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समस्या

हमारी सुरक्षा खतरे में

“आज की पीढ़ी के पास इतनी तकनीकी सुविधाएँ और इतने पैसे, साधन और सहूलियतें हैं जितनी पहले कभी लोगों के पास नहीं थीं . . . पर ऐसा लगता है कि यही पीढ़ी दुनिया की राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था को और पर्यावरण को पूरी तरह तहस-नहस कर देगी।”​—विश्‍व संकट रिपोर्ट 2018, विश्‍व आर्थिक मंच, अँग्रेज़ी।

कई जानकार लोग इंसानों और धरती के भविष्य को लेकर इतनी चिंता क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम पर कई समस्याओं का खतरा मँडरा रहा है। इनमें से कुछ ये हैं:

  • एक कंप्यूटर जिसे पासवर्ड से सुरक्षित किया गया है

    इंटरनेट के माध्यम से अपराध: ऑस्ट्रेलिया का एक अखबार कहता है, “इंटरनेट दिनों-दिन जुर्म का अड्डा बनता जा रहा है। यह बच्चों के साथ दुष्कर्म करनेवालों, गुंडे-बदमाशों, ट्रोलa और हैकरों की पसंदीदा जगह बन गया है। निजी जानकारी की चोरी दुनिया में सबसे ज़्यादा होनेवाले अपराधों में से एक है। . . . इंटरनेट वहशियाना कामों और दरिंदगी को अंजाम देने का एक ज़रिया बन गया है।” 22 जुलाई, 2017 की नवभारत टाइम्स  में बताया गया था कि 2017 के शुरू के छ: महीनों में भारत में हर 10 मिनट में इंटरनेट के ज़रिए एक अपराध हुआ।

  • पैसा रखा हुआ है और कई लोगों के हाथ उसकी तरफ बढ़ रहे हैं

    अमीर-गरीब में बढ़ता फासला: गरीबों की मदद करनेवाले एक संगठन ने हाल में रिपोर्ट दी है कि दुनिया की आधी आबादी के पास कुल मिलाकर जितने पैसे हैं, उतने पैसे दुनिया के आठ सबसे अमीर लोगों के पास हैं। उस रिपोर्ट के मुताबिक देशों की बिगड़ती अर्थ-व्यवस्था की वजह से समाज के सबसे गरीब लोगों का हक मारकर अमीरों की तिजोरियाँ भरी जा रही हैं और इन गरीब मोहताजों में सबसे ज़्यादा गिनती औरतों की हैं। कुछ लोगों को डर है कि अगर अमीर-गरीब के बीच फासला बढ़ता गया, तो और भी दंगे होने लगेंगे।

  • बम

    युद्ध और ज़ुल्म: संयुक्‍त राष्ट्र शरणार्थी एजेन्सी की 2018 की एक रिपोर्ट कहती है कि आज करोड़ों लोगों को अपना घर-बार छोड़कर भागना पड़ रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। खासकर युद्ध और ज़ुल्म की वजह से 6 करोड़ 80 लाख लोगों को मजबूरन अपना इलाका छोड़कर भागना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया कि “हर दो सेकेंड में एक व्यक्‍ति को सबकुछ छोड़कर जाना पड़ रहा है।”

  • चिमनी से निकलते धुएँ से प्रदूषण फैल रहा है

    पर्यावरण को खतरा: विश्‍व संकट रिपोर्ट 2018  के मुताबिक “कई पशु-पक्षियों और पौधों की पूरी-की-पूरी प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। वायु और समुंदर का बढ़ता प्रदूषण इंसान की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया है।” कुछ देशों में कीट-पतंगों की संख्या भी तेज़ी से घट रही है। कीट-पतंगे पौधों का परागण करते हैं, इसलिए वैज्ञानिक कहते हैं कि उनका मिट जाना पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। प्रवाल शैलों का वजूद भी खतरे में है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते 30 सालों में दुनिया के आधे प्रवाल शैल गायब हो गए।

क्या हम इन समस्याओं का हल कर सकते हैं ताकि हम सुरक्षित रहें? कुछ लोग कहते हैं कि इस मामले में लोगों को शिक्षित करने से काफी हद तक हमारी समस्या हल हो सकती है। पर सवाल है कि लोगों को कैसी शिक्षा दी जानी चाहिए? अगले लेखों में इस बारे में बताया जाएगा।

a इंटरनेट पर किसी के पक्ष या विपक्ष में अंधाधुंध लिखनेवाले।

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