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महान शिक्षक से सीखिए
lr अध्या. 8 पेज 47-51

पाठ 8

परमेश्‍वर हम सबसे बड़ा है

आप क्या सोचते हो, क्या ऐसा कोई है जो आपसे, मुझसे और हम सबसे बड़ा और ताकतवर है? क्या आप बता सकते हैं वह कौन है?— वह यहोवा परमेश्‍वर है। और उसके बेटे, महान शिक्षक के बारे में आप क्या कहोगे? क्या वह भी हमसे बड़ा है?— जी हाँ, बिलकुल।

धरती पर आने से पहले यीशु परमेश्‍वर के साथ स्वर्ग में रहता था। वह एक स्वर्गदूत था। और उसका शरीर हम इंसानों की तरह हाड़-माँस का नहीं, बल्कि परमेश्‍वर की तरह आत्मिक शरीर था। इसीलिए यीशु को परमेश्‍वर का आत्मिक बेटा कहा जाता है। क्या परमेश्‍वर ने और भी स्वर्गदूत या आत्मिक बेटे बनाए थे?— हाँ, उसने लाखों-करोड़ों स्वर्गदूत बनाए थे। ये स्वर्गदूत हमसे कहीं बढ़कर और ताकतवर हैं।—भजन 104:4; दानिय्येल 7:10.

क्या आपको उस स्वर्गदूत का नाम याद है जिसने मरियम से बात की थी?— उसका नाम है जिब्राईल। उसने मरियम से कहा था कि उसका बच्चा परमेश्‍वर का बेटा कहलाएगा। परमेश्‍वर ने अपने आत्मिक बेटे का जीवन मरियम के अंदर डाला, ताकि यीशु बच्चे के रूप में धरती पर जन्म ले सके।—लूका 1:26, 27.

मरियम और यूसुफ अपने नन्हे बेटे, यीशु से बात करते हैं

मरियम और यूसुफ ने यीशु को क्या बताया होगा?

यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। क्या आप मानते हो ऐसा वाकई हुआ था? क्या आप मानते हैं कि यीशु, परमेश्‍वर के साथ स्वर्ग होमें रहता था?— यीशु ने खुद कहा कि वह परमेश्‍वर के साथ स्वर्ग में रहता था। यीशु को ये सारी बातें किसने बतायीं? शायद उसकी माँ मरियम ने उसे बचपन में वे सारी बातें बतायी होंगी जो जिब्राईल स्वर्गदूत ने उससे कही थीं। और यूसुफ ने भी उसे बताया होगा कि उसका असली पिता परमेश्‍वर है।

जब यीशु का बपतिस्मा हुआ, तब परमेश्‍वर ने भी स्वर्ग से कहा: ‘यह मेरा बेटा है।’ (मत्ती 3:17) अपनी मौत से पहले की रात यीशु ने प्रार्थना की: “हे पिता, मुझे अपने साथ वह महिमा दे, जो दुनिया के शुरू होने से पहले मेरी तेरे साथ थी।” (यूहन्‍ना 17:5) जी हाँ, यीशु परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रहा था कि वह उसे दोबारा अपने साथ रहने के लिए स्वर्ग में बुला ले। लेकिन अब यीशु स्वर्ग में कैसे रह सकता था?— वह स्वर्ग में सिर्फ तभी रह सकता था, जब यहोवा परमेश्‍वर उसे दोबारा एक आत्मिक प्राणी यानी स्वर्गदूत बना देता।

अब आप एक ज़रूरी सवाल का जवाब दो। क्या सभी स्वर्गदूत अच्छे हैं? आप क्या सोचते हो?— एक वक्‍त था जब सभी स्वर्गदूत अच्छे थे। ऐसा क्यों? क्योंकि सारे स्वर्गदूतों को यहोवा ने बनाया था। यहोवा तो जो भी काम करता है वह अच्छा ही होता है। लेकिन पता है बाद में एक स्वर्गदूत बुरा बन गया। वह कैसे?

यह जानने के लिए हमें उस समय में जाना होगा जब परमेश्‍वर ने पहले स्त्री और पुरुष को बनाया था। उनका नाम था आदम और हव्वा। कुछ लोग कहते हैं कि आदम और हव्वा की कहानी झूठी है। लेकिन महान शिक्षक को मालूम था कि यह सच्ची बात है।

जब परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा को बनाया तो उसने उन्हें अदन नाम के एक खूबसूरत बगीचे में रखा। उसे फिरदौस भी कहा जाता है। वहाँ आदम और हव्वा बहुत-से बच्चे पैदा कर सकते थे। उनका एक बड़ा-सा परिवार होता और वे हमेशा तक फिरदौस में जी सकते थे। लेकिन उन्हें एक बहुत ज़रूरी सबक सीखना था। इसके बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं। चलो देखते हैं कि आपको वह सबक याद है या नहीं।

अदन के बगीचे में आदम और हव्वा

आदम और हव्वा कैसे हमेशा-हमेशा तक फिरदौस में जी सकते थे?

यहोवा ने आदम और हव्वा से कहा था कि वे बगीचे के सभी पेड़ों से जितने चाहें फल खा सकते हैं। बस एक पेड़ था जिसका फल उन्हें नहीं खाना था। परमेश्‍वर ने उन्हें बताया कि अगर वे उस पेड़ का फल खाएँगे तो उसका क्या अंजाम होगा। उसने कहा था: ‘तुम अवश्‍य मर जाओगे।’ (उत्पत्ति 2:17) तो बताइए आदम और हव्वा को कौन-सा सबक सीखने की ज़रूरत थी?—

उन्हें आज्ञा मानने का सबक सीखने की ज़रूरत थी। जी हाँ, यहोवा परमेश्‍वर की बात मानने से ही इंसान ज़िंदा रह सकता है! आदम और हव्वा को सिर्फ बातों से ही नहीं, बल्कि अपने कामों से दिखाना था कि वे परमेश्‍वर की आज्ञा मानेंगे। अगर वे परमेश्‍वर की आज्ञा मानते तो इससे पता चलता कि वे उससे प्यार करते हैं। और चाहते हैं कि परमेश्‍वर ही उनका राजा हो। इस तरह वे हमेशा-हमेशा तक फिरदौस में ज़िंदा रह सकते थे। लेकिन अगर वे उस पेड़ का फल खा लेते जिसके लिए यहोवा ने मना किया था तो उससे क्या पता चलता?—

उससे पता चलता कि परमेश्‍वर ने उन्हें जो कुछ दिया उसके लिए वे उसे धन्यवाद नहीं देना चाहते। अगर आप वहाँ होते तो क्या आप यहोवा की आज्ञा मानते?— शुरू-शुरू में तो आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की बात मानी। लेकिन फिर किसी ऐसे ने हव्वा को बुद्धू बनाया जो उनसे कहीं ज़्यादा बुद्धिमान और शक्‍तिशाली था। उसकी बातों में आकर हव्वा ने यहोवा की आज्ञा तोड़ दी। क्या आप जानते हो वह कौन था?—

हव्वा के हाथ में मना किया गया फल है और साँप उससे बात कर रहा है

साँप के पीछे से कौन हव्वा से बात कर रहा था?

बाइबल बताती है कि हव्वा से एक अजगर या साँप ने बात की थी। लेकिन आप तो जानते हो कि साँप बोल नहीं सकता। तो फिर उसने कैसे हव्वा से बात की?— असल में एक स्वर्गदूत उसके पीछे से बात कर रहा था और हव्वा को लगा कि साँप बोल रहा है। वह स्वर्गदूत बुरी-बुरी बातें सोचने लगा था। वह चाहता था कि आदम और हव्वा उसकी पूजा करें और उसके इशारों पर चलें। वह परमेश्‍वर की जगह लेना चाहता था।

इसलिए उस दुष्ट स्वर्गदूत ने हव्वा के मन में बुरी-बुरी बातें भर दीं। साँप के पीछे से उसने हव्वा से कहा: ‘परमेश्‍वर ने तुमसे सच नहीं बोला है। अगर तुम उस पेड़ का फल खाओगी तो तुम मरोगी नहीं। तुम परमेश्‍वर की तरह बुद्धिमान बन जाओगी।’ अगर आप वहाँ होते तो क्या आप उसकी बातों में आ जाते?—

हव्वा वह चीज़ पाना चाहती थी, जो यहोवा ने उसे नहीं दी थी। उसने उस पेड़ का फल खा लिया जिसके लिए यहोवा ने मना किया था। उसने उस फल में से आदम को भी खाने को दिया। आदम ने साँप की बातों पर यकीन नहीं किया। लेकिन वह परमेश्‍वर से ज़्यादा हव्वा से प्यार करता था। इसलिए उसने भी वह फल खा लिया जिसके लिए यहोवा ने मना किया था।—उत्पत्ति 3:1-6; 1 तीमुथियुस 2:14.

नतीजा क्या हुआ?— आदम और हव्वा सिद्ध नहीं रहे, यानी अब वे वैसे नहीं रहे जैसा परमेश्‍वर ने उन्हें बनाया था। अब उनमें कमी आ गयी थी। वे असिद्ध हो गए। धीरे-धीरे वे बूढ़े हो गए और मर गए। आदम और हव्वा के असिद्ध होने की वजह से उनके जो बच्चे पैदा हुए, वे भी असिद्ध थे। वे भी बूढ़े हुए और मर गए। तो देखा आपने, परमेश्‍वर ने झूठ नहीं बोला था! हम ज़िंदा तभी रह सकते हैं जब हम परमेश्‍वर की आज्ञा मानें। (रोमियों 5:12) बाइबल कहती है जिस स्वर्गदूत ने हव्वा से झूठ बोला था वह शैतान यानी इब्‌लीस है। और जो स्वर्गदूत बुरे बन गए वे दुष्ट स्वर्गदूत हैं।—याकूब 2:19; प्रकाशितवाक्य 12:9.

आदम और हव्वा का बुढ़ापा

जब आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की बात नहीं मानी तब उनका क्या हुआ?

अब आपको समझ में आया कि परमेश्‍वर ने जिसे अच्छा स्वर्गदूत बनाया था, वह बुरा कैसे बन गया?— वह बुरा इसलिए बना क्योंकि वह गंदी-गंदी बातें सोचने लगा था। वह सबसे बड़ा बनना चाहता था। उसे पता था कि परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा को बच्चे पैदा करने के लिए कहा है। वह चाहता था कि आदम, हव्वा और उनके सभी बच्चे उसकी पूजा करें। शैतान चाहता है कि कोई भी यहोवा की बात न माने। इसलिए वह हमारे मन में भी बुरी-बुरी बातें डालने की कोशिश करता है।—याकूब 1:13-15.

शैतान कहता है कि कोई भी यहोवा से सचमुच में प्यार नहीं करता। वह कहता है आप और मैं भी परमेश्‍वर से प्यार नहीं करते। और हम सचमुच में परमेश्‍वर की बात नहीं मानना चाहते। वह कहता है हम यहोवा की बात सिर्फ तभी मानते हैं जब हमारी ज़िंदगी मज़े से गुज़र रही होती है। क्या उसकी बात सही है? क्या हम वाकई ऐसे हैं?

महान शिक्षक ने कहा कि शैतान झूठा है! यीशु ने यहोवा का कहा माना, इस तरह यीशु ने साबित किया कि वह सचमुच यहोवा से प्यार करता है। और यीशु ने यहोवा की बात सिर्फ तभी नहीं मानी जब उसके लिए ऐसा करना आसान था। उसने हर वक्‍त यहोवा की बात मानी। तब भी जब लोगों ने उसका जीना मुश्‍किल कर दिया था। वह अपनी मौत तक यहोवा का वफादार रहा। इसलिए परमेश्‍वर ने उसे दोबारा ज़िंदा किया और हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी दी।

तो अब बताइए कि हमारा सबसे बड़ा दुश्‍मन कौन है?— जी हाँ, वह शैतान यानी इब्‌लीस है। क्या आप उसे देख सकते हो?— बिलकुल नहीं। लेकिन हम जानते हैं कि वह है। वह हम सबसे बहुत बड़ा और ताकतवर है। लेकिन शैतान से बड़ा कौन है?— यहोवा परमेश्‍वर। इसलिए हमें पूरा यकीन है कि परमेश्‍वर हमारी रक्षा कर सकता है।

हमें किसकी उपासना करनी चाहिए, इस बारे में ये आयतें पढ़िए: व्यवस्थाविवरण 30:19, 20; यहोशू 24:14, 15; नीतिवचन 27:11 और मत्ती 4:10.

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