35 जैसे ही उसने अपनी बेटी को देखा, मारे दुख के उसने अपने कपड़े फाड़े और कहा, “हाय मेरी बेटी! तूने मेरा कलेजा छलनी कर दिया क्योंकि अब मुझे तुझको अपने से दूर भेजना होगा। मैं यहोवा को ज़बान दे चुका हूँ और उससे मुकर नहीं सकता।”+
24 मगर उस दिन इसराएली आदमियों की हालत पस्त हो चुकी थी क्योंकि शाऊल ने उन्हें यह शपथ धरायी थी, “अगर किसी आदमी ने शाम से पहले, जब तक मैं अपने दुश्मनों से बदला नहीं ले लेता, एक निवाला भी खाया तो वह शापित हो!” इसलिए किसी भी आदमी ने कुछ नहीं खाया था।+
33 तुमने यह भी सुना है कि गुज़रे ज़माने के लोगों से कहा गया था, ‘तुम ऐसी शपथ न खाना जिसे तुम पूरा न करो,+ मगर तुम यहोवा* के सामने अपनी मन्नतें पूरी करना।’+