1
नमस्कार (1-3)
पौलुस, कुरिंथियों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है (4-9)
एकता में रहने का बढ़ावा (10-17)
मसीह, परमेश्वर की शक्ति और बुद्धि (18-25)
सिर्फ यहोवा के बारे में गर्व करो (26-31)
2
कुरिंथ में पौलुस का प्रचार (1-5)
परमेश्वर की बुद्धि श्रेष्ठ है (6-10)
परमेश्वर जैसी सोच और इंसानी सोच में फर्क (11-16)
3
कुरिंथ के लोगों की दुनियावी सोच (1-4)
परमेश्वर बढ़ाता है (5-9)
आग में टिकनेवाली चीज़ों से बनाना (10-15)
तुम परमेश्वर का मंदिर हो (16, 17)
दुनिया की बुद्धि मूर्खता है (18-23)
4
प्रबंधक को विश्वासयोग्य होना चाहिए (1-5)
मसीही सेवकों की नम्रता (6-13)
अपने मसीही बच्चों के लिए पौलुस की परवाह (14-21)
5
नाजायज़ यौन-संबंध का मामला (1-5)
ज़रा-सा खमीर सारे आटे को खमीरा कर देता है (6-8)
दुष्ट आदमी को निकाल दो (9-13)
6
मसीही एक-दूसरे पर मुकदमे करते हैं (1-8)
कौन परमेश्वर के राज के वारिस नहीं होंगे (9-11)
अपने शरीर से परमेश्वर की महिमा करो (12-20)
7
अविवाहित और शादीशुदा लोगों के लिए सलाह (1-16)
तुम जिस दशा में बुलाए गए उसी में रहो (17-24)
अविवाहित लोग और विधवाएँ (25-40)
8
9
10
इसराएल के इतिहास से सबक (1-13)
मूर्तिपूजा के बारे में चेतावनी (14-22)
आज़ादी और दूसरों का लिहाज़ (23-33)
11
12
13
14
15
मसीह ज़िंदा किया गया (1-11)
मरे हुओं के ज़िंदा होने की शिक्षा विश्वास की बुनियाद (12-19)
मसीह का ज़िंदा होना यकीन दिलाता है (20-34)
हाड़-माँस का शरीर, अदृश्य शरीर (35-49)
अमरता और अनश्वरता (50-57)
प्रभु की सेवा में हमेशा बहुत काम (58)
16
यरूशलेम के मसीहियों के लिए दान इकट्ठा करना (1-4)
पौलुस के सफर की योजना (5-9)
तीमुथियुस और अपुल्लोस के सफर की योजना (10-12)
सलाह और नमस्कार (13-24)