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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रकाशितवाक्य 13:1-18

प्रकाशितवाक्य

13 और वह अजगर समुद्र की रेत पर जा खड़ा हुआ।

और मैंने एक जंगली जानवर को समुद्र में से ऊपर आते देखा, जिसके दस सींग और सात सिर थे, और उसके सींगों पर दस मुकुट थे, मगर उसके सिरों पर परमेश्‍वर की निंदा करनेवाले नाम लिखे थे। 2 मैंने जिस जंगली जानवर को देखा वह एक चीते जैसा था, मगर उसके पैर भालू के पैरों जैसे थे और उसका मुँह शेर के मुँह जैसा था। और इस जानवर को इसकी शक्‍ति, इसकी राजगद्दी और बड़ा अधिकार अजगर ने दिया।

3 और मैंने देखा कि उसका एक सिर ऐसे काट दिया गया मानो उसका कत्ल कर दिया गया हो। मगर यह जानलेवा घाव ठीक हो गया और सारी धरती इस जंगली जानवर की तारीफ करती हुई उसके पीछे हो ली। 4 और उन्होंने अजगर की पूजा की क्योंकि उसने जंगली जानवर को अधिकार दिया था। और उन्होंने यह कहते हुए जंगली जानवर की पूजा की: “इस जंगली जानवर जैसा कौन है, और कौन इससे युद्ध कर सकता है?” 5 और इसे एक ऐसा मुँह दिया गया जो बड़ी-बड़ी बातें करे और परमेश्‍वर की निंदा करे और इसे बयालीस महीनों तक अपना काम करने का अधिकार दिया गया। 6 और उसने परमेश्‍वर की निंदा करने के लिए अपना मुँह खोला, ताकि वह उसके नाम और उसके निवास की, यहाँ तक कि स्वर्ग में रहनेवालों की निंदा करे। 7 और उसे इजाज़त दी गयी कि वह पवित्र जनों के साथ युद्ध करे और उन पर जीत हासिल करे और उसे हर गोत्र और जाति और भाषा और राष्ट्र के लोगों पर अधिकार दिया गया। 8 और धरती पर रहनेवाले सभी उसकी पूजा करेंगे। और उनमें से एक का भी नाम वध किए गए मेम्ने की जीवन की किताब में नहीं लिखा गया जिसे दुनिया की शुरूआत से तैयार किया गया है।

9 कान लगाकर सुनो और जो कहा जा रहा है, उसे समझने की कोशिश करो। 10 अगर किसी को कैद किया जाना है, तो उसे कैद किया जाएगा। जो कोई तलवार से मारेगा, वह तलवार से मार डाला जाएगा। ऐसे में पवित्र लोगों का धीरज धरना और विश्‍वास रखना ज़रूरी है।

11 फिर मैंने एक और जंगली जानवर को धरती में से ऊपर आते हुए देखा और उसके मेम्ने के सींगों जैसे दो सींग थे मगर वह अजगर की तरह बोलने लगा। 12 और यह जानवर, पहले जंगली जानवर के सामने उसका सारा अधिकार चलाता है। और यह धरती और उसमें रहनेवालों से उस पहले जंगली जानवर की पूजा करवाता है, जिसका जानलेवा घाव ठीक हो गया था। 13 और यह जानवर बड़े-बड़े चमत्कार दिखाता है, यहाँ तक कि वह लोगों के सामने आकाश से धरती पर आग बरसाता है।

14 और इसे उस जंगली जानवर के सामने जो चमत्कार करने की इजाज़त दी गयी थी, उन चमत्कारों से वह धरती पर रहनेवालों को गुमराह करता है। साथ ही, यह धरती पर रहनेवालों से कहता है कि वे उस जंगली जानवर की मूरत बनाएँ जिस पर तलवार से वार किया गया था मगर फिर भी वह बच गया। 15 और इस जानवर को यह अधिकार दिया गया कि जंगली जानवर की मूरत में जान फूँक दे ताकि इसकी मूरत बोलने लगे और उन सभी को मरवा डाले जो किसी भी तरह जंगली जानवर की मूरत की पूजा नहीं करते।

16 और यह जानवर छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, आज़ाद-गुलाम सभी लोगों के साथ ज़बरदस्ती करता है कि उनके दाएँ हाथ पर या माथे पर एक निशान लगाया जाए, 17 और जिस किसी पर यह निशान यानी जंगली जानवर का नाम या उसके नाम की संख्या न हो, वह न तो खरीदारी कर सके, न ही बेच सके। 18 यहीं पर बुद्धि ज़रूरी है: जो अक्लमंद है, वह उस जंगली जानवर की संख्या का हिसाब लगाए, इसलिए कि यह आदमी की संख्या है और इसकी संख्या है, छः सौ छियासठ।

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