21 जो ईश्वर है ही नहीं उसे मानकर उन्होंने मेरा क्रोध भड़काया,+
अपनी निकम्मी मूरतों को पूजकर मुझे गुस्सा दिलाया।+
इसलिए मैं भी ऐसे लोगों के ज़रिए उन्हें जलन दिलाऊँगा जिन्हें कुछ नहीं समझा जाता,+
एक मूर्ख जाति के ज़रिए उन्हें गुस्सा दिलाऊँगा।+
22 मेरे क्रोध ने आग की चिंगारी भड़कायी है,+
जो कब्र की गहराई तक जलती रहेगी,+
धरती और उसकी उपज भस्म कर देगी,
पहाड़ों की नींव में आग लगा देगी।