12 धन और सम्मान तुझी से मिलता है+ और तू हर चीज़ पर राज करता है।+ तेरे हाथ में शक्ति+ और ताकत है।+ तेरा हाथ सबको महान बना सकता है,+ उन्हें ताकत दे सकता है।+
35 उसके सामने धरती के निवासी कुछ भी नहीं हैं। वह आकाश की सेना और धरती के निवासियों के साथ वही करता है जो उसकी मरज़ी के मुताबिक है। उसे कोई रोक नहीं सकता,*+ न ही उससे कह सकता है, ‘यह तूने क्या किया?’+