9 और मेरे बेटे सुलैमान, तू अपने पिता के परमेश्वर को जान और पूरे* दिल से और खुशी-खुशी उसकी सेवा कर,+ क्योंकि यहोवा सबके दिलों को जाँचता है+ और मन के हर विचार और इरादे को जानता है।+ अगर तू उसकी खोज करेगा तो वह तुझे मिलेगा।+ लेकिन अगर तू उसे छोड़ देगा, तो वह तुझे हमेशा के लिए ठुकरा देगा।+
19 तू शानदार मकसद ठहराता है* और शक्तिशाली काम करता है।+ तेरी आँखें इंसानों के सभी तौर-तरीके ध्यान से देखती हैं+ ताकि हरेक को उसके कामों और चालचलन के मुताबिक फल दे।+
20 मगर तुम लोगों ने कहा है, ‘यहोवा के काम करने का तरीका सही नहीं है।’+ इसराएल के घराने के लोगो, मैं तुममें से हरेक का न्याय उसके चालचलन के हिसाब से करूँगा।”
10 क्योंकि हममें से हरेक को मसीह के न्याय-आसन के सामने हाज़िर होना पड़ेगा* ताकि हर किसी ने इस शरीर में रहकर जैसे काम किए हैं, फिर चाहे अच्छे हों या बुरे, उनके हिसाब से उसे बदला मिले।+
17 और अगर तुम उस पिता को पुकारते हो जो बिना पक्षपात किए हरेक के कामों के मुताबिक न्याय करता है,+ तो आज जब तुम कुछ वक्त के लिए परदेसियों की तरह जी रहे हो, तो परमेश्वर का डर मानते हुए जीवन बिताओ।+