मिलते-जुलते लेख yp अध्या. 15 पेज 121-126 मैं इतना शर्मीला क्यों हूँ? लोगों से मिलने-जुलने के डर को मैं कैसे मिटा सकता हूँ? सजग होइए!–1999 क्या आप शर्मीले हैं? हमारी राज-सेवा—2000 मैं किस तरह और भी ज़्यादा मिलनसार बन सकता हूँ? सजग होइए!–1999 वार्तालाप एक कला है सजग होइए!–1995 बातचीत करने का कौशल कैसे बढ़ाएँ परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किनके साथ दोस्ती करूँ? सजग होइए!–2011