परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
27 अक्टूबर, 2014 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी।
1. गिनती 21:5 के मुताबिक इसराएली किस वजह से परमेश्वर और मूसा के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगे और उनकी इस बुरी मिसाल से हमें क्या चेतावनी मिलती है? [1 सितं., प्रहरीदुर्ग 99 8/15 पेज 25-27]
2. बिलाम पर यहोवा का कोप क्यों भड़क उठा? (गिन. 22:20-22) [8 सितं., प्रहरीदुर्ग 04 8/1 पेज 27 पैरा. 3]
3. गिनती 25:11 से हमें पीनहास के कौन-से गुण के बारे में पता चलता है और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं? [8 सितं., प्रहरीदुर्ग 04 8/1 पेज 27 पैरा. 5]
4. मूसा ने किस तरह हमारे लिए नम्रता की एक बेहतरीन मिसाल रखी? (गिन. 27:5, 15-18) [15 सितं., प्रहरीदुर्ग 13 4/1 पेज 5]
5. यहोशू और कालेब ने कैसे ज़बरदस्त तरीके से दिखाया कि असिद्ध इंसान विरोध के बावजूद परमेश्वर की बतायी राहों पर कामयाबी से चल सकते हैं? (गिन. 32:12) [22 सितं., प्रहरीदुर्ग 93 11/1 पेज 25 पैरा. 13]
6. सलोफाद की बेटियों ने आज्ञा मानने की जो मिसाल रखी, उससे अविवाहित मसीही शादी करने के बारे में क्या सीख सकते हैं? (गिन. 36:10-12) [29 सितं., प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 4-5 पैरा. 10]
7. कुड़कुड़ाने और निराश करनेवाली बातों का इसराएलियों पर क्या असर पड़ा और इस ब्यौरे से हम क्या सबक सीख सकते हैं? (व्यव. 1:26-28, 34, 35) [6 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 13 8/15 पेज 11 पैरा. 7]
8. परमेश्वर की आशीष पाने और वादा किए गए देश में खुशी से ज़िंदगी बिताने के लिए इसराएलियों को कौन-सी दो खास ज़िम्मेदारियाँ निभानी थीं? (व्यव. 4:9) [13 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 06 6/1 पेज 29 पैरा. 15]
9. वीराने में इतने लंबे समय तक रहने के बावजूद किस मायने में इसराएलियों के कपड़े पुराने नहीं हुए और उनके पाँव नहीं फूले? (व्यव. 8:3, 4) [20 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 04 9/15 पेज 25 पैरा. 9]
10. इसराएलियों को यहोवा से ‘लिपटे रहने’ का जो बढ़ावा दिया गया था, उसे हम कैसे लागू कर सकते हैं? (व्यव. 13:4, 6-9) [27 अक्टू., प्रहरीदुर्ग 02 10/15 पेज 16-17 पैरा. 14]