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यहोवा के करीब आओ

  • यहोवा के करीब आओ
  • शीर्षक/प्रकाशक
  • सूची
  • प्रस्तावना
  • शुरूआती अध्याय
    • अध्याय 1
      “देखो, हमारा परमेश्‍वर यही है”
    • अध्याय 2
      क्या आप सचमुच “परमेश्‍वर के करीब” आ सकते हैं?
    • अध्याय 3
      “यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है”
  • भाग 1
    • भाग 1
      “उसकी महाशक्‍ति”
    • अध्याय 4
      “यहोवा . . . बड़ा शक्‍तिमान है”
    • अध्याय 5
      सृजने की शक्‍ति—‘आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता’
    • अध्याय 6
      विनाशकारी शक्‍ति—“यहोवा योद्धा है”
    • अध्याय 7
      रक्षा करने की शक्‍ति—‘परमेश्‍वर हमारा शरणस्थान है’
    • अध्याय 8
      बहाल करने की शक्‍ति—यहोवा “सब कुछ नया कर” रहा है
    • अध्याय 9
      ‘मसीह, परमेश्‍वर की शक्‍ति’
    • अध्याय 10
      अपनी शक्‍ति इस्तेमाल करने में “परमेश्‍वर के समान बनो”
  • भाग 2
    • भाग 2
      ‘न्याय से प्रीति रखनेवाला’
    • अध्याय 11
      “उसके सब मार्ग तो न्यायपूर्ण हैं”
    • अध्याय 12
      “क्या परमेश्‍वर के यहां अन्याय है?”
    • अध्याय 13
      “यहोवा की व्यवस्था सिद्ध है”
    • अध्याय 14
      यहोवा “बहुतों की छुड़ौती” का इंतज़ाम करता है
    • अध्याय 15
      यीशु ‘न्याय को पृथ्वी पर स्थिर करता है’
    • अध्याय 16
      परमेश्‍वर के साथ चलते हुए ‘न्याय से काम कर’
  • भाग 3
    • भाग 3
      “हृदय में बुद्धिमान्‌”
    • अध्याय 17
      ‘आहा! परमेश्‍वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’
    • अध्याय 18
      ‘परमेश्‍वर के वचन’ में बुद्धि
    • अध्याय 19
      ‘एक पवित्र भेद में परमेश्‍वर की बुद्धि’
    • अध्याय 20
      “हृदय में बुद्धिमान्‌”—फिर भी नम्र
    • अध्याय 21
      यीशु, ‘परमेश्‍वर की ओर से बुद्धि’ ज़ाहिर करता है
    • अध्याय 22
      ‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
  • भाग 4
    • भाग 4
      “परमेश्‍वर प्रेम है”
    • अध्याय 23
      “पहिले उस ने हम से प्रेम किया”
    • अध्याय 24
      कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्‍वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’
    • अध्याय 25
      “हमारे परमेश्‍वर की कोमल करुणा”
    • अध्याय 26
      परमेश्‍वर जो “क्षमा करने को तत्पर” रहता है
    • अध्याय 27
      “अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!”
    • अध्याय 28
      “केवल तू ही वफादार है”
    • अध्याय 29
      ‘मसीह के प्रेम को जानो’
    • अध्याय 30
      ‘प्रेम में चलते’ जाओ
  • अध्याय 31
    “परमेश्‍वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा”
  • पीछे का कवर
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