परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
30 जून, 2014 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी।
1. जब मनोरंजन की बात आती है, तब निर्गमन 23:2 में दिया सिद्धांत ध्यान में रखना क्यों ज़रूरी है? [5 मई, प्रहरीदुर्ग 11 7/15 पेज 10-11 पैरा. 3-7]
2. याजकों को पवित्र स्थान में जाने से पहले हाथ-पाँव धोने की इस आज्ञा को कितनी गंभीरता से लेना था? और आज यह परमेश्वर के सेवकों को कौन-सी ज़बरदस्त बात याद दिलाती है? (निर्ग. 30:18-21) [19 मई, प्रहरीदुर्ग 96 7/1 पेज 9 पैरा. 9]
3. सोने का बछड़ा बनाने के जुर्म में हारून को सज़ा क्यों नहीं दी गयी? (निर्ग. 32:1-8, 25-35) [19 मई, प्रहरीदुर्ग 04 3/15 पेज 27 पैरा. 4]
4. यहोवा ने गैर-इसराएलियों से शादी न करने के बारे में जो आज्ञा दी थी, उससे मसीही अविश्वासी से शादी करने और शादी से पहले की मुलाकातों के बारे में क्या सीख सकते हैं? (निर्ग. 34:12-16) [26 मई, प्रहरीदुर्ग 90 6/1 पेज 14-15 पैरा. 11-13]
5. बसलेल और ओहोलीआब के उदाहरण से हमारा हौसला क्यों बढ़ता है? (निर्ग. 35:30-35) [26 मई, प्रहरीदुर्ग 10 9/15 पेज 10 पैरा. 13]
6. इसराएल के महायाजक की पगड़ी पर “पवित्र मुकुट” उसे क्या याद दिलाता था? और यह निशानी हमें अपने समर्पण के बारे में क्या सिखाती है? (निर्ग. 39:30) [2 जून, प्रहरीदुर्ग 01 2/1 पेज 14 पैरा. 2-3]
7. किसी भाई या बहन के गंभीर पाप को प्राचीनों को इत्तला करने में सभी मसीहियों की क्या ज़िम्मेदारी बनती है? (लैव्य. 5:1) [9 जून, प्रहरीदुर्ग 97 8/15 पेज 27]
8. इसराएलियों के दिनों में मेल-बलि क्या मायने रखती थी? और आज हमारे समय में यह इंतज़ाम किसे दर्शाता है? (लैव्य. 7:31-33) [16 जून, प्रहरीदुर्ग 12 1/15 पेज 19 पैरा. 11-12]
9. हारून के बेटे, नादाब और अबीहू के पाप में क्या शामिल था? और इस ब्यौरे से हम कौन-से सबक सीखते हैं? (लैव्य. 10:1, 2, 9) [23 जून, प्रहरीदुर्ग 04 5/15 पेज 22 पैरा. 6-8]
10. बच्चे के जन्म देने पर स्त्री को “अशुद्ध” क्यों माना जाता था? (लैव्य. 12:2, 5) [23 जून, प्रहरीदुर्ग 04 5/15 पेज 23 पैरा. 2]