है। आपको उसे यह भी समझाना होगा कि ऐसा करना क्यों ज़रूरी है। महान शिक्षक, यीशु ने अपने प्रेषितों से प्रचार करने के लिए कहा था। लेकिन उससे पहले उसने उन्हें यह भी बताया कि उन्हें यह आज्ञा क्यों माननी है। उसने कहा: “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ।” (मत्ती 28:18, 19) यीशु के सिखाने का तरीका आप कैसे अपना सकते हैं?

      7, 8. (क) प्राचीन कैसे यीशु के सिखाने का तरीका अपना सकते हैं? (ख) विद्यार्थी की तारीफ करना कितना ज़रूरी है? (ग) दूसरों को तालीम देने में कौन-से सुझाव प्राचीनों की मदद कर सकते हैं? (“दूसरों को तालीम कैसे दें” बक्स देखिए।)

      7 जब आप किसी भाई को कोई काम सौंपते हैं, तो उसे बाइबल से समझाइए कि वह काम क्यों ज़रूरी है। ऐसा करके आप उन्हें यह सिखा रहे होंगे कि हम कोई काम बाइबल सिद्धांतों पर चलने की वजह से करते हैं, न कि नियम-कानून मानने की वजह से। उदाहरण के लिए, अगर आप एक भाई से कहते हैं कि वह राज-घर के दरवाज़े के आस-पास की जगह साफ-सुथरी रखे, जिससे वहाँ चलने-फिरने में कोई परेशानी न हो तो आप उसे तीतुस 2:10 दिखा सकते हैं। उसे समझाइए कि उसके इस काम की वजह से कैसे राज के संदेश पर और भी ज़्यादा लोगों का ध्यान खिंचेगा। साथ ही, विद्यार्थी को मंडली के बुज़ुर्गों के बारे में सोचने का बढ़ावा दीजिए और यह भी कि कैसे उसका यह काम उनकी मदद करेगा। इस तरह की बातचीत से उसे ऐसी तालीम मिलेगी जिसकी मदद से वह नियमों के बजाय लोगों के बारे में सोच पाएगा। जब वह देखेगा कि किस तरह उसके काम से भाई-बहनों को फायदा हो रहा है तो उसे यह जानकर अच्छा महसूस होगा कि वह दूसरों की सेवा कर रहा है।

      8 जब विद्यार्थी आपके सुझावों को लागू करता है, तो उसकी तारीफ करना कभी मत भूलिए। ऐसा करना कितना ज़रूरी है? यह उतना ही ज़रूरी है जितना पौधे के लिए पानी। जैसे पानी से पौधे को बढ़ने और मज़बूत बने रहने में मदद मिलती है, वैसे ही विद्यार्थी की तारीफ करने से उसे यहोवा की सेवा में तरक्की करने में मदद मिलती है।—मत्ती 3:17 से तुलना कीजिए।

      एक और चुनौती

      9. (क) कुछ अमीर देशों में प्राचीनों को दूसरों को तालीम देना शायद क्यों मुश्‍किल लगे? (ख) कुछ नौजवान भाई परमेश्‍वर की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह क्यों नहीं देते?

      9 अमीर देशों में प्राचीनों को करीब 25-35 साल के बपतिस्मा-शुदा भाइयों को मंडली में और ज़्यादा सेवा करने का बढ़ावा देना शायद मुश्‍किल लगे। करीब 20 देशों के तजुरबेकार प्राचीनों ने हमें बताया कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि कुछ नौजवान भाई मंडली में ज़्यादा सेवा नहीं करते। ज़्यादातर प्राचीनों ने बताया कि कुछ भाई जब नौजवान थे, तो उनके माता-पिता ने उन्हें यहोवा की सेवा में लक्ष्य रखने का बढ़ावा नहीं दिया। वहीं जब कुछ नौजवान भाई परमेश्‍वर की सेवा में ज़्यादा करना चाहते थे तो उनके माता-पिता ने उन्हें ऊँची शिक्षा या दुनिया में करियर बनाने जैसे लक्ष्य रखने का बढ़ावा दिया! इसलिए उन्होंने परमेश्‍वर की सेवा को अपनी ज़िंदगी में कभी पहली जगह नहीं दी।—मत्ती 10:24.

      10, 11. (क) एक प्राचीन कैसे धीरे-धीरे एक भाई को अपनी सोच सुधारने में मदद दे सकता है? (ख) प्राचीन एक भाई को बढ़ावा देने के लिए कौन-सी आयतें इस्तेमाल कर सकता है और क्यों? (फुटनोट देखिए।)

      10 अगर ऐसा लगता है कि एक भाई को मंडली में ज़्यादा सेवा करने में दिलचस्पी नहीं है, तो उसकी सोच सुधारने में बहुत मेहनत करनी होगी और सब्र रखना होगा। लेकिन उसकी सोच सुधारी जा सकती है। एक माली पौधे को सहारा देकर धीरे-धीरे उसे सीधे बढ़ने में मदद दे सकता है। उसी तरह, आप धीरे-धीरे एक भाई को यह समझने में मदद दे सकते हैं कि उसे मंडली में ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ कबूल करने के लिए अपना रवैया बदलने की ज़रूरत है। लेकिन कैसे?

      11 समय निकालकर उस भाई के दोस्त बनने की कोशिश कीजिए। उसे इस बात का एहसास दिलाइए कि मंडली में उसकी ज़रूरत है। फिर जैसे-जैसे समय बीतता है, उसके साथ बैठकर ऐसी आयतों पर तर्क कीजिए जिनकी मदद से वह यहोवा को किए अपने समर्पण के बारे में सोच सके। (सभो. 5:4; यशा. 6:8; मत्ती 6:24, 33; लूका 9:57-62; 1 कुरिं. 15:58; 2 कुरिं. 5:15; 13:5) कुछ इस तरह के सवाल पूछकर यह जानने की कोशिश कीजिए कि उसके दिल में क्या है: ‘जब आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की थी, तब आपने उससे क्या वादा किया था? आपको क्या लगता है, जब आपने बपतिस्मा लिया तब यहोवा को कैसा महसूस हुआ होगा?’ (नीति. 27:11) ‘उस वक्‍त शैतान को कैसा महसूस हुआ होगा?’ (1 पत. 5:8) यहाँ जो आयतें दी हैं, ये और ऐसी ही दूसरी आयतें एक भाई के दिल पर ज़बरदस्त असर कर सकती हैं।—इब्रानियों 4:12 पढ़िए।b

      विद्यार्थियो, वफादार रहिए

      12, 13. (क) एलीशा ने एक विद्यार्थी के नाते कैसा रवैया दिखाया? (ख) यहोवा ने एलीशा को उसकी वफादारी का क्या इनाम दिया?

      12 नौजवान भाइयो, मंडली को आपकी मदद की ज़रूरत है! किस तरह का रवैया यहोवा की सेवा में आपको कामयाब होने में मदद करेगा? जवाब जानने के लिए, आइए बीते ज़माने के एक विद्यार्थी की ज़िंदगी में हुई कुछ घटनाओं पर चर्चा करें। वह विद्यार्थी था, एलीशा।

      13 आज से करीब 3,000 साल पहले भविष्यवक्‍ता एलिय्याह ने जवान एलीशा को अपना सेवक बनने का न्यौता दिया। एलीशा फौरन तैयार हो गया और वफादारी से भविष्यवक्‍ता के लिए मामूली काम करने लगा। (2 राजा 3:11) एलिय्याह ने एलीशा को करीब 6 साल तक तालीम दी। फिर जब इसराएल में एलिय्याह का काम बस खत्म होने ही वाला था, उसने अपने सेवक से कहा कि वह उसकी सेवा करना बंद कर सकता है। लेकिन एलीशा ने तीन बार उससे कहा, “मैं आपका साथ नहीं छोड़ूँगा!” (हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) उसने ठान लिया था कि जब तक हो सकेगा, वह अपने शिक्षक के साथ ही रहेगा। उसकी इस वफादारी का यहोवा ने उसे इनाम दिया। उसने एलीशा को यह मौका दिया कि वह एलिय्याह को बवंडर में होकर स्वर्ग पर चढ़ते हुए देख सके।—2 राजा 2:1-12.

      14. (क) आज विद्यार्थी एलीशा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? (ख) एक विद्यार्थी के लिए वफादार बने रहना क्यों ज़रूरी है?

      14 एक विद्यार्थी के नाते, आप एलीशा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? अगर कोई ज़िम्मेदारी दी जाती है, तो उसे फौरन कबूल कीजिए, फिर चाहे वह कोई छोटा काम ही क्यों न हो। याद रखिए, आपका शिक्षक आपका दोस्त है। उसे बताइए कि वह आपके लिए जो कर रहा है, उसकी आप दिल से कदर करते हैं। यह भी ज़ाहिर कीजिए कि आप उससे सीखते रहना चाहते हैं। सबसे ज़रूरी है, वफादारी से अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी कीजिए। यह क्यों ज़रूरी है? जब आप दिखाएँगे कि आप वफादार और भरोसेमंद हैं तो प्राचीनों को इस बात का यकीन होगा कि यहोवा चाहता है कि आपको मंडली में और ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ दी जाएँ।—भज. 101:6; 2 तीमुथियुस 2:2 पढ़िए।

      तजुरबेकार प्राचीनों का आदर कीजिए

      15, 16. (क) एलीशा ने किन तरीकों से दिखाया कि वह अपने शिक्षक की इज़्ज़त करता है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) दूसरे भविष्यवक्‍ता एलीशा पर भरोसा क्यों रख पाए?

      15 एलीशा के ब्यौरे से यह भी पता चलता है कि आज भाइयों के लिए तजुरबेकार प्राचीनों का आदर करना कितना ज़रूरी है। एलिय्याह और एलीशा यरीहो में भविष्यवक्‍ताओं के एक समूह से मिलने के बाद, यरदन नदी पर गए। फिर “एलिय्याह ने अपनी चद्दर पकड़कर ऐंठ ली, और जल पर मारा, तब वह इधर उधर दो भाग हो गया।” उन दोनों ने सूखी ज़मीन पर चलकर यरदन नदी पार की और वे “चलते चलते बातें कर रहे थे।” एलीशा ने अपने शिक्षक की कही हर बात बड़े ध्यान-से सुनी और उससे सीखता रहा। एलीशा ने कभी ऐसा नहीं सोचा कि उसे सबकुछ पता है। फिर एलिय्याह एक बवंडर में स्वर्ग पर उठा लिया गया और एलीशा वापस यरदन नदी पर आ गया। वहाँ उसने एलिय्याह की चद्दर पानी पर मारी और कहा, “एलिय्याह का परमेश्‍वर यहोवा कहाँ है?” नदी का पानी फिर से दो भागों में बँट गया।—2 राजा 2:8-14.

      16 क्या आपने गौर किया, एलीशा का पहला चमत्कार ठीक वैसा ही था जैसा एलिय्याह का आखिरी चमत्कार? इससे हम क्या सीख सकते हैं? एलीशा ने ऐसा नहीं सोचा कि अब उसके पास अधिकार है इसलिए उसे हर काम उस तरह से करने की ज़रूरत नहीं जैसे एलिय्याह ने किया था। इसके बजाय, उसने एलिय्याह के तरीके अपनाकर दिखाया कि वह अपने शिक्षक की कितनी इज़्ज़त करता है। इस वजह से बाकी भविष्यवक्‍ता भी एलीशा पर भरोसा रख पाए। (2 राजा 2:15) एलीशा ने 60 सालों तक एक नबी के तौर पर सेवा की। और यहोवा ने उसे एलिय्याह से कहीं ज़्यादा चमत्कार करने की शक्‍ति दी। इससे आज के विद्यार्थियों को क्या सीख मिलती है?

      17. (क) आज विद्यार्थी एलीशा के जैसा रवैया कैसे दिखा सकते हैं? (ख) आगे चलकर यहोवा किस तरह वफादार विद्यार्थियों को इस्तेमाल कर सकता है?

      17 जब आपको मंडली में ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ मिलती हैं, तो कभी ऐसा मत सोचिए कि आपको उन्हें बिलकुल अलग तरीके से करने की ज़रूरत है। याद रखिए, मंडली में कोई फेरबदल तभी किया जाता है जब मंडली में इसकी ज़रूरत हो या जब यहोवा के संगठन से ऐसा करने का निर्देशन मिले। आपको अपनी मरज़ी से कभी कोई फेरबदल नहीं करना चाहिए। जब एलीशा ने एलिय्याह के तरीकों से काम किया तो एक तरह से उसने दूसरे भविष्यवक्‍ताओं को उस पर भरोसा करने में मदद दी। साथ ही, उसने दिखाया कि वह अपने शिक्षक की इज़्ज़त करता है। उसी तरह, जब आप अपने शिक्षकों के बाइबल पर आधारित तरीके अपनाएँगे, तो आप तजुरबेकार प्राचीनों की इज़्ज़त कर रहे होंगे और इससे बाकी भाई-बहन आप पर भरोसा रख पाएँगे। (1 कुरिंथियों 4:17 पढ़िए।) जैसे-जैसे आप तजुरबा हासिल करेंगे, आप ऐसे बदलाव कर पाएँगे जिससे मंडली को यहोवा के संगठन के मुताबिक चलने में मदद मिलेगी, जो आगे बढ़ता जा रहा है। आगे चलकर यहोवा शायद एलीशा की तरह आपको भी अपने शिक्षकों से ज़्यादा बड़े-बड़े काम करने में मदद दे।—यूह. 14:12.

      18. मंडली में भाइयों को तालीम देना क्यों आज बहुत ज़रूरी है?

      18 हमें उम्मीद है कि इस लेख में और पिछले लेख में दिए सुझावों से, ज़्यादा-से-ज़्यादा प्राचीनों को बढ़ावा मिलेगा कि वे दूसरे भाइयों को तालीम देने के लिए समय निकालें। हमारी दुआ है कि योग्य भाई खुशी-खुशी तालीम पाने के लिए तैयार रहें और सीखी हुई बातें लागू करके यहोवा के लोगों की देखभाल करें। इस तरह की तालीम से दुनिया-भर की सभी मंडलियाँ मज़बूत होंगी और हममें से हरेक को आनेवाले रोमांचक दौर में वफादार बने रहने में मदद मिलेगी।

      a अगर एक नौजवान भाई प्रौढ़ है, नम्र है और उसमें ऐसे गुण भी हैं जो मंडली में सेवा करने के लिए ज़रूरी होते हैं तो मंडली के प्राचीन, सहायक सेवक बनाने के लिए उसकी सिफारिश कर सकते हैं, भले ही उसकी उम्र 20 साल से कम हो।—1 तीमु. 3:8-10, 12; 1 जुलाई, 1989 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) का पेज 29 देखिए।

      b आप चाहें तो 15 अप्रैल, 2012 की प्रहरीदुर्ग का पेज 14-16, पैराग्राफ 8-13 और “खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो” किताब के अध्याय 16, पैराग्राफ 1-3 में दिए मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।

      दूसरों को तालीम कैसे दें

      जिन प्राचीनों को दूसरों को तालीम देने में कामयाबी मिली है, उन्होंने ये सुझाव दिए:

      1. अपनी बातों और कामों से एक अच्छी मिसाल रखिए।

      2. विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए कि वह एक साल में पूरी बाइबल पढ़े और इस तरह यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करे।

        एक प्राचीन एक सहायक सेवक को तालीम दे रहा है कि वह सरेआम गवाही कैसे दे सकता है
      3. प्रचार में साथ मिलकर काम कीजिए।

      4. उसे प्रचार की सभा चलाना सिखाइए, जिससे भाई-बहनों को फायदा होता है।

        1. एक प्राचीन जन-भाषण दे रहा है; 2. एक प्राचीन एक सहायक सेवक की मदद कर रहा है; 3. एक सहायक सेवक जन-भाषण दे रहा है
      5. जब आप जन भाषण देते हैं, तो विद्यार्थी को उस भाषण की आउटलाइन दीजिए ताकि वह देख सके कि आप वह विषय कैसे खुलकर समझाते हैं।

      6. कभी-कभी उसे और उसके परिवार को अपनी पारिवारिक उपासना में बुलाइए।

      7. उससे और उसके परिवार से पूछिए कि क्या वे आप और आपके परिवार के साथ उन इलाकों में जाकर प्रचार कर सकते हैं, जहाँ बहुत कम साक्षी हैं या बिलकुल नहीं हैं।c

      c अफ्रीका, अमरीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में रहनेवाले प्राचीनों ने ये सुझाव अपनाए और उन्हें इसके बढ़िया नतीजे मिले।

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