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    4/15/1998, पेज 22

    5/15/1995, पेज 11-12

    1/1/1991, पेज 22-23

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    गवाही दो, पेज 102-104

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 54

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    5/15/1995, पेज 11-12

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 54

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  • *

    प्रेषि 15:14 शाब्दिक, “सिमियन।”

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    10/2021, पेज 20-21

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    12/15/2014, पेज 16

    11/15/2014, पेज 24-25

    3/15/2013, पेज 27-28

    1/1/1991, पेज 23

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 15

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    गवाही दो, पेज 108-109

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 54

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    2/15/2013, पेज 8-9

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    1/15/2012, पेज 5

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 15

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प्रेषितों 15:20

फुटनोट

  • *

    प्रेषि 15:20 यानी, हर किस्म के नाजायज़ यौन-संबंध। अतिरिक्‍त लेख 4 देखें।

  • *

    प्रेषि 15:20 या, “मारने के बाद जिसका खून निकल जाने न दिया गया हो।”

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फुटनोट

  • *

    प्रेषि 15:34 मत्ती 17:21 फुटनोट देखें।

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रेषितों 15:1-41

प्रेषितों

15 फिर यहूदिया से कुछ लोग अंताकिया आए और भाइयों को सिखाने लगे: “जब तक तुम मूसा के रिवाज़ के मुताबिक खतना नहीं करवाओगे, तब तक तुम उद्धार नहीं पा सकते।” 2 मगर जब इस बात पर पौलुस और बरनबास के साथ उनका काफी वाद-विवाद और झगड़ा हुआ, तो उन्होंने इस झगड़े के सिलसिले में पौलुस और बरनबास को साथ ही अपने बीच से कुछ और भाइयों को, प्रेषितों और बुज़ुर्गों के पास यरूशलेम भेजने का इंतज़ाम किया।

3 मंडली ने उन्हें कुछ दूर तक विदा किया और फिर ये भाई फीनीके और सामरिया के इलाकों से होते हुए गए और वहाँ के भाइयों को ब्यौरेदार जानकारी दी कि कैसे गैर-यहूदियों ने धर्म-परिवर्तन किया है और इन बातों से सभी भाइयों को बड़ी खुशी देते गए। 4 जब वे यरूशलेम पहुँचे तो मंडली और प्रेषितों और बुज़ुर्गों ने बड़ी खुशी से उनका स्वागत किया, और पौलुस और बरनबास ने उन सब कामों के बारे में उन्हें बताया जो परमेश्‍वर ने उनके ज़रिए किए थे। 5 मगर फरीसियों के गुट के कुछ लोग, जो विश्‍वासी बन गए थे, अपनी जगह से उठ खड़े हुए और कहा: “यह बेहद ज़रूरी है कि इन गैर-यहूदियों का खतना कराया जाए और उन्हें मूसा का कानून मानने की सख्त हिदायत दी जाए।”

6 तब प्रेषित और बुज़ुर्ग इस मामले पर गौर करने के लिए इकट्ठा हुए। 7 फिर काफी बहस के बाद, पतरस ने उठकर उनसे कहा: “भाइयो, तुम अच्छी तरह जानते हो कि शुरू के दिनों से परमेश्‍वर ने तुम्हारे बीच में से मुझे चुना कि मेरे मुँह से गैर-यहूदी खुशखबरी का संदेश सुनें और विश्‍वास लाएँ; 8 और दिलों को जाननेवाले परमेश्‍वर ने उन्हें पवित्र शक्‍ति देकर यह गवाही दी कि उसने उन्हें मंज़ूर किया है, ठीक जैसे उसने हमारे साथ भी किया था। 9 और उसने हमारे और उनके बीच कोई फर्क नहीं किया, मगर विश्‍वास से उनके दिलों को शुद्ध किया। 10 तो अब तुम क्यों परमेश्‍वर की परीक्षा करने के लिए चेलों पर मूसा का कानून मानने का भारी बोझ लादते हो, जिसे न हमारे बापदादा उठा सके थे और न हम? 11 इसके बजाय, हम प्रभु यीशु की महा-कृपा के ज़रिए उद्धार पाने का भरोसा रखते हैं, वैसे ही जैसे वे लोग भी रखते हैं।”

12 इस पर पूरी सभा खामोश हो गयी और वे बरनबास और पौलुस की सुनने लगे कि कैसे परमेश्‍वर ने उनके ज़रिए गैर-यहूदियों के बीच बहुत-से चमत्कार और आश्‍चर्य के काम किए थे। 13 जब वे बोल चुके तो याकूब ने यह कहकर जवाब दिया: “भाइयो, मेरी सुनो। 14 पतरस* ने पूरा ब्यौरा देकर बताया है कि परमेश्‍वर ने कैसे पहली बार गैर-यहूदी राष्ट्रों की तरफ ध्यान दिया कि उनके बीच से वे लोग चुन ले जो परमेश्‍वर के नाम से पहचाने जाएँ। 15 और इस बात से भविष्यवक्‍ताओं के वचन भी मेल खाते हैं, जैसा कि लिखा है: 16 ‘इन बातों के बाद मैं वापस आऊँगा और दाविद का गिरा हुआ डेरा फिर से खड़ा करूँगा; और उसके खंडहरों को फिर बनाऊँगा और उसे दोबारा उठाऊँगा, 17 ताकि उसके बचे हुए लोग जी-जान से यहोवा की खोज करें और उनके साथ वे सारे गैर-यहूदी भी, जिनके बारे में यहोवा, जो ये काम करता है, कहता है, ये मेरे नाम से पुकारे जाते हैं। 18 इन बातों की जानकारी उसे सदियों से थी।’ 19 इसलिए मेरा फैसला यह है कि जो गैर-यहूदियों में से परमेश्‍वर की तरफ फिर रहे हैं, उन्हें हम परेशान न करें, 20 मगर उन्हें यह लिख भेजें कि वे मूर्तिपूजा के ज़रिए अपवित्र हुई चीज़ों से, और व्यभिचार* से और गला घोंटे हुए जानवरों के माँस से* और लहू से हमेशा दूर रहें। 21 इसलिए कि शहर-शहर में मूसा की किताबों में लिखी इन्हीं बातों का प्रचार करनेवाले पुराने ज़माने से होते चले आए हैं, क्योंकि हर सब्त को सभा-घरों में उसके लेख पढ़कर सुनाए जाते हैं।”

22 फिर प्रेषितों और बुज़ुर्गों को, साथ ही सारी मंडली को यह सही लगा कि वे पौलुस और बरनबास के साथ, अपने बीच से चुने हुए आदमियों को अंताकिया भेजें, यानी बर-सबा कहलानेवाले यहूदा और सीलास को, जो भाइयों में अगुवे थे; 23 और अपने हाथ से उन्होंने यह लिख भेजा:

“अंताकिया, सीरिया और किलिकिया के इलाकों में गैर-यहूदी भाइयों को, आपके भाइयों यानी प्रेषितों और बुज़ुर्गों का नमस्कार! 24 हमने सुना है कि हममें से कुछ लोगों ने अपनी बातों से तुम्हें घबरा दिया है और तुम्हारे विश्‍वास को खत्म करने की कोशिश की है। हालाँकि हमने उन्हें कोई भी हिदायत नहीं दी थी। 25 इसलिए हम सब ने एकमत से यह तय किया है कि कुछ चुने हुए आदमियों को हमारे प्यारे बरनबास और पौलुस के साथ तुम्हारे पास भेजें, 26 जिन्होंने हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम की खातिर अपनी जान तक दाँव पर लगा दी है। 27 इसलिए हम यहूदा और सीलास को भी भेज रहे हैं, ताकि वे भी अपने मुँह से इन्हीं बातों की जानकारी तुम्हें दें। 28 हम पवित्र शक्‍ति की मदद से इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इन ज़रूरी बातों को छोड़ हम तुम पर और ज़्यादा बोझ न लादें, 29 कि तुम मूरतों को बलि की हुई चीज़ों से और लहू से और गला घोंटे हुए जानवरों के माँस से और व्यभिचार से हमेशा दूर रहो। अगर तुम इन बातों से दूर रहने में हर वक्‍त सावधान रहो, तो तुम्हारा भला होगा। सलामत रहो!”

30 फिर जब इन आदमियों को विदा किया गया, तो वे अंताकिया गए और उन्होंने मंडली को इकट्ठा कर उन्हें वह चिट्ठी सौंप दी। 31 चिट्ठी पढ़कर वे लोग उसके हौसला बढ़ानेवाले संदेश से बेहद खुश हुए। 32 और क्योंकि यहूदा और सीलास खुद भविष्यवक्‍ता थे, इसलिए उन्होंने कई भाषण देकर भाइयों की हिम्मत बँधायी और उन्हें मज़बूत किया। 33 जब उन्होंने वहाँ कुछ वक्‍त बिता लिया, तो भाइयों ने उन्हें शांति से विदा किया कि वे उन लोगों के यहाँ वापस जाएँ जिन्होंने उन्हें भेजा था। 34* —— 35 मगर पौलुस और बरनबास अंताकिया में ही रहे और कई और लोगों के साथ मिलकर यहोवा के वचन की खुशखबरी सुनाने और सिखाने में अपना वक्‍त लगाते रहे।

36 फिर कुछ दिन बाद पौलुस ने बरनबास से कहा: “आओ जिन-जिन शहरों में हमने यहोवा के वचन का प्रचार किया था, वहाँ लौटकर भाइयों से मिलें और देखें कि वे किस हाल में हैं।” 37 बरनबास ने तो ठान लिया था कि वह अपने साथ यूहन्‍ना को भी ले जाएगा जो मरकुस कहलाता है। 38 मगर पौलुस को उसे अपने साथ ले जाना ठीक नहीं लगा, क्योंकि वह पमफूलिया में उन्हें छोड़कर चला गया था और इस काम में उनका साथ नहीं दिया था। 39 इस पर पौलुस और बरनबास के बीच ज़बरदस्त तकरार हुई, इसलिए वे एक-दूसरे से अलग हो गए; और बरनबास मरकुस को लेकर समुद्री जहाज़ से कुप्रुस के लिए रवाना हो गया। 40 लेकिन पौलुस ने सीलास को चुना। भाइयों ने पौलुस को यहोवा की महा-कृपा के भरोसे सौंपा और वह निकल पड़ा। 41 वह सीरिया और किलिकिया के इलाकों से होता हुआ मंडलियों को मज़बूत करता गया।

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