इब्रानियों
5 हरेक महायाजक इंसानों में से लिया जाता है और उसे इंसानों की खातिर परमेश्वर की सेवा में ठहराया जाता है, ताकि वह भेंट और पापों के प्रायश्चित्त के लिए बलिदान चढ़ाया करे। 2 वह उन लोगों के साथ दया से पेश आने के काबिल होता है जो अनजाने में गलतियाँ करते हैं, क्योंकि वह खुद भी अपनी कमज़ोरियों से घिरा होता है। 3 और इस वजह से उसे अपने पापों के लिए भी चढ़ावा चढ़ाना ज़रूरी होता है, ठीक जैसे वह दूसरों के पापों के लिए चढ़ाता है।
4 और कोई भी आदमी आदर का यह पद अपने आप नहीं ले लेता मगर यह उसे तभी मिलता है जब वह परमेश्वर की तरफ से ठहराया गया हो, ठीक जैसे हारून भी ठहराया गया था। 5 इसी तरह, मसीह ने भी खुद महायाजक का पद लेकर अपनी महिमा नहीं की, बल्कि उसे यह महिमा उसी ने दी जिसने उसके बारे में यह कहा: “तू मेरा बेटा है; आज मैं तेरा पिता बना हूँ।” 6 इसी तरह, एक और जगह पर वह कहता है: “तू मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा-हमेशा के लिए एक याजक है।”
7 जब मसीह इस धरती पर था, उस दौरान उसने ऊँची आवाज़ में पुकार-पुकारकर और आँसू बहा-बहाकर उससे गिड़गिड़ाकर मिन्नतें और बिनतियाँ कीं जो उसे मौत से बचा सकता था। और उसकी सुनी गयी क्योंकि वह परमेश्वर का डर मानता था। 8 परमेश्वर का बेटा होते हुए भी उसने दुःख सह-सहकर आज्ञा माननी सीखी। 9 और परिपूर्ण किए जाने के बाद, उसे उन सबको हमेशा का उद्धार दिलाने की ज़िम्मेदारी दी गयी जो उसकी आज्ञा मानते हैं। 10 क्योंकि परमेश्वर ने उसे खास तौर से मेल्कीसेदेक की तरह महायाजक होने के लिए ठहराया था।
11 हमारे पास उसके बारे में कहने के लिए बहुत कुछ है मगर तुम्हें यह सब समझाना मुश्किल है, क्योंकि तुम्हारी सोचने-समझने की शक्ति मंद पड़ गयी है।* 12 दरअसल, वक्त के हिसाब से तो तुम्हें दूसरों को सिखाने के काबिल बन जाना चाहिए था, मगर अब यह ज़रूरी हो गया है कि कोई तुम्हें परमेश्वर के पवित्र वचनों की बुनियादी बातें शुरूआत से सिखाए और तुम उनकी तरह बन गए हो जिन्हें ठोस आहार नहीं बल्कि सिर्फ दूध चाहिए। 13 इसलिए कि हर कोई जो दूध पीता है वह सच्चाई के वचन से अनजान है, क्योंकि वह अभी तक बच्चा है। 14 मगर ठोस आहार तो बड़ों के लिए है, जो अपनी सोचने-समझने की शक्ति का इस्तेमाल करते-करते, सही-गलत में फर्क करने के लिए इसे प्रशिक्षित कर लेते हैं।