18 बेटे लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं, पिता उनमें आग लगाते हैं और पत्नियाँ आटा गूँधती हैं ताकि स्वर्ग की रानी* के लिए बलिदान की टिकियाँ बना सकें+ और वे दूसरे देवताओं के आगे अर्घ चढ़ाते हैं। यह सब करके वे मेरा क्रोध भड़काते हैं।+
29 इस शहर से लड़नेवाले कसदी इसमें घुस आएँगे और इसे आग लगा देंगे। वे शहर के साथ-साथ यहाँ के घर फूँक देंगे+ जिनकी छतों पर लोगों ने बाल देवता के लिए बलिदान चढ़ाए और दूसरे देवताओं के लिए अर्घ चढ़ाया और ऐसा करके मेरा क्रोध भड़काया।’+