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फुटनोट

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    प्रका 22:13 अल्फा और ओमेगा, यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं।

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रकाशितवाक्य 22:1-21

प्रकाशितवाक्य

22 और उसने मुझे जीवन देनेवाले पानी की नदी दिखायी जो बिल्लौर की तरह साफ थी और परमेश्‍वर और मेम्ने की राजगद्दी से निकलकर बह रही थी। 2 यह नदी उस नगरी की चौड़ी सड़क के बीचों-बीच बह रही थी। नदी के इस पार और उस पार जीवन देनेवाले ऐसे पेड़ लगे थे जिनमें साल में बारह बार यानी हर महीने फल लगते थे। और इन पेड़ों की पत्तियाँ राष्ट्रों के लोगों के रोग दूर करने के लिए थीं।

3 और फिर वहाँ किसी भी तरह का शाप न होगा। मगर इस नगरी में परमेश्‍वर और मेम्ने की राजगद्दी होगी और परमेश्‍वर के दास उसकी पवित्र सेवा करेंगे। 4 वे उसका मुख देखेंगे और उसका नाम उनके माथों पर लिखा होगा। 5 फिर कभी रात न होगी और उन्हें दीपक या सूरज की रौशनी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर उन पर रौशनी चमकाएगा और वे हमेशा-हमेशा तक राजा बनकर राज करेंगे।

6 फिर स्वर्गदूत ने मुझसे कहा: “ये वचन विश्‍वास के योग्य और सच्चे हैं। हाँ, यहोवा परमेश्‍वर जो भविष्यवक्‍ताओं को प्रेरित करता है कि उसके वचन बोलें, उसने अपना स्वर्गदूत भेजा ताकि अपने दासों को दिखाए कि बहुत जल्द क्या-क्या होना है। 7 और देख! मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ। सुखी है वह जो इस किताब की भविष्यवाणी के वचनों को मानता है।”

8 मैं यूहन्‍ना, ये बातें देख और सुन रहा था। और जब मैं देख और सुन चुका, तो जो स्वर्गदूत मुझे ये सारी बातें दिखा रहा था, मैं उसकी उपासना करने के लिए उसके पैरों पर गिर पड़ा। 9 मगर उसने मुझसे कहा: “खबरदार! ऐसा मत कर! मैं तो तेरे और तेरे भाइयों की तरह, जो भविष्यवक्‍ता हैं और जो इस किताब में लिखे वचनों के मुताबिक चलते हैं, सिर्फ एक दास हूँ। परमेश्‍वर की उपासना कर।”

10 उसने मुझसे यह भी कहा: “इस किताब के भविष्यवाणी के वचनों पर मुहर मत लगा, क्योंकि तय किया हुआ वक्‍त पास आ गया है। 11 जो बुरे काम करता है वह बुराई में लगा रहे; और जिसका चालचलन गंदा है वह गंदे कामों में लगा रहे। मगर जो नेक है वह और भी ज़्यादा नेकी के कामों में लगा रहे और जो पवित्र है वह और भी ज़्यादा पवित्र होता जाए।

12 ‘देख! मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ और हरेक को उसके काम के हिसाब से जो इनाम मैं देता हूँ वह मेरे पास है। 13 मैं ही अल्फा और ओमेगा* हूँ, मैं ही पहला और आखिरी, शुरूआत और अंत हूँ। 14 सुखी हैं वे जिन्होंने अपने चोगे धोए हैं, ताकि उन्हें जीवन देनेवाले पेड़ों का फल खाने का अधिकार मिले, ताकि वे इस नगरी में इसके फाटकों से होकर दाखिल हो सकें। 15 मगर, कुत्ते, भूत-विद्या के काम करनेवाले, व्यभिचारी, हत्यारे, मूरतों को पूजनेवाले, छल-कपट की बातें पसंद करनेवाले और उनमें लगे रहनेवाले इस नगरी के बाहर होंगे।’

16 ‘मुझ यीशु ने तुम्हें ये बातें बताने के लिए अपना स्वर्गदूत भेजा, जिससे मंडलियों का भला हो। मैं ही दाविद की जड़ और उसकी संतान हूँ और सुबह का चमकता तारा हूँ।’ ”

17 और पवित्र शक्‍ति और वह दुल्हन कहती रहती हैं: “आ!” और सुननेवाला हर कोई कहे: “आ!” और हर कोई जो प्यासा हो वह आए। जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।

18 मैं इस किताब के भविष्यवाणी के वचनों को सुननेवाले हर किसी को यह गवाही देता हूँ: अगर कोई इन बातों में कुछ जोड़ता है, तो परमेश्‍वर इस किताब में लिखे कहर उस पर लाएगा। 19 और अगर कोई भविष्यवाणी की इस किताब के वचनों में से कुछ बातें निकालेगा, तो परमेश्‍वर जीवन देनेवाले पेड़ों में से और उस पवित्र नगरी में से, जिनके बारे में इस किताब में लिखा है, उसका हिस्सा निकाल देगा।

20 वह जो इन बातों की गवाही देता है, वह कहता है, ‘हाँ; मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ।’

“आमीन! प्रभु यीशु, आ।”

21 मेरी दुआ है कि प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा पवित्र जनों पर होती रहे।

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