32इस बीच जब लोगों ने देखा कि मूसा पहाड़ से नीचे आने में देर लगा रहा है,+ तो वे सब हारून के पास जमा हो गए और उससे कहने लगे, “पता नहीं उस मूसा का क्या हुआ, जो हमें मिस्र से निकालकर यहाँ ले आया था। इसलिए अब हमारी अगुवाई के लिए तू एक देवता बना दे।”+
4 हारून ने वह सोना लिया और नक्काशी करनेवाले औज़ार से एक बछड़े की मूरत* तैयार की।+ फिर लोग कहने लगे, “हे इसराएल, यही तेरा परमेश्वर है जो तुझे मिस्र देश से बाहर ले आया है।”+
25जब इसराएली शित्तीम में रह रहे थे,+ तो वे मोआबी औरतों के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखने लगे।+2 मोआबी औरतों ने उन्हें न्यौता दिया कि वे उनके देवताओं के लिए बलिदान चढ़ाने के मौके पर उनके यहाँ आएँ।+ तब वे उनके यहाँ गए और उन देवताओं के आगे दंडवत करने लगे+ और उनको चढ़ाया गया भोजन खाने लगे।
42 इसलिए परमेश्वर ने उनसे मुँह फेर लिया और उन्हें आकाश की सेना को पूजने के लिए छोड़ दिया,+ ठीक जैसा भविष्यवक्ताओं की किताब में लिखा है, ‘हे इसराएल के घराने, वीराने में उन 40 सालों के दौरान क्या तूने बलिदान और चढ़ावे मुझे ही दिए थे?