वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • मरकुस 2:3-12
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 3 तब लोग एक लकवे के मारे हुए को वहाँ लाए, जिसे चार आदमी उठाए हुए थे।+ 4 मगर भीड़ की वजह से वे उसे अंदर यीशु के पास नहीं ले जा सके। इसलिए जहाँ यीशु बैठा था, उन्होंने उसके ऊपर घर की छत को खोदा और खोल दिया और लकवे के मारे हुए को उसकी खाट समेत नीचे उतार दिया। 5 जब यीशु ने उनका विश्‍वास देखा,+ तो उसने लकवे के मारे आदमी से कहा, “बेटे, तेरे पाप माफ किए गए।”+ 6 वहाँ कुछ शास्त्री बैठे थे जो मन में कहने लगे,+ 7 “यह आदमी क्या कह रहा है! यह तो परमेश्‍वर की निंदा कर रहा है। परमेश्‍वर के सिवा और कौन पापों को माफ कर सकता है?”+ 8 मगर यीशु ने फौरन मन में जान लिया कि वे क्या सोच रहे हैं। इसलिए उसने कहा, “तुम क्यों अपने मन में ये बातें सोच रहे हो?+ 9 इस लकवे के मारे आदमी से क्या कहना ज़्यादा आसान है, ‘तेरे पाप माफ किए गए’ या यह कहना, ‘उठ, अपनी खाट उठा और चल-फिर’? 10 मगर इसलिए कि तुम जान लो कि इंसान के बेटे+ को धरती पर पाप माफ करने का अधिकार दिया गया है . . .।”+ उसने लकवे के मारे हुए से कहा, 11 “मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ा हो! अपनी खाट उठा और घर जा।” 12 तब वह आदमी खड़ा हो गया और फौरन अपनी खाट उठाकर सबके सामने बाहर निकल गया। यह देखकर सभी दंग रह गए और यह कहकर परमेश्‍वर की महिमा करने लगे, “हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा।”+

  • लूका 5:18-26
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 18 तभी लोग लकवे के मारे हुए एक आदमी को खाट पर लेकर आए। वे उसे किसी तरह उस कमरे में ले जाना चाहते थे जहाँ यीशु था।+ 19 मगर जब भीड़ की वजह से उसे अंदर ले जाने का रास्ता नहीं मिला, तो वे ऊपर छत पर चढ़ गए। उन्होंने खपरैल हटाकर उसे खाट समेत उन लोगों के बीच उतार दिया जो यीशु के सामने थे। 20 जब यीशु ने उन आदमियों का विश्‍वास देखा तो लकवे के मारे से कहा, “तेरे पाप माफ किए गए।”+ 21 यह सुनकर शास्त्री और फरीसी सोचने लगे, “यह कौन है जो परमेश्‍वर के बारे में निंदा की बातें कर रहा है? परमेश्‍वर को छोड़ और कौन पापों को माफ कर सकता है?”+ 22 मगर यीशु जान गया कि वे क्या सोच रहे हैं और उसने कहा, “तुम अपने मन में क्या सोच रहे हो? 23 क्या कहना ज़्यादा आसान है, ‘तेरे पाप माफ किए गए’ या यह कहना, ‘उठ और चल-फिर’? 24 मगर इसलिए कि तुम जान लो कि इंसान के बेटे को धरती पर पाप माफ करने का अधिकार दिया गया है . . .।” यीशु ने लकवे के मारे हुए आदमी से कहा, “मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ा हो! अपनी खाट उठा और घर जा।”+ 25 तब वह आदमी उनके सामने खड़ा हो गया। उसने वह खाट उठायी जिस पर वह लेटा था और परमेश्‍वर की महिमा करता हुआ अपने घर चला गया। 26 यह देखकर सब-के-सब हैरान रह गए और परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगे और उन पर डर छा गया। वे कहने लगे, “आज हमने अजब घटनाएँ देखी हैं!”

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें