वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • मत्ती 6:25-30
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 25 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन के लिए चिंता करना छोड़ दो+ कि तुम क्या खाओगे या क्या पीओगे, न ही अपने शरीर के लिए चिंता करो कि तुम क्या पहनोगे।+ क्या जीवन भोजन से और शरीर कपड़े से अनमोल नहीं?+ 26 आकाश में उड़नेवाले पंछियों को ध्यान से देखो।+ वे न तो बीज बोते, न कटाई करते, न ही गोदामों में भरकर रखते हैं, फिर भी स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम्हारा मोल उनसे बढ़कर नहीं? 27 तुममें ऐसा कौन है जो चिंता करके एक पल के लिए भी* अपनी ज़िंदगी बढ़ा सके?+ 28 तुम यह चिंता क्यों करते हो कि तुम्हारे पास पहनने के लिए कपड़े कहाँ से आएँगे? मैदान में उगनेवाले सोसन* के फूलों से सबक सीखो, वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो कड़ी मज़दूरी करते हैं न ही सूत कातते हैं। 29 मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलैमान+ भी जब अपने पूरे वैभव में था, तो इनमें से किसी एक की तरह भी सज-धज न सका। 30 इसलिए अगर परमेश्‍वर मैदान में उगनेवाले इन पौधों को, जो आज हैं और कल आग* में झोंक दिए जाएँगे, ऐसे शानदार कपड़े पहनाता है, तो अरे कम विश्‍वास रखनेवालो! क्या वह तुम्हें नहीं पहनाएगा?

  • फिलिप्पियों 4:6
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 6 किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो,+ मगर हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर से बिनतियाँ करो।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें