30 मैं अपनी पहल पर एक भी काम नहीं कर सकता। मगर ठीक जैसा पिता से सुनता हूँ वैसा ही न्याय करता हूँ।+ मैं जो न्याय करता हूँ वह सच्चा है, क्योंकि मैं अपनी नहीं बल्कि उसकी मरज़ी पूरी करना चाहता हूँ जिसने मुझे भेजा है।+
28 इसलिए यीशु ने कहा, “जब तुम इंसान के बेटे को ऊँचे पर चढ़ा चुके होगे,+ तो तुम जान लोगे कि मैं वही हूँ।+ मैं अपनी मरज़ी से कुछ भी नहीं करता,+ बल्कि जैसा पिता ने मुझे सिखाया है मैं ये बातें बताता हूँ।