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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2024
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  • प्राचीन गंभीर पाप करनेवालों की कैसे मदद करते हैं?
  • “सबके सामने फटकार”
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  • उनकी मदद कीजिए जिन्हें मंडली से निकाल दिया गया है
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2024
w24 अगस्त पेज 20-25

अध्ययन लेख 34

गीत 107 यहोवा के प्यार की मिसाल

पाप करनेवालों के साथ प्यार और दया से पेश आइए

“परमेश्‍वर तुझ पर कृपा करके तुझे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहा है।”—रोमि. 2:4.

क्या सीखेंगे?

जब एक मसीही गंभीर पाप करता है, तो प्राचीन कैसे उसकी मदद करते हैं?

1. अगर एक व्यक्‍ति गंभीर पाप करता है, तो क्या हो सकता है?

पिछले लेख में हमने देखा था कि प्रेषित पौलुस ने कुरिंथ की मंडली में उठे गंभीर मामले को कैसे निपटाया। उस आदमी ने पश्‍चाताप नहीं किया था, इसलिए यह ज़रूरी था कि उसे मंडली से निकाल दिया जाए। लेकिन जैसा इस लेख के मुख्य वचन में बताया है, अगर एक व्यक्‍ति गंभीर पाप करता है तो यहोवा उसे पश्‍चाताप की तरफ ले जा सकता है। (रोमि. 2:4) अब सवाल यह है कि प्राचीन कैसे एक व्यक्‍ति की मदद कर सकते हैं ताकि वह पश्‍चाताप करे?

2-3. अगर हम जानते हैं कि किसी भाई या बहन ने गंभीर पाप किया है, तो हमें क्या करना चाहिए और क्यों?

2 अगर प्राचीनों को पता ना हो कि एक व्यक्‍ति ने गंभीर पाप किया है, तो वे उसकी मदद नहीं कर सकते। इसलिए अगर हम जानते हैं कि किसी भाई या बहन ने ऐसा गंभीर पाप किया है जिसके लिए उसे मंडली से निकाला जा सकता है, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें उससे गुज़ारिश करनी चाहिए कि वह प्राचीनों से मदद ले।—यशा. 1:18; प्रेषि. 20:28; 1 पत. 5:2.

3 लेकिन अगर वह प्राचीनों के पास नहीं जाता, तब हमें क्या करना चाहिए? हमें प्राचीनों को उसके बारे में बताना चाहिए ताकि वे उसकी मदद कर सकें। और ऐसा करना सही भी है। यह दिखाएगा कि हम उस व्यक्‍ति से प्यार करते हैं और उसे खोना नहीं चाहते। इतना ही नहीं, अगर वह व्यक्‍ति अपने गलत कामों में लगा रहेगा, तो यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता और भी कमज़ोर हो जाएगा। और उसकी वजह से मंडली का नाम भी खराब हो सकता है। इसलिए हमें हिम्मत से काम लेना चाहिए और प्राचीनों को इस बारे में बताना चाहिए। हम यहोवा से और पाप करनेवाले उस व्यक्‍ति से प्यार करते हैं, इसलिए हम ऐसा करने से पीछे नहीं हटेंगे।—भज. 27:14.

प्राचीन गंभीर पाप करनेवालों की कैसे मदद करते हैं?

4. जब प्राचीन पाप करनेवाले किसी भाई या बहन से मिलते हैं, तो उनकी क्या कोशिश रहती है?

4 जब मंडली में कोई गंभीर पाप करता है, तो प्राचीनों का निकाय तीन काबिल प्राचीनों को चुनता है और उनकी एक समिति बनाता है।a निकाय ऐसे भाइयों को चुनता है जो नम्र हैं और अपनी मर्यादा जानते हैं। ये भाई पाप करनेवाले को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश करते हैं, पर वे इस बात को भी समझते हैं कि वे किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकते। (व्यव. 30:19) वे जानते हैं कि गलती करनेवाले सभी लोग राजा दाविद की तरह पश्‍चाताप नहीं करेंगे। (2 शमू. 12:13) कुछ लोग ऐसे होंगे जो जानबूझकर यहोवा की सलाह नहीं मानेंगे। (उत्प. 4:6-8) फिर भी प्राचीनों की यही कोशिश रहती है कि वे पाप करनेवाले को पश्‍चाताप की तरफ ले जाएँ। जब प्राचीन ऐसे व्यक्‍ति से मिलते हैं, तो वे बाइबल के कौन-से सिद्धांत ध्यान में रखते हैं?

5. पाप करनेवाले से मिलते वक्‍त प्राचीनों को कैसे पेश आना चाहिए? (2 तीमुथियुस 2:24-26) (तसवीर भी देखें।)

5 प्राचीन पाप करनेवाले व्यक्‍ति को खोयी हुई अनमोल भेड़ समझते हैं। (लूका 15:4, 6) इसलिए जब वे उससे मिलते हैं, तो उसके साथ सख्ती से पेश नहीं आते। वे ऐसा नहीं सोचते कि उन्हें बस उससे कुछ सवाल-जवाब करने हैं और सच्चाई का पता लगाना है। इसके बजाय जैसा 2 तीमुथियुस 2:24-26 (पढ़िए) में बताया है, वे उसके साथ नरमी से पेश आते हैं, प्यार और कोमलता से बात करते हैं और उसके दिल तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।

एक चरवाहा अपनी भेड़ों के साथ है और एक खोयी हुई भेड़ को ढूँढ़ रहा है। खोयी हुई भेड़ एक झाड़ी में फँसी हुई है और उसकी एक टाँग में चोट लगी है।

पुराने ज़माने के चरवाहों की तरह प्राचीन भी एक खोयी हुई भेड़ को वापस लाने के लिए जी-जान लगा देते हैं (पैराग्राफ 5)


6. पाप करनेवाले व्यक्‍ति से मिलने से पहले प्राचीन अपना दिल कैसे तैयार करते हैं? (रोमियों 2:4)

6 प्राचीन अपना दिल तैयार करते हैं। वे यहोवा की तरह बनने की कोशिश करते हैं और पाप करनेवाले के साथ प्यार से पेश आते हैं। वे पौलुस की यह सलाह याद रखते हैं, “परमेश्‍वर तुझ पर कृपा करके तुझे पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहा है।” (रोमियों 2:4 पढ़िए।) प्राचीनों को याद रखना चाहिए कि सबसे पहले वे चरवाहे हैं और मसीह की निगरानी में काम कर रहे हैं। (यशा. 11:3, 4; मत्ती 18:18-20) इसलिए समिति के भाई उस व्यक्‍ति से मिलने से पहले प्रार्थना करेंगे और चर्चा करेंगे कि वे कैसे उस व्यक्‍ति को पश्‍चाताप की तरफ ले जा सकते हैं। यही नहीं, समिति के प्राचीन बाइबल और हमारे प्रकाशनों में खोजबीन करेंगे और पैनी समझ के लिए यहोवा से प्रार्थना करेंगे। वे उस व्यक्‍ति के हालात के बारे में, उसके रवैए और चालचलन के बारे में सोचेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर वह क्यों पाप कर बैठा।—नीति. 20:5.

7-8. पाप करनेवाले से मिलते वक्‍त प्राचीन कैसे यहोवा की तरह सब्र रख सकते हैं?

7 प्राचीन यहोवा की तरह सब्र रखते हैं। वे याद रखते हैं कि बीते ज़माने में यहोवा पाप करनेवालों के साथ कैसे पेश आया था। जैसे, यहोवा ने कैन के साथ सब्र रखा। उसने कैन को खबरदार किया कि अगर वह खुद को नहीं बदलेगा, तो क्या हो सकता है। उसने उसे यह भी समझाया कि अगर वह आज्ञा मानेगा, तो उसे आशीषें मिलेंगी। (उत्प. 4:6, 7) और दाविद के मामले में देखें, तो उसे सुधारने के लिए यहोवा ने भविष्यवक्‍ता नातान को उसके पास भेजा। नातान ने दाविद को एक ऐसी मिसाल बतायी जो उसके दिल को छू गयी। (2 शमू. 12:1-7) यही नहीं, जब इसराएल राष्ट्र ने यहोवा से बगावत की, तो यहोवा “बार-बार” अपने भविष्यवक्‍ताओं को उनके पास “भेजता रहा।” (यिर्म. 7:24, 25) उसने इंतज़ार नहीं किया कि जब उसके लोग पश्‍चाताप करेंगे, तब वह उनकी मदद करेगा। इसके बजाय जब वे पाप में लगे हुए थे, तभी यहोवा ने उनसे गुज़ारिश की कि वे पश्‍चाताप करें।

8 जब एक व्यक्‍ति गंभीर पाप करता है, तो प्राचीन उसकी मदद करते वक्‍त यहोवा की तरह बनने की कोशिश करते हैं। जैसा 2 तीमुथियुस 4:2 में बताया गया है, वे “सब्र से काम लेते” हैं। इसका मतलब, उस व्यक्‍ति से बात करते वक्‍त प्राचीन शांत रहते हैं और सब्र रखते हैं। वे उसकी मदद करने की कोशिश करते हैं ताकि वह अपने अंदर बदलाव करे और सही कदम उठाए। प्राचीन कभी-भी उससे परेशान नहीं होते, ना ही उस पर गुस्सा करते हैं। अगर वे ऐसा करें, तो वह व्यक्‍ति शायद उनकी सलाह नहीं मानेगा और पश्‍चाताप नहीं करेगा।

9-10. प्राचीन कैसे एक व्यक्‍ति को यह समझने में मदद दे सकते हैं कि वह क्यों पाप कर बैठा?

9 प्राचीन यह समझने की कोशिश करते हैं कि वह व्यक्‍ति किस वजह से पाप कर बैठा। जैसे, परमेश्‍वर के साथ उसका रिश्‍ता क्यों कमज़ोर पड़ गया? क्या उसने बाइबल अध्ययन करना और प्रचार में जाना कम कर दिया था? क्या उसने प्रार्थना करना छोड़ दिया था या करता भी था, तो बस आधे-अधूरे मन से? क्या उसने गलत इच्छाओं से लड़ना बंद कर दिया था? क्या वह ऐसे लोगों के साथ रहने लगा था या ऐसा मनोरंजन करने लगा था जो मसीहियों के लिए सही नहीं है? इन सब बातों का उसके दिल पर क्या असर हुआ? क्या उसे एहसास है कि उसके फैसलों और कामों से उसके पिता यहोवा को कितना दुख पहुँचा है?

10 प्राचीन प्यार से और सोच-समझकर सवाल करते हैं और यह समझने में उस व्यक्‍ति की मदद करते हैं कि वह किस वजह से पाप कर बैठा। (नीति. 20:5) लेकिन वे ध्यान रखते हैं कि वे ऐसी कोई निजी बात ना पूछें जिसे जानना उनके लिए ज़रूरी नहीं है। इसके अलावा, प्राचीन नातान की तरह ऐसी मिसाल दे सकते हैं जिससे वह व्यक्‍ति समझ पाए कि उसने जो किया, वह यहोवा की नज़र में कितना गलत है। इस तरह बात करने से हो सकता है कि समिति से पहली बार मिलने पर ही उस व्यक्‍ति को एहसास हो जाए कि वह कितने गलत रास्ते पर निकल पड़ा था और शायद वह पश्‍चाताप कर ले।

11. यीशु पाप करनेवालों के साथ कैसे पेश आया?

11 प्राचीन यीशु की तरह बनने की पूरी कोशिश करते हैं। ध्यान दीजिए कि ज़िंदा होने के बाद यीशु ने तरसुस के शाऊल से क्या कहा। उसने पूछा, “शाऊल, शाऊल, तू क्यों मुझ पर ज़ुल्म कर रहा है?” यह सवाल करके उसने यह समझने में शाऊल की मदद की कि वह कितना गलत कर रहा है। (प्रेषि. 9:3-6) और यह भी गौर करनेवाली बात है कि यीशु ने “इज़ेबेल” के बारे में क्या कहा। उसने कहा, ‘मैंने उसे वक्‍त दिया कि वह पश्‍चाताप करे।’—प्रका. 2:20, 21.

12-13. प्राचीन किस तरह गलती करनेवाले को वक्‍त दे सकते हैं ताकि वह पश्‍चाताप करे? (तसवीर भी देखें।)

12 यीशु की तरह प्राचीन भी जल्दबाज़ी में फैसला नहीं करते। वे यह नहीं सोचते कि पाप करनेवाला पश्‍चाताप नहीं करेगा। कुछ लोग जब पहली बार समिति से मिलते हैं, तभी पश्‍चाताप कर लेते हैं, लेकिन कुछ लोगों को थोड़ा समय लगता है। इसलिए प्राचीन पाप करनेवाले के साथ एक-से-ज़्यादा बार मिल सकते हैं। हो सकता है कि प्राचीनों से पहली बार मिलने के बाद वह व्यक्‍ति उनकी बातों पर गहराई से सोचने लगे, उसे अपने गलती का एहसास हो और वह नम्र होकर यहोवा से माफी माँगे। (भज. 32:5; 38:18) और फिर जब वह दोबारा प्राचीनों से मिले, तो शायद वह अच्छा रवैया दिखाए।

13 प्राचीन पाप करनेवाले को पश्‍चाताप की तरफ ले जाना चाहते हैं, इसलिए वे उससे प्यार से बात करते हैं और उससे हमदर्दी रखते हैं। वे यहोवा से प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी कोशिशों पर आशीष दे। और वे आशा करते हैं कि उस व्यक्‍ति को अपनी गलती का एहसास होगा और वह पश्‍चाताप करेगा।—2 तीमु. 2:25, 26.

तसवीरें: 1. तीन प्राचीन एक भाई से बैठकर बात कर रहे हैं, पर उस भाई ने अपना मुँह फेर लिया है। 2. बाद में प्राचीन उस भाई से दोबारा मिलते हैं। वे उससे बात कर रहे हैं और वह भाई ध्यान से उनकी सुन रहा है।

पाप करनेवाले को पश्‍चाताप करने का समय देने के लिए प्राचीन शायद एक-से-ज़्यादा बार उससे मिलें (पैराग्राफ 12)


14. जब एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है, तो इसका श्रेय किसे मिलना चाहिए और क्यों?

14 जब एक पापी पश्‍चाताप करता है, तो यह बहुत खुशी की बात है! (लूका 15:7, 10) पर इसका श्रेय किसे मिलना चाहिए? प्राचीनों को? याद कीजिए कि पौलुस ने पाप करनेवालों के बारे में क्या कहा था। उसने लिखा था, “हो सकता है परमेश्‍वर उन्हें पश्‍चाताप करने का मौका दे।” (2 तीमु. 2:25) इसका मतलब, यहोवा एक व्यक्‍ति को अपनी सोच और रवैया बदलने में मदद करता है, ना कि कोई इंसान। पौलुस ने समझाया कि जब एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है, तो इसके क्या अच्छे नतीजे निकलते हैं: वह व्यक्‍ति सच्चाई का और भी सही ज्ञान पाता है, अपने होश में आ जाता है और शैतान के फंदे से छूट जाता है।

15. प्राचीन किस तरह पश्‍चाताप करनेवाले की मदद करते रह सकते हैं?

15 जब एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप करता है, तो समिति उसके साथ आगे भी रखवाली भेंट करने का इंतज़ाम करेगी ताकि उसे लगातार मदद दी जा सके। इससे वह शैतान के फंदे में फँसने से बचा रह पाता है और अपने कदमों के लिए सीधा रास्ता बना पाता है। (इब्रा. 12:12, 13) याद रखिए, प्राचीन कभी किसी को नहीं बताते कि एक व्यक्‍ति ने क्या पाप किया था। लेकिन मंडली को शायद क्या बताना ज़रूरी हो?

“सबके सामने फटकार”

16. जब पौलुस ने कहा कि “सबके सामने” फटकार, तो उसका क्या मतलब था? (1 तीमुथियुस 5:20)

16 पहला तीमुथियुस 5:20 पढ़िए। पौलुस ने यह बात अपने साथी प्राचीन तीमुथियुस को लिखी और बताया कि “जो पाप में लगे रहते हैं,” उनकी किस तरह मदद करनी है। लेकिन जब पौलुस ने कहा कि “सबके सामने” फटकार, तो उसका क्या मतलब था? क्या हर मामले में पूरी मंडली के सामने फटकार लगानी थी? जी नहीं। पौलुस उन “सबके सामने” फटकार लगाने की बात कर रहा था जो उस व्यक्‍ति के पाप के बारे में जानते हैं। हो सकता है, इनमें वे लोग हों जिन्होंने उसे पाप करते देखा था या जिन्हें उसने खुद अपने पाप के बारे में बताया था। ऐसे में प्राचीनों को चाहिए कि वे सोच-समझकर इन्हीं चंद लोगों को बताएँ कि मामला निपटा दिया गया है और पाप करनेवाले को सुधारा गया है।

17. अगर किसी के गंभीर पाप के बारे में मंडली में काफी लोगों को पता है या पता चल जाएगा, तो क्या घोषणा की जाती है और क्यों?

17 लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनके बारे में शायद मंडली में काफी लोगों को पता हो या फिर पता चल जाएगा। ऐसे में “सबके सामने” फटकार लगाने का मतलब है, पूरी मंडली के सामने फटकार लगाना। इसलिए प्राचीन मंडली में घोषणा करेंगे और बताएँगे कि उस भाई या बहन को सुधारा गया है। यह घोषणा करना क्यों ज़रूरी है? पौलुस ने कहा, “ताकि बाकी लोगों को चेतावनी मिले” और वे उसकी तरह पाप में ना पड़ जाएँ।

18. अगर एक बपतिस्मा पाया हुआ नाबालिग कोई गंभीर पाप करता है, तो प्राचीन उस मामले को कैसे निपटाते हैं? (तसवीर भी देखें।)

18 लेकिन अगर गंभीर पाप करनेवाला व्यक्‍ति बपतिस्मा पाया हुआ नाबालिग है यानी 18 से कम उम्र का है, तब क्या किया जाना चाहिए? प्राचीनों का निकाय दो प्राचीनों को चुनेगा जो उस नाबालिग और उसके मसीही माता-पिता से मिलेंगे।b वे यह जानने की कोशिश करेंगे कि माता-पिता कैसे बच्चे को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर बच्चा माता-पिता की बात मान रहा है और अपनी सोच में और व्यवहार में बदलाव कर रहा है, तो वे दोनों प्राचीन शायद तय करें कि आगे भी माता-पिता ही बच्चे की मदद कर सकते हैं और समिति बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। वैसे भी यहोवा ने माता-पिता को यह ज़िम्मेदारी दी है कि वे बच्चों को सिखाएँ और उन्हें प्यार से सुधारें। (व्यव. 6:6, 7; नीति. 6:20; 22:6; इफि. 6:2-4) पर इसके बाद भी प्राचीन समय-समय पर माता-पिता से बात करेंगे और देखेंगे कि नाबालिग की किस तरह मदद की जा रही है। लेकिन अगर बपतिस्मा पाया हुआ एक नाबालिग गलत कामों में लगा रहता है और पश्‍चाताप नहीं करता, तब क्या किया जाता है? ऐसे में प्राचीनों की एक समिति बनायी जाती है जो उस नाबालिग से और उसके मसीही माता-पिता से मिलती है।

दो प्राचीन बपतिस्मा पाए एक नाबालिग और उसके माता-पिता से मिलने उनके घर आए हैं। एक प्राचीन उस नाबालिग को एक आयत दिखा रहा है।

जब एक नाबालिग गंभीर पाप करता है, तो दो प्राचीन उससे और उसके मसीही माता-पिता से मिलते हैं (पैराग्राफ 18)


“यहोवा गहरा लगाव रखनेवाला और दयालु परमेश्‍वर है”

19. प्राचीन पाप करनेवालों के साथ यहोवा की तरह कैसे पेश आते हैं?

19 जो प्राचीन समिति में होते हैं, वे यहोवा के सामने इस बात के लिए ज़िम्मेदार हैं कि वे मंडली को शुद्ध बनाए रखें। (1 कुरिं. 5:7) लेकिन वे पाप करनेवाले को पश्‍चाताप की तरफ ले जाने की भी पूरी कोशिश करते हैं और उम्मीद रखते हैं कि वह ज़रूर बदलेगा। वे ऐसा क्यों करते हैं? क्योंकि वे यहोवा की तरह बनना चाहते हैं जो “गहरा लगाव रखनेवाला और दयालु परमेश्‍वर है।” (याकू. 5:11) बुज़ुर्ग प्रेषित यूहन्‍ना ने ऐसा ही जज़्बा दिखाया था। उसने लिखा, “मेरे प्यारे बच्चो, मैं तुम्हें ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ ताकि तुम कोई पाप न करो। और अगर कोई पाप कर बैठे, तो हमारे लिए एक मददगार है जो पिता के पास है यानी यीशु मसीह जो नेक है।”—1 यूह. 2:1.

20. इस अंक के आखिरी लेख में हम क्या जानेंगे?

20 दुख की बात है कि कभी-कभी पाप करनेवाला पश्‍चाताप नहीं करता। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि उसे मंडली से निकाल दिया जाए। प्राचीन इस तरह के गंभीर मामले कैसे निपटाते हैं? इस बारे में हम आखिरी लेख में जानेंगे।

आपका जवाब क्या होगा?

  • रोमियों 2:4 के मुताबिक पाप करनेवाले व्यक्‍ति से मिलते वक्‍त प्राचीनों की क्या कोशिश रहती है?

  • 2 तीमुथियुस 2:24-26 में प्राचीनों से क्या करने के लिए कहा गया है?

  • “सबके सामने फटकार” लगाने का क्या मतलब है?

गीत 103 “आदमियों के रूप में तोहफे”

a प्राचीनों की इस समिति को पहले न्याय-समिति कहा जाता था। लेकिन न्याय करना तो उनके काम का सिर्फ एक ही पहलू है। इसलिए अब से हम इसे न्याय-समिति नहीं कहेंगे, बल्कि प्राचीनों की समिति कहेंगे।

b यह बात उन लोगों पर भी लागू होती है जो एक नाबालिग की कानूनी तौर पर देखरेख करते हैं (गार्डियन) और उन पर भी जो माता-पिता की तरह उसकी परवरिश करते हैं।

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