35 इसके बजाय अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और भलाई करते रहो और उधार देते रहो और बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद मत करो।+ इसका तुम्हें बड़ा इनाम मिलेगा और तुम परम-प्रधान के बेटे ठहरोगे, क्योंकि वह एहसान न माननेवालों और दुष्टों पर भी कृपा करता है।+
17 फिर भी वह भलाई करता रहा और इस तरह अपने बारे में गवाही देता रहा।+ वह तुम्हें आकाश से बरसात और अच्छी पैदावार के मौसम देता रहा+ और तुम्हें जी-भरकर खाना देता रहा और तुम्हारे दिलों को आनंद से भरता रहा।”+