2 अगर कोई आदमी यहोवा के लिए एक मन्नत मानता है+ या शपथ खाकर+ किसी चीज़ का त्याग करने की मन्नत मानता है और इस तरह खुद पर बंदिश लगाता है, तो उसे अपने वचन से नहीं मुकरना चाहिए।+ उसने जो भी मन्नत मानी है उसे पूरा करना होगा।+
35 जैसे ही उसने अपनी बेटी को देखा, मारे दुख के उसने अपने कपड़े फाड़े और कहा, “हाय मेरी बेटी! तूने मेरा कलेजा छलनी कर दिया क्योंकि अब मुझे तुझको अपने से दूर भेजना होगा। मैं यहोवा को ज़बान दे चुका हूँ और उससे मुकर नहीं सकता।”+