14 तेरा वंश* धूल के कणों की तरह अनगिनत हो जाएगा।+ तू उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, चारों दिशाओं में फैल जाएगा। तेरे और तेरे वंश* के ज़रिए धरती के सारे कुल ज़रूर आशीष पाएँगे।*+
31 मैं लाल सागर से पलिश्तियों के सागर तक और वीराने से महानदी* तक तुम्हारे लिए सरहद ठहराऊँगा।+ मैं उस देश के निवासियों को तुम्हारे हाथ में कर दूँगा और तुम उन्हें अपने सामने से खदेड़ दोगे।+