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इब्रानियों 4:1

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2011, पेज 27

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    7/15/1998, पेज 17-18

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    2/1/1998, पेज 19

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    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    8/2019, पेज 7

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    7/15/1998, पेज 18

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फुटनोट

  • *

    इब्रा 4:12 यूनानी, “प्सीकी।”

  • *

    इब्रा 4:12 यूनानी, “नफ्मा।”

  • *

    इब्रा 4:12 शाब्दिक, “जोड़ों।”

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    यहोवा के करीब, पेज 42, 185-186

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 12

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2016, पेज 13

    सिखाती है, पेज 26

    बाइबल सिखाती है, पेज 25-26

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2013, पेज 22-23

    12/15/2012, पेज 3

    7/15/2011, पेज 29, 32

    2/15/2010, पेज 10-11

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    6/1/1987, पेज 6-7

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 24

    राज-सेवा,

    5/2001, पेज 1

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 36

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2001, पेज 21-22

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

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    3/15/2000, पेज 6-8

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    6/1/1987, पेज 28

दूसरें अनुवाद

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
इब्रानियों 4:1-16

इब्रानियों

4 इसलिए, जबकि परमेश्‍वर के विश्राम में दाखिल होने का वादा अब तक है, तो आओ हम इस बात का ध्यान रखें कि हममें से कोई भी इस विश्राम में दाखिल होने के अयोग्य न ठहरे। 2 इसलिए कि हमें भी खुशखबरी सुनायी गयी है, ठीक जैसे उन्हें सुनायी गयी थी। मगर जो वचन उन्होंने सुना उसका उन्हें कुछ फायदा नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने उनकी तरह विश्‍वास नहीं दिखाया जिन्होंने सुना और विश्‍वास दिखाया था। 3 लेकिन हमने विश्‍वास दिखाया है और इसलिए उस विश्राम में दाखिल होते हैं। हालाँकि दुनिया की शुरूआत होने पर परमेश्‍वर के काम खत्म हो चुके थे और उसने विश्राम किया और दूसरों को भी अपने विश्राम में दाखिल होने का न्यौता दिया, फिर भी उसने एक बार कहा है: “इस वजह से मैंने क्रोध में आकर यह शपथ खायी, ‘वे मेरे विश्राम में दाखिल न होंगे।’ ” 4 एक जगह उसने सातवें दिन के बारे में यह कहा है: “और परमेश्‍वर ने सातवें दिन अपने सब कामों से विश्राम किया।” 5 और फिर उसने यह कहा: “वे मेरे विश्राम में दाखिल न होंगे।”

6 तो फिर कुछ लोगों का इस विश्राम में दाखिल होना बाकी है। और जिन लोगों को पहले खुशखबरी सुनायी गयी थी, वे आज्ञा न मानने की वजह से उसमें दाखिल नहीं हुए। 7 इसलिए वह फिर से बहुत दिनों बाद, दाऊद के भजन में किसी खास दिन के बारे में बताते हुए इसे “आज का दिन” कहता है, ठीक जैसा ऊपर कहा गया है: “आज अगर तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो तुम अपने दिलों को कठोर न कर लेना।” 8 इसलिए कि अगर यहोशू उन्हें विश्राम की जगह में ले जा चुका होता, तो परमेश्‍वर बाद में एक और दिन की बात न करता। 9 तो ज़ाहिर है कि परमेश्‍वर के लोगों के लिए सब्त का विश्राम बाकी है। 10 क्योंकि जो इंसान परमेश्‍वर के विश्राम में दाखिल हुआ है, उसने भी अपने कामों से विश्राम किया है, ठीक जैसे परमेश्‍वर ने किया था।

11 इसलिए आओ हम उस विश्राम में दाखिल होने के लिए अपना भरसक करें, कहीं ऐसा न हो कि हममें से कोई पाप करने लगे और आज्ञा न मानने के उनके ढर्रे में पड़ जाए। 12 इसलिए कि परमेश्‍वर का वचन जीवित है और ज़बरदस्त ताकत रखता है और दोनों तरफ तेज़ धार रखनेवाली तलवार से भी ज़्यादा धारदार है। यह इंसान के बाहरी रूप* को उसके अंदर के इंसान* से अलग करता है, और हड्डियों* को गूदे तक आर-पार चीरकर अलग कर देता है और दिल के विचारों और इरादों को जाँच सकता है। 13 और सृष्टि में ऐसी एक भी चीज़ नहीं जो परमेश्‍वर की नज़र से छिपी हुई हो। हाँ, हमें जिसे हिसाब देना है उसकी आँखों के सामने सारी चीज़ें खुली और बेपरदा हैं।

14 इसलिए, यह देखते हुए कि हमारा ऐसा महान महायाजक है, यानी परमेश्‍वर का बेटा यीशु जो स्वर्ग में दाखिल हुआ है, आओ हम उस पर अपने विश्‍वास का ऐलान करते रहें। 15 क्योंकि हमारा महायाजक ऐसा नहीं जो हमारी कमज़ोरियों में हमसे हमदर्दी न रख सके। मगर वह ऐसा है जिसकी हमारी तरह सब बातों में परीक्षा हुई, फिर भी वह निष्पाप निकला। 16 इसलिए आओ हम परमेश्‍वर की महा-कृपा की राजगद्दी के सामने, बेझिझक बोलने की हिम्मत के साथ जाएँ, ताकि हम सही वक्‍त पर मदद पाने के लिए उसकी दया और महा-कृपा हासिल कर सकें।

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