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न्यायियों का सारांश

      • न्यायी यिप्तह को भगा दिया, फिर अगुवा बनाया (1-11)

      • यिप्तह, अम्मोन से तर्क करता है (12-28)

      • यिप्तह की मन्‍नत और उसकी बेटी (29-40)

        • वह ज़िंदगी-भर कुँवारी रही (38-40)

न्यायियों 11:1

संबंधित आयतें

  • +न्या 12:7; 1शम 12:11; इब्र 11:32

न्यायियों 11:2

फुटनोट

  • *

    ज़ाहिर है, उसकी एक और पत्नी थी।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 11/2021, पेज 10

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 6

न्यायियों 11:4

संबंधित आयतें

  • +न्या 10:17

न्यायियों 11:7

संबंधित आयतें

  • +न्या 11:2

न्यायियों 11:8

संबंधित आयतें

  • +न्या 10:18

न्यायियों 11:10

फुटनोट

  • *

    शा., “सुननेवाला।”

न्यायियों 11:11

संबंधित आयतें

  • +न्या 10:17; 11:34

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 6-7

न्यायियों 11:12

संबंधित आयतें

  • +उत 19:36, 38

न्यायियों 11:13

संबंधित आयतें

  • +गि 21:26
  • +व्य 3:16, 17
  • +गि 21:23, 24

न्यायियों 11:15

संबंधित आयतें

  • +उत 19:36, 37; व्य 2:9, 19, 37

न्यायियों 11:16

संबंधित आयतें

  • +गि 14:25
  • +गि 20:1

न्यायियों 11:17

संबंधित आयतें

  • +उत 36:1; गि 20:14; व्य 2:4
  • +उत 19:36, 37
  • +गि 20:22

न्यायियों 11:18

संबंधित आयतें

  • +गि 21:4
  • +गि 21:11
  • +गि 21:13

न्यायियों 11:19

संबंधित आयतें

  • +गि 21:21-26; व्य 2:26, 27

न्यायियों 11:20

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  • +व्य 2:32, 33

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  • +यह 13:15, 21

न्यायियों 11:22

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  • +व्य 2:36

न्यायियों 11:23

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  • +नहे 9:22

न्यायियों 11:24

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  • +1रा 11:7
  • +निर्ग 23:28; 34:11; गि 33:53; व्य 9:5; 18:12

न्यायियों 11:25

संबंधित आयतें

  • +गि 22:2, 3; यह 24:9

न्यायियों 11:26

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  • +गि 21:25
  • +गि 21:26

न्यायियों 11:27

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  • +यश 33:22

न्यायियों 11:29

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  • +न्या 3:9, 10; जक 4:6
  • +न्या 10:17

न्यायियों 11:30

संबंधित आयतें

  • +व्य 23:21

न्यायियों 11:31

फुटनोट

  • *

    ज़ाहिर है, यह एक अलंकार है। इसका मतलब है, परमेश्‍वर की सेवा के लिए पूरी तरह दे देना।

संबंधित आयतें

  • +1शम 1:11
  • +1शम 1:24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2017, पेज 4

    अनमोल सबक, पेज 88-89

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 7-8

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2008, पेज 7-8

    1/15/2005, पेज 26

न्यायियों 11:34

संबंधित आयतें

  • +न्या 10:17; 11:11

न्यायियों 11:35

संबंधित आयतें

  • +गि 30:2; भज 15:4; सभ 5:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2017, पेज 4

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 7-8

न्यायियों 11:36

संबंधित आयतें

  • +न्या 11:30, 31

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 8-9

न्यायियों 11:37

फुटनोट

  • *

    या “अपने दोस्तों के साथ रोना चाहती हूँ क्योंकि मैं कभी शादी नहीं करूँगी।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2017, पेज 4

न्यायियों 11:39

फुटनोट

  • *

    या “नियम।”

संबंधित आयतें

  • +1शम 1:22, 24

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

न्यायि. 11:1न्या 12:7; 1शम 12:11; इब्र 11:32
न्यायि. 11:4न्या 10:17
न्यायि. 11:7न्या 11:2
न्यायि. 11:8न्या 10:18
न्यायि. 11:11न्या 10:17; 11:34
न्यायि. 11:12उत 19:36, 38
न्यायि. 11:13गि 21:26
न्यायि. 11:13व्य 3:16, 17
न्यायि. 11:13गि 21:23, 24
न्यायि. 11:15उत 19:36, 37; व्य 2:9, 19, 37
न्यायि. 11:16गि 14:25
न्यायि. 11:16गि 20:1
न्यायि. 11:17उत 36:1; गि 20:14; व्य 2:4
न्यायि. 11:17उत 19:36, 37
न्यायि. 11:17गि 20:22
न्यायि. 11:18गि 21:4
न्यायि. 11:18गि 21:11
न्यायि. 11:18गि 21:13
न्यायि. 11:19गि 21:21-26; व्य 2:26, 27
न्यायि. 11:20व्य 2:32, 33
न्यायि. 11:21यह 13:15, 21
न्यायि. 11:22व्य 2:36
न्यायि. 11:23नहे 9:22
न्यायि. 11:241रा 11:7
न्यायि. 11:24निर्ग 23:28; 34:11; गि 33:53; व्य 9:5; 18:12
न्यायि. 11:25गि 22:2, 3; यह 24:9
न्यायि. 11:26गि 21:25
न्यायि. 11:26गि 21:26
न्यायि. 11:27यश 33:22
न्यायि. 11:29न्या 3:9, 10; जक 4:6
न्यायि. 11:29न्या 10:17
न्यायि. 11:30व्य 23:21
न्यायि. 11:311शम 1:11
न्यायि. 11:311शम 1:24
न्यायि. 11:34न्या 10:17; 11:11
न्यायि. 11:35गि 30:2; भज 15:4; सभ 5:4
न्यायि. 11:36न्या 11:30, 31
न्यायि. 11:391शम 1:22, 24
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 11:1-40

न्यायियों

11 गिलाद का रहनेवाला यिप्तह+ एक वीर योद्धा था। उसकी माँ पहले एक वेश्‍या थी और उसके पिता का नाम गिलाद था। 2 गिलाद को अपनी पत्नी* से भी बेटे हुए। जब उसके बेटे बड़े हुए तो उन्होंने यिप्तह को यह कहकर भगा दिया, “तू एक दूसरी औरत का बेटा है, इसलिए हमारे पिता के घराने में तुझे कोई विरासत नहीं मिलेगी।” 3 तब यिप्तह अपने भाइयों के पास से भागकर तोब नाम के इलाके में रहने लगा। वहाँ कुछ बेरोज़गार लोग उसके साथ हो लिए और वे मिलकर अपने दुश्‍मनों पर धावा बोलने जाते थे।

4 कुछ समय बाद अम्मोनियों ने इसराएलियों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।+ 5 जब अम्मोनी इसराएलियों से लड़ने आए तो गिलाद के मुखिया फौरन यिप्तह को वापस लाने के लिए तोब गए। 6 उन्होंने यिप्तह से कहा, “हमारा सेनापति बन जा ताकि हम अम्मोनियों से लड़ सकें।” 7 मगर यिप्तह ने गिलाद के मुखियाओं से कहा, “तुम मुझसे नफरत करते थे, इसीलिए तुमने मुझे अपने पिता के घर से भगा दिया था।+ अब जब तुम पर मुसीबत आ पड़ी है तो मेरे पास आए हो?” 8 गिलाद के मुखियाओं ने कहा, “तेरी बात सच है। पर देख! अब हम तेरे ही पास आए हैं। अगर तू हमारे साथ चलकर अम्मोनियों से लड़े, तो हम तुझे गिलाद के सभी निवासियों का अगुवा बना देंगे।”+ 9 यिप्तह ने उनसे कहा, “अगर मैं अम्मोनियों से लड़ने के लिए तुम्हारे साथ चलूँ और अगर यहोवा मुझे उन पर जीत दिलाए, तो मैं तुम्हारा अगुवा बन जाऊँगा।” 10 गिलाद के मुखियाओं ने यिप्तह से कहा, “हमें मंज़ूर है। जैसा तूने कहा हम वैसा ही करेंगे और यहोवा हमारे बीच इस बात का गवाह* ठहरे।” 11 तब यिप्तह गिलाद के मुखियाओं के साथ गया और लोगों ने उसे अपना अगुवा और सेनापति बनाया। यिप्तह ने मिसपा+ में यहोवा के सामने वे सारी बातें दोहरायीं जो उसने कही थीं।

12 फिर यिप्तह ने अम्मोनियों+ के राजा के पास दूत भेजे और कहा, “तेरी हमसे क्या दुश्‍मनी जो तू हमारे देश पर हमला करने आया है?” 13 अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह के दूतों से कहला भेजा, “इसराएलियों ने मुझसे मेरा इलाका छीना है। जब वे मिस्र से निकलकर आए तो उन्होंने अरनोन+ से लेकर यब्बोक और यरदन तक का सारा इलाका+ अपने कब्ज़े में कर लिया।+ अब तू चुपचाप वह सब मुझे लौटा दे।” 14 तब यिप्तह ने अपने दूतों को अम्मोनियों के राजा के पास दोबारा भेजा 15 कि वे उससे कहें,

“यिप्तह का कहना है, ‘इसराएल ने मोआबियों और अम्मोनियों का इलाका नहीं छीना।+ 16 मिस्र से आज़ाद होने पर वे वीराने से होते हुए लाल सागर तक पहुँचे+ और फिर कादेश आए।+ 17 तब इसराएल ने एदोम के राजा के पास अपने दूत भेजकर कहा,+ “मेहरबानी करके हमें अपने देश से होकर जाने दे।” लेकिन एदोम के राजा ने उनकी न सुनी। उन्होंने मोआब+ के राजा से भी यही गुज़ारिश की लेकिन वह भी राज़ी न हुआ। इसलिए इसराएली कादेश में ही रहे।+ 18 फिर वे एदोम और मोआब के बाहर से होते हुए वीराने में चले।+ वे मोआब के पूरब से होकर+ अरनोन के इलाके में आए और वहाँ डेरा डाला। मगर वे अरनोन पार नहीं गए क्योंकि वह मोआब की सरहद था।+

19 इसके बाद इसराएलियों ने हेशबोन में एमोरियों के राजा सीहोन के पास अपने दूत भेजे और उससे कहा, “मेहरबानी करके हमें अपने देश से होकर जाने दे ताकि हम अपने इलाके में पहुँच सकें।”+ 20 लेकिन सीहोन को इसराएलियों पर भरोसा नहीं था और उसने उन्हें अपने इलाके में से नहीं जाने दिया, बल्कि अपने आदमियों के साथ यहस में छावनी डालकर इसराएलियों से युद्ध किया।+ 21 तब इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने सीहोन और उसके सभी लोगों को इसराएल के हाथ में कर दिया। इसराएलियों ने वहाँ रहनेवाले एमोरियों को हरा दिया और उनका सारा इलाका अपने अधिकार में कर लिया।+ 22 इस तरह उन्होंने अरनोन से लेकर यब्बोक तक और वीराने से लेकर यरदन तक, एमोरियों के सारे इलाके पर कब्ज़ा कर लिया।+

23 जब इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने ही एमोरियों को अपने लोगों के सामने से खदेड़ा था,+ तो अब तू हमें यहाँ से क्यों खदेड़ना चाहता है? 24 अगर तेरा देवता कमोश+ तुझे कोई इलाका दे, तो क्या तू उसे अपने अधिकार में नहीं करेगा? उसी तरह, हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने जिस किसी को हमारे सामने से खदेड़ा, हमने उसके इलाके पर अधिकार कर लिया।+ 25 क्या तू सिप्पोर के बेटे, मोआब के राजा बालाक+ से बढ़कर है? उसने तो इसराएल से लड़ने की जुर्रत नहीं की, अब तू ऐसा करना चाहता है? 26 इसराएली पिछले 300 साल से हेशबोन और उसके आस-पास के नगर,+ अरोएर और उसके आस-पास के नगर और अरनोन के घाट के पास के सब शहरों में बसे हुए हैं। इतने सालों में तुमने इन इलाकों को वापस लेने की कोशिश नहीं की, तो अब क्यों आए हो?+ 27 मैंने तेरे खिलाफ कोई पाप नहीं किया, लेकिन तूने हमसे युद्ध छेड़कर गलत किया है। अब सबसे बड़ा न्यायी यहोवा+ ही इसराएलियों और अम्मोनियों के बीच न्याय करे।’”

28 अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह का यह संदेश ठुकरा दिया।

29 फिर यहोवा की पवित्र शक्‍ति यिप्तह पर उतरी+ और वह गिलाद और मनश्‍शे से होते हुए गिलाद के मिसपे गया।+ वहाँ से वह अम्मोनियों का सामना करने आया।

30 तब यिप्तह ने यहोवा से एक मन्‍नत मानी+ और कहा, “अगर तू अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर देगा, 31 तो मेरी जीत की खुशी में जो सबसे पहले मुझसे मिलने मेरे घर से बाहर आएगा, वह यहोवा का हो जाएगा+ और मैं उसे होम-बलि* के तौर पर परमेश्‍वर को अर्पित कर दूँगा।”+

32 तब यिप्तह अम्मोनियों से लड़ने गया और यहोवा ने उन्हें उसके हाथ में कर दिया। 33 यिप्तह, अरोएर से लेकर मिन्‍नीत तक भारी तादाद में लोगों को मारता गया और उसने 20 शहरों को अपने कब्ज़े में कर लिया। उसने आबेल-करामीम तक अम्मोनियों से युद्ध किया। इस तरह, अम्मोनी इसराएलियों से हार गए।

34 जब यिप्तह मिसपा+ में अपने घर लौटा तो उसने क्या देखा! उसकी बेटी डफली बजाती और नाचती हुई उससे मिलने आ रही है। वह उसकी इकलौती औलाद थी, उसके सिवा यिप्तह के न तो कोई बेटा था न बेटी। 35 जैसे ही उसने अपनी बेटी को देखा, मारे दुख के उसने अपने कपड़े फाड़े और कहा, “हाय मेरी बेटी! तूने मेरा कलेजा छलनी कर दिया क्योंकि अब मुझे तुझको अपने से दूर भेजना होगा। मैं यहोवा को ज़बान दे चुका हूँ और उससे मुकर नहीं सकता।”+

36 तब उसकी बेटी ने उससे कहा, “हे मेरे पिता, अगर तूने यहोवा को ज़बान दी है, तो उसे पूरा कर। क्योंकि यहोवा ने तेरे दुश्‍मन अम्मोनियों को तेरे हवाले कर दिया ताकि तू उनसे बदला ले सके। इसलिए मेरे साथ वैसा ही कर जैसा तूने वादा किया है।”+ 37 फिर उसने अपने पिता से कहा, “बस मेरी एक बिनती है, मुझे दो महीने दे। मैं अपनी सहेलियों के साथ पहाड़ों पर जाकर अपने कुँवारेपन पर रोना और दुख मनाना चाहती हूँ।”*

38 इस पर यिप्तह ने अपनी बेटी से कहा, “जा।” और उसे दो महीने के लिए भेज दिया। वह अपनी सहेलियों के साथ पहाड़ों पर जाकर रोने और दुख मनाने लगी कि वह ज़िंदगी-भर कुँवारी रहेगी। 39 दो महीने पूरे होने पर वह अपने पिता के पास लौट आयी। फिर यिप्तह ने उसके बारे में जो मन्‍नत मानी थी उसे पूरा किया।+ उसकी बेटी ज़िंदगी-भर कुँवारी रही। इसराएल में यह दस्तूर* बन गया कि 40 हर साल चार दिन के लिए इसराएली लड़कियाँ, गिलादी यिप्तह की बेटी की तारीफ करने उसके पास जाया करती थीं।

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