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  • मरकुस 6:35-44
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 35 अब काफी वक्‍त बीत चुका था और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, “यह जगह सुनसान है और बहुत देर हो चुकी है।+ 36 इसलिए इन्हें विदा कर ताकि वे आस-पास के देहातों और गाँवों में जाकर खाने के लिए कुछ खरीद लें।”+ 37 मगर यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हीं उन्हें कुछ खाने को दो।” यह सुनकर चेलों ने कहा, “क्या हम 200 दीनार* की रोटियाँ खरीदें और इन्हें खाने को दें?”+ 38 यीशु ने उनसे कहा, “जाओ देखो, तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं।” पता लगाकर उन्होंने कहा, “पाँच। और दो मछलियाँ भी हैं।”+ 39 फिर यीशु ने सब लोगों से कहा कि वे अलग-अलग टोलियाँ बनाकर हरी घास पर आराम से बैठ जाएँ।+ 40 वे सौ-सौ और पचास-पचास की टोलियों में बैठ गए। 41 यीशु ने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आकाश की तरफ देखकर प्रार्थना में धन्यवाद दिया।+ फिर वह रोटियाँ तोड़कर चेलों को देने लगा ताकि वे उन्हें लोगों में बाँटें। उसने वे दो मछलियाँ भी सबके लिए बाँट दीं। 42 तब सब लोगों ने जी-भरकर खाया 43 और उन्होंने बची हुई रोटियों के टुकड़े उठाए जिनसे 12 टोकरियाँ भर गयीं। इनके अलावा मछलियाँ भी थीं।+ 44 और रोटियाँ खानेवालों में आदमियों की गिनती 5,000 थी।

  • लूका 9:12-17
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 12 फिर दिन ढलने लगा और वे 12 उसके पास आए और कहने लगे, “भीड़ को भेज दे ताकि वे आस-पास के गाँवों और देहातों में जाकर अपने खाने और ठहरने का इंतज़ाम करें, क्योंकि हम यहाँ सुनसान जगह में हैं।”+ 13 मगर यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हीं उन्हें कुछ खाने को दो।”+ उन्होंने कहा, “हमारे पास पाँच रोटियों और दो मछलियों के सिवा कुछ नहीं है। क्या तू यह चाहता है कि हम खुद जाकर इन सब लोगों के लिए खाना खरीदकर लाएँ?” 14 दरअसल वहाँ करीब 5,000 आदमी थे। यीशु ने अपने चेलों से कहा, “उन्हें पचास-पचास की टोलियों में बिठा दो।” 15 उन्होंने ऐसा ही किया और सबको बिठा दिया। 16 तब उसने पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आकाश की तरफ देखकर प्रार्थना में धन्यवाद दिया। फिर उन्हें तोड़कर चेलों को देने लगा ताकि वे भीड़ के सामने परोस दें। 17 तब सब लोगों ने जी-भरकर खाया और उन्होंने बचे हुए टुकड़े उठाए जिनसे 12 टोकरियाँ भर गयीं।+

  • यूहन्‍ना 6:5-13
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 5 जब यीशु ने नज़र उठाकर देखा कि एक बड़ी भीड़ उसकी तरफ चली आ रही है, तो उसने फिलिप्पुस से कहा, “हम इनके खाने के लिए रोटियाँ कहाँ से खरीदें?”+ 6 मगर वह उसे परखने के लिए यह बात कह रहा था क्योंकि वह जानता था कि वह खुद क्या करने जा रहा है। 7 फिलिप्पुस ने उसे जवाब दिया, “दो सौ दीनार* की रोटियाँ भी इन सबके लिए पूरी नहीं पड़ेंगी कि हरेक को थोड़ा-थोड़ा भी मिल सके।” 8 तब यीशु के एक चेले, अन्द्रियास ने जो शमौन पतरस का भाई था, उससे कहा, 9 “यहाँ एक लड़का है, जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो छोटी मछलियाँ हैं। मगर इतनी बड़ी भीड़ के लिए इससे क्या होगा?”+

      10 यीशु ने कहा, “लोगों को खाने के लिए बिठा दो।” उस जगह बहुत घास थी, इसलिए लोग वहाँ आराम से बैठ गए। इनमें आदमियों की गिनती करीब 5,000 थी।+ 11 तब यीशु ने वे रोटियाँ लीं और प्रार्थना में धन्यवाद देने के बाद लोगों में बाँट दीं। फिर उसने छोटी मछलियाँ भी बाँट दीं, जिसे जितनी चाहिए थी उतनी दे दी। 12 जब उन्होंने भरपेट खा लिया, तो उसने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े इकट्ठा कर लो ताकि कुछ भी बेकार न हो।” 13 इसलिए जौ की पाँच रोटियों में से जब सब लोग खा चुके, तो बचे हुए टुकड़े इकट्ठे किए गए जिनसे 12 टोकरियाँ भर गयीं।

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