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न्यायियों का सारांश

      • यहोवा ने इसराएल को परखा (1-6)

      • पहला न्यायी ओत्नीएल (7-11)

      • न्यायी एहूद ने राजा एगलोन को मार डाला (12-30)

      • न्यायी शमगर (31)

न्यायियों 3:1

संबंधित आयतें

  • +व्य 8:2; न्या 2:10

न्यायियों 3:3

संबंधित आयतें

  • +न्या 1:18, 19
  • +यह 13:1, 4; न्या 1:31
  • +यह 9:1, 2
  • +यह 13:1, 6
  • +गि 34:2, 8; यह 13:1, 5

न्यायियों 3:4

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 23:33; न्या 2:21, 22

न्यायियों 3:5

संबंधित आयतें

  • +न्या 1:29; भज 106:34

न्यायियों 3:6

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 34:15, 16; गि 25:1, 2; व्य 7:3, 4; 1रा 11:1, 4

न्यायियों 3:7

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 34:13; व्य 12:3; 16:21; 31:16; न्या 2:11; 10:6

न्यायियों 3:8

फुटनोट

  • *

    शा., “अराम-नहरैम।”

न्यायियों 3:9

संबंधित आयतें

  • +व्य 4:30; न्या 10:10, 15
  • +1इत 4:13
  • +न्या 2:16, 18; 3:15

न्यायियों 3:10

फुटनोट

  • *

    शा., “अराम।”

संबंधित आयतें

  • +गि 11:16, 17; न्या 6:34; 11:29; 14:5, 6; 15:14; 1शम 11:6; 16:13; 2इत 15:1

न्यायियों 3:12

संबंधित आयतें

  • +न्या 2:19
  • +उत 19:36, 37

न्यायियों 3:13

संबंधित आयतें

  • +उत 19:36, 38; निर्ग 17:8; न्या 6:3; 11:4, 5
  • +व्य 34:3

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    3/15/1997, पेज 29

न्यायियों 3:14

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  • +व्य 28:48

न्यायियों 3:15

संबंधित आयतें

  • +भज 78:34
  • +न्या 4:1
  • +न्या 3:9
  • +उत 49:27
  • +न्या 20:15, 16

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    3/15/2004, पेज 29-30

    3/15/1997, पेज 29

न्यायियों 3:16

फुटनोट

  • *

    शायद एक छोटा हाथ यानी एक हाथ में चार अंगुल कम, जिसकी लंबाई करीब 38 सें.मी. (15 इंच) है। अति. ख14 देखें।

इंडैक्स

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    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2004, पेज 30

    3/15/1997, पेज 29-30

न्यायियों 3:17

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न्यायियों 3:18

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न्यायियों 3:19

फुटनोट

  • *

    या शायद, “पत्थर की खदानों।”

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  • +यह 4:19; 5:8, 9

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न्यायियों 3:20

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    3/15/2004, पेज 30

    3/15/1997, पेज 30

न्यायियों 3:21

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    1/15/2005, पेज 26

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न्यायियों 3:22

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न्यायियों 3:23

फुटनोट

  • *

    या शायद, “रौशनदान।”

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न्यायियों 3:24

फुटनोट

  • *

    यानी शौच करने।

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न्यायियों 3:25

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न्यायियों 3:26

फुटनोट

  • *

    या शायद, “पत्थर की खदानों।”

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  • +न्या 3:19

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न्यायियों 3:27

संबंधित आयतें

  • +न्या 7:24
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न्यायियों 3:28

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न्यायियों 3:29

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  • +व्य 28:7
  • +लैव 26:7, 8

न्यायियों 3:30

संबंधित आयतें

  • +न्या 3:11

न्यायियों 3:31

फुटनोट

  • *

    शा., “अंकुश।”

संबंधित आयतें

  • +न्या 5:6
  • +यह 13:1, 2
  • +न्या 15:3, 15; 1शम 17:47, 50

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

न्यायि. 3:1व्य 8:2; न्या 2:10
न्यायि. 3:3न्या 1:18, 19
न्यायि. 3:3यह 13:1, 4; न्या 1:31
न्यायि. 3:3यह 9:1, 2
न्यायि. 3:3यह 13:1, 6
न्यायि. 3:3गि 34:2, 8; यह 13:1, 5
न्यायि. 3:4निर्ग 23:33; न्या 2:21, 22
न्यायि. 3:5न्या 1:29; भज 106:34
न्यायि. 3:6निर्ग 34:15, 16; गि 25:1, 2; व्य 7:3, 4; 1रा 11:1, 4
न्यायि. 3:7निर्ग 34:13; व्य 12:3; 16:21; 31:16; न्या 2:11; 10:6
न्यायि. 3:9न्या 2:16, 18; 3:15
न्यायि. 3:9व्य 4:30; न्या 10:10, 15
न्यायि. 3:91इत 4:13
न्यायि. 3:10गि 11:16, 17; न्या 6:34; 11:29; 14:5, 6; 15:14; 1शम 11:6; 16:13; 2इत 15:1
न्यायि. 3:12न्या 2:19
न्यायि. 3:12उत 19:36, 37
न्यायि. 3:13उत 19:36, 38; निर्ग 17:8; न्या 6:3; 11:4, 5
न्यायि. 3:13व्य 34:3
न्यायि. 3:14व्य 28:48
न्यायि. 3:15भज 78:34
न्यायि. 3:15न्या 4:1
न्यायि. 3:15न्या 3:9
न्यायि. 3:15उत 49:27
न्यायि. 3:15न्या 20:15, 16
न्यायि. 3:19यह 4:19; 5:8, 9
न्यायि. 3:26न्या 3:19
न्यायि. 3:27न्या 7:24
न्यायि. 3:27न्या 6:34; 1शम 13:3
न्यायि. 3:29व्य 28:7
न्यायि. 3:29लैव 26:7, 8
न्यायि. 3:30न्या 3:11
न्यायि. 3:31न्या 5:6
न्यायि. 3:31यह 13:1, 2
न्यायि. 3:31न्या 15:3, 15; 1शम 17:47, 50
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 3:1-31

न्यायियों

3 यहोवा ने कुछ राष्ट्रों को रहने दिया ताकि उन इसराएलियों को परखे, जिन्हें कनान देश से युद्ध करने का कोई तजुरबा नहीं था।+ 2 (वह इसलिए कि इसराएल की नयी पीढ़ी जिसने कभी युद्ध नहीं देखा था, युद्ध के बारे में जाने।) 3 इन राष्ट्रों में ये लोग शामिल थे: पलिश्‍तियों के पाँच सरदार,+ सारे कनानी, सीदोनी+ और वे सभी हिव्वी+ जो लबानोन के पहाड़ों+ में बाल-हेरमोन पर्वत से लेकर लेबो-हमात तक रहते थे।+ 4 इन लोगों के ज़रिए इसराएलियों को परखा गया कि वे यहोवा की आज्ञाओं को मानेंगे या नहीं, जो मूसा ने उनके पुरखों को दी थीं।+ 5 इस तरह इसराएली लोग कनानियों, हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों के बीच रहने लगे।+ 6 इसराएलियों ने उनकी बेटियों से शादी की और अपनी बेटियों की शादी उनके बेटों से करवायी। और वे उनके देवताओं की उपासना करने लगे।+

7 इस तरह इसराएली यहोवा की नज़र में बुरे काम करने लगे। वे अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल गए और बाल देवताओं और पूजा-लाठों* की उपासना करने लगे।+ 8 इस पर यहोवा का क्रोध उन पर भड़क उठा। उसने उन्हें मेसोपोटामिया* के राजा कूशन-रिशातैम के हवाले कर दिया। इसराएलियों ने आठ साल तक कूशन-रिशातैम की गुलामी की। 9 फिर वे मदद के लिए यहोवा को पुकारने लगे।+ यहोवा ने उन्हें छुड़ाने के लिए ओत्नीएल+ को चुना,+ जो कालेब के छोटे भाई कनज का बेटा था। 10 यहोवा की पवित्र शक्‍ति ओत्नीएल पर उतरी+ और वह इसराएल का न्यायी बना। जब वह युद्ध करने निकला तो यहोवा ने मेसोपोटामिया* के राजा कूशन-रिशातैम को उसके हाथ कर दिया और उसने कूशन-रिशातैम को बुरी तरह हराया। 11 इसके बाद देश में 40 साल तक शांति बनी रही। फिर कनज का बेटा ओत्नीएल मर गया।

12 इसराएली एक बार फिर उन्हीं कामों में लग गए जो यहोवा की नज़र में बुरे थे।+ यहोवा ने मोआब+ के राजा एगलोन को इसराएल पर जीत हासिल करने दी क्योंकि इसराएली यहोवा की नज़र में बुरे काम कर रहे थे। 13 एगलोन, अम्मोनियों और अमालेकियों को साथ लेकर उनके खिलाफ आया।+ उन्होंने इसराएल पर हमला किया और खजूर के पेड़ों के शहर+ पर कब्ज़ा कर लिया। 14 इसराएलियों ने 18 साल तक मोआब के राजा एगलोन की गुलामी की।+ 15 फिर वे मदद के लिए यहोवा को पुकारने लगे।+ यहोवा ने उनके छुटकारे के लिए एहूद+ को ठहराया,+ जो गेरा का बेटा था। वह बिन्यामीन+ गोत्र से था और बाएँ हाथ से काम करता था।+ जब मोआब के राजा एगलोन को नज़राना देने का वक्‍त आया, तो इसराएलियों ने एहूद के हाथ राजा को नज़राना भेजा। 16 एहूद ने अपने लिए एक खंजर बनाया जिसके दोनों तरफ धार थी और जिसकी लंबाई एक हाथ* थी। उसने अपने कपड़े के नीचे दायीं जाँघ पर उसे बाँध लिया। 17 फिर मोआब के राजा एगलोन के पास जाकर उसने नज़राना दिया। एगलोन बहुत मोटा था।

18 नज़राना देकर एहूद उन लोगों के साथ निकल पड़ा जो नज़राना लेकर उसके साथ राजा के पास आए थे। 19 मगर जब एहूद गिलगाल+ में गढ़ी हुई मूरतों* के पास पहुँचा, तो वह वापस राजा के पास आया। उसने कहा, “हे राजा, मैं तेरे लिए एक गुप्त संदेश लाया हूँ।” तब राजा ने अपने सेवकों को बाहर जाने का आदेश दिया और वे सब चले गए। 20 राजा छत पर अपने हवादार कमरे में बैठा हुआ था। एहूद ने उससे कहा, “परमेश्‍वर ने तेरे लिए एक संदेश भेजा है।” यह सुनकर राजा अपनी राजगद्दी से उठा। 21 तभी एहूद ने अपने बाएँ हाथ से दायीं जाँघ पर बँधा खंजर निकाला और राजा के पेट में भोंक दिया। 22 एहूद ने खंजर बाहर नहीं खींचा और खंजर के साथ-साथ उसका हत्था भी उसके पेट में घुस गया। पूरा-का-पूरा खंजर राजा की चरबी में समा गया और उसका मल बाहर आ गया। 23 फिर एहूद छत के उस कमरे को ताला लगाकर बरामदे* से बाहर निकल गया। 24 उसके जाने के बाद राजा के सेवक वहाँ आए और उन्होंने देखा कि कमरे का दरवाज़ा बंद है। वे कहने लगे, “राजा अंदरवाले कमरे में हलका होने* गया होगा।” 25 काफी देर इंतज़ार करने के बाद भी जब राजा बाहर नहीं आया तो वे परेशान हो गए। उन्होंने चाबी लेकर ताला खोला और देखा कि उनका मालिक ज़मीन पर मरा पड़ा है।

26 इस बीच एहूद वहाँ से भाग निकला और गढ़ी हुई मूरतों* से होते हुए+ सही-सलामत सेइरे पहुँच गया। 27 वहाँ एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश+ पहुँचकर उसने नरसिंगा फूँका+ और इसराएली उसके साथ पहाड़ी प्रदेश से नीचे आए। एहूद उनके आगे-आगे चला। 28 एहूद ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे दुश्‍मन मोआबियों को तुम्हारे हाथ कर दिया है।” तब वे उसके पीछे-पीछे गए और यरदन के घाटों पर तैनात हो गए ताकि मोआबी सैनिक यरदन पार न कर सकें। 29 उस दिन इसराएलियों ने 10,000 मोआबी सूरमाओं को मार डाला,+ उनमें से एक भी बचकर न भाग सका।+ 30 इस तरह इसराएलियों ने मोआब को अपने अधीन कर लिया और देश में 80 साल तक शांति बनी रही।+

31 एहूद के बाद, अनात के बेटे शमगर+ ने इसराएलियों को बचाया। उसने एक नुकीले छड़* से 600 पलिश्‍ती आदमियों+ को मार गिराया।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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