42 देखो! मेरा सेवक+ जिसे मैं सँभाले हुए हूँ!
मेरा चुना हुआ जन+ जिसे मैंने मंज़ूर किया है!+
मैंने उस पर अपनी पवित्र शक्ति उँडेली है,+
वह राष्ट्रों को दिखाएगा कि सच्चा न्याय क्या होता है।+
2 वह न तो चिल्लाएगा, न शोर मचाएगा
और न ही सड़कों पर अपनी आवाज़ ऊँची करेगा।+
3 वह कुचले हुए नरकट को नहीं कुचलेगा,
टिमटिमाती बाती को नहीं बुझाएगा।+
वह न्याय करने में विश्वासयोग्य होगा।+
4 वह न बुझेगा, न कुचला जाएगा,
वह पृथ्वी पर न्याय कायम करेगा+
और सारे द्वीप उसके कानून का इंतज़ार करेंगे।