16 और वे उन पहाड़ों और चट्टानों से कहते रहे, “हम पर गिर पड़ो और हमें छिपा लो+ और हमें राजगद्दी पर बैठे+ परमेश्वर और मेम्ने+ के क्रोध से बचा लो। 17 क्योंकि उनके क्रोध का भयानक दिन आ गया है+ और कौन उनके सामने खड़ा हो सकता है?”+
15 “देख! मैं एक चोर की तरह आ रहा हूँ।+ सुखी है वह जो जागता रहता है+ और अपने कपड़ों की चौकसी करता है ताकि वह नंगा न फिरे और लोग उसकी शर्मनाक हालत न देखें।”+